सामाजिक अंकेक्षण क्या है | Samajik Ankekshan Kya hai
सामाजिक अंकेक्षण का बुनियादी मकसद लोगों का शासन के साथ कार्य कर परियोजनाओं, कानूनों और नीतियों के क्रियान्वयन, मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण में सार्वजनिक उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना होता है। सामाजिक अंकेक्षण का उद्गम संयुक्त राज्य अमेरिका में हुआ।
सामाजिक अंकेक्षण क्यों आवश्यक है ?
- सामुदायिक भागीदारी।
- मस्टर रोल की जांच।
- जवाबदेही का निर्धारण ।
- अनियमितता पर रोक।
- पारदर्शिता का निर्धारण ।
- न्याय संगत प्रक्रिया ।
- निष्पक्षता का निर्धारण ।
- योजना के प्रभाव का मूल्यांकन।
- गलतियों में सुधार।
- सही दिशा का निर्धारण।
सामाजिक अंकेक्षण के तत्व
- ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को प्राप्त अधिकार एवं सुविधाओं के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना है।
- विशेषकर, सामाजिक अंकेक्षण में भागीदार बनने का अधिकार।
- सभी दस्तावेज एवं प्रपत्र उपयोग हेतु सुलभ उपलब्ध हो।
- सभी जानकारियों को देखा व पढ़ा जा सके साथ ही उसका आंकलन किया जा सके।
- प्रभावित लोगों के समक्ष पारदर्शिता एवं सहभागिता के आधार पर निर्णय लिये जाने की प्रक्रिया की जावे।
- नमूना व चक्रीय क्रम में प्रभावित लोगों का प्रमाण-पत्र, माप व निरीक्षण किया जायें।
- सामाजिक अंकेक्षण से पाए गए तथ्यों पर शीघ्र कार्यवाही किया जावे।
दल का गठन
- सामाजिक अंकेक्षण हेतु जॉच दल के सदस्यों का चुनाव ग्राम सभा करेगी। सामाजिक अंकेक्षण के लिये किये गये दल का गठन केवल एक ही सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया के लिये होगा।
- छत्तीसगढ़ राज्य में जांच दल में न्यूनतम 5 और अधिकतम 7 सदस्यों का चुनाव किया जा सकता है। जांच दल में दो पंजीकृत मजदूर होना आवश्यक है।
- यह स्वैच्छिक कार्य है, चूंकि यह ग्राम सभा और ग्राम पंचायत का अपना स्वयं का कुछ समय का सामाजिक दायित्व का ही कार्य है, अतः इसमें मानदेय नहीं है।
- जांच दल 4 तरह के कार्य कर सकता है
1. कार्यस्थल का निरीक्षण व नाप जोखा
2. क्रियान्वयन एजेन्सी के अभिलेखों की जाँच पड़ताल।
3. मजदूरों से पूछताछ।
4. जांच का निष्कर्ष व सुझाव देना।
सामाजिक अंकेक्षण की तैयारी
घोषणा : कम से कम 1 माह पूर्व सामाजिक अंकेक्षण की घोषणा करते हुए एजेंडा जारी किया जावे, जिसमें स्थान, तिथि व समय तथा जिम्मेदार लोगों का स्पष्ट उल्लेख हो।
प्रचार-प्रसार : सामाजिक अंकेक्षण का प्रचार-प्रसार वृहद स्तर पर हो।
अभिलेख : सामाजिक अंकेक्षण हेतु समस्त अभिलेख कम से कम 15 दिवस पूर्व ग्राम पंचायत में उपलब्ध हो जिसे देखा व पढ़ा जा सके।
आयोजन : सामाजिक अंकेक्षण, ग्राम सभा आयोजित करके किया जायेगा।
कार्यवाही विवरण : ग्राम सभा की कार्यवाही विवरण सचिव द्वारा दर्ज की जावेगी। यह सचिव संबंधित ग्राम पंचायत में नियुक्त कर्मचारी नहीं होना चाहिए। ग्राम सभा में उपस्थित लोगों के द्वारा पूछे गये प्रश्नों का उत्तर जिम्मेदार अधिकारी/कर्मचारी द्वारा दिया जावेगा।
