छत्तीसगढ़ के त्यौहार Chhattisgarh Ke Tyohar Festivals of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ के त्यौहार को समझने जानने के लिए हमें सबसे पहले जानना होगा की पक्ष क्या होते है ?
तो भाई हमारे हिन्दू धर्म में पक्ष दो प्रकार के होते है , पहला होता है कृष्ण पक्ष इस दिन अमावस्या होता है , और दूसरा होता है राम पक्ष इस दिन पूर्णिमा होता है , राम पक्ष को शुक्ल पक्ष के नाम से भी जाना जाता है ।
कृष्ण पक्ष 1 से 15 तारीख तक पड़ता है इस दिन पूजा , अर्चना , मंत्र , तंत्र वशीकरण अदि किया जाता है । वही दूसरी ओर राम पक्ष या कहे शुक्ल पक्ष 15 से 31 तारीख तक पड़ता है इस दिन शुभ कामनाये वाला कार्य किया जाता है नया घर लेना नया गाड़ी लेना इत्यादि ।
हमारे त्यौहार अलग अलग महीनो के हिसाब से पड़ते है तो आईये देख लेते है की वो किस तरह पड़ते है , यहाँ मई अंग्रेजी माह नहीं बलिकी हिंदी माह की बात कर रहा हु , तो आइए देखते है हिंदी माह को :-
हिंदी माह
शक सावंत (78AD) अपनाया गया – 22 मार्च 1957 को ।
यह ग्रेगेरियन कैलेण्डर इसी से बना है।
माह का प्रारंभ 21 मार्च से होता है।
माह का प्रारंभ लीप वर्ष में – 22 मार्च से होता है।
चैत्र | 21 मार्च |
बैशाख | 21 अप्रैल |
जयेष्ठ | 21 मई |
आषाढ़ | 22 जून |
सावन | 23 जुलाई |
भादो | 23 अगस्त |
कुवार (आश्विन) | 23 सितम्बर |
कार्तिक | 23 अक्टूबर |
अघन | 22 नवंबर |
पौष | 22 दिसंबर |
माघ | 21 जनवरी |
फाल्गुन | 20 फ़रवरी |
नोट :- हिंदी माह में 13 महीने भी होते है ।
तो अब हमने समझ लिए की हिंदी माह कब-कब पड़ता है , तो आईये अब हम देख लेते है , की इन हिंदी महीनो में फिर कौन कौन से त्यौहार हमारे छत्तीसगढ़ी भाई मानते है ।
चैत्र :-
- रामनवमी (शुक्ल पक्ष नवमी)
बैशाख :-
- अक्ति या अक्षय तृतीया, बुद्ध पूर्णिमा, (शुक्ल पक्ष तृतीया)
- इसी दिन थोड़ा सा बीज खेत में डालकर कृषि का शुभारंभ किया जाता है।
- खेल में रस्सी खीच होता है।
- इसी दिन पुतरा पुतरी विवाह किया जाता है (बच्चों द्वारा)
- परशुराम जयती होता है।
ज्येष्ठ :-
- विवाह होता है।
आषाढ़ :-
- रथ यात्रा (शुक्ल पक्ष द्वितीया )
- बस्तर का दशहरा प्रारंभ होता है।
सावन :-
- हरेली (अमावस्या)
- कृषि उपकरण की पूजा की जाती है।
- इसे छ.ग. का प्रथम त्यौहार माना जाता है।
- खेल में फुगड़ी (बच्चों द्वारा)
- नाग पंचमी (शुक्ल पक्ष पंचमी )
- इस दिन नाग देवता का पूजा किया जाता है।
- खेल में कुश्ती
