विद्यार्थीओ आज हम आपको छत्तीसगढ़ में ऊर्जा संसाधन Chhattisgarh Me Urja Sansadhan Energy in Chhattisgarh, ऊर्जा संसाधन छत्तीसगढ़ Urja Sansadhan chhattisgarh के बारे में बताने वाले है .
छत्तीसगढ़ में ऊर्जा Chhattisgarh Me Urja Energy in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में विकास का अग्रदूत ऊर्जा को मन जाता है क्योकि इसी के कारन छत्तीसगढ़ की पूंजी बढाती है । और दूसरे राज्यों से पैसा मिल जाता है ।
ऊर्जा 2 प्रकार के होते है :-
- परमपरागत ऊर्जा :- वे ऊर्जा जो सदियों से चले आ रहे है । जो बहुत ही प्राचीन है । जैसे की कोयला , जीवाश्म ईंधन , इत्यादि ।
- गैर-परम्परातगत ऊर्जा :- गैर परम्परात ऊर्जा वे ऊर्जा कहलायेंगे जिसे हम इंसानो ने बनाया है । जैसे कहे तो इसमें आएगा , बायोगैस , बॉयोमास , पवन ऊर्जा , सौर ऊर्जा , जल ऊर्जा , सभी नवीन उर्जाये जो आजकल बन रही है हमारे वैज्ञानिको द्वारा ।
उर्जाओ की परिभाषा:-
- बॉयोमास :- ( सुलभ ऊर्जा ) इसमें कचरे से बिजली उत्पादन होता है ।
- बायोगैस :– उद्योगों से निकलने वाले गैस से बिजली उत्पादन करना ।
- पवन ऊर्जा :- हवा से बिजली उत्पादन करना ।
- सौर ऊर्जा :- सूर्य की ताप से बिजली उत्पादन करना ।
- जल ऊर्जा :- पानी से बिजली उत्पादन करना ।
छत्तीसगढ़ में अपशिष्ट ऊर्जा
क्रमांक | ऊर्जा | क्षमता |
1. | भोरमदेव शक्कर कारखाना | 6 mw |
2. | पंडरिआ शक्कर कारखाना | 14 mw |
3. | बालोद शक्कर कारखाना | 14 mw |
4. | बायो गैस शक्कर कारखाना | 16 mw |
5. | सौर ( ताप ) ऊर्जा | 3280 mw |
बिजली उत्पादन क्षमता
राज्य उत्पादन क्षमता :- 34547.7 mw
केंद्रीय उपक्रम क्षमता :- 9580 mw
निजी उपक्रम क्षमता :- 11421 mw
छत्तीसगढ़ में जल ऊर्जा
कार्यरत | प्रस्तावित |
हसदेव बंघो बांध ( 150mw ) | रहल जल ( 96mw ) |
गंगरेल जल ( 10mw ) | मटनार जल ( 60mw ) |
सिकासार ( 7mw ) | कन्हार( 50mw ) |
कोरबा पश्चिम ( 1.7mw ) | बोधघाट जल ( 500mw ) |
तातापानी ( 30mw ) | बोधघाट जल ( 34mw ) वर्तमान में |
नोट :- प्रथम जल बिजली उत्पादन हसदेव बांगो से हुआ था ।
छत्तीसगढ़ में ताप ऊर्जा
राज्य ऊर्जा | केंद्र ऊर्जा |
भैयाथान ( 1320mw ) | NTPC कोरबा ( 2600mw ) |
प्रेमनगर ( 1320mw ) | NTPC सीपत ( 2980mw ) |
कोरबा दक्षिण ( 1000mw ) | NTPC रायगढ़ ( 40000mw ) |
कोरबा पूर्व ( 940mw ) | |
कोरबा पश्चिम ( 1340mw ) | |
बुंदेली कोरिया ( 500mw ) | |
मंडवा ताप विद्युत संयत्र ( 1000mw ) |
नोट :-
- प्रथम ताप बिजली उत्पादन कोरबा पूर्व 1958 से हुआ था ।
- छत्तीसगढ़ में ताप बिजली योगदान 1580mw है ।
CREDA ( Chhattisgarh Renewable Energy Development Agency )
स्थापना :- 25 मई 2001 ( रायपुर )
कार्य :- ऊर्जा को बढ़ावा देना
मुख्य बिंदु
- 15 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ विधुत मंडल का स्थापना किया गया था ।
- छत्तीसगढ़ देश का प्रथम सुण्या पावर कट राज्य है । ( 2008 से )
- छत्तीसगढ़ में प्रति व्यक्ति बिजली खपत 1541 यूनिट प्रतिवर्ष है । ( 297kw )
