छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास | Chhattisgarh Ka Prachin Itihas
Table of Contents
प्राग ऎतिहासिक काल
- इसे पाषाण काल ( पत्थरो का काल ) भी कहा जाता है |
- इसे तीन भगो में बाटा गया है |
1.पूर्व पाषाण काल
2.पाषाण काल
3.उत्तर /नव पाषाण काल
पूर्व पाषाण काल :-
1 . इसकी जानकारी रायगढ के सिघनपुर गुफा से प्राप्त हुई है |
2 . लाल रंग के छिपकली घड़ियाल सांभर आदि की चित्रकारी की गई है |
3. मानव की आओजरो की आकृति चित्रित किया गया है |
4 .इसकी खोजे 1910 में ऐंडरसन ने किया था |
5 . इसका प्रकाशन सर्वप्रथम लोचन प्रसाद पाण्डे ने किया था |
मध्य पाषाण काल :-
1 . इसकी जानकारी रायगढ के कबरा पहाड़ गुफा से प्राप्त हुई है |
2 लम्बे फलक वाले कुलहाड़ी अर्धचन्द्राकार आकृति में बने थे |
3.आखेट पर अधिक चित्रों का चित्रण किया गया है
4. सर्वाधिक जानकारी कबरा पहाड़ से प्राप्त है |
उतर /नव पाषाण काल :-
1. इसकी जानकारी राजनांदगाव के चितवारी डोगरी से प्राप्त हुई है |
2. जैन धर्म की मूर्तिकला की जानकारी है |
3. चीनी व्यापारी व ड्रैगन चित्रित है |
4. इस समय के लोगे कृषि पर निर्भर थे |
5. 27 शैल चित्र प्राप्त हुवे है |
6. इनकी खोज भगवान दास बघेल व रमेन्द्रनाथ मिश्रा ने किया था |
7. कुछ अवशेष टेरम अर्जुनी से मिले |
पाषाण घेरे :-
2. यह परंपरा आज भी है पर पत्थर का आकार छोटा हो गया है |
3. इसकी जानकारी करहीभदर चिरचारी व सोरर दुर्ग से प्राप्त हुई है |
4. बस्तर से गढ़धनोरा से 500 पाषाण घेरे प्राप्त हुई है |
शैल चित्र :-
1. सिंघनपुर व कबरा पहाड़ की गुफा में दीवारों पर चित्रकारी किया गया है जो रात में भी दिखाई देता है |
2. रायगढ़ की बोतल का गुफा सबसे लंबी गुफा है |
लौहपात्र :-
1. जोगीमारा सीता बिगरा की गुफा से प्राप्त हुआ है |
2. मृद भांड मिट्टी के बर्तन करका भाठा बालोदा से प्राप्त हुआ है |
सिंधु घाटी सभ्यता :-
1. कोई भी साक्ष्य छत्तीसगढ़ से प्राप्त नहीं हुए हैं |
वैदिक काल :-
2. कोई भी साक्ष्य छत्तीसगढ़ से प्राप्त नहीं हुए हैं |
उत्तर वैदिक काल:-
1. नर्मदा नदी का उल्लेख रेवा नदी के रूप में की गई है |
2. उत्तर वैदिक काल के लोगों को छत्तीसगढ़ का ज्ञान था |
रामायण काल
महाभारत काल
महाजनपद काल (राजधानी-श्रावस्ती)
- बौद्ध ग्रन्थ अवदानशतक मै ह्वेनसांग की यात्रा का वर्णन मिलता है।
- बौद्ध ग्रन्थ अवदान शतक के अनुसार गौतम बुध सिरपुर आये थे और तीन माह तक समय व्यतीत किया था ।
- यह जानकारी चीनी यात्री ह्वेनसांग की रचन “सी यु की” से भी पता चलता है ।
- ह्वेनसांग ने छत्तीसगढ़ को “कियासलो” नाम दिया है ।
- इसी समय बौद्ध भिक्षुक प्रभु आनंद ने सिरपुर में आनंद कुटी व स्वस्तिक विहार का निर्माण किया था।
- भगवती सूत्र के अनुसार महावीर स्वामी की जानकारी आरंग से मिलती है ।
- पार्शवनाथ की जानकारी नागपुर से मिलती है ।
मौर्य काल(322 ईशा पूर्व)
- छत्तीसगढ़ कलिंग देश (उड़ीसा) का भाग था, कलिंग अभिलेख के अनुसार ।
- जोगीमारा की गुफा से “सुत्तनुका और देवदत्त “की प्रेम गाथा का वर्णन मिलता है। वे यहाँ नृत्य किया करते थे
- रामगढ़ की पहाड़ी , जोगीमारा की गुफा , सीता बेंगरा मौर्या कालीन स्थल है
- यहाँ से अशोक के खुदे हुए अभिलेख प्राप्त हुए है । जिसकी भाषा पाली है और लिपि ब्राह्मी थी ।
- सीता बेंगरा की गुफा विश्व की सबसे प्राचीनतम नाट्यशाल कहा जाता है ।
- जांजगीर चाँपा–अकलतरा और ठठारी से मौर्य कालीन सिक्के मिले।
- अशोक ने सिरपुर में बौद्ध स्तुप का निर्माण करवाया था। जो अभी प्राकृतिक कारन से नष्ट हो गए है ।
- देवगढ़ की पहाड़ी मै स्थित सीताबेंगरा की गुफा को प्राचीनतम नाट्यशाला माना जाता है।
- अशोक के सिक्के – अकलतरा , ठठरी बिलासपुर , बर्गों , तारापुर , उड़ेला अदि से प्राप्त हुए है ।
सातवाहन काल
- सातवाहन शासक ब्राम्हण जाती के थे।
- राजधानी – प्रतिस्थान , चंद्रपुर , ( महाराष्ट्र )
- चंद्रपुर के बार गांव से सातवाहन काल के शासक अपिलक का शिक्का प्राप्त हुआ।
- 1921 में जांजगीर चाँपा के किरारी गांव के तालाब में काष्ठ स्तम्भ शिलालेख प्राप्त हुआ। जो की वर्तमान में घासीदास संग्रहालय रायपुर में रखा हुआ है ।
- इस काल के मुद्रा बालपुर(जांजगीर चांपा),मल्हार और चकरबेड़ा (बिलासपुर) से प्राप्त होते है।
- इस काल के समकालिक शासक खारवेल उड़ीसा का शासक था।
- पोटीन सिक्का बालपुर , जांजगीर छापा व मल्हार , बिलासपुर से प्राप्त हुआ जिसमे राजा अपिलक का नाम उल्लेख है ।
- बुढ़ीखार से चतुर्भुज विष्णु की प्रतिमा प्राप्त हुई है
- रोम की स्वर्ण मुद्राये बिलासपुर के चक्रबेधा से प्राप्त हुआ है
वाकाटक वंश(3-4 सताब्दी)
कुषाण काल
- कनिष्क के सिक्के खरसिया (रायगढ़) से प्राप्त हुआ।
- इस काल में तांबे के काकानी सिक्के- टेलीकोट ( रायगढ़ ) बिलासपुर से प्राप्त हुए।
- इसी समय चार रत्नो में से एक नागार्जुन छत्तीसगढ़ आये थे ।
मेघवंश
- छत्तीसगढ़ में मेघवंश था लेकिन उतने प्रमाण स्पष्ट नहीं थे ।
- सिक्के मल्हार से प्राप्त हुआ।