- रक्षा बंधन (पूर्णिमा)
भाद्र(भादो) :-
- भोजली कृष्ण पक्ष (प्रथम)
- कमरछठ या हलषष्ठी (कृष्ण पक्ष षष्ठी)
- इस दिन पुत्र के लिए माँ उपवास रहती है। (पसहर चांवल का प्रयोग )
- कृष्ण जन्माष्टमी (कृष्ण पक्ष अष्टमी)
- पोला (अमावस्या)
- इस दिन बैल की पूजा की जाती है।
- खेल में बैल दौड़ होता है।
- तीज (शुक्ल पक्ष तृतीया) चित्रकारी हरतालिका ।
- विवाहित महिलाओं द्वारा अपने पति के लंबी उम्र की दुआ मांगते है।
- गणेश चतुर्थी (शुक्ल पक्ष चतुर्थी)
- नवा खाई (शुक्ल पक्ष पूर्णिमा)
क्वार(अश्विन) :-
- पितर पक्ष (कृष्ण पक्ष )
- इसे हड़हा पाख कहते है।
- इस समय मरने वाले स्वर्ग में जाते है।
- नवरात्रि ( शुक्ल पक्ष )
- विजया दशमी (शुक्ल पक्ष)
- शरद पूर्णिमा ( पूर्णिमा)
- बेटा जुतिया (माँ द्वारा बेटे की लम्बी उम्र के लिए व्रत)
- भाई जुतिया (बहनों द्वारा भाई की लम्बी उम्र के लिए व्रत)
कार्तिक :-
- धन तेरस (कृष्ण पक्ष )
- इस दिन माँ लक्ष्मी द्वारा कुबेर को धन दिया गया था।
- दीपावली (अमावस्या) बस्तर में दियारी।
- इस दिन लक्ष्मी पूजा होती है।
- गोवर्धन (शुक्ल पक्ष )
- इस दिन गोवर्धन (गायों की पूजा होती है।
- भाई दूज (शुक्ल पक्ष )
- देव उठनी (शुक्ल पक्ष एकादशी ) (तुलसी विवाह व गन्ने की पूजा )
- आँवला पूजा (पूर्णिमा)
अध्घन :-
- प्रत्येक गुरूवार को लक्ष्मी पूजा की जाती
पौष :-
- मकर संक्रांति (शुक्ल पक्ष षष्ठी)
- छेरछेरा (पूस पूर्णिमा)
- इस दिन बच्चे घर-घर जाकर धान मांगते है।
माघ :-
- बसंत पंचमी (शुक्ल पक्ष पंचमी)
फाल्गुन :-
- महाशिवरात्रि (कृष्ण पक्ष चतुर्थी)
- होलिका दहन (पूर्णिमा)
- होली (इस दिन एक दूसरों को गुलाल लगाते है)
तो ये थे वो त्यौहार लोक त्यौहार वो छत्तीसगढ़ के हिंदी माह के अनुसार मनाये जाते है । अब हम आपको इन सभी त्योहारों के बारे में विस्तृत जानकारी देंगे जो की बहुत ही महत्वपूर्ण है हम आपको बतयांएगे छत्तीसगढ़ के त्यौहार एवं लोकत्यौहार के बारे में :-
छत्तीसगढ़ के त्यौहार एवं लोकपर्व
नीचे में होने आपके लिए कुल 30 त्यौहार के बारे में बताया है , जो की पर्याप्त है लेकिन मेरा विश्वास मानिये की हमारा छत्तीसगढ़ की परंपरा इतना विशाल है की इसमें 30 से भी ज्यादा त्यौहार है जिन्हे लिख पाना संभव नहीं है ।
गोबर बोहरानी :-
- यह त्यौहार सुकमा के छिदंगढ विकासखंड में प्रसिद्ध है ।
- यह चैत्र माह में मनाया जाता है।
- इस त्यौहार मे देवगुड़ी परिसर में अस्त शस्त को रखकर पूजा कि जाती है.
