छत्तीसगढ़ के रियासत | Chhattisgarh ke Riyasat | Princely state of chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के रियासत
ईस्टर्न स्टेट यूनियन
अध्यक्ष :- रामानुजप्रताप देव ।
- इस यूनियन का गठन रियासतों के भारतीय संघ में विलय के विरूद्ध बनाया गया था।
- राजकुमार कॉलेज रायपुर में पूर्वी रियासत संघ की सभा आयोजित किया गया था।
- 1 अगस्त 1947 से इस यूनियन ने कार्य करना आरम्भ किया था।
- इस संघ में दो प्रमुख बड़ी रियासत बस्तर व मयूरभंज उड़ीसा था।
कौंसिल ऑफ एक्शन इन छ.ग. स्टेट्स
अध्यक्ष :- त्यागमूर्ति अर्जुन ठाकुर प्यारेलाल सिंह।
सचिव :- जयनारायण पाण्डे ।
- इसका गठन रियासतों को भारतीय संघ में विलय के किया गया था ।
- ठाकुर प्यारे लाल सिंह ने रियासतों के विलय के लिए जनमत करवाया।
- 1862 में महारानी विक्टोरिया ने अधिक आबादी व पुराने जमींदारी क्षेत्र को रियासत का दर्जा देने की घोषणा किया।
- 1864 में रिचर्ड टेम्पल ने जमीदारों की स्थितियों का अध्ययन किया था जिससे 14 रियासत अस्तित्व में आये।
- इस संघ में दो प्रमुख बड़ी रियासत बस्तर व मयूरभंज उड़ीसा था।
रियासतो का विलनीकरण
रियासतों के विलनीकरण के लिए एक रियासत विभाग बनाया गया, जिसके अध्यक्ष थे सरदार वलभ भाई पटेल और इसके सचिव थे v.p मेनन ।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने और v.p मेनन ने छत्तीसगढ़ के रियासतों को विलानीकरण के लिए 15 दिसम्बर 1947 को नागपुर के govenment house में एक सम्मलेन रखा , सम्मलेन में 11 रियासतों के राजा प्रतिनिधि उपस्थित हुए , और उन्होंने पूर्ण विलय के लिए विलयपत्र पर हस्ताक्षर किया था ।
शेष 3 रियासत ( चागभखार-सरगुजा-जशपुर ) ने बाद में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किया, इस प्रकार 1 जनवरी 1948 तक छत्तीसगढ़ की सभी रियासते भारत संघ में विलय हो गयी ।
छत्तीसगढ़ के रियासतों के विलानीकरण के लिए ठाकुर प्यारे लाल सिंह की अध्यक्ष्ता में “कौंसिल ऑफ़ एक्शन इन छत्तीसगढ़ स्टेट” बनाया गया , इसके सचिव जय नारायण पांडेय थे ,
ठाकुर प्यारेलाल को इन्ही प्रयासों के कारण इन्हे छत्तीसगढ़ का सरदार पटेल कहा जाता है ।
छत्तीसगढ़ के 14 रियासत
- 1905 में सम्बलपुर के 5 रियासत को उड़ीसा में शामिल किया गया।
- छोटा नागपुर के 5 रियासत को मध्यप्रांत में शामिल किया गया, 1. चांगभखार 2. कोरिया 3. सरगुजा 4. जशपुर 5 घरमजयगढ़ ।
- बस्तर छ.ग. की सबसे बड़ी रियासत थी। (1306 वर्ग मील)
- सक्ती सबसे छोटी रियासत थी (138 वर्ग मील)
- रायगढ़ > ब्रिटिश शासन में विलय होने वाला प्रथम रियासत
- खैरागढ़ > भारतीय संघ में विलय होने वाला प्रथम रियासत ।
नोट : 1948 में बालोद रियासत को दुर्ग जिले में शामिल नहीं किया गया था।
- 1854 में छत्तीसगढ़ अंग्रेजो के कब्जे में हो गया ।
- 1862 में रिचर्ड टेम्पल छत्तीसगढ़ आया , इसे ही रियासतों का जन्मदाता कहा जाता है ।
