Chhattisgarh Ka Loknritya Loknatya | छत्तीसगढ़ का लोकनृत्य और लोकनाट्य
छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य
छत्तीसगढ़ का लोक नाट्य छ.ग. मे सर्वप्रथम नुक्कड़ नाटक की परम्परा विमु कुमार ने शुरू किया।
हमारे लोक नाट्य की भाषा छत्तीसगढ़ी होती है।
लोक नाट्य के सभी पात्र पुरूष होते है।
यह लोक नाट्य मंचन से होता है।
नाचा |
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गम्मत |
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रहस |
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भतरा लोक नाट्य |
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मावोपाटा लोकनाट्य |
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खम्ब स्वांग लोक नाट्य |
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दहिकांदो लोक नाट्य |
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कोकटी लोक नाट्य |
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नकटा-नकटी लोक नाट्य |
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चीते मुखौटा लोक नाट्य |
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साम्भर लोक नाट्य |
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पुत्तलिका लोक नाट्य |
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छत्तीसगढ़ का लोकनृत्य
सुआ नृत्य |
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पंथी नृत्य |
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चंदैनी नृत्य |
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राऊत / मातर नृत्य |
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ककसार नृत्य |
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करमा नृत्य |
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मांदरी नृत्य |
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हुलकी पाटा नृत्य |
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घोटुल पाटा नृत्य |
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एबलतोर नृत्य |
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गैंडी/डिटोंग नृत्य |
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डंडारी नृत्य |
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पूस कोलांग/ पूस कलंगा नृत्य |
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गौर/बायसन नृत्य |
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करमा नृत्य |
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बिल्मा नृत्य |
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सैला/डंड्रा नृत्य |
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सरहुल नृत्य |
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सोहर /बार नृत्य |
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थापड़ी नृत्य |
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दमनच नृत्य |
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परब नृत्य |
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कोल दहका नृत्य |
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दोरला / पैडुल नृत्य |
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गांडा नृत्य |
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भड़म नृत्य |
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डोमकच नृत्य |
कुछ महत्वपूर्ण बाते:-
क्रमांक | गीत व् नृत्य | जानकारी |
1. | ददरिया | ददरिया लोकगीतों को छत्तीसगढ़ी लोक गीत का राजा कहा जाता है |
2. | चेतपरब और धनकुल | बस्तर क्षेत्र का लोकगीत |
3. | लेजा गीत | बस्तर के आदिवासी बहुल क्षेत्र का लोकगीत |
4. | रेला गीत | मुरिया जनजाति का लोकगीत |
5. | गौरा गीत | माँ दुर्गा की स्तुति में गया जाने वाला गीत है जो नवरात्री के समय गया जाता है |
6. | बार नृत्य | गीत कवर जनजाति का नृत्य गीत |
7. | बिलमा | बैगा जनजाति का मिलान नृत्य गीत है |
8. | रीना नृत्य गीत | गोंड तथा बैगा स्त्रीया का दिवाली के समय का नृत्य गीत है |
9. | पंडवानी गीत | छत्तीसगड़ी वीर रास का लोकनृत्य जिसे लोकबैले भी कहा जाता है। |
10. | गोंडो नृत्य गीत | गोंड जनजातियों का बीज बोते समय का नृत्य गीत |
11. | गौर नृत्य गीत | बाइसन हॉर्न मरिया जनजाति का लोक नृत्य है। |
12. | गेंदी नृत्य | गोंड युवको का खेल नृत्य। |
13. | गोचो नृत्य | गोंडो का नृत्य |
14. | मड़ई | रावत जाती का नृत्य |
15 | रास नृत्य | रहस्य नृत्य होली के समय का मृत्यु गीत |
16. | सींग मरिया नृत्य | बस्तर जनपद के बैनेले भूभाग में मरिया आदिवासियों का नृत्य है। |
17 | रौला नृत्य | सैला एक मंडलकार लोकनृत्य है। मयूर पंख की कलगी कौड़ियों की बावजूद और काम पत्ते युवको के दाल सेना का प्रारम्भ गुरु एवं प्रभु की वंदना से करते है। |
18. | छेरता | मुरिया युवक यवतियों का सम्मिलिति नृत्य |
19. | जावरा गीत | नवरात्री के समाया गाने जाना वला गीत |
20. | माता सेवा गीत | चेचक को माता मन जाता है इसकी शांति के लिए माता सेवा गीत गया जाता है |
21. | बांस गीत | राउत जाती का प्रमुख गीत |
22. | देवार गीत | देवार जाती का घुंगरूयुक्त चिकारा के साथ गया जाने वाला गीत |
23. | भड़ौनी गीत | विवाह के समय हंसी मजाक करने के लिए गया जाने वाला गीत |
24. | नागमत गीत | नागदेव के गुरगण व् नागवंश से सुरक्षा की प्राथना में गया जाने वाला लोकगीत है जो नाग पंचमी के अवसर पर गया जाने वाला गीत |
25. | दहकी | गीतहोली के अवसर पर असलिलपूर्ण परिहास में गया जाने वाला लोकगीत |
परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य : लोक कला
- इस राज्य की गाथा सीताराम नायक का सीताराम एक बंजारा था.