- छत्तीसगढ़ में बिजली लाइन की लम्बाई 278140Km है ।
- छत्तीसगढ़ में नुक्लेअर चलित शक्ति 48mw है ।
- छत्तीसगढ़ में अक्षय ऊर्जा का योगदान 484mw है । ( छत्तीसगढ़ 11mw )
- छत्तीसगढ़ में कुल बिजली उपभोक्ता 45.13 लाख है ( 96% )
- शहरी बिजली उपभोक्ता 15.14 लाख है ।
- ग्रामीण बिजली उपभोक्ता 29.95 लाख है ।
- छत्तीसगढ़ में BPL बिजली उपभोक्ता 15,45,325 है ।
- BPL परिवार को 40 यूनिट मुफ्त दिया जा रहा है । ( अब सिर्फ 100 रुपया बिल )
- तातापानी भू – तापीय ऊर्जा भारत का दूसरा केंद्र है । जबकि प्रथम वाला जम्मू कश्मीर में है ।
- NTPC सीपत भारत का प्रथम सुपर क्रिटिकल बिलेर तकनीक है ।
- इसका नाम राजीव गाँधी ताप बिजली रखा गया है ।
- प्रेमनगर छत्तीसगढ़ का प्रथम मेगा पावर प्लांट है ( देश में 5 वा )
- छत्तीसगढ़ में कृषि पम्पो की संख्या – 376450
- धान की भूसी से धमतरी में बिजली उत्पादन हो रहा है ।
- बिजली की खपत सर्वाधिक दुर्ग जिले में है।
- पावर ग्रिड कुम्हारी में स्थित है ।
छत्तीसगढ़ राज्य विधुत मंडल
स्थापना : 15 नॉवमबर 2000
पुनर्गठन : 2008 ( पांच कम्पनीओ में विभाजित )
छत्तीसगढ़ राज्य विधुत उत्पादन की क्षमता
विघुत गृह | क्षमता | परिचालन वर्ष |
A.हसदेव तप विघुत गृह कोरबा पश्चिम | 1983-86 | |
विघुत गृह क्रमांक 1 विघुत गृह क्रमांक 2 | 420 MW 420 MW | |
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ता.वि.गृ., कोरबा | 500 MW | 2007 |
कोरबा पश्चिम विस्तार ताप विद्युत गृह | 500 MW | 2013 |
अटल बिहारी बाजपेयी ता.वि.गृ., मड़वा, | 1000 MW | 2016 |
B. जल विद्युत गृह | ||
मिनीमाता हसदेव बांगो जल विद्युत गृह | 120 MW | 1994,1995 |
जल विद्युत गृह, गंगरेल जि. धमतरी | 10 MW | 2004 |
जल विद्युत गृह, सिकासार जि. गरियाबंद | 7 MW | 2006 |
कोरबा पश्चिम मिनी | 1.7 MW | 2003,2009 |
C. सह-उत्पादन संयंत्र | ||
भोरमदेव को-जेन कवर्धा | 6 MW | 2006 |
कुल विद्युत उत्पादन क्षमता (A+B+C) | 2984.70 MW |
छत्तीसगढ़ राज्य में एन.टी.पी.सी. के संयंत्र
नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन (कोरबा) :-
- स्थापित :1978 (पांचवी पंचवर्षीय योजना)
- उत्पादन : 1983 प्रारंभ
- कुल उत्पादन : 2600 मेगावाट
- कोयला : कोरबा, कुसमुंडा, गेवरा
- जल : मिनीमाता हसदेव परियोजना
- विद्युत आपूर्ति : छत्तीसगढ़, गोवा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात
राजीव गांधी सीपत सुपर थर्मल पॉवर स्टेशन, बिलासपुर
- उत्पादन : 2008
- कुल उत्पादन: 2980 मेगावाट
- तकनीक : सुपर क्रिटिकल बॉयलर तकनीक पर आधारित देश की पहली परियोजना।
- विद्युत आपूर्ति : मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, दमन एवं दीव तथा दादरा एवं नगर हवेली राज्य
एन.एस. पॉवर कंपनी प्रा.लि. भिलाई
- स्थापना : NTPC स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लि. द्वारा
- विशेष : भिलाई स्टील प्लांट में स्थित केप्टिव पॉवर प्लांट का नया रूप है.