- 1905 में बंगाल विभाजन के समय ( भगौलिक पुनर्गठन ) 14 रियासते बनी।
- छत्तीसगढ़ में पूरा सरगुजा संभाग 1905 में जुड़ा ।
- पहले 14 रियासतों में 9 हिंदी भाषी रियासते थे , एवं 5 उड़िया भाषी रियासते थी
उड़िया भाषी रियासते :-
1.रायखोल रियासत
2.बामरा रियासत
3.कालाहांडी रियासत
4.पटना रियासत
5.सोनपुर रियासत
- ये उड़िया भाषी रियासतों को अलग कर 5 हिंदी भाषी रियासतों को जोड़ा गया ।
- अब वर्तमान में 14 रियासतों में से पहले वाली 9 हिंदी रियासते और अब जुड़ने वाली 5 हिंदी रियासते है ।
हिंदी भाषी रियासते :-
1.चागभखार रियासत
2.कोरिया रियासत
3.सरगुजा रियासत
4.जशपुर रियासत
5.उदयपुर रियासत
चलिए अब इन सभी रियासतों का थोड़ा सा विस्तार में आपको बताते है :-
1.कांकेर रियासत :-
- कांकेर रियासत टकोली नगद में न देकर , अनाज या वस्तु के रूप में देने वाली रियासत थी ।
- कांकेर नाम कंकर ऋषि के वजह से पड़ा है , ये कंकर ऋषि कोई और नहीं ये वही ऋषि है जिनसे भगवान राम त्रेतायुग में मिले थे ।
- यहाँ alien के भी चित्र मिले है , और मानव पंजे के निशान भी ।
2.राजनांदगाव रियासत :-
- राजनांदगाव को छत्तीसगढ़ को पेरिस कहा जाता है ।
- राजनांदगाव रियासत एक मात्र रियासत थी जो अंग्रेजो को सर्वाधिक टैक्स देती थी ।
- राजनांदगाव एक मात्र रियासत थी जिस पर मुस्लिमो का कब्ज़ा था ।
- पूर्ण मिलन ( भारत सरकार से ) से सबसे पहले मिलने वाला रियासत राजनांदगाव रियासत ही है ।
- यहाँ के राजा थे रामदास जिनके पुत्र थे महंत घासीदास ।
- रायपुर का गुरु घासीदास रायपुर संग्रहालय इन्ही के नाम से है , जिसका उद्घाटन राजेंद्र प्रसाद ने किया था ।
- महंत घासीदास के पुत्र थे , महंत बलराम दास, इनकी पत्नी का नाम था सूर्यमुखी देवी ।
- राजनांदगाव का स्टेट हाई स्कूल बलराम दास जी के नमःसे ही है ।
- महंत बलराम दास के पुत्र थे राजेंद्र दास , इनके पुत्र थे , सर्वेश्वर दास , सर्वेश्वर दास की पत्नी का नाम था जयंती देवी ।
- राजनांदगाव का म्युनिसिपल स्कूल सर्वेश्वर दास जी के नाम से ही है ।
- सर्वेश्वर दास जी के पुत्र थे , दिग्विजय दास एवं इनकी पत्नी का नाम था संयुक्त देवी ।
- इन्ही के नाम से राजनांदगाव का दिग्विजय कॉलेज का नाम रखा गया है ।
- राजनांदगाव के सभी राजा महंत की उपाधि धारण करते थे ।
- राजा हिन्दू धर्म ( विष्णु जी के उपासक ), में कृष्ण जी को अपना भगवान मानते थे ।
- इसी वजह से राजनांदगाव का नाम पड़ा है , भगवान कृष्ण को नन्द कहा जाता था , तो इसीलिए नंदगाओं, और फिर नेताओ ने इसे राजनांदगाव कर दिया ।
- परिवारों का क्रम :- रामदास ⇒ घासीदास ⇒ बलराम दास ⇒ राजेंद्र दास ⇒ सर्वेश्वर दास ⇒ दिग्विजय दास
3.खैरागढ़ रियासत :-
- यहाँ खैर वृक्ष की अधिकता होने के कारण इस स्थान का नाम खैरागढ़ पड़ा ।
- अधिमिलन के लिए सबसे पहले हस्ताक्षर करने वाला रियासत ( यहाँ भी जम्मू कश्मीर जैसा था ) .
