छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास | Chhattisgarh Ka Adhunik Itihas | Modern History of Chhattisgarh
(1741 से 1947 तक)
छत्तीसगढ़ में मराठा शासन 1.अप्रत्यक्ष मराठा शासन (1741 से 1758 तक) 2.प्रत्यक्ष मराठा शासन (1758-1787) 3.सूबा शासन (1787-1818) 4.ब्रिटिश शासन (1818-1830) 5.पुनः मराठा शासन (1830-1854) 6.पुनः ब्रिटिश शासन (1854-1947) |
1.अप्रत्यक्ष मराठा शासन (1741-1758)
रघुनाथ सिंह (1741-1745) :-
- भास्कर पंथ ने शासन नहीं किया।
- रघुनाथ सिंह को सत्ता सौंप कर चला गया।
मोहन सिंह (1745-1758) :-
- रघुनाथ सिंह को अपदस्थ करके मोहन सिंह को सत्ता सौंपा गया।
- यह मराठों के अधीन अंतिम कल्चुरी शासक था।
2.प्रत्यक्ष मराठा शासन (1758 से 1787 तक)
बिम्बाजी भोसले (1758-1787) :-
- छ.ग. के प्रथम मराठा शासक था।
- रतनपुर व रायपुर का प्रशासनिक एकीकरण किया (1778)
- छत्तीसगढ़ राज्य की संज्ञा दी।
- मराठी, उर्दू, गोंडी लिपि प्रारंभ करवाया।
- न्यायलय की स्थापना किया तालुकेदारी प्रथा चलवाया।
- राजनांदगाँव व खुज्जी नामक नई जमींदारी का निर्माण किया।
- रतनपुर में रामटेकरी मंदिर का निर्माण करवाया तथा स्वयं की मूर्ति रखवाया है।
- रायपुर में दूधाधारी मठ का जीर्णोद्धार करवाया।
- विजयादशमी (दशहरा) में स्वर्ण पत्र देने की प्रथा प्रारंभ करवाया।
- बिम्बा जी की मृत्यु के बाद उसकी पत्नि उमा बाई बिम्बाजी को गोद में लेकर जिंदा चिता में जली व सती हुई थी।
- रतनपुर में उमाबाई की सती चौरे स्थित है।
- बिम्बा जी के दो पत्निया थीं। 1. उमाबाई 2. आनंदी बाई 3.रमाबाई
3.सुबा शासन (1787 से 1818 तक)
व्यंकोजी भोसले (1787-1818) :-
- छ.ग. में सूबेदारी पद्धति या सूबा शासन की शुरूआत हुई ।
- प्रशासन का पूरा दायित्व सूबेदार के हाथों में होता था।
- सूबेदारों का पद वंशानुगत नहीं था।
- ठेकेदारी प्रथा पर आधारित था।
- छ.ग. में 8 सूबेदार हुए।
1. महिपतराव दिनकर :
- छ.ग. के प्रथम सूबेदार थे।
- इसी समय यूरोपीय यात्री फारेस्टर छ.ग. आया था (1790) .
- महिपतराव दिनकर के समय सारी शासन की शक्ति विधवा आनंदी बाई के हाथों में थी।
2. विठ्ठलराव दिनकर :
- छ.ग. में परगना पद्धति की शुरूआत किया (1790-1818 तक)
- परगने का प्रमुख कमाविंसदार कहलाता था।
- इसी समय छ.ग. को 27 परगना में बाँटा गया था।
- इस समय यूरोपीय यात्री भिलाई प्लांट छ.ग. आया था (1795) 13 मई 1795 को मि. ब्लंट का रतनपुर आगमन हुआ।
- 1795 में ब्लंट ने प्रशासनिक तौर पर छ.ग. शब्द का प्रयोग ग्रेजिटीयर में किया था।
3. भवानी कालू :
- इनका कार्यकाल सबसे कम था।
4. केशव गोविंद :
- इनका कार्यकाल सबसे लम्बा था।
- इस समय यूरोपीय यात्री कोलबुक्र छ.ग. आया था (1799)
5. विको जी पिंड्री (दीरों कुलकर)
- कुछ समय तक सूबेदार था।
6. बीका जी गोपाल :
- इसके शासन काल में पिंडारियों ने आक्रमण किया था।
- इसके शासन काल में सहायक संधि अंग्रेजों व मराठों के बीच हुआ था।
- अप्पा जी को छ.ग. का वायसराय बनाया गया।
क्या आप जानते है ? शासक – यात्री महिपतराव > फारेस्टर विठ्ठलराव > मि. ब्लंट केशव गोविंद > कोल्बक्रा |
7. सीताराम टांटिया (सरकार हरि) :
- कोई विशेष योगदान नहीं किया।
8. यादव राव दिवाकर :- (1818 तक)
- छ.ग. का अंतिम सूबेदार था।
- तृतीय आंग्ल-मराठा युद्ध में मराठा अंग्रेजो से हार गये। परिणाम स्वरूप छ.ग. में ब्रिटिश शासन प्रारंभ हो गया।
4.ब्रिटिश शासन (1818 से 1830 तक)
1818 में पहली बार छ.ग. ब्रिटिश शासन के अधीन हुआ।
नागपुर के प्रथम ब्रिटिश रेजीडेंट जेनकिन्स ने सूबा पद्धति को समाप्त कर ब्रिटिश अधीक्षकों की नियुक्ति की।
कैप्टन एडमंड (1818) :-
- छ.ग. के प्रथम ब्रिटिश अधीक्षक थे।
- इन्हें नागपुर रेसिडेंट के अधीन कार्य करना पड़ता था।
कैप्टन एगेन्यू (1818-1825) :-
- इनका कार्यकाल सबसे लम्बा था।
- इन्होंने 1818 में राजधानी रतनपुर से रायपुर ले गया।
- इसी समय परलकोट विद्रोह हुआ था।
- 1820 में छ.ग. का सर्वप्रथम जनगणना हुआ था।
कैप्टन हंटर (1825) :-
- हिन्दू-मुस्लिम वर्ष के स्थान पर अंग्रेजी वर्ष 1825 में इंटर ने शुरूआत किया था।