- कुल उत्पादन : 574 मेगावाट
एन.टी.पी.सी. लारा, रायगढ़
- रायगढ़ के निकट लारा में एन.टी.पी.सी. का 4000 मेगावाट का ताप विद्युत संयंत्र निर्माणाधीन है. इसके 2 यूनिट से उत्पादन प्रारंभ हो चुका है।
यहाँ नीचे की जानकारी आपके उपयोग की नहीं है लेकिन आपको एक बार पढ़ लेना चाहिए
छत्तीसगढ़ ऊर्जा विभाग के दायित्व एवं संरचना
राष्ट्र एवं राज्य की आर्थिक एवं सामाजिक प्रगति के लिए सभी आवासीय क्षेत्रों के घरों तक ग्रिड / ऑफ ग्रिड से बिजली की मूलभूत सुविधा की पहुंच उपलब्ध कराना आवश्यक है। ऊर्जा विभाग द्वारा राज्य के सभी उपभोक्ताओं को 24×7 घंटे बिजली की आपूर्ति हेतु राज्य के लिये विजन डाक्यूमेंट उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राज्य के पावर सेक्टर के अंतर्गत ग्रिड / ऑफ ग्रिड विद्युत प्रणाली के विकास हेतु विभिन्न आधारभूत निर्माण के कार्य संचालित हैं। छत्तीसगढ़ शासन कार्य आबंटन नियम (दिनांक 6 अगस्त 2013 तक यथासंशोधित) में ऊर्जा विभाग के लिए आबंटित कार्य निम्नानुसार है:-
छत्तीसगढ़ ऊर्जा विभाग में प्रतिपादित नीति संबंधी विषय
- ताप विद्युत योजनाएं
- जल विद्युत योजनाएं
- ऊर्जा के वैकल्पिक साधन (बायोगैस को छोड़कर)
- ऐसी सेवाओं से सम्बद्ध सभी विषय जिनका विभाग से संबंध हो (वित्त विभाग तथा सामान्य विभाग को आबंटित किए गए विषयों को छोड़कर) उदाहरणार्थ- पदस्थापनाएं, स्थानांतरण, वेतन, अवकाश, निवृत्ति वेतन, पदोन्नतियां, भविष्य निधियां, प्रतिनियुक्तियां, दण्ड तथा अभ्यावेदन.
छत्तीसगढ़ ऊर्जा विभाग द्वारा प्रसारित अधिनियम और नियम
- छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क अधिनियम, 1949.
- छत्तीसगढ़ विद्युत शुल्क (संशोधन) अधिनियम, 2013.
- छत्तीसगढ़ ऊर्जा विकास उपकर अधिनियम, 1981,
- छत्तीसगढ़ ऊर्जा विकास उपकर (संशोधन) अधिनियम, 2013.
- छत्तीसगढ़ (विद्युत उपक्रम) बकाया राशि वसूली अधिनियम, 1961.
- विद्युत अधिनियम, 2003.
विभाग के अधीन आने वाले संचालनालय तथा कार्यालय
- मुख्य विद्युत निरीक्षकालय.
