ग्रामीण विकास योजनाएं एवं बैंक | Gramin Vikas Yojnaye avm Bank

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 ग्रामीण विकास योजनाएं एवं बैंक | Gramin Vikas Yojnaye avm Bank

भारत की 70 प्रतिशत आबादी गाँवों में निवास करती है तथा लगभग 60 प्रतिशत जनसंख्या कृषि से आजीविका प्राप्त करती है, कृषि का विकास आर्थिक विकास की आवश्यक शर्त है. कृषि विकास को बनाये रखने हेतु आवश्यक है कि इस क्षेत्र में अधिकाधिक साख सुविधाएं उपलब्ध हों. ग्रामीण विकास की विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अनेक रूपों में बैंकों की भूमिका रही है।

बैंकों का राष्ट्रीयकरण

  • उद्देश्य- आर्थिक विकेन्द्रीयकरण, समाजवादी राज्य की स्थापना, क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करना, शाखा-विस्तार, ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग विस्तार, आर्थिक नियोजन के लक्ष्य पूरे करने, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों को अग्रिम धन, उद्योग को सहायता एवं पिछड़े वर्गों के विकास हेतु किया गया.
  • 1949 में भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ का राष्ट्रीयकरण
  • 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का गठन इम्पीरियल बैंक का राष्ट्रीयकरण
  • 19 जुलाई 1969 को 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण जिनमें जमा राशि 50 करोड़ से अधिक थी.
  • 15 अप्रैल 1980 को उन 6 बैंकों का राष्ट्रीयकरण जिनमें जमा राशि 200 करोड़ से अधिक थी.

प्राथमिक क्षेत्रों को ऋण

  • राष्ट्रीयकरण के पश्चात् कृषकों, लघु क्षेत्रों को उद्योगपतियों, छोटे व्यापारियों, पेशेवर स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों तथा अन्य छोटे-छोटे उधार लेने वाले व्यक्तियों को ऋण में प्राथमिकता दी गई है।

रोजगार सृजन:

  • स्वरोजगार योजना, रोजगार मूलक प्रशिक्षण तथा उद्योग एवं सेवाक्षेत्र हेतु बैंकों से ऋण जिससे रोजगार सृजन
  • 1972 में विभेदक ब्याज दर योजना न्यूनतम ब्याज दर पर ऋण

गरीबी निवारणः

  • नियोजन का उद्देश्य- निर्धनता उन्मूलन के साथ ही ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था का पुनर्निर्माण, तदैव आईआरडीपी, स्वर्ण जयंती ग्रामीण स्वरोजगार योजना आदि के क्रियान्वयन में बैंकों की अहम भूमिका

कृषि एवं ग्रामीण विकास के लिए राष्ट्रीय बैंक (नाबार्ड)

ग्रामीण क्षेत्रों व कृषि को साख प्रदान करने वाली सर्वोच्च संस्था नाबार्ड है। इसकी स्थापना 12 जुलाई, 1982 को शिवरामन समिति की सिफारिश के आधार की गई थी। नाबार्ड को रिजर्व बैंक के अधीन कृषि साख विकास, ग्रामीण आयोजन, साख विक्रय और कृषि पुनर्वित्तीय विकास निगम के कार्यों को सौंपा गया है।

उद्देश्यः

1. ग्रामीण एवं कृषि साख की शीर्ष संस्था- नाबार्ड ग्रामीण इलाकों में कृषि, लघु उद्योग, कुटीर और ग्रामीण उद्योग, हस्त शिल्प और अन्य शिल्प तथा संबद्ध आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए दिए जाने वाले ऋण के क्षेत्र में नीति आयोजना और परिचालन पक्षों से जुड़े सभी मामलों के लिए शीर्ष संगठन है।
2. पुनर्वित्त संस्था- यह ग्रामीण क्षेत्रों में दिए जाने वाले संस्थागत ऋणों के लिए एक पुनर्वित्त संस्था के रूप में काम करती है।
3.केन्द्र सरकार के अनुमोदन पर किसी संस्था को प्रत्यक्ष ऋण भी उपलब्ध कराता है.