- 10 दिनों तक मनाए जाने वाले इस त्यौहर एक बड़े से गढे में गोबर इकट्ठा किया जाता है ।
- दसवे दिन इस गोबर से होली खेलकर, गोबर का छिड़काव खेतों में किया जाता है, ऐसा करने के पीछे यह मान्यता है कि इससे भूमि कि उर्वरा शक्ति बनी रहती है, और कृषि उत्पादकता बढ़ती है।
अमुस तिहार/भाजी जोगनी/गोडोंदी त्यौहार/हरेली :-
- यह सावन अगावस्या के दिन जनजाति अचल में मनाया जाता है।
- इसे सभ्य समाज ( राजनांदगाव ) में हरेली त्यौहार एवं जनजाति अचल में अमुस त्यौहार के नाम से जाना जाता है।
- इस त्यौहार में सल्फी की शाखा को घर के आगन में रखकर पूजा-अर्चना कि जाती है।
- इससे पैशाचिक शक्तिया कम होती है ।
दियारी त्यौहार/दिवाड त्यौहार/दिवाली :-
- दियारी त्यौहार/दिवाड त्यौहार/दिवाली कार्तिक माह में मनाया जाता है, इसमें तीन कार्य मुख्या रूप से किये जाते है :- 1.जानवरों को खिचड़ी खिलाना 2. बैलों के गले में जेठा एवं गायों को हुई बाधना 3. गोवर्धन का कार्यक्रम
चैतपरब त्यौहार :-
- चैतपरब त्यौहार चैत्र माह में मनाया जाता है।
- इस त्यौहार में कौवाली के माध्यम से सवाल जवाब किये जाने की परम्परा है ।
- यह एक प्रकार कि प्रतियोगिता होती हैं, जो कुछ घंटो से लेकर कुछ दिनों तक चलती है।
- इसमें कोई निर्णायक नहीं होता प्रतियोगी स्वयं हार-जीत का निर्णय लेते है ।
- कौआली कि भाषा – भतरी होती है।
भतरा नाट/उडिया नाट :-
- इस त्यौहार को भतरा जनजाति के लोग मनाते है ।
- इस भतरा नाट/उडिया नाट त्यौहार पर उडिसा का प्रभाव दिखता है।
- यह भतरा नाट/उडिया नाट त्यौहार गणेश वंदना के साथ शुरू होता है।
- इस नाट का मंचन खुले मैदान में लगभग ३० से 60 के संख्या में नाट कुरिया माध्यम से किया जाता है।
- नात का विषय ऐतिहासिक कथाएं होती है, किचक वध, कसं वध, रावण वध, अभिमन्यु हत्या , दुशासन वध (तीजन बाई ने जापान में मंचन किया है ) आदि ऐतिहासिक घटनाओ को किया जाता है ।
- बोली- भतरी , जनजाती- भतरा
- वर्षा ऋतु को छोड़कर सभी ऋतु मे आयोजन होता है ।
कप्पल पंडुम त्यौहार :-
- कप्पल पंडुम त्यौहार दोरला जनजाति के द्वारा मनाया जाता है।
- कप्पल पंडुम त्यौहार ज्येष्ठ माह में मनाया जाता है। दोरला जनजाति के द्वारा।
- इस त्यौहार में मेढक मेढकी का विवाह किया जाता है।
- ऐसा करने के पीछे यह मान्यता है कि वर्षा अच्छी होगी और कृषि उत्पादकता होगी।
बासी तिहार :-
- बासी तिहार आश्विन माह में मनाया जाता है।
- इस त्यौहार में सभी लोग अपने साथ मुर्गा , बकरा , अंडा , अनाज दाल और अन्य खाद्य पदार्थ देवगुदी परिसर में इकठा किया जाता है ।
- इस त्यौहार में युवक गेड़ी चढ़कर घर-घर दान मांगने जाते हैं।
- इस प्रकार प्राप्त दान और खाद्य पदार्थों को अगले दिन प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
गंगा दशमी त्यौहार :-
- उत्तर छत्तीसगढ़ में ज्यादातर गंगा दशमी त्यौहार मनाया जाता है।