अवधि : हर छ: माह में एक बार सामाजिक अंकेक्षण कराया जाना आवश्यक है। ग्राम सभा इसके अलावा जब भी उपयुक्त समझे अपने पंचायत क्षेत्र में आपसी सहमति से सामाजिक अंकेक्षण कर सकती है।
सामाजिक अंकेक्षण के लिए ग्राम सभा का समय ऐसा होना चाहिए जिससे सभी लोग, खासतौर से योजना में काम करने वाले मजदूर, औरतें और पिछड़े समुदाय उसमें आसानी से हिस्सा ले सकें। सारे प्रस्ताव और फैसले मतदान के आधार पर लिए जाएंगे लेकिन जो लोग/पक्ष अल्पमत में हैं उनकी बात भी नोट जरूर की जानी चाहिए। पिछली सामाजिक ऑडिट फोरम से संबंधित कार्यवाही रिपोर्ट को अगले फोरम में सबसे पहले पढ़ा जाना चाहिए।
सामाजिक अंकेक्षण की प्रक्रिया
- सामाजिक अंकेक्षण का अधिकार ग्राम अंकेक्षण दल, राज्य सामाजिक अंकेक्षण निदेशालय द्वारा चिह्नित व्यक्ति तथा ग्राम सभा को दिया गया है।
- सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सभा की अध्यक्षता पंचायत का सरपंच करेगा।
- शासन द्वारा निर्धारित दिनांकों को ग्राम सभा को आहूत करने का दायित्व सरपंच का है। ग्राम सभा में निर्धारित कोरम होना चाहिये। सामाजिक अंकेक्षण की ग्राम सभा का कोरम इतना ही होगा जितना गाँव की ग्राम सभा के लिये कोरम निर्धारित है। कुल कोरम के लिये जातिगत आधार एवं एक तिहाई महिलाओं की हिस्सेदारी आवश्यक है।
- ग्राम सभा में सरपंच द्वारा निर्माणाधीन एवं पूर्ण किये गये कार्यों के संपूर्ण ब्यौरे प्रस्तुत किये जावेंगे। निर्माणाधीन कार्यों के बारे में प्रगति विवरण, जिनमें स्वीकृति दिनांक प्राक्कलन अनुसार धन राशि उस पर सामग्रीवार व्यय मजदूरी पर व्यय, गुणवत्ता आदि शामिल होगा, ग्राम सभा को दी जावेगी।
- दो ग्राम सभाओं के बीच की अवधि का प्रतिवेदन एवं कार्य होने पर प्रतिवेदन प्रस्तुत किया जावेगा।
- मूल दस्तावेज ग्राम सभा में किसी को सौंपे नहीं जावेंगे। आवश्यकता होने पर पढ़ कर सुनाये जायेगें। अभिलेख की सुरक्षा का दायित्व सरपंच का होगा।
- ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत कार्य का ब्यौरा या तो ग्राम सभा द्वारा अनुमोदित कर दिया जावेगा या आपत्ति होने पर अनुमोदन नहीं होने की अवस्था में लिखित सूचना अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को भेजी जावेगी।
- शासकीय विभागों द्वारा करवाये जा रहे कार्यों का विवरण विभाग द्वारा अधिकृत अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत किया जावेगा।
सामाजिक अंकेक्षण के अंतर्गत आने वाले कार्य
- छत्तीसगढ़ में रोजगार गारंटी योजना की प्रक्रिया के अनुसार ही ग्रामीण यांत्रिकी सेवा ( RES ) तथा BRGF योजना के अंतर्गत कराये गये कार्यों का सामाजिक अंकेक्षण किया जाना आवश्यक है।
- हितग्राही मूलक योजनाओं से संबंधित कार्य