विद्युत अधिनियम, 2003- गठित कंपनी, निगम आयोग
- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड
- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड
- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड,
- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड
- छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड,
- छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत नियामक आयोग,
अन्य संस्थाएं तथा निकाय
- छत्तीसगढ़ अक्षय ऊर्जा विकास अभिकरण (क्रेडा)
- छत्तीसगढ़ बॉयो फ्यूल विकास प्राधिकरण,(सी.बी.डी.ए.)
जनरेशन कंपनी के साथ ज्वाइंट वेंचर कंपनी
- उत्तर छग राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी लिमिटेड, रायपुर
- सीएमडीसी-आईसीपीएल कोल लिमिटेड, रायपुर
छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड
मानव संसाधन विभाग
छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल अंतरण योजना नियम, 2010 के अंतर्गत गठित छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर होल्डिंग कपनी लिमिटेड द्वारा वर्ष 2021 में उत्तरवर्ती छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के पुनर्गठन उपरांत गठित उसकी 04 सहायक कम्पनियां यथा छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड उत्तरवर्ती कंपनी हेतु प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय श्रेणी के कुल 834 अधिकारियों / कर्मचारियों के पदोन्नतियां आदेश जारी किये गये। इसके अतिरिक्त राज्य की उक्त सभी पॉवर कंपनी लिमिटेड द्वारा वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए समेकित वित्तीय लेखे भी वर्ष 2021 में तैयार किर लेखे संचालक मंडल एवं ऑडिट कमेटी की संभावित बैठक प्रेषित कर दिया गया है।
छत्तीसगढ़ विद्युत कंपनियों के एकीकरण की अद्यतन स्थिति
विद्युत अधिनियम, 2003 की धारा 131 के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मंडल के दायित्वों को उसकी 05 उत्तरवर्ती कंपनियों अर्थात छत्तीसगढ़ स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड एवं छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड को अंतरित करने हेतु छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत अंतरण नियम, 2010 अधिसूचित किया गया है।
जिसके अनुसार उक्त पांचों कंपनियाँ 01 जनवरी 2009 से संचालित है। छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनीज की समीक्षा बैठक दिनांक 29.06.2021 में लिये गये निर्णय अनुसार छ.ग.स्टे. पा. ट्रांसमिशन कं, लिमि. को पारेषण लाइसेंस सहित पारेषण संरचना के साथ छ.ग.स्टे. पा. डिस्ट्रीब्यूशन कं. लिमि में विलय पर विचार करने के लिए निर्देश दिए गए।
जिसके अनुसार होल्डिंग कंपनी और ट्रेडिंग कंपनी का डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी में विलय करना एवं एक नई छत्तीसगढ़ एसटीयू कंपनी का गठन किया जाना है। प्रस्तावित विलय पश्चात् वर्तमान में संचालित 05 पावर कंपनियों के स्थान पर तीन कंपनियाँ यथा छत्तीसगढ़ एसटीयू कंपनी, छत्तीसगढ़ स्टेट पावर कंपनी लिमिटेड एवं छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी लिमिटेड करने पर छत्तीसगढ़ शासन के स्तर पर विचार चल रहा है।