मि. सैण्डिक (1825-1828) :-
- इन्होंने अंग्रेजी भाषा को सरकार काम-काज का माध्यम बनाया।
- छ.ग. में डाकतार की शुरूआत करवाया।
विलिकिंसन (1828) :-
- यह कुछ समय के लिए अधीक्षक रहा।
क्रॉफर्ड (1828-1830) :-
- छ.ग. के अंतिम ब्रिटिश अधीक्षक था।
- अंग्रेज व रघुजी तृतीय के मध्य समझौता होने के बाद 1830 में पुनः मराठा शासन प्रारंभ हो गया।
5.पुनः मराठा शासन (1830 से 1854 तक)
रघुजी तृतीय :-
- इन्होंने छ.ग. में जिलेदारी पद्धति की शुरूआत किया।
- छ.ग. में कुल 8 जिलेदार हुए थे।
1. कृष्णाराव अप्पा (प्रथम जिलेदार )
2. अमृतराव
3. सदुद्दीन
4. दुर्गा प्रसाद
5. इन्दुक राव
6. सखा राम बापू
7. गोविन्द राव
8. गोपाल राव जिलेदार)
- जिलेदारों का मुख्यालय रायपुर था।
- लार्ड डलहौजी ने गोद निषेध प्रथा के तहत् नागपुर रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया।
- नागपुर रियासत को ब्रिटिश साम्राज्य में विलय का अधिकारिक घोषणा 13 मार्च 1854 में किया गया।
- छ.ग. पुनः ब्रिटिश शासन में शामिल हो गया।
6.पुनः ब्रिटिश शासन (1854 से 1947 तक)
चार्ल्स सी. इलियट :-
- छ.ग. के प्रथम डिप्टी कमिश्नर थे।
- इन्होनें छ.ग. में अनेक काम करवाये है।
- इनकी मृत्यु के बाद इन्हें सालहर (रायगढ़) में दफनाया गया है।
- इन्होनें सहायक कमिश्नर व अतिरिक्त सहायक कमिश्नर का पद सुरक्षित किया।
- बिलासपुर के लिए गोपाल राव को अतिरिक्त सहायक कमिश्नर नियुक्त किया गया।
- रायपुर के लिए मोबिबुल हसन को अतिरिक्त सहायक कमिश्नर नियुक्त किया गया।
- छ.ग. में पंजाब की प्रशासनिक व्यवस्था को लागू किया गया।
- ब्रिटिश काल में राजस्व वर्ष 1 मई से 30 अप्रैल होता था।
तहसीलों का गठन |
1. रायपुर। 2. रतनपुर । 3. धमतरी।
4. धमथा। 6. नवागढ़।
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जिलों का गठन | छ.ग. में तीन जिले 2 नवम्बर 1861 में बने :- 1. रायपुर। 2. बिलासपुर। 3. संबलपुर (उड़ीसा चला गया) 4. दुर्ग (1905) |
संभाग का गठन |
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पुलिस व्यवस्था |
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जेल व्यवस्था |
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रेल व्यवस्था |
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डाक व्यवस्था |
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मुद्रा व्यवस्था |
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सड़क व्यवस्था |
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उद्योग व्यवस्था |
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मराठों की प्रशासनिक व्यवस्था
राजस्व व्यवस्था :-
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कर व्यवस्था :-
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दूरी व माप 1.दूरी:-
2.माप :-
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न्याय व्यवस्था
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अधिकारी
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छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति का हिस्सा
सोनाखान विद्रोह (1856) :-
- स्थापना > 1490 में बिसई ठाकुर बिंझवार ने सोनाखान जमींदार की स्थापना किया था।
- नेतृत्व > सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह राजपूत थे।
- कारण > अकाल पीड़ितो को खाना उपलब्ध कराना इसके लिए वीर नारायण सिंह ने कसडोल के माखन लाला व्यापारी के गोदाम से अनाज लूटा।
- गिरफ्तार > 2 दिसम्बर 1857 में कैप्टन स्मिथ ने सोनाखान से किया।
- धोखेबाजी > भटगांव, बिलाईगढ़, देवरी व कटगी के जमींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया।
- फाँसी > इसी आरोप में 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक फाँसी दे दिया गया।
- अधीक्षक > चार्ल्स इलियट
- शहीद > छ.ग. स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम शहीद कहलाते है।
सुरेन्द्र साय चौहान का विद्रोह :-
- स्थान > संबलपुर (उड़ीसा)
- नेतृत्व > सुरेन्द्र साय चौहान (संबलपुर के जमींदार)