- अन्य सामान्य कार्य जिनमें ग्राम पंचायत क्षेत्र से शासकीय विभागों द्वारा करवाये जाने वाले कार्य भी होंगे।
सामाजिक अंकेक्षण किन बिंदुओं पर की जावे
- ग्रामीण परिवारों का पंजीकरण ।
- पंजीकृत परिवारों के रोजगार कार्ड का वितरण।
- परिवार द्वारा रोजगार हेतु आवेदन पत्र प्राप्ति।
- कार्यों की सूची एवं स्थलों का चयन।
- कार्य योजना का ग्रामसभा में अनुमोदन ।
- तकनीकी/प्रशासकीय स्वीकृतियाँ तथा कार्य आदेश।
- निर्धारित तिथि में आवेदक श्रमिकों को कार्य आवंटन।
- कार्यों का क्रियान्वयन एवं पर्यवेक्षण, कार्य का मूल्यांकन व सत्यापन ।
- उपयोग किए गए मस्टर रोल की जाँच।
- निर्धारित तिथि में मजदूरी भुगतान। सामग्री खरीदी, कुशल, अर्द्धकुशल एवं अन्य व्यय की जानकारी।
- माप पुस्तिका की छायाप्रति
- प्राप्त शिकायत एवं उस पर की गई कार्यवाही का विवरण।
- बेरोजगारी भत्ता की मांग एवं भुगतान।
- ग्रामसभा में सामाजिक अंकेक्षण
- सामाजिक अंकेक्षण फोरम और तकनीकी दलों की रिपोर्ट एक निश्चित समय के भीतर कार्यक्रम अधिकारी और जिला पंचायत को भेज दी जानी चाहिए ताकि वह उन पर उचित कार्यवाही कर सकें।
सामाजिक अंकेक्षण से होने वाले लाभ
- पारदर्शिता आएगी तथा अनियमिताओं पर रोक लगेगी।
- सहभागी प्रजातंत्र मजबूत होगा तथा शासन एवं समाज के बीच में भरोसा बढ़ेगा।
- मजदूरों को सही समय पर काम व सही मजदूरी प्राप्त होगी।
- शासन द्वारा दिए गए अधिकार एवं सुविधाओं के प्रति ग्रामीण जागरूक होंगे।
- शासन द्वारा दिए धन का सही उपयोग हो रहा है या नहीं, ग्रामीण जान सकेंगे।
अनुविभागीय अधिकारी द्वारा कार्यवाही
- ग्राम सभा से सूचना प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी अपने न्यायालय में पचायत राज अधिनियम के तहत् प्रकरण दर्ज करेगा।
- सूचना की जाँच करने हेतु निम्नानुसार समिति का गठन किया जावेगा
- निर्माण कार्य से सबंधित शिकायत प्राप्त होने पर जॉच समिति उस ग्राम पंचायत का एक पंच (जो निर्माण एवं विकास समिति का सदस्य न हो) विकासखंड का उपयंत्री तथा अनुविभागीय अधिकारी द्वारा नामांकित एक सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य होंगे।
- हितग्राही मूलक योजना एवं विभागीय कार्य से सबंधित शिकायत होने पर जांच समिति में उस पंचायत का एक पंच, उस ग्राम पंचायत क्षेत्र में एक सामाजिक कार्यकर्ता सदस्य होंगे।
- इन समितियों के संयोजक उसमें नामांकित शासकीय कर्मचारी होंगे।
जांच प्रतिवेदन पर कार्यवाही
- जांच समिति जांच की तिथि निर्धारित कर सूचना ग्राम पंचायत को देगी। जांच का कार्य मौके पर ही किया जावेगा। जांच के दौरान सभी पक्षों को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जावेगा।
- जाँच समिति को संबंधितों द्वारा पूर्ण अभिलेख उपलब्ध करवाया जावेगा। समिति अनुविभागीय अधिकारी द्वारा निश्चित समयावधि के अंतर्गत अपना प्रतिवेदन अनुविभागीय अधिकारी को सौंप देगी।
जांच प्रतिवेदन उपरांत कार्यवाही