- सरगुजा संभाग इसका प्रमुख केंद्र है ।
- गंगा दशमी त्यौहार ज्येष्ठा माह के दशमी को मनाया जाता है ।
- गंगा माता के धरती पर अतरण के खुशों में मनाया जाता है,गंगा दशमी त्यौहार ।
लार्कुज :-
- गोड़ जनजाति के लोग लक्रूज त्यौहार को धूमधाम से मनाते है ।
- नारायणदेव अर्थात भगवन विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सुवर की बलि दी जाती है, और सुवर के मांस को प्रसाद के तौर पर ग्रहण करते है ।
मेघनाद त्यौहार :-
- मेघनाद त्यौहार गोड़ जनजाति के द्वारा मनाया जाता है ।
- फाल्गुन माह में मनाया जाता है मेघनाद त्यौहार ।
छेरछेरा त्यौहार :-
- छेरछेरा त्यौहार पौष माह में सम्पूर्ण छग में मनाया जाता है ।
- कल्याण साय के लौटने पर मनाया जाता है, छेरछेरा त्यौहार ।
जवारा त्यौहार :-
- जवारा त्यौहार चैत्र माह में मनाया जाता है।
- इस त्यौहार में एक टोकरी में मिटटी, खाद, गेहू, मुंग, इत्यादि डालकर जवारा उगाया जाता है ।
- इस जवारा को नवरात्री के नौवे दिन यज्ञ हवन करके जलश्रोतो में प्रवाहित कर दिया जाता है ।
- इस त्यौहार में ज्वारा बदलने कि भी परम्परा है। यह परम्परा मित्रता के प्रतीक के रूप में जानी जाती है।
माघे त्यौहार :-
- माघे त्यौहार नाम से ही पता लगता है की माघ माह में मनाया जाता है।
- यह त्यौहार नौकरो कि सेवा का त्यौहार होता है:- जिसमे महिलाए नौकर को घर बुलाकर उनका आदर सरकार करती हैं, खाना खिलाती है , और अंत में हड़िया शराब देती है ।
फग्गु त्यौहार :-
- फाल्गुन माह में।
- यह त्यौहार उराव जनजाति का होली त्यौहार होता हिअ , जिसमे होलिका दहन की परंपरा प्रचलित है , इस दौरान फुग्गु सेदरा त्यौहार मनाये जाने की भी परम्परा है ।
- इस त्यौहार में जनजाति युवक शिकार करने जाते है और जब तक शिकार करके लौट नहीं जाते है तब तक महिलाये जल इत्यादि भरने के कार्य नहीं करते है ।
तुसगो त्यौहार :-
- उराव जनजाति के प्रमुख देवता धर्मेश को नया अन्न अर्पित करने के बाद जनजाति इस नए अन्न को भोज्य पदार्थ को ग्रहण करते है ।
- इस त्यौहार की तुलना नवाखानी त्यौहार से की जाती है ।
गौरी-गौरा त्यौहार :-
- गौरी-गौरा त्यौहार को कार्तिक माह में पूरे छत्तीसगढ़ में मनाया जाता है ।
- इस उत्सव में गाओं के सभी लोग एक जगह होकर पूजा -अर्चना करके वह की मिटटी से गौरा ( शिव ) और गौरी (पारवती ) बनाते है ।
- गौरा अर्थात शिव को नदी की सवारी पर , माता पारवती को कछुए की सवारी पर बैठाकर पीढ़े पर रख दिया जाता है।
- महिलाये पीढ़े को सर पर रखकर पुरे गाओं में घूमती है इस दौरान नाच-गान होता है ।
- इस दौरान गढ़बा-बाजा, दफड़ा-बाजा बजाया जाता है ।
गोपल्ला गीत :-
- गोपल्ला गीत बस्तर अंचल में प्रचलित है ।
- यह गीत कल्याण साय से सम्बंधित है ।
बाली परब/बाली जगार :-
- हल्बा और भतरा जनजाति के लोग मानते है ।