- कारण > उत्तराधिकार युद्ध के कारण हजारीबाग जेल में बंद ।
- इस दौरान वीर नारायण सिंह का बेटा गोविन्द सिंह साथ में था।
- ये 31 अक्टूबर 1857 को जेल से फरार ।
- सजा > 1864 में गिरफ्तार कर असीरगढ़ के किले में भेज दिया गया।
- जहाँ 1884 में खूब यातनाओं के बाद मृत्यु हो गयी।
- इसे छ.ग. स्वतंत्रता आंदोलन के अंतिम शहीद कहते है।
सोहागपुर विद्रोह (15 अगस्त 1857 ) :-
- स्थान > सरगुजा ।
- नेतृत्व > रंगाजी बापू।
- विपक्षी > अंग्रेज।
सैन्य / सिपाही विद्रोह (18 जनवरी, 1858) :-
- स्थान > रायपुर
- नेतृत्व > हनुमान सिंह पुलिस (बैसवाड़ा के राजपूत)
- पद > रायपुर में सेना के तीसरी बटलियन के लश्कर-ए-मैग्जीन के पद में पदस्थ थे।
- कारन > 1857 के क्रांति का प्रभाव था।
- हत्या :- अपने बड़े अधिकारी सार्जेन्ट सीडवैल को गोली मरी थी।
- हनुमान सिंह फरार हो गया लेकिन उसके 17 साथी गिरफ्तार हो गये तथा फाँसी दे दी गई।
नोट :- हनुमान सिंह को छ.ग. का मंगल पाण्डे कहते हैं।
सारंगगढ़ का विद्रोह :-
- स्थान > रायगढ़
- नेतृत्व > कमल सिंह
- विपक्षी > अंग्रेज
उदयपुर का विद्रोह :-
- स्थापना > सरगुजा
- नेतृत्व > कल्याण सिंह
- विपक्षी > अंग्रेज
छत्तीसगढ़ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
राष्ट्रीय एकता काल (1857-1885) :-
- 1857 के क्रांति में हार के बाद आपसी एकता की भावना जागृत हुआ।
- सभी समझ गये आपसी मदभेद के कारण हम 1857 की क्रांति हार गये।
मुम्बई में कांग्रेस अधिवेशन (1889 ) :-
इसमें छ.ग. के 5 लोग शामिल हुए थे –
1. माधव राव सप्रे
2. वामन राव लाखे
3. राम दयाल तिवारी
4. बद्रीनाथ साव
5. C.M. ठककर
नागपुर में कांग्रेस अधिवेशन (1891 ) :-
- इस अधिवेशन में भी छ.ग. के नेताओं ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया।
- इस अधिवेशन का अध्यक्ष मद्रास के वकील P.आनंद चार्लु थे।
समित्र मण्डल (1906) :-
- पं. सुन्दरलाल शर्मा ने समित्र मण्डल का गठन किया।
छ.ग. में कांग्रेस का स्थापना (1906) :-
- 1906 में छ.ग. में कांग्रेस का स्थापना किया गया।
- इसी दौरान पं. सुन्दर लाल शर्मा ने कांग्रेस की सदस्यता लिया।
- कांग्रेस में शामिल होने वाले छ.ग. से प्रथम व्यक्ति थे।
सूरत अधिवेशन (1907) :-
छ.ग. के कांग्रेस दो भागों में बँट गया 1. गरमदल 2. नरमदल
➤ नरमदल के नेता –
1. पं. सुन्दरलाल शर्मा
2. डॉ. शिव राम मुंजे
3. डॉ. हरि सिंह गौर
4. डॉ. मघोलकर
➤गरम दल के नेता –
1. पं. रविशंकर शुक्ल
2. माधवराव सप्रे
3. दादा साहब खापर्डे
रायपुर प्रांतीय सम्मेलन (1907) :-
- अध्यक्षता > डॉ. केलकर
- स्वागताध्यक्ष > डॉ. हरि सिह गौर।
- > खापर्डे ने सम्मेलन का प्रारम्भ वन्देमातरम् से करने का सुझाव दिया।
- > इसको नरम दल ने विरोध तथा खापर्डे नाराज होकर चले गए।
प्रथम छात्र हड़ताल (1907) :-
- स्थान > स्टेट हाई स्कूल राजनांदगाँव।
- नेतृत्व > ठाकुर प्यारे लाल सिंह |
माधव राव सप्रे को जेल (1908) :-
- सप्रे ने तिलक के मराठा व केसरी पत्रिका से प्रभावित हुआ।
- 1907 में हिन्द केसरी प्रकाशित किया।
- इस पत्रिका ने देश का पुर्देव व बम्ब गोले शब्द का प्रयोग किया। इस कारण जेल गए।
सरस्वती पुस्तकालय (1909) :-
- स्थान > राजनांदगाँव
- स्थापना > ठाकुर प्यारे लाल सिंह
- उदेस्य > राष्ट्रीय चेतना के लिए।
- वर्तमान > डिजिटल लायब्रेरी बनाया गया है।
काव्यकुंब्ज सभा (1912) :-
- पं. रविशंकर शुक्ल ने काव्यकुंब्ज सभा का गठन किया था।
माल गुजारों का सम्मेलन (1915) :-
- रायपुर के टाउन हाल में 250 माल गुजारों ने सम्मेलन किया था।
होमरूल आंदोलन (1917) :-
- छ.ग. में केवल तिलकवादी आंदोलन सक्रिय था।
- 1918 में तिलक व गोपाल कृष्ण गोखले रायपुर आये थे।
- विभिन्न शहरों में होमरूल लीग का स्थापना हुआ था।
- लीग का सम्मेलन 1918 में रायपुर में हुआ तथा सदस्य 1700 से अधिक थे।
- रायपुर > पं. रविशंकर शुक्ल, मूलचंद बागड़ी, सप्रे, लक्ष्मण राव उदगीरकर थे।
- बिलासपुर > ई. राघवेन्द्र राव, कुंज बिहारी अग्निहोत्री, गजाधर साव ,अंबिका प्रसाद वर्मा, मुन्नी लाल स्वामी, गोविंद तिवारी अदि थे .