- जाँच प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी किसी अधिकारी को जांच प्रतिवेदन ग्राम सभा में पेश करने हेतु नियुक्त करेगा।
- यह अधिकारी ग्राम सभा के दिन उपस्थित रह कर प्रतिवेदन ग्राम सभा मे प्रस्तुत करेगा।
- ग्राम सभा यदि संतुष्ट हो जो जांच प्रकरण समाप्त करने की अनुशंसा अनुविभागीय अधिकारी को भेजेगी।
- अनुशंसा प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी प्रकरण समाप्त कर देगा।
- यदि ग्राम सभा संतुष्ट न हो तो दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्यवाही करने की अनुशंसा अनुविभागीय अधिकारी को भेजेगी। इसकी सूचना कण्डिका 6.1 में नामांकित अधिकारी द्वारा अनुविभागीय अधिकारी को लिखित में देंगे।
- अनुशंसा प्राप्त होने पर अनुविभागीय अधिकारी पंचायत राज अधिनियम के तहत् अपने न्यायालय में पूर्व से दर्ज प्रकरण में विधिवत् कार्यवाही करेगा।
मनरेगा / प्रधानमंत्री आवास योजना के सामाजिक अंकेक्षण
अशोक मेहता समिति (1978) ने जन कार्यक्रमों के लिए जिला स्तर पर “सामाजिक अंकेक्षण प्रकोष्ठ की स्थापना की अनुशंसा की थी।
महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधि. में प्रावधान-
धारा 17 ग्राम सभा द्वारा कार्य की सामाजिक संपरीक्षा-
धारा 17 (1) – ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के भीतर कार्य के निष्पादन को मॉनीटर करेगी।
धारा 17 (2) – ग्राम सभा, ग्राम पंचायत के भीतर आरंभ की गई स्कीम के अधीन सभी परियोजनाओं की नियमित सामाजिक संपरीक्षा करेगी।
धारा 17 (3) ग्राम पंचायत, सभी सुसंगत दस्तावेज, जिनके अन्तर्गत मस्टर रोल, बिल, वाउचर, माप पुस्तिकाएं, मंजूरी ओदशों की प्रतियों और अन्य संबंधित लेखा बहियां और कागज पत्र भी हैं सामाजिक संपरीक्षा करने के प्रयोजना के लिए ग्राम सभा को उपलब्ध करायेगा।
प्रधानमंत्री आवास योजना में प्रावधान-
- प्रधानमंत्री आवास योजना की धारा 8.3 में मनेरगा योजनाओं के तहत् स्थापित सामाजिक अंकेक्षण इकाई द्वारा सभी ग्राम पंचायतों में प्रधानमंत्री आवास योजना की सामाजिक अंकेक्षण के लिए राज्य शासन को परामर्श दिया गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए प्रावधान-
- मनरेगा अधिनियम 2005 के धारा 32 के प्रावधानों के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा मनरेगा छत्तीसगढ़ सामाजिक अंकेक्षण नियमावली 2015 अधिसूचित किया गया है।
- छत्तीसगढ़ सामाजिक अंकेक्षण इकाई का पंजीयन माह फरवरी 2014 में हुआ। इसकी गवर्निंग बॉडी का गठन 11 सदस्यों को मिलाकर हुआ है, जिसमें वरिष्ठ अधिकारी, सामाजिक अंकेक्षण विशेषज्ञ, शिक्षाविद तथा NGOs के प्रतिनिधि शामिल है। यह अभी मनरेगा और प्रधानमंत्री आवास योजना के सामाजिक अंकेक्षण के लिए जिम्मेदार है।
- मनरेगा योजना से प्रशासनिक फण्ड से 0.5% राशि छत्तीसगढ़ सामाजिक अंकेक्षण इकाई को प्रदान करती है। ताकि सभी ग्राम पंचायतों में एक वर्ष में कम से कम दो बार सामाजिक अंकेक्षण का आयोजन सुनिश्चित किया जा सके।