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमिटेड
राज्य शासन द्वारा अधिसूचित छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत मण्डल अंतरण योजना नियम, 2010 (ट्रांसफर स्कीम) के तहत छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर जनरेशन कम्पनी लिमिटेड के मुख्य दायित्यों में स्टेट सेक्टर में संचालित विद्युत उत्पादन संयंत्र के रखरखाव एवं संचालन, राज्य में भविष्य में विद्युत की मांग के अनुरूप विद्युत उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए। नवीन योजनायें तैयार कर नये उत्पादन संयंत्रों की स्थापना ,24X7 बिजली की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चितकर छग को देश का पॉवर हब बनाने का सपना साकार करना है।
स्टेट सेक्टर में उत्पादन क्षमता में वृद्धि की जानकारी
मध्यप्रदेश पुर्नगठन अधिनियम, 2000 के अंतर्गत 01 नवम्बर 2000 को गठित उत्तरवर्ती छत्तीसगढ़ राज्य में स्टेट. सेक्टर में विद्युत उत्पादन क्षमता 1360 मेगावाट थी, विगत 19 वर्षों में बढ़कर 3424.70 मेगावाट हो गयी थी। कोरबा ताप विद्युत गृह ( 4X50 + 2X120 मेगावाट) की सभी इकाईयों को सेवानिवृत्त (Decommissioning) करने के उपरांत, वर्तमान में विद्युत उत्पादन क्षमता 2984.70 मेगावाट हो गयी है।
इस प्रकार राज्य स्थापना के समय से स्थापित क्षमता में 119 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, स्टेट सेक्टर की वर्तमान में विद्युत उत्पादन की स्थापित क्षमता 2984.70 में तापीय क्षमता 2840 मेगावाट एवं जल विद्युत क्षमता 138.70 मेगावाट तथा को-जनरेशन क्षमता 6 मेगावाट शामिल है। 4X50 मेगावाट एवं 2X120 मेगावाट कोरबा ताप विद्युत गृह (कोरबा पूर्व) की सभी इकाईयों को निम्नानुसार सेवानिवृत्त किया गया ।
पारेषण कंपनी के कार्य एवं दायित्व
- विद्युत पारेषण लाईनों का अर्जन, योजना, स्थापना, निर्माण, अधिग्रहण, स्थापित करना, बिछाना, संचालन, चलाना, प्रबंध, भाड़े पर, लीज, कय, विक्रय, संधारण वृद्धि करने, परिवर्तन करने, कार्य एवं उपयोग, नवीनीकरण, आधुनिकीकरण, विद्युतीय पारेषण लाईनें और / या अति उच्च दाब, उच्च दाब, मध्यम दाब एवं निम्न दाब की संरचना एवं संबोधित उपकेन्द्रों जिसमें केबल, वायर, एक्यूम्यूलेटर, प्लांट मोटर्स, मीटर्स, उपकरणों, कम्प्यूटरों एवं पारेषण से संबंधित सामग्री, सहायिकी सेवाओं टेलीकम्यूनिकेशन एवं टेलीमीटरिंग उपकरणों से संबंधित सामग्री शामिल है।
- अति उच्च दाब, उच्च दाब, मध्यम दाब एवं निम्न दाब लाईनों का प्रबंधन ।
- छत्तीसगढ़ राज्य में पारेषण से संबंधित कार्यों, भार प्रेषण के क्रियाकलापों एवं कंपनी को कानून या अन्यथा शासन या विद्युत व्यवस्था के संचालन संबंधित शासकीय निर्देशित त्तरदायित्व लेना एवं उत्पादन, पारेषण, वितरण, प्रदाय एवं विद्युती ऊर्जा की व्हीलिंग, सहायिकी, समागमित एवं संबद्ध शाखा अन्य कंपनियों एवं संबंधितों के क्रियाकलापों का समन्वयन, अनुदान एवं सलाह आदि के कार्य