- दुर्ग > घनश्याम सिंह गुप्त
- राजनांदगाँव > ठाकुर प्यारे लाल सिंह
रायपुर में प्रांतीय सम्मेलन (1918) :-
- ई. राघवेन्द्र राव व C.M. ठक्कर को कांग्रेस कमेटी का सदस्य बनाया गया।
- इस सम्मेलन में गोपाल कृष्ण गोखले उपस्थित थे।
नोट:- पं. सुन्दर लाल शर्मा ने 1918 में छ.ग. का स्पष्ट कल्पना किया था।
रोलेक्ट एक्ट का विरोध (1919) :-
- छ.ग. के रायपुर, बिलासपुर दुर्ग, राजनांदगाँव, धमतरी, व चांपा आदि में इस काले कानून का विरोध किया गया।
- रायपुर में जुलूस > माधवराव सप्रे, पं. रविशंकर शुक्ल, महंत लक्ष्मी नारायण, वामनराव लाखे ने किया।
- बिलासपुर में जुलूस > ई. राघवेन्द्रराव, छेदीलाल गुप्ता, यदुनंदन प्रसाद, शिव दुलारे ने किया।
- राजनांदगांव में जुलूस ठाकुर प्यारे लाल व खापर्डे ने किया।
नोट :- काले वस्त्र धारण कर रैली निकाली गई।
B.N.C. मिल हड़ताल (1920) :-
- स्थान > मील चाल (राजनांदगाँव)
- नेतृत्व > त्यागमूर्ति अर्जुन ठाकुर प्यारे लाल सिंह
- कारण > मजदूरों का विभिन्न प्रकार से शोषण
- हड़ताल > यह हड़ताल 36 दिनों तक चला था।
- आगमन > इस हड़ताल में राष्ट्रीय नेता V.V. गिरी आये थे व हड़ताल समाप्त किया।
- विशेष > छ.ग. का सबसे बड़ा मजदूर आंदोलन था।
- यह आंदोलन 3 बार हुआ था।
आंदोलन | वर्ष | कारण | |
प्रथम | 1920 | ठाकुर प्यारे लाल | अधिक कार्य व कम वेतन |
द्वितीय | 1924 | ठाकुर प्यारे लाल | मजदूरों के दमनकारी कानून |
तृतीय | 1937 | ठाकुर प्यारे लाल | मजदूरों के वेतन में कटौती |
खिलाफत आंदोलन (1920) :-
- खिलाफत आंदोलन का असर छ.ग. में भी हुआ एवं इसमें अत्यधिक हिन्दुओ की हत्या की गयी थी ।
- रायपुर > पं. रविशंकर शुक्ल, असगर अली ने आंदोलन किया।
- बिलासपुर > वजीम खाँ, हकीम खाँ व अकबर खाँ ने आंदोलन किया।
कंडेल नहर सत्याग्रह (1920) :-
- स्थान > कंडेल कुरूद (धमतरी)
- नेतृत्व > 1. पं. सुन्दर लाल शर्मा 2. छोटे लाल श्रीवास्तव । 3. नारायण राव मेघावाले।
- कारण > सिंचाई कर के विरोध में किसानों ने सत्याग्रह किया, गाँव वालों पर 4305 रू. का हर्जाना लगाया।
गाँधी जी का आगमन (20 दिसम्बर 1920) : –
- गाँधी जी छ.ग. प्रथम बार 20 दिसम्बर 1920 को आये।
- गाँधी जी पं. सुन्दर लाल शर्मा के निवेदन पर रायपुर स्टेशन पहुँचे।
- गाँधी जी के साथ मौलाना शौकत अली भी थे।
- रायपुर में आनंद समाज सभा में महिलाओं को सम्बोधित किया।
- 21 दिसम्बर को गाँधी जी रायपुर से कार में धमतरी कुरूद पहुँचे।
- गाँधी जी का भाषण कार्यक्रम जानी हुसैन के बाड़े में रखा गया था।
- बाजीराव कृदन्त ने तिलक स्वराज फण्ड के लिए 501 रू. गाँधी जी को भेंट किया।
- गाँधी जी ने नत्थू जी जगताप के यहाँ दोपहर का भोजन किया।
- 21 दिसम्बर को गाँधी जी कंडेल पहुँचे लेकिन उनके पहुंचने से पहले सत्याग्रह सफल हो चुका था।
- इसे छ.ग. का प्रथम सफल सत्याग्रह कहते है।
असहयोग आंदोलन (1920) :-
- 1920 में कांग्रेस का अधिवेशन नागपुर में आयोजित किया गया।
- गांधी जी को असहयोग आंदोलन के लिए स्वीकृति मिल गई।
- इस आंदोलन में निम्न कार्यक्रम हुए:-
वकालत का त्याग
उपाधियों का त्याग
मघ निषेध
चुनाव बहिष्कार
शिक्षण संस्थान का बहिष्कार
विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार
राष्ट्रीय नेताओं का आगमन
माखनलाल चतुर्वेदी की गिरफ्तारी
नोट :-> छ.ग. असहयोग आन्दोलन को किसान सत्याग्रह के रूप में चलाया गया, 1921 में खादी सप्ताह रावणभांटा मैदान रायपुर में मनाया गया था। |
रायपुर प्रांतीय अधिवेशन (1922) :-
- अध्यक्षता > उमाकांत बलवंत पाटे।
- स्वागताध्यक्ष, पं. रविशंकर शुक्ल ।
- डिप्टी कमिश्नर क्लार्क एवं पुलिस कप्तान जोन्स ने पाँच निःशुल्क टिकट की माँग किया, जिसे पं. रविशंकर शुक्ल ने देने से मना कर दिया।
- इस घटना से नाराज होकर डिप्टी कमिश्नर एवं पुलिस कप्तान ने सभा में जबरन पुसना थाहा जिसे पं. रविशंकर शुक्ल जी ने घुसने नहीं दिया।
- पं. रविशंकर शुक्ल को गिरफ्तार कर लिया गया जिससे जनता में आक्रोश फैल गया था।
- डिप्टी कमिश्नर एवं कप्तान जोन्स ने बाद में टिकट खरीदकर सभा में प्रवेश किया।
- इस घटना की चर्चा गांधी जी ने अपने पत्रिका नवजीवन में किया है।.