मनरेगा प्रधानमंत्री आवास योजना सामाजिक अंकेक्षण के उद्देश्य-
- पारदर्शिता सुनिश्चित करना।
- जवाबदेही सुनिश्चित करना।
- समुदाय की सहभागिता में वृद्धि करना।
- लोगों को अपने अधिकारों का प्रयोग सुनिश्चित करने के लिए सक्षम बनाना। अनियमितताओं को दूर कर कार्यक्रम का प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
मनरेगा / प्रधानमंत्री आवास योजना के सामाजिक अंकेक्षण के लाभ
- समुदाय में जागरूकता उत्पन्न करता है।
- नियमित निगरानी और प्रतिक्रिया के कारण समुदाय के स्वामित्व का विकास होता है।
- स्थानीय प्रशासन से जवाबदेही की मांग हेतु समुदाय को सशक्त करता है। मनरेगा/प्रधानमंत्री आवास योजना के प्रभाव के मूल्यांकन हेतु
- स्थानीय स्तर पर चिन्हांकित विशिष्ट कमियों/अनियमितताओं को सुधारने हेतु
- क्रियान्वयन की गुणवत्ता में अभिवृद्धि करता है।
- ग्राम सभा को मजबूत बनाता है।
मनरेगा एवं प्रधानमंत्री आवास योजना के सामाजिक अंकेक्षण हेतु शर्तें-
- सामाजिक अंकेक्षण क्रियान्वयन एजेंसी की किसी भी प्रक्रिया से स्वतंत्र होना चाहिए।
- क्रियान्वयन एजेंसियाँ कभी भी सामाजिक अंकेक्षण कार्य में हस्तक्षेप नहीं करेगी। सामाजिक अंकेक्षण हेतु नियुक्त सामाजिक अंकेक्षण टीम उसी पंचायत के निवासी नहीं होने चाहिए।
- ग्राम पंचायतें अथवा अन्य क्रियान्वयन एजेंसियाँ सामाजिक अंकेक्षण कार्य के आरंभ होने की तिथि से कम से कम सात दिन पूर्व सामाजिक अंकेक्षण टीम को उपलब्ध कराने हेतु जनपद को आवश्यक अभिलेख एवं जानकारी को प्रदाय करेंगे।
- समुदाय की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए अग्रिम रूप समुचित प्रचार-प्रसार करेंगे।
- युवाओं को शासकीय दस्तावेजों को समझने एवं जानने के लिए सहयोग प्रदान किया जाना चाहिए।
ग्राम सामाजिक अंकेक्षकों के चयन की शर्तें
- सामाजिक अंकेक्षण के लिए उस जिले के विकासखण्ड सामाजिक अंकेक्षण प्रदातागण ग्राम सामाजिक अंकेक्षकों का चयन करेंगे।
- हितग्राहियों के परिवारों से शिक्षित युवाओं की पहचान “ग्राम सामाजिक अंकेक्षकों” के रूप में किया जाएगा।
- केवल मनरेगा योजना के अधीन कार्यरत मजदूरों के परिवारों से युवाओं का चयन किया जाना चाहिए।
- अंकेक्षक की आयु 18-25 वर्ष के मध्य होनी चाहिए।
- उनकी शैक्षणिक योग्यता न्यूनतम 12 वीं कक्षा उत्तीर्ण होनी चाहिए। आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ 12 वीं उत्तीर्ण युवा उपलब्ध नहीं है वहाँ 10 वीं कक्षा उत्तीर्ण युवा चयन करने पर विचार कर सकती है।
- राजनैतिक पार्टियों अथवा क्रियान्वयन एजेसियों से संबद्ध युवा का चयन ग्राम सामाजिक अंकेक्षक के रूप में नहीं किया जाएगा।
- ऐसे युवा जो ठेकेदारों, राजमिस्त्रियों, समाचार-पत्र / मीडिया के रिपोर्टरों के लिए कार्य कर रहे हैं, को ग्राम सामाजिक अंकेक्षकों के रूप में चयनित नहीं किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ सामाजिक अंकेक्षण इकाई के द्वारा अपनायी गयी प्रक्रिया-