- विद्युत दर के निर्धारण हेतु कार्यवाही, संचालन उत्पादन, पारेषण, वितरण एवं विनिमय कंपनियों, केन्द्रीय एवं राज्य के उत्पादन गृहों, क्षेत्रीय विद्युत मंडलों पड़ोसी राज्यों, निकायों, कंपनियों एवं व्यक्तियों से अनुबंध निष्पादित करना ।
- पारेषण एवं अन्य कंपनियों एवं व्यक्तियों से विद्युत की व्हीलिंग के निष्पादित कर उत्पादन, पारेषण, वितरण प्रदाय एवं विद्युत ऊर्जा की व्हीलिंग में सहायिकी, समागमित एवं संबद्ध शाखा के क्रियाकलापों का समन्वयन, अनुदान एवं सलाह के कार्य ।
- केन्द्रीय स्वामित्व की विद्युत उत्पादन इकाईयों से राज्य को प्राप्त निश्चित अंश एंव अन्य राज्यों के उपक्रमों से खरीदी गई बिजली को सम्मिलित करते हुए राज्य की विद्युत प्रणाली से संबंद्ध समस्त इकाईयों के उत्पादन को व्यवस्थित करना एवं प्रेषित करना एवं भार प्रेषण का संचालन एवं नियंत्रण आदि ।
- राज्य को दिये गये भाग के संबंद्ध में और अन्य राज्यों के उपक्रमों से क्रय की गई बिजली के संबंद्ध में राज्य ऊर्जा व्यवस्था, जिसमें केन्द्रीय स्वामित्व के उत्पादन केन्द्र सम्मिलित से संबंद्ध सभी इकाईयों के उत्पादन केन्द्र सम्मिलित हैं से संबंद्ध सभी इकाईयों के उत्पादन का समय-सारणीयन एवं निर्गम करना ।
छत्तीसगढ़ विद्युत पारेषण प्रणाली की क्षमता
छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड ने राज्य की दीर्घकालीन विद्युत की मांग का आंकलन कर विद्युत पारेषण प्रणाली में क्षमता वृद्धि के लिए वर्ष 2016 में पूंजी निवेश योजना (CIP), में वर्ष 2020 में अतिरिक्त पूंजी निवेश योजना (Addl. CIP) एवं पूंजी निवेश योजना (CIP) वर्ष 2021-22 में 62 अतिउच्च दाब विद्युत उपकेन्द्रों के निर्माण की कार्ययोजना तैयार की गई है। उक्त कार्ययोजनाओं के तहत् 24 दिसम्बर 2021 तक 33 अति उच्चदाब | विद्युत उपकेन्दों का निर्माण पूर्ण कर उन्हें ऊर्जीकृत किया जा चुका है। कार्ययोजना में सम्मिलित शेष 29 नग अति उच्चदाब उपकेन्द्रों, जिनमें से 10 नग उपकेन्द्रों यथा 132 के. व्ही. उपकेन्द्र इंदागाँव, सिलतरा फेस-11, खरमोरा, इंदामारा, खैरागढ, मठखरोरा, छावनी, बैजलपुर, अमलेश्वर एवं 220 के. व्ही. उपकेन्द्र पाटन का निर्माण कार्य प्रगति पर है, 09 नग उपकेन्द्रों यथा 132 के. व्ही. उपकेन्द बलौदा, मस्तुरी – मल्हार, आरंग-गुल्लू, बेतर, टेमरी, 220 के. व्ही. उपकेन्द दलदलशिवनी, सेमरिया, अहिवारा एवं 400 के. व्ही. उपकेन्द धरदेही- बिलासपुर का निविदा जारी एवं प्रक्रियाधीन है, 03 नग उपकेन्द्रों यथा 132 के. व्ही. उपकेन्द जनकपुर, मेटलपार्क एवं 220 के. व्ही. उपकेन्द्र राजिम की निविदा आमंत्रित करना प्रक्रियाधीन है एवं शेष 07 नग उपकेन्द्रों यथा 400 के.व्ही. उपकेन्द | अम्बिकापुर, 220 के. व्ही. उपकेन्द धरमजयगढ़, कांकेर, गुमा (बाना ), 132 के. व्ही. उपकेन्द्र केशकाल, सरोरा, हांफा की भूमि आंबटन / प्रशासकीय अनुमोदन प्रक्रियाधीन है।
छत्तीसगढ़ भार प्रेषण केन्द्र के कार्य
- विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 31 के अन्तर्गत भार प्रेषण केन्द्र का संचालन वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य पारेषण कंपनी के अन्तर्गत किया जाता है।
