सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ | Sua Nritya Chhattisgarh | Sua Dance Chhattisgarh
1.यह छत्तीसगढ़ का सबसे लोकप्रिय नृत्य है। छत्तीसगढ़ी ग्रामीण जीवन की सुंदरता बरबस इस नृत्य से छलक पड़ती है।
2.छत्तीसगढ़ क्षेत्र की महिलाएं व किशोरियां यह नृत्य बडे ही उत्साह व उल्लास से उस समय प्रारंभ करती हैं।
3.जब छत्तीसगढ़ की प्रमुख फसल धान के पकने का समय पूर्ण हो जाता है।
4.यह नृत्य दीपावली के कुछ दिन पूर्व प्रारंभ होता है और इसका समापन शिवगौरी के विवाह आयोजन के समय दीपावली के दिन रात्रि के समय होता है।
5.इस नृत्य में महिलाएं प्रत्येक घर के सामने गोलाकार झुंड बनाकर ताली की थाप पर नृत्य करते हुए सुन्दर गायन करती हैं।
6.टोकरी जिसमें धान भरा होता है, उसमें मिट्टी से बने दो सुआ शिव और गौरी के प्रतीक के रूप में श्रद्धापूर्वक रखे जाते हैं।
7.नृत्य करते समय महिलाएं टोकरी गोलाकर वृत के बीचों- बीच रख देती हैं, और सामूहिक रूप से झूम-झूमकर ताली बजाते हुए सुआ गीत गाती हैं वस्तुतः सुआ नृत्य प्रेम नृत्य है जिसे शिव और गौरी के नाम से व्यक्त किया जाता है।