सिहावा जंगल सत्याग्रह (1922) :-
- नेतृत्व > श्याम लाल सोम , पंचम सिंह , विश्वभर पटेल , शोभराम साहू
- कारण > आदिवासियों का वन में प्रवेश व वन के उपयोग पर प्रतिबन्ध लगाना।
- नोट :- इसी आंदोलन में नेतृत्वकारी के गिरफ्तार हो जाने के पश्चात् आंदोलन का नेतृत्व पंडित सुंदरलाल शर्मा ने किया।
- इसे छत्तीसगढ़ का प्रथम जंगल सत्याग्रह कहते है।
स्वराज पार्टी का गठन (1923) :-
- छत्तीसगढ़ में विभिन्न नेताओ ने स्वराज पार्टी में भाग लिया।
- रायपुर > पंडित रविशनकर शुक्ल , शिवदास डागा।
- बिलासपुर >इ राघवेंद्रराव, बैरिस्टर छेदीलाल।
- दुर्ग > घनश्याम सिंह गुप्त
- नोट :- मध्यप्रांत में स्वराज पार्टी को ७० में से ४२ सीट जित मिली।
झंडा सत्याग्रह (1923) :-
- यहाँ सत्याग्रह जबलपुर से शुरू हुआ था, और बाद में नागपुर इसका प्रमुख केंद्र बन गया था।
- कांग्रेस के प्रतिनिधियों ने नागपुर में झंडा लेकर शांति पूर्ण जुलुस निकलने का कार्यक्रम बनाया था जिसे झंडा सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है।
- झंडा सत्याग्रह का दूसरा चरण बिलासपुर में शुरू किया गया था।
- पंडित रविशंकर शुक्ल झंडा सत्याग्रह के लिए नागपुर गए थे।
- बिलासपुर > क्रांति कुमार भारती
- धमतरी > पंडित सुन्दर लाल शर्मा
नोट :- इसमें सत्याग्रही अपने हाथ में झंडा लेकर प्रतिबंधित क्षेत्र प्रवेश करता था , और बंदी बना लिया जाता था
काकीनाड़ा अधिवेशन (1923) :-
- काकीनाड़ा (आंध्रप्रदेश) में 1923 का कांग्रेस अधिवेशन हुआ था।
- इस अधिवेशन में छ.ग. के कार्यकर्ताओं ने पैदल बस्तर होते हुए काकीनाड़ा जाने का निश्चय किया था।
- नेतृत्व > नारायणराव मेघावाले
- सहयोगी >1. सुन्दरलाल शर्मा 2. श्यामलाल गुप्ता 3. गिरधारी लाल तिवारी 4. रामजी लाल सोनी 5. श्यामलाल सोम
हिन्दु मुस्लिम दंगा (1924) :-
- धमतरी में हिन्दु मुस्लिम दंगा हुआ, इसमें हिन्दुओ को मुसलमानो ने क्रूरता से मारा था ।
- पं. सुन्दरलाल शर्मा ने दोनों पक्षों में समझौता करवाया।
- दुर्ग के शेख मुजीमुद्दीन ने रायपुर में जार्ज पंचम के मूर्ति में चारों तरफ तार लगवा दिया था।
अछुतोद्वार कार्यक्रम (1925) :-
- पं. सुन्दरलाल शर्मा ने छ.ग. के अछुतोद्वार के लिए आंदोलन चलाया था।
- घनश्याम सिंह, छविराम चौबे एवं ठाकुर प्यारेलाल सिंह उनके सहयोगी थे।
- छबिराम चौबे ने 21 दिन का छुआछुत के विरोध में उपवास रखा था।
- पं. शर्मा ने सतनामियों को जनेऊ धारण कराया।
- पं. शर्मा के प्रयास से रायपुर में सतनामी आश्रम, हरिजन पुत्री शाला, छात्रावास एवं वाचनालय स्थापित किया।
- पं. शर्मा ने रायपुर में सत्याग्रह आश्रम की स्थापना किया था।
- महंत नैनदास ने सतनामियों को संबोधित करते हुए कहा कि वे गो वय
- निषेध, अहिंसा शराब एवं मादक पदार्थों के सेवन का प्रयोग न करे।
- अछुतोद्वार के क्षेत्र में पं. सुन्दरलाल शर्मा को गांधी जी ने अपना गुरू कढ़ा था।
- पं. सुन्दरलाल शर्मा ने सतनामियों को राजिम के राम मंदिर में प्रवेश दिलाया था।
सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) :-
- 6 अप्रैल 1930 को गाँधी जी ने डांडी में नमक कानून तोड़ कर इस आंदोलन की शुरूआत किया।
- छ.ग. में यह सविनय अवज्ञा आंदोलन जंगल सत्याग्रह के रूप में चलाया गया था।
- इस दौरान छ.ग. में निम्न कार्यक्रम हुए।
रायपुर
- सर्वप्रथम छ.ग. में पं. रविशंकर शुक्ल ने हाड्रोक्लोरिक एसिड (HCL) एवं सोडे से नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा।
- रायपुर में 6 अप्रैल से 13 अप्रैल 1930 तक राष्ट्रीय सप्ताह मनाया गया।
- महाकौशल राजनीतिक परिषद् के सम्मेलन में प्रांतीय युद्ध समिति का गठन किया गया।
- रायपुर में वानर सेना के संस्थापक बलीराम आजाद थे।
- यति यतनलाल इस सेना के संचालक थे।
- रायपुर का ब्राम्हण पारा इसका प्रमुख केन्द्र था।
- वानरसेना का प्रमुख कार्य नेताओं को संदेश पहुँचाना शहर में जुलूस निकालना एवं छोटी सभाएँ आयोजित करना था।
- रायपुर के आजाद चौक का नामकरण इसके उपनाम आजाद पर रखा गया है।
- रक्षाबंधन के दिन 1932 में बलीराम दुबे “आजाद” एवं रामाधार नाई को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।
बिलासपुर