- मुख्य रूप से राज्य भार प्रेषण केन्द्र के कार्य, विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार निम्नानुसार है- (क) भार प्रेषण केन्द्र राज्य में प्रचालित करने वाले अनुज्ञप्तिधारियों या उत्पादन कम्पनियों के साथ की गई संविदाओं के अनुसार राज्य के भीतर विद्युत के अधिकतम निर्धारण और प्रेषण के लिये उत्तरदायी होता है।
वितरण कंपनी के मुख्य क्रियाकलाप एवं दायित्व
- विद्युत एवं उप पारेषण लाईन उपार्जित करना, स्थापित करना, निर्माण करना, अधिकार में लेना, विस्तारित करना, संचालन प्रबंधन करना, भाड़े पर लेना, लीज, क्रय-विक्रय, संधारण, वृद्धि परिवर्तन, मरम्मत करना, नवीनीकरण, विद्युत उप पारेषण लाईनों का उपयोग और कार्य / नेटवर्क द्वारा उच्चदाब मध्यम विद्युत दाब और निम्न विद्युत दाब लाईन और संबद्ध उपकेन्द्रों, वितरण केन्द्रों, केबल वायर्स, एक्युमलेटर प्लांट, मोटर्स मीटरों, उपकरणों, कम्प्युटर सामग्रीयों को शामिल करते हुये जो छत्तीसगढ़ राज्य में या अन्यत्र “स्थित उप पारेषण सहित वितरण, सहायक सेवाएं, विद्युत शक्ति की आपूर्ति, टेलीकम्युनिकेशन एवं टेलीमीटरिंग से संलग्न है।
- विद्युत एवं उप- पारेषण लाइन सामान, अन्य के लिए एवं की ओर से स्थापित,संचालन, संधारण, अनुरक्षण, अति उच्च विद्युत दाब का प्रबंधन, उच्चदाब, मध्यमदाब एवं निम्नदाब का प्रबंधन, लाईनों एवं संबंधित केन्द्रों, उपकरण, यंत्र केबलों, वायरों व कार्य करना, एवं निर्बाध विद्युत आपूर्ति की व्यवस्था करना। ई. एच. व्ही. उपभोक्ता के लिये पारेषण की ई. एच. व्ही. लाइनों को प्रयोग करना।
- बिलिंग का अंतिमीकरण एवं उसका संग्रहण करना ।
- ट्रेडिंग कंपनियों, उत्पादन कंपनियों, केन्द्रीय एवं राज्यों के उत्पादन केन्द्रों, क्षेत्रीय विद्युत मंडलों, अन्य राज्यों निकायों, कंपनियों एवं व्यक्तियों से विद्युत खरीदी अनुबंध निष्पादित करना ।
- अन्य वितरण एवं व्यापारी कंपनियों एवं अन्य व्यक्तियों से / को विद्युत के क्रय या विक्रय संबंधी अनुबंध निष्पादित करना एवं अन्य कंपनियों एवं संबंधितों जिनमें उत्पादन, पारेषण, वितरण, प्रदाय एवं विद्युत की व्हीलिंग में संलग्न सहायिकी, संबंधित एवं संबंद्ध शामिल हैं, को समन्वयन सहायता सलाह दें।
- अध्ययन, अनुसंधान इन्फॉर्मेशन एवं डाटा संग्रहण कार्यों की समीक्षा, रिसर्च, प्रोजेक्ट, रिपोर्ट बनाना, कार्यप्रणाली में आने वाली कठिनाईयों का पता लगाना, वर्तमान में प्रयोग हो रहे उच्चदाब, मध्यम दाब एवं निम्नदाब लाईनों एवं उपकेन्द्रों के नवीनीकरण हेतु सुझाव देना।
- विद्युत भार का पूर्वानुमान लगा पारेषण एवं उत्पादन कंपनियों से सलाह कर आवश्यक उत्पादन क्षमता को निर्धारित करना ।
- निविदा आमंत्रित कर नये उत्पादन संयंत्रों (राज्य के एवं केन्द्रीय क्षेत्र के) एवं निजी विद्युत उत्पादकों के साथ करारनामा करना ।
- विद्युत का क्रय, आयात, निर्यात, उत्पादन, व्यापार, निर्माण या विद्युत शक्ति के लेनदेन से संबंधित कारोबार को चलाना एवं समन्वय सहायता एवं सुझाव देना ।