- एशिया का सबसे बड़ा संगीत-कला के लिए सबसे बड़ा विश्वविद्यालय इंदिरा कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ में है ।
- डोंगरगढ़ , खैरागढ़ रियासत के अधीन था , और डोंगरगढ़ में ही मंडवा दरबारी , और कामकंदला नर्तकी की कहानी प्रशिद्ध है जो हम आपको कभी और सुनाएंगे .
4.छुईखदान रियासत :-
- छुईखदान का नाम इस स्थान में छुई मिटटी की अधिकता के कारण रखा गया है ।
- छुईखदान रियासत के राजा भी राजनांदगाव रियासत जैसे ही महंत की उपाधि धारण करते थे ।
- छुईखदान को शहीदों की नगरी कहा जाता है , ( समरुबराई घटना – 1938 )
5.कवर्धा रियासत :-
यहाँ के राजा ठाकुर की उपधि धारण करते थे ।
6.चागभखार रियासत :-
- यहाँ के राजा भैया की उपाधि धारण करते थे ।
- चकभाखार रियासत की राजधानी भरतपुर थी ।
7.कोरिया रियासत :-
- कोरिया रियासत की राजधानी :- प्रारंभिक राजधानी – सोनहत , परवर्ती राजधानी – बैकुंठपुर
8.सरगुजा रियासत :-
- सरगुजा का नाम कुछ इस प्रकार पड़ा :- यह एक पवित्र स्थान था , यहाँ से स्वर्ग के लिए सीधा रास्ता निकालता था , “स्वर्ग जा ” से बना सरगुजा
- इसका प्राचीन नाम था डंडोरा।
- यहाँ पर रकसेल राजपूतो का राज था , ये राजपूत उदयपुर में भी राज करते थे , इन्होने इस क्षेत्र का काफी विकास किया ।
9.जशपुर रियासत :-
- यहाँ के राजा थे दिलीप सिंह जूदेव ।
- यहाँ के राजा डोम राजा था ।
10.उदयपुर रियसत :-
- यहाँ पर भी रकसेल राजपूतो का शासन था ।
11.रायगढ़ रियासत :-
12.सारंगढ़ रियासत :-
- इस क्षेत्र में सारंगढ़ बांस की अधिकता होने से इस जगह का नाम सारंगढ़ पड़ गया ।
- यहाँ के राजा थे – जवाहिर सिंह राजपूत
- राजा जवाहिर सिंह राजपूत ने ही गिरिविलास महल बनवाया था ।
- इस जगह पर विश्वनाथ साय ने सलहार गाओं में इलियट को बुलाया था , जो की यहाँ के लोगो को यहाँ बात पसंद नहीं आयी और उन लोगो ने इलियट को मर दिया जो की अच्छा ही है , और फिर यही उसका कब्र बनाया गया ।
13.सकती रियासत :-
- छत्तीसगढ़ का क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटी रियासत (138KM वर्ग )
14.बस्तर रियासत :-
- बस्तर रियासत सबसे बड़ा रियासत है ।( 13002km वर्ग )
- यहाँ के अंतिम राजा प्रवीण चंद भजदेव थे , जिनकी 1966 में गोलीकांड में मृत्यु हो गई थी ।
नोट :- रायगढ़ , सारंगढ़ , खैरागढ़ रियासतों के राजाओ नें 1857 की क्रांति में अंग्रेजो का साथ दिया था ।
सारंगढ़ में राजपूत नहीं गोंड राजा थे
थोड़ा अच्छे से study करो 👍
Ji confirm hai Rajput hi raja the.. sarkari data se liya gya hai
बहुत प्रभावशील लेख संग्रह
dhanyawad,