- बिलासपुर में वानर सेना का गठन वासुदेव देवसर ने किया था।
- बिलासपुर में सविनय अवज्ञा आंदोलन का नेतृत्व दिवाकर कार्लीकर ने किया था।
- 1930 में बिलासपुर जिला राजनीतिक परिषद् सम्मेलन ठाकुर छेदीलाल की अध्यक्षता में हुआ था।
- क्रांति कुमार भारती ने बिलासपुर के टाऊन हॉल में तिरंगा झण्डा फहराया था।
दुर्ग
- नरसिंह प्रसाद अग्रवाल, रामप्रसाद देशमुख, तामस्कर एवं रत्नाकार ने किसान सभा का गठन किया।
- गणेश सिंगरौल एवं गंगाधर प्रसाद चौबे ने विद्यार्थी कांग्रेस की स्थापना किया था।
मुंगेली
- मुंगेली में रामगोपाल तिवारी ने नाले के पानी एवं मिट्टी से नमक बनाकर नमक कानून तोड़ा था
- गंगाधर राव दीक्षित ने बनाये गए नमक को 50 रूपये में खरीदा।
धमतरी
- यहाँ नमक कानून नारायणराव मेघावाले ने तोड़ा था।
- बनाए गए नमक को करण जी तेजपाल ने 61 रूपये में खरीदा था।
- नत्थूजी जगताप के मकान में 1 मई 1930 को सत्याग्रह आश्रम खोला गया।
छ.ग. के पाँच पाण्डव :
1. वामनराव लाखे > धर्मराज (युधिष्ठर )
2. मंहत लक्ष्मीनारायण दास > भीम
3. ठा.प्यारे लाल सिंह > अर्जुन
4. हिरमन सिंह राजपूत > नकुल
5. शिवदास डागा > सहदेव
नोट :- इन पाँच पाण्डव ने रायपुर में सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थापित किया।
जंगल सत्याग्रह
छ.ग. में जंगल सत्याग्रह सविनय अवज्ञा आंदोलन का हिस्सा था।
रूद्री नवागाँव (1930) :-
- स्थान > धमतरी
- नेतृत्व > 1. छोटेलाल श्रीवास्तव 2. नत्थूजी जगताप
गट्टा सिल्ली (1930) :-
- स्थान > ठेभली सिहावा धमतरी
- नेतृत्व > 1. नारायणराव मेघावाले 2. नत्थूजी जगताप 3. छोटे लाल श्रीवास्तव
तमोरा जंगल सत्याग्रह (1930) :-
- स्थान > तमोरा महासमुंद
- नेतृत्व > 1. यति यतन लाल 2. शंकर राव गढ़वाल
- विशेष > बालिका दयावती ने एम. पी. दुबे अधिकारी को तमाचा जड़ दिया, इसलिए पुलिस ने बर्बरता दिखाई थी।
लभरा जंगल सत्याग्रह (1930) :-
- स्थान > लभरा महासमुंद
- नेतृत्व > अरिमर्दन गिरि
मोहवना पोड़ी जंगल सत्याग्रह ( 1930 ) :-
- स्थान > पोड़ी दुर्ग
- नेतृत्व > नरसिंह अग्रवाल
पोड़ी ग्राम जंगल सत्याग्रह (1930) :-
- स्थान → सीपत बिलासपुर।
- नेतृत्व > रामाधार दुबे।
बांधाखार जंगल सत्याग्रह ( 1930 ) :-
- स्थान > बांधाखार कटघोरा कोरबा।
- नेतृत्व > मनोहर लाल शुक्ल ।
सारंगढ़ जंगल सत्याग्रह ( 1930 ) :-
- स्थान > सारंगढ़ रायगढ़
- नेतृत्व > 1. धनीराम , 2. जगतराम 3. कुंवरभान
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) :-
- छ.ग. से रामानुजप्रताप सिंह देव लंदन गये थे।
सविनय अवज्ञा आंदोलन द्वितीय चरण (1932) :-
- द्वितीय गोलमेज सम्मेलन असफल होने के कारण गांधी जी ने पुनः सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया।
- छ.ग. में अनेक कार्यवाहक (डिटेक्टर) चुने गये थे।
- छ.ग. में प्रमुख डिटेक्टर पं. रविशंकर शुक्ल थे।
- इस आंदोलन का रायपुर में नेतृत्व श्रीमति राधाबाई ने किया था।
- दुर्ग जिले में नमक कानून घनश्याम सिंह गुप्त ने तोड़ा था।
- राजनांदगाँव जिले में ठाकुर प्यारेलाल सिंह ने कर ना देने का आह्वान किया।
- 4 अगस्त 1932 को रायपुर में बंदी दिवस मनाया गया।
पत्र बम (सांकेतिक प्रहार )
- दो स्याही सोख कागजों के मध्य फास्फोरस का टुकड़ा चिपका कर पत्र बम बनाया जाता था।
- यह पत्र लिफाफे में बंद कर राष्ट्र विरोधी लोगो के यहाँ भेजा जाता था जिससे उनके चेहरे एवं हाथ जल जाते थे।
- रामनारायण मिश्र को इस कार्य के लिए अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया ।
खादी प्रचार
- कीका भाई की दुकान पर धरना देने आ रहे बिसाहू तेली को खादी पहनने के कारण अंग्रेजों ने जेल में पीटा।
- ठाकुर छेदीलाल ने सदर बाजार बिलासपुर में धरना दिया। जिसके कारण उनके ऊपर 250 रूपये का जुर्माना लगाया गया।
- घनश्याम सिंह गुप्त को तिरंगा फहराने के कारण दुर्ग में गिरफ्तार किया गया।
गाँधी जी का द्वितीय आगमन (1933 ) :-
- गाँधी जी का यात्रा कार्यक्रम :- दुर्ग > कुम्हारी >रायपुर >धमतरी >राजिम >रायपुर >बिलासपुर।
- 22 नवम्बर शाम 6 बजे दुर्ग स्टेशन में उतरे ।
- गाँधी जी 22 से 28 नवम्बर 1933 में 5 दिनों के लिए छ.ग. आये थे। इनका उद्देश्य हरिजन उत्थान था।