- वर्षा ऋतू को छोड़कर यह त्यौहार प्रायः सभी ऋतुओ में मनाया जाता है ।
- 3 माह तक चलने वाले इस त्यौहार में सेमल वृक्ष की शाखा का विशेष महत्वा होता है, इस पेड़ की शाखा को भीमा देवगुड़ी परिसर में रखकर पूजा अर्चना की जाती है, इस दौरान पूजा अर्चना में शामिल व्यक्तियों में देवी आरूढ़ हो जाती है, और ऐसे व्यक्तियों को अगले दिन पुरे गाओं में घुमाकर दान-दक्षिणा ली जाता है ।
- इस दौरान भीमा देव और रैला देवी के विवाह का आयोजन किया जाता है, तथा टोकरे में उगाये गए बाली को बहते हुए जल में विसर्जित कर दिया जाता है, इस प्रकार यह त्यौहार समाप्त हो जाता है ।
लक्ष्मी जगार/लखी जगार/गाओं जगार :-
- यह त्यौहार अगहन माह में मनाया जाता है।
- 5 से 11 दिनों तक आयोजित होने वाले इस त्यौहार में नारायण देव और लक्ष्मी माता की कथा का वचन किया जाता है ।
- इस त्यौहार का समापन प्रायः गुरुवार को होता है ।
- धनकुल वाद्य यन्त्र का प्रयोग करते हुए लक्ष्मी माता को प्रसन्न किया जाता है ।
- त्यौहार के अंतिम दिन विशाल जुलुस निकलकर तालाब के किनारे पहुंचकर पूजा अर्चना की जाती है ।
- यह पूरा त्यौहार गुरुमय की देखरेख में आयोजित होता है , इस त्यौहार को लोक महाकाव्य की संज्ञा दी गयी है ।
सरहुल त्यौहार/खददि त्यौहार :-
- यह त्यौहार उराव जनजाति द्वारा मनाया जाता है ।
- चैत्र माह में उराव जनजाति द्वारा साल के पेड़ में फूल आने पर सरना देवी को प्रसन्न करने के लिए यह त्यौहार है।
- सरहुल त्यौहार में सूर्य देव और धरती माता का विवाह आयोजन होता है ।
पुतरा-पुतरी त्यौहार :-
- पुतरा-पुतरी त्यौहार वैशाख माह में मनाया जाता है ।
- इसका उल्लेख महाभारत में मिलता है जब गांधारी का विवाह नहीं हो रहा था इसलिए इसे मनाया गया था ।
भोजली त्यौहार :-
- रक्षाबंधन के दूसरे दिन मनाया जाता है ।
- इसमें भोजली गीत गया जाता है , इस गीत में बार बार गंगा शब्द का प्रयोग होता है ।
- यह त्यौहार इसलिए मनाया जाता है , ताकि भूमि में जल की मात्रा बनीं रहे और कृषि उत्पादकता प्रभावित न हो ।
- इस त्यौहार में बॉस के टोकरे में भोजली उगाया जाता है, और भोजली गीत गाकर देवी को प्रसन्न किया जाता है ।
- हलषष्ठी/कमर छठ भादो माह में मनाया जाता है ।
- इस त्यौहार में पुत्र की लम्बी आयु के लिए पूजा अर्चना करती है , तथा पसहर, चावल, दही , 6 प्रकार की भाजी और लाई का प्रयोग करती है ।
पोला त्यौहार :-
- इसे भादो माह में मनाया जाता है ।
- इस त्यौहार में बैल दौड़ का आयोजन होता है ।
तीजा त्यौहार :-
- इसे भादो माह में मनाया जाता है ।
- इस त्यौहार में विवाहित महिलाये अपनी पति के लम्बी उम्र के लिए निर्जला उपवास रहती है, अपनी मायके में जाकर ।
सोहराई त्यौहार :-
- उराव जनजाति इस त्यौहार को मानती है ।
- यह सोहराई त्यौहार दिवाली जैसे ही मनाया जाता है ।
- सोहराई त्यौहार कार्तिक माह में पड़ता है ।