राज्य गठन के पश्चात् लागू की गई नवीन योजनाएं
- कृषक जीवन ज्योति योजना राज्य शासन द्वारा कृषकों को वित्तीय राहत प्रदाय किये जाने के उद्देश्य से कृषक जीवन ज्योति योजना 2 अक्टूबर 2009 से लागू, पात्र कृषकों को 3 अश्वशक्ति तक कृषि पम्प के बिजली बिल में 6000 यूनिट प्रति वर्ष एवं 3 से 5 अश्वशक्ति के कृषि पम्प के बिजली बिल में 7500 यूनिट प्रति वर्ष छूट के अतिरिक्त कृषकों को फ्लेट रेट दर पर बिजली प्राप्त करने का विकल्प भी दिया गया है। फ्लेट रेट विकल्प चुनने वाले कृषकों को, उनके द्वारा की गई विद्युत खपत की कोई सीमा न रखते हुए, मात्र 100/ प्रतिमाह प्रति अश्वशक्ति की दर से बिजली बिल का भुगतान करना होगा। शासन द्वारा अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों के लिए खेती में उपयोग की जा रही पूरी बिजली को निःशुल्क रखा गया है।
- योजना का विस्तार करते हुए अगस्त 2018 से फ्लेट रेट की सुविधा राज्य के समस्त किसानों के सभी सिचाई पम्पों पर बिना पम्प की क्षमता के सीमा के उपलब्ध करायी जा रही है। इसके अन्तर्गत किसानों को 5 अश्व शक्ति तक द्वितीय पम्पं के लिए रू. 200/- प्रति अश्व शक्ति प्रतिमाह 5 अश्व शक्ति से अधिक प्रथम एवं द्वितीय पम्पं के लिए। रू.200/- अश्व शक्ति प्रतिमाह 5 अश्व शक्ति एवं 5 अश्व शक्ति से अधिक तृतीय एवं अन्य पंप के लिए रू. 300/ प्रति अश्व शक्ति प्रतिमाह की दर से बिल भुगतान हेतु सुविधा प्रदान की गई है।
- राज्य शासन की उक्त योजना से वर्तमान में प्रदेश के लगभग 5.81 लाख (स्थायी+अस्थायी पंप) से अधिक कृषकों को लाभ मिल रहा है। वर्ष 2021-22 में सिंचाई पंपों को निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु राज्य शासन के बजट में रू. 2500 • करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। जिसके विरूद्ध 1625 करोड़ रू. शासन व्दारा वितरण कंपनी को आबंटित किया गया है। राज्य शासन व्दारा विगत 06 वर्षो में 5 एच.पी तक के पंप में निःशुल्क विद्युतप्रदाय हेतु अनुदान की जानकारी नीचे तालिका में दर्शित है
- घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत देयकों में राहत (हाफ बिजली बिल स्कीम ) राज्य शासन द्वारा राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 01 मार्च 2019 से प्रतिमाह खपत की गई 400 यूनिट तक की बिजली पर प्रभावशील विद्युत की दरों के आधार पर आंकलित बिल की राशि को आधा करने हेतु आदेश जारी किए गए हैं। योजना की शर्तों के अनुसार इस सुविधा का लाभ लेने के लिए उपभोक्ता के विरूद्ध बकाया राशि शेष नही होनी चाहिए। लेकिन यदि ऐसे उपभोक्ता पूर्व की बिल की बकाया राशि का संपूर्ण भुगतान करते हैं, तो भुगतान की तारीख से वे योजना का लाभ लेने हेतु पात्र हो जायेंगे। वर्ष 2021-22 में घरेलू विद्युत उपभोक्ताओं को विद्युत देयकों में निःशुल्क विद्युत प्रदाय हेतु राज्य शासन के बजट में रू. 900 करोड़ रूपये का प्रावधान रखा गया है। जिसके विरूद्ध 585 करोड़ रू. शासन द्वारा वितरण कंपनी को दिसंबर 2021 तक आबंटित किया गया है।
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