कार्यः

  • नाबार्ड की स्थापना भारत सरकार द्वारा एक विकास बैंक के रूप में की गई है. इसे कृषि, लघु उद्योगों, कुटीर एवं ग्रामोद्योगों, हस्तशिल्प और अन्य ग्रामीण शिल्पों के विकास हेतु ऋण सुगम कराने का कार्य दिया गया है.
  • यह ग्रामीण क्षेत्रों एवं कृषि ऋण के क्षेत्र में नीति, आयोजना एवं परिचालन से संबंधित सभी मामलों में शीर्ष संस्था है.
  • यह ग्रामीण क्षेत्रों में दिए जाने वाले संस्थागत ऋणों के लिए शीर्ष स्तर की पुनर्वित्त एजेंसी है. पुनर्वित्त सुविधा, राज्य भूमि विकास बैंक, राज्य सहकारी बैंक, अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक तथा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को उपलब्ध कराई जाती है. जिससे कृषकों को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ हो.
  • कृषि के लिए अल्पकालीन, मध्यकालीन एवं दीर्घकालीन सहयोग देना
  • ग्रामीण साख संस्थाओं के कार्यों में समन्वय
  • ग्रामीण क्षेत्र में रिजर्व बैंक का प्रतिनिधि
  • कृषि एवं लघु उद्योगों विकास में नाबार्ड माध्यम से विदेशी सहायता,
  • ग्रामीण बैंकों के निरीक्षण तथा विकास, प्रशिक्षण आदि.
  • संस्थागत विकास, प्रवर्तन, संवर्धन,

 वाणिज्यिक बैंक

  • वाणिज्यिक बैंक कृषि गतिविधियों के लिए अल्प व मध्यम काल के लिए प्रत्यक्ष ऋण प्रदान करते हैं।
  • कृषि क्षेत्र को वाणिज्यिक बैंक अप्रत्यक्ष वित्त- प्राथमिक कृषि साख समितियों को उर्वरक व अन्य आगत खरीदने के लिए उपलब्ध कराते हैं।
  • पम्पसेट, ट्यूबवैल, ट्रैक्टर, कृषि मशीनरी, पशु, हल आदि खरीदने, कुओं का निर्माण,भूमि सुधार आदि के लिए मध्यकालीन ऋण देते हैं।
  • बैंक डेयरी, पोल्ट्री, सुअर पालन, मधुमक्खी पालन आदि के लिए भी ऋण देते हैं। छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक

छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक

  • छत्तीसगढ़ राज्य गरमी बैंक , एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (RRB) है, जिसकी स्थापना 5. वर्ष 2013 में छत्तीसढ़ ग्रामीण बैंक, सरगुजा क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और दुर्ग – राजनांदगांव ग्रामीण बैंक को मिलाकर संसद के एक अधिनियम के तहत की गई थी।
  • छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक से केन्द्र सरकार का हिस्सा 50%, राज्य सरकार का 15%, स्पांसर बैंक का हिस्सा 35% निर्धारित किया गया है।
  • छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण बैंक, स्टेट बैंक आफ इंडिया के स्पांसर में कार्यरत् है, जिसका मुख्यालय रायपुर में हैं।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक

  • आरम्भ में 2 अक्टूबर, 1975 को पाँच क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक स्थापित किए गए।
  • इसका उद्देश्य था एक छोटे क्षेत्र को आधार बनाकर विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सीमांत एवं लघु कृषक, कारीगर व छोटे उद्यमियों को ऋण और जमा सुविधाएं दिलवाना।
  • 2005 तक 196 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक थे, जिन्हें चरणबद्ध तरीके से पुनर्गठित करने के बाद वर्तमान में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की संख्या 43 है।

कार्य

  • कृषि व्यापार, उद्योग व अन्य उत्पादक गतिविधियों के लिए ऋण,
  • निर्धनता रेखा से नीचे रह रहे व्यक्तियों को कम ब्याज दर पर वित्तीय सहायता
  • लघु एवं सीमांत कृषक, भूमिहीन कृषि मजदूर एवं ग्रामीण दस्तकारों को ऋण,
  • बैंकिंग तथा बचत की आदत डालना,
  • परिवारमूलक ऋण संबंधी शासकीय योजनाओं के क्रियान्वयन में भागीदारीलघु एवं कुटीर उद्योगों को बढ़ावा

भूमि विकास बैंक

  • भूमि बन्धक बैंकों की स्थापना का आरम्भ 1929 में मद्रास से हुआ।
  • इन बैंकों का नाम बदल कर भूमि विकास बैंक किया गया था जिसे बाद में फिर से बदल कर प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्राम विकास बैंक कहा गया।
  • ये बैंक किसान की भूमि बंधक रखकर दीर्घावधि ऋण प्रदान करते हैं।
  • भूमि विकास बैंक, सहकारी साख संरचना के भाग हैं।
  • अनेक उद्देश्यों के लिए ऋण देते हैं, जैसे- ऋणों की वापसी, भूमि का सुधार, कृषि औजारों की खरीद, कुएँ या डीजल पम्प लगाने आदि के उद्देश्य से ऋण
  • 2014 में जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक का जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में संविलियन हो गया है।