1. सामाजिक अंकेक्षण कैलेंडर को तैयार करना
2. शासकीय दस्तावेजों को प्राप्त करना
3. ग्राम सामाजिक अंकेक्षकों की पहचान तथा प्रशिक्षण
4. ग्राम पंचायत में उपलब्ध दस्तावेजों तथा पंजियों की जांच निरीक्षण
5. मजदूर/लाभार्थी वार दस्तावेजों की जांच
6. कार्यस्थल की जांच
7. सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्टों को तैयार करना
8. ग्राम सभा की प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं को सुनिश्चित करना
9. सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा का संचालन
10. सामाजिक अंकेक्षण निकासी बैठक
सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया में चुनौतियां
- जनपद और संबंधित विभागों से पूर्ण दस्तावेजों की प्राप्ति।
- ग्रामसभा कोरम।
- निकासी बैठक का संचालन और प्रशासन के द्वारा सामाजिक अंकेक्षण निष्कर्षो हेतु कार्यवाही ।
- सामाजिक अंकेक्षण निष्कर्षों को वेबसाइट पर समेकन और अपलोड करना।
- सामाजिक अंकेक्षण दल की प्रतिबध्दता एवं ईमानदारी ।
- सामाजिक अंकेक्षण दल की कौशल रिपोर्टिंग।
विविध
- ग्राम पंचायत में मनरेगा और इंदिरा आवास योजना का सामाजिक अंकेक्षण प्रत्येक 6 माह में कम से कम एक बार आयोजित किया जाना चाहिए।
सामाजिक अंकेक्षण : ग्राम सभा
- मनरेगा एक्ट 2005 की धारा 17 (2), के अनुसार ग्राम सभा, ग्राम पंचायत में योजना के तहत लिए गए सभी परियोजनाओं का नियमित तौर पर सामाजिक अंकेक्षण करेंगे।
- इस हेतु सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा का आयोजन किया जाएगा। सामाजिक अंकेक्षण प्रक्रिया के दौरान लोगों को उनके हकों के बारे में बताया जाएगा और सूचना प्राप्ति हेतु उन्हें अवसर प्रदान किया जाएगा।
- सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा को एक विशेष ग्राम सभा समझा जाना चाहिए और प्रत्येक 6 माह में कम से कम एक बार इसका आयोजन किया जाना चाहिए।
- सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा का प्रचार प्रसार करना एवं समुदाय को इस सभा में 14 भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
- स्वतंत्र, निष्पक्ष और भयमुक्त सहभागिता सुनिश्चित करना।
- जिला कार्यक्रम समन्वयक किसी ऐसे अधिकारी को सामाजिक अंकेक्षण निष्कर्षों की जांच हेतु एक स्वतंत्र पर्यवेक्षक के रूप में प्रतिनियुक्त करेगी, जो मनरेगा योजना क्रियान्वयन एजेंसी का कोई भाग न हो।
- सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा में किसी भी बाहरी व्यक्ति के सम्मिलित होने की अनुमति रहेगी और वे अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त कर सकते हैं।
- सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा का कोरम (गणपूरक संख्या) अन्य ग्राम सभाओं के समान ही होता है।