- सुरूज बाई खांडे इस राज्य के भरथरी की प्रमुख कलाकार थी।
- छत्तीसगढ़ राज्य के परम्परागत गीतकार जनजाति परधान गोंड राजाओं की मिथक कथा, लिंगोपाटा आदि का गायन करते हैं।
- छत्तीसगढ़ राज्य भरथरी में रानी पिंगला व राजा भरथरी के करूण कथा को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
- पंडवानी महाभारत कथा पर आधारित एक लोकगायन है, भीम इसके नायक हैं। छत्तीसगढ़ राज्य का पंडवानी लोकगीत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, इसका मुख्य श्रेय तीजन बाई को जाता है, वे कापालिक शैली में गाती हैं।
- तीजन बाई को 1987 में पद्म श्री, 2003 में पद्म भूषण तथा 2019 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- पण्डवानी गाथा गीत गाने वाली प्रमुख जनजातियाँ परजा एवं परधान हैं.
- पूनाराम निषाद पंडवानी के वेदमती शैली के कलाकार रहे हैं।
- छत्तीसगढ़ में गाया जाने वाला मंगरोहन गीत एक प्रकार का संस्कार गीत है।
- छत्तीसगढ़ में वैवाहिक संस्कार गीतों का सही क्रम है- चूलमाटी, तेलचघी, परघैनी, भड़ैनी, भांवर, टिकावन, विदाई।
- छत्तीसगढ़ के प्रणय गीत ददरिया को प्रेम गीत के रूप में जाना जाता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है।
- पठौनी गीत छत्तीसगढ़ में गौना के समय गाये जाने वाला लोक गीत है।
- वेदमती तथा कापालिक छत्तीसगढ़ी लोक गायन पंडवानी की दो शैलियां हैं। वेदमती में शास्त्र सम्मत गायकी की जाती है सबल सिंह चौहान की दोहा चौपाई महाभारत इसका प्रमुख आधार है, जबकि कापालिक शैली में कथा कलाकार के स्मृति में विद्यमान होती है।
- श्री कृष्ण की लीलाओं पर आधारित रहस को छत्तीसगढ़ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक माना जाता है।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध नाट्य चंदैनी गोंदा में रवान यादव ने पाश्र्व संगीत दिया था।
- दाऊ दुलार सिंह मंदरा जी को नाचा का भीष्म पितामह कहा जाता है, इन्होंने रवेली साज नामक संस्था का गठन किया था।
- झीरलीटी, ककसार, गौर आदि बस्तर की नृत्य शैली हैं.
- थापटी तथा ढांढल कोरकू जनजाति के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- रायगढ़ घराना कत्थक नृत्य शैली के लिए जाना जाता है। राजा चक्रधर सिंह इसके प्रमुख कलाकार रहे हैं।
- बस्तर क्षेत्र को दंडामी माड़िया जनजाति द्वारा जात्रा पर्व के दौरान गौर नामक शिकार नृत्य किया जाता है। जिसमें गौर के शिकार को बताया जाता है।
- सतनाम पंथ के प्रमुख नृत्य पंथी में जैतखंभ की स्थापना कर चारों तरफ पिरामिड बनाते हुए नृत्य किया जाता है। मांदर तथा झांझ इसके प्रमुख वाद्ययंत्र है।
- इस राज्य के जनजातियों द्वारा करम की प्रधानता पर आधारित करमा नृत्य किया जाता है, जो कृषि परम्परा से संबंधित है।
- अबूझमाड़िया जनजाति द्वारा अपने आदि देव को प्रसन्न करने के लिए वर्ष में एक बार ककसार पूजा का आयोजन एवं इस अवसर पर ककसार नृत्य किया जाता है।
- कोलिन जाति की महिलाएं धान से भरी टोकरी के ऊपर सुआ या तोते की मूर्ति रख चारों ओर परिक्रमा करते हुऐ सुआ नृत्य करती हैं।
- खुद को भगवान कृष्ण का वंशज मानने वाला यदुवंशी कुल राऊत नाचा लोक नृत्य करते हैं।
- मुड़िया घोटुल में सदस्यों के द्वारा मांदरी नृत्य किया जाता है।
- गौर मारिया नृत्य विवाह उत्सव पर किया जाता है।
- पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ में सतनामी समुदाय के लोगों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- जीवन में कर्म की प्रधानता को बताने वाला करमा नृत्य की इष्ट करम देवी है।
- ममता चंद्राकर छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका है 2016 में इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- चक्रधर सिंह रायगढ़ के राजा थे जिन्होंने कत्थक पर अनेक ग्रंथ लिखे। ये एक दक्ष तबला वादक थे तथा इन्हें 1939 में संगीत सम्राट की उपाधि दी गई।
- छत्तीसगढ़ में कोलिन जाति की महिलाओं द्वारा फसल पकने के उपरांत दीवाली के करीब सुआ नृत्य करने की परंपरा है।
- पंथी नृत्य सतनाम पंथ से संबंधित है, इसमें जैत खंभ की स्थापना कर चारों तरफ पिरामिड बनाते हुए नृत्य किया जाता है देवदास बंजारे इसके प्रमुख कलाकार थे।
- धनकुल एक वाद्ययंत्र है जिसका निर्माण हांड़ी, सूपा, धनुष से किया जाता है। इसमें बांस की खपच्ची का प्रयोग भी किया जाता है।
- छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में निवास करने वाले माड़िया मुरिया जनजातियों द्वारा माओपाटा नृत्य किया जाता है, जो मूलतः एक शिकार नृत्य है।
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