- गाँधी जी के साथ मीराबेन, ठक्कर बाबा, निजी सचिव महादेव देसाई थे।
- इसी दौरान राजिम में सुन्दर लाल शर्मा को अपना गुरू कहा था।
- गाँधी जी ने नवजीवन का नाम बदलकर हरिजन सेवक कर दिया था। रामदयाल तिवारी ने गाँधी जी से प्रेरित होकर 1936 में गांधी मीमांसा की रचना किया।
- रामदयाल तिवारी को छ.ग. का विद्यासागर कहते है।
- धमतरी प्रवास के दौरान गांधी जी ने सतनामी मोहल्ले में भोजन किया।
- अपनी हजामत माखन नामक नाई से बनवाया ।
- बिलासपुर प्रवास के दौरान गांधी जी का स्वागत छेदीलाल गुप्ता ने किया था।
- दोपहर का भोजन कुंज बिहार अग्निहोत्री के यहाँ किया था।
- गाँधी चौक में विशाल सभा को सम्बोधित किया।
रायपुर जिला कौंसिल (1934) :-
- रायपुर जिला कौंसिल का शासन पं. रविशंकर शुक्ल को अंग्रेजों ने सौंपा।
- केन्द्रीय व्यवस्थापिका सभा के निर्वाचन में घनश्यामसिंह गुप्त सदस्य चुने गए।
भारत अधिनियम 1935 :-
- इस अधिनियम के द्वारा बरार को मध्यप्रांत मिला दिया गया।
- 1935 में पं. जवाहरलाल नेहरू रायपुर आये थे।
- दिसम्बर 1935 में राजेन्द्र प्रसाद रायपुर आये थे।
भारत का प्रथम निर्वाचन (1937 ) :-
- इस समय छ.ग. मध्यप्रांत का हिस्सा था।
- कांग्रेस को 10 राज्यों में से 8 राज्यों में पूर्ण बहुमत मिला था।
- मध्यप्रांत में भी कांग्रेस को पूर्व बहुमत मिला।
- छ.ग. से निर्वाचित सदस्य :- 1. रविशंकर शुक्ल (रायपुर) 2. ई. राघवेन्द्रराव (बिलासपुर) 3. घनश्याम सिंह गुप्त (दुर्ग)
मंत्रिमण्डल
मुख्यमंत्री > एन वी खरे
शिक्षामंत्री > पं. रविशंकर शुक्ल
खरे के त्यागपत्र पश्चात
मुख्यमंत्री > पं. रविशंकर शुक्ल (प्रथम)
गवर्नर > ई. राघवेन्द्र राव (प्रथम)
विधानसभा अध्यक्ष > घनश्याम सिंह गुप्त (प्रथम)
छुईखदान जंगल सत्याग्रह (1938 ) :-
- समारू बरई को अंग्रेजों ने गोली मार कर हत्या कर दी।
बादरा टोला सत्याग्रह ( 1939 ) :-
- रामाधीन गोंड़ को अंग्रेजों ने गोली मार कर हत्या कर दी।
मंत्रिमण्डल का त्यागपत्र (1939) :-
- भारत में वायसराय ने मंत्रिमण्डल को सूचना दिये बिना द्वितीय विश्व युद्ध में भारत को झोंक दिया।
- इससे भारत के मंत्रिमण्डल नाराज हो गये।
- इसलिए 15 नवंबर 1939 को मंत्रिमण्डल ने त्यागपत्र दे दिया।
नोट:- 22 दिसम्बर 1939 को मुक्ति दिवस के रूप में मनाया गया।
व्यक्तिगत सत्याग्रह (1940) :-
- छ.ग. के प्रथम सत्याग्राही पं. रविशंकर शुक्ल थे।
- सत्याग्रहीयों का एक जत्था पैदल दिल्ली के लिए प्रस्थान किया उन्हें ललितपुर में गिरफ्तार कर लिया गया।
- इस सत्याग्रह में छ.ग. से लगभग सभी नेता शामिल थे।
- इस समय रायपुर कांग्रेस भवन का उद्घाटन सरदार वल्लभ भाई पटेल ने किया था।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942) :-
- 8 अगस्त 1942 को पूरे भारत में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ।
- छ.ग. से मुम्बई अधिवेशन में भाग लेने वाले कार्यकर्ता थे –
- 1. पं. रविशंकर शुक्ल
- 2. घनश्याम सिंह गुप्त
- 3. महत लक्ष्मी नारायण
- 4. शिवदास डागा
- 5. यति यतनलाल
- 6. ठाकुर छेदी लाल आदि।
मल्कानपुर स्टेशन में गिरफ्तारी :-
- तत्कालीन मध्यप्रांत की सीमा पर स्थित रेलवे स्टेशन मलकापुर पर छ.ग. के प्रमुख कांग्रेस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- गिरफ्तारी किए गए कार्यकर्ता-
- 1. पं. रविशंकर शुक्ल
- 2. यति यतनलाल
- 3. द्वारिका प्रसाद मिश्र
- 4. ठाकुर छेदीलाल
- 5. शिवदास डागा
- 6. महंत लक्ष्मी नारायण
- 7. दुर्गा शंकर मेहता
रायपुर का योगदान :-
- रणवीर सिंह शास्त्री, कमल नारायण शर्मा, जयनारायण पांडेय, त्रैतानाच, भगवती चरण शुक्ल
- रायपुर मे 9 अगस्त 1942 को जनता द्वारा जुलुस निकाला गया जिसमें “अंग्रेजों भारत छोड़ो” के नारे लगे।
नोट :- इस आंदोलन के दौरान अग्रदूत पत्रिका प्रकाशित किया गया था।
बिलासपुर का योगदान :-
- कालीचरण, बै. छेदीलाल, यदुनंदन प्रसाद, राजकिशोर वर्मा, चिंतामणी आदि को गिरफ्तार किया गया।
- कालीचरण को सभा करते समय गिरफ्तार किया गया।
- 2 अक्टूबर 1942 को भुवन भास्कर सिंह ने विशाल जुलुस निकाला।
दुर्ग का योगदान :-
- रघुनन्दन सिंगरौल एक उत्साही युयक था , जो कोई असाधारण कार्य करना चाहता था।