- इस त्यौहार में पशुधन की पूजा अर्चना की जाती है , उन्हें खिचड़ी खिलाया जाता है ।
- इस त्यौहार में जनजाति के लोग अपने आराध्य देवी देवताओ को धन्यवाद् ज्ञापित करते है , घर धन्य- धन से भरा रहे ऐसे प्राथना करते है ।
- यह 3 चरणों में मनाया जाता है , 1.खिचड़ी खिलाना 2.सुवाई बांधना 3.गोवर्धन खुदवाना
जनी शिकार त्यौहार :-
- उराव जनजाति इस त्यौहार को धूमधाम से मानती है ।
- यह एक युग (12 साल ) में मनाया जता है ।
- इस त्यौहार में सिर्फ महिलाये हिस्सा लेती है ।
- महिलाये गाओं के पालतू पशुओ का शिकार करती है ।
- महिलाये शिकार करने से पूर्व घंटी बजाकर आगाह करती है, ताकि ग्रामीण जन पशुओ को घर के भीतर ले जाये , ऐसे पशु जो घर के बाहर रह जाते है , उनका शिकार किया जाता है ,और उसके मांस को प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है ।
माओपाता त्यौहार :-
- फसल बोने के पूर्व यह नाट्य उड़िया जनजाति के द्वारा किया जाता है , यह नाट्य शिकार नाटिका है ।
- घोटुल के प्रांगण में किया जाने वाला यह नृत्य महिला व पुरुष दोनों के द्वारा किया जाता है ।
- इसमें नर्तकों का दल कई समूहों में बटा होता है जिसमे एक दल गले में मांदर डालकर नृत्य करते है ।
- नर्तकियों का एक दल वृताकार आकृति में नृत्य करते हुए युवाओ का उत्साह वर्धन करती है , और उनके सकुशल घर लौटने की कामना करती है , इस दौरान मुड़िया युवक , युवतिओं को लकड़ी की कंघी प्रदान करते है ।
- वाद्ययंत्र > कोतोड़का( ताशा ), मोहराली ( बासुरी ), तुरदी ( बासुरी )
खम्भ स्वांग :-
- कोरकू जनजाति द्वारा खम्भ स्वांग को मनाया जाता है ।
- कोरकू जनजाति के रक्षक- मेघनाथ है ।
- मेघनाथ की स्मृति में खम्भा गाड़ते है और उसके चारो तरफ नृत्य करता है ।
छत्तीसगढ़ के जनजातियों के मुख्य त्यौहार
क्र | त्यौहार/तिहार | जनजाति | महत्वा |
1. | आमा खाई | गोंड | आम फलने के बाद पूजा होता है । |
2. | नावा खाई | गोंड | नया फसल आने के बाद ( भादो पूर्णिमा में ) |
3. | माटी त्यौहार | गोंड | पृथ्वी देवी की पूजा होती है । |
4. | मेघनाथ त्यौहार | गोंड | फाल्गुन माह में होता है । |
5. | आमा खाई | परजा , धुरवा | आम पकने के बाद किया जाता है । |
6. | मंडई त्यौहार | मुड़िया/माड़िया | आंगादेव का पूजा किया जाता है । |
7. | दियारी त्यौहार | माड़िया | पशुओ को खाना दिया जाता है । |
8. | सरहुल त्यौहार | उराव | साल वृक्ष में फूल आने पर किया जाता है । |
9. | धनकुल त्यौहार | हल्बा , भतरा | तीजा में होता है । |
10. | कोरा , घेरसा , बीज बोनी | कोरवा | कृषि के समय होता है । |
11. | रसनवा | बैगा | सभी त्यौहार में किया जाता है । |
12. | अरवा तीज | सभी जनजाति | अविवाहित लड़कियों द्वारा बैशाख माह में होता है । |
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