- सामाजिक अंकेक्षण ग्राम सभा को अपनी बैठक की अध्यक्षता करने हेतु किसी ऐसे व्यक्ति का चयन करना चाहिए जो ग्राम पंचायत या किसी अन्य क्रियान्वयन एजेंसी का सदस्य/अंग न हो तथा ग्राम सभा द्वारा स्वयं अनुशंसित हो।
ग्राम सभा की कार्यवाहियाँ
- पिछले सामाजिक अंकेक्षण के कार्यवाही प्रतिवेदन को आरंभ में पढ़कर सुनाया जाना चाहिए।
- सभी सामाजिक अंकेक्षण निष्कर्षों/ विचलन/खामियां को निर्धारित प्रतिवेदन प्रारूपों में लिखा जाना चाहिए।
- वर्तमान सामाजिक अंकेक्षण निष्कर्षो को कार्यवार और मजदूरवार पढ़कर सुनाया जाना चाहिए।
- लोगों को ग्राम पंचायत और संबंधित पदाधिकारियों से प्रश्न पूछने का अवसर प्रदान किया जाना चाहिए।
- संबंधित पदाधिकारी/ कर्मचारी सामाजिक अंकेक्षण में पूछे गए प्रत्येक मुद्दों का उत्तर स्पष्टीकरण सहित देंगे।
- नामित ‘स्वतंत्र पर्यवेक्षक’ ग्राम सभा में सभी शिकायतों/विचलनों /विसंगतियों को अनिवार्य रूप से नोट करेंगे।
- यदि कोई व्यक्ति सामाजिक अंकेक्षण के निष्कर्षों से व्यथित है तो स्वतंत्र पर्यवेक्षक उसकी उपस्थिति में मामले की पुनः परीक्षण का एक अवसर देंगे।
- ग्राम सभा में इस प्रकार से दर्ज साक्ष्य को समूह स्तरीय निकासी बैठक में चर्चा हेतु पुन: नहीं खोला/उठाया जाना चाहिए।
- किसी एक सामाजिक अंकेक्षण प्रदाता द्वारा कार्यवृत्त को दर्ज किया जाना चाहिए और इस पर सभी प्रतिभागियों के हस्ताक्षर करवाना।
- कार्यवाहियों सहित ग्राम सभा में प्रस्तुत सामाजिक अंकेक्षण रिपोर्ट पर उक्त ग्राम सभा के सरपंच एवं सचिव द्वारा हस्ताक्षर और अध्यक्ष द्वारा प्रति-हस्ताक्षर किया जाना चाहिए।
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आजीविका |
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3.73 वाँ संविधान संशोधन के प्रावधान | क्लिक करे |
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7.पंचायत की स्थापना से सम्बंधित प्रश्न -Cg Vyapam ADEO Notes | Cg vyapam ADEO Book pdf Download | क्लिक करे |
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27.छत्तीसगढ़ के लोक महोत्सव | क्लिक करे |
28.छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यंजन | क्लिक करे |
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31.छत्तीसगढ़ के हस्तशिल्प | क्लिक करे |
32.छत्तीसगढ़ के आभूषण | क्लिक करे |
33.छत्तीसगढ़ के प्रमुख चित्रकार एवं शिल्पकार | क्लिक करे |
34.छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास | क्लिक करे |
35.छत्तीसगढ़ का मध्यकालीन इतिहास | क्लिक करे |
36.छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास | क्लिक करे |
39.छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह | क्लिक करे |
40.छत्तीसगढ़ के स्वतंत्रता आंदोलन | क्लिक करे |
41.छत्तीसगढ़ के असहयोग आंदोलन | क्लिक करे |
42.छत्तीसगढ़ में सविनय अवज्ञा आंदोलन | क्लिक करे |
43.छत्तीसगढ़ में शिक्षा | क्लिक करे |
44.छत्तीसगढ़ में प्रथम | क्लिक करे |