- रघुनन्दन सिंगरौल ने मिलकर अपने साथियो के साथ दुर्ग की कचहरी में आग लगा दिया था।
- जेल से रिहा होने के बाद फिर रघुनन्दन सिंगरौल ने जशवंत सिंह के सहयोग से नगरपालिका भवन में आग लाया दिया था।
रायपुर सडयंत्र केश (1942):-
- नेतृत्व > परसराम सोनी
- उद्देश्य > बम बनाना
- मुखबिर > शिवनंदन प्रसाद
- परिणाम > असफल रहा
- सहयोगी :- गिरिलाल लोहार , रणबीर सिंह , सुधीर मुखर्जी , दशरथ लाल दुबे , प्रेमचंद वासनिक , क्रांतिकुमार भारती , बिहारी चौबे
रायपुर डायनामाइट केस :-(1942)
- नेतृत्व > बिलखनारायण अग्रवाल
- उद्देश्य >जेल के दिवार को डायनामाइट से उड़ाना
- मुखबिर > अविनाश संग्राम
- परिणाम > असफल रहा
- सहयोगी :- ईश्वररियाचरण शुक्ल , जयनारायण पांडेय , नगरदास बावरिया सुधीर मुखर्जी
मध्यप्रांत में दूसरा चुनाव (1946) :-
- मुख्यमंत्री > पं. रविशंकर शुक्ल ।
- गृहमंत्री > द्वारिका प्रसाद मिश्र (कसडोल के विधायक
- विधान सभा अध्यक्ष >घनश्याम सिंह गुप्त
- संसदीय सचिव > रामगोपाल तिवारी।
संविधान निर्मात्री सभा (1946) :-
- मध्यप्रांत से 17 सदस्य निर्वाचित हुये थे।
- इसमें छ.ग. से 6 सदस्य निर्वाचित हुये थे।
6 सदस्य
1.देशी रियासत से ( 3 सदस्य )
- 1. राय साहब रघुराज सिंह (सरगुजा)
- 2. किशोरी मोहन त्रिपाठी (रायगढ़)
- 3. रामप्रसाद पोटाई (कांकेर)
2.ब्रिटिश प्रांत से ( 3 सदस्य)
- 1. पं. रविशंकर शुक्ल (रायपुर)
- 2. बै. छेदीलाल (बिलासपुर)
- 3. घनश्याम सिंह गुप्त (दुर्ग)
नोट :-> घनश्याम सिंह गुप्त को हिन्दी प्रारूप समिति का अध्यक्ष चुना गया था।
>15 दिसंबर 1947 को सरदार पटेल छ.ग. आये थे।
स्वतंत्रता दिवस (1947) :-
- 15 अगस्त 1947 को मध्यप्रांत के राज्यपाल मंगलदास पकवासा थे।
- छ.ग. के नेताओं ने विभिन्न स्थानों पर झण्डा फहराया
- पं. रविशंकर शुक्ल (मुख्यमंत्री) > सीताबाड़ी (नागपुर)
- वामनराव लाखे >गांधी चौक (रायपुर)
- R.K. पाटिल (खाद्य मंत्री) > पुलिस लाईन (रायपुर)
- रामगोपाल तिवारी (संसदीय सचिव) > गांधी चौक (बिलासपुर)
- घनश्याम सिंह गुप्त > दुर्ग
मुख्य बिन्दु
- रानी दुर्गावती का बलिदान दिवस 24 जून को मनाया जाता है।
- छ.ग. के सत्यम् शिवम् सुन्दरम् थे –
- 1. गुरू घासीदास
- 2. पं. सुन्दरलाल शर्मा
- 3. ठाकुर प्यारे लाल सिंह
- खूबचंद बघेल ने इन्हें त्रिमूर्ति कहा है।
- 9 सितम्बर 1942 को नागपुर हाईकोर्ट भवन पर ठाकुर राम कृष्ण सिंह ने तिरंगा फहराया था।
छत्तीसगढ़ के किसान आंदोलन
राजनांदगाँव में बेगारी विरोधी आंदोलन (1879) :-
- इसका नेतृत्व सेवता सिंह ठाकुर ने किया था।
- बेगारी प्रथा के विरुद्ध सर्वप्रथम आवाज सेवता ठाकुर ने उठायी .
- अंग्रेजों ने इस आंदोलन को कुचल दिया।
छुईखदान आंदोलन (1938) :-
- इसका नेतृत्व रामनारायण मिश्र (हर्बुल) ने किया।
- यह अहिंसक आंदोलन था इसकी तुलना बारदोली सत्याग्रह से की जाती हिअ .
- गांधी जी की सलाह से यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
डौडी लोहारा आंदोलन (1939) :-
- इसका नेतृत्व नरसिंह प्रसाद अग्रवाल व सरजू प्रसाद अग्रवाल ने किया।
- किसानों ने माली थोरा बाजार में आम सभा किया व गिरफ्तार हुये।
कांकेर आंदोलन (1944) :-
- इसका नेतृत्व तीन लोगों ने किया
- 1. इन्दरू केवट (कांकेर के गाँधी)
- 2. गुलाब हटना
- 3. कंगलू कुम्हार
- 200 बैलगाड़ियों के साथ 429 किसान गिरफ्तार हुये।
- आंदोलन की व्यापकता को देखकर कांकेर के राजा भानुप्रताप देव ने किसानों से समझौता कर लिया।
सक्ती में आंदोलन (1947 ) :-
- कारण > राजा लीलाधर सिंह की कृषि नीति ।
- राजा ने पुराने गौटियाओं को बेदखल कर दिया था।
- पुराने गौटियाओं एवं किसानों ने बेदखल किये गये खेतों से फसल काट लिया जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- आजादी के बाद भी सक्ती में कृषक आंदोलन जारी रहा है।
सामाजिक आंदोलन
1. छ.ग मुक्ति मोर्चा → शंकर गुहा नियोगी (विधायक)
2. सहकारिता आंदोलन → ठाकुर प्यारे लाल सिंह
3. मजदूर आंदोलन (1920) → ठाकुर प्यारे लाल सिंह
4. अस्पृश्यता आंदोलन →पं. सुन्दरलाल शर्मा
5. किसान आंदोलन> खूबचंद बघेल
6. सामाजिक क्रांति के जनक → गुरु घासीदास