कमरछठ त्यौहार क्या मनाया जाता है : कमरछठ छत्तीसगढ़ का त्यौहार
छत्तीसगढ़ के प्रमुख त्योहारों में से एक कमरछठ को हलछठ या हलषष्ठी भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार में छठ की तर्ज पर इस व्रत को करने वाली माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं।
- बच्चे की लंबी उम्र के लिए माताएं शनिवार को कमरछठ का व्रत रखती हैं।
- कमर छठ की योजना बनाने के लिए सुबह-सुबह बाजार में काफी भीड़ रहती है ।
- भगवान शिव को छह प्रकार की सब्जियां, पशर चावल, काशी के फूल, महुआ के पत्ते, धान की सलाई के साथ ही ढेर सारी छोटी-छोटी चीजें चढ़ाकर बच्चों की लंबी उम्र की कामना की जाती है ।
माताएं निर्जला रहकर शिव-पार्वती की पूजा करती हैं
- छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण उत्सवों में कमरछठ को हलछठ या हलष्टी भी कहा जाता है।
- बिहार में छठ की तर्ज पर इस व्रत को करने वाली माताए निर्जल रहकर शिव-पार्वती की स्तुति करती हैं।
- उन्होंने सगरी बनाकर सभी रूटीन को अंजाम दिया। इस अवसर पर कमरछठ की कथा पर ध्यान देते हुए स्थापित सूर्य को अर्घ्य देकर रात्रि के व्रत को अवश्य ही तोड़ती है ।
सगरी बनाकर होगी पूजा
- कमरछठ की पूजा के लिए महिलाओं ने गली-मोह्ल्ले में मिलकर प्रतीकस्वरूप दो सगरी(तालाब) के साथ मिट्टी की नाव बनाते है , और फूल-पत्तों से सगरी को सजाकर वहां शिव व पार्वती की पूजा की पूजा की जाती है , दिनभर निर्जला रहकर शाम को सूर्य डूबने के बाद व्रत को खोलती है ।
- उत्तर प्रदेश और बिहार में जिस तरह छठ मईया की पूजा होती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में कमरछठ का महत्व है जो संतान प्राप्ति और संतान की लंबी उम्र के लिए किया जाता है , जो की बहुत ही अच्छा है ।
बिना हल चली चीजों का महत्व
छत्तीसगढ़ तरह की भाजियों के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ में कमरछठ में भी भाजियों का अपना महत्व है।
- इस व्रत में छह तरह की ऐसी भाजियों का उपयोग किया जाता है।
- जिसमें हल का उपयोग ना किया हो। बाजार में भी लोग अलग-अलग तरह की छह भाजियां लेकर पहुंंचे।
- जिसमें चरोटा भाजी, खट्टा भाजी, चेंच भाजी, मुनगा भाजी, कुम्हड़ा भाजी, लाल भाजी, चौलाई भाजी शामिल है।
कमरछठ पूजा
» छत्तीसगढ़ के पारंपरिक पर्वों में से एक पर्व कमरछठ भी है जिसे महिलाओं द्वारा पूरी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
» यह पर्व भादो महीने के कृष्णपक्ष की छठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं।
» पूजा के दौरान पसहर चावल के व्यंजन का भोग लगाया जाता है। फूल, नारियल, फुलोरी, महुआ, दोना, टोकनी, लाई, छह प्रकार की भाजी का भी पूजा में महत्व है।
» मान्यतानुसार इस दिन भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। यही वजह है कि इस अवसर पर उनके साथ उनके अस्त्र हल व बैल की भी पूजा की जाती है।