सहकारी साख

  • सहकारी साख व्यवस्था त्रिस्तरीय व्यवस्था है, जिसमें-
    ग्राम स्तर पर प्राथमिक कृषि साख समितियां हैं,
    जिला स्तर पर केंद्रीय जिला सहकारी बैंक और
  • राज्य स्तर पर राज्य सहकारी बैंक (अपेक्स बैंक) होता है। राज्य सहकारी बैंक, केंद्रीय जिला सहकारी बैंक को अग्रिम ऋण प्रदान करने के लिए वित्त देता है। केंद्रीय जिला सहकारी बैंक उसे प्राथमिक कृषि साख समितियों को प्रदान कर देता है जो इसे किसानों को उपलब्ध कराती है।
  • वर्ष 1993 में भारत में राष्ट्रीय सहकारी बैंक की स्थापना की गई। यह बैंक सभी  सहकारी साख संगठनों की राष्ट्रीय संस्था के रूप में कार्य करता है। इस बैंक की सदस्यता शहरी सहकारी बैंकों के अतिरिक्त सभी सहकारी साख संगठनों एवं बैंकों के लिए खुली है।

लीड बैंक योजना

  • 1969 में लीड बैंक या अग्रणी बैंक योजना लागू की गयी. अग्रणी बैंक का प्राथमिक कार्य शाखाओं का तीव्र एवं विस्तृत विस्तार तथा ग्रामीण क्षेत्रों सरलतम पहुंच सुनिश्चित करना है. यह योजना बड़े पैमाने पर जमाओं को गतिशीलता तथा अर्थव्यवस्था के कमजोर वर्ग को दिए जाने वाले ऋणों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ओत-प्रोत रही है.

कार्य:

1. जिला साख योजना तैयार कर लागू करने हेतु नीतियां
2. ग्रामीण क्षेत्रों में सर्वेक्षण एवं विकास हेतु ऋण देने के लिए क्षेत्रों की खोज,
3. लघु उद्योग स्थापना क्षेत्रों की खोज,
4. नई शाखा खोलने हेतु स्थान चयन
5. सहायक वित्त संस्थाओं को सुविधा,
6. प्रशिक्षण साख सुविधा बढ़ाने,
7. वित्तीय संस्थाओं में समन्वय,

छत्तीसगढ़ राज्य की बैंकिंग गतिविधि

(जून 2021 को स्थिति में राशि करोड़ रूमें)

बैंकों को संख्या–>47
बैंक शाखाओं की संख्या–>3136
एटीएम की संख्या–>3320
बैंकों में कुल जमा राशि मे–>192324.30
बैंकों द्वारा जारी कुल ऋण राशि–>123082.66
ऋण (साख / अग्रिम)- जमा अनुपात प्रतिशत–>64%
प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम राशि–>54449.75
कुल साख में से प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम % –>44.24%
कृषि में अग्रिम राशि–>17855.52
कुल साख में से कृषि क्षेत्र में अग्रिम प्रतिशत–>14.51%
लघु उद्योगों में अग्रिम राशि –>26246.15
अन्य कमजोर वर्गों के लिए अग्रिम राशि–>11864.40
कुल साख में से अन्य कमजोर वर्ग का प्रतिशत–>9.64%
महिलाओं को अग्रिम राशि–>13694.37

  • प्राथमिकता क्षेत्र में आवंटित ऋण में वर्ष 2021 में 6.44% की वृद्धि हुई है।
  • प्रधानमंत्री जन-धन योजना 28 अगस्त 2014 को आरंभ की गई थी। 22 जनवरी 10. 2022 की स्थिति में राज्य में 44,32.71 252 जनधन खाते हैं।
  • राज्य में 8.2.2017 तक कुल 1.23 करोड़ जनधन खाते थे।

टिप्पणियां

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई)

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) औपचारिक रूप से 28 अगस्त, 2014 को आरंभ की गयी थी। इस योजना के अंतर्गत सार्वभौमिक ऋण, बीमा और पेंशन के लिए हर घर के लिए कम से कम एक सामान्य बैंकिंग खाते के साथ बैंकिंग सुविधाओं के लिए वित्तीय साक्षरता की परिकल्पना की गई है।

PMJDY पहले वित्तीय समावेशन कार्यक्रम (स्वाभिमान) से अलग है चूँकि अन्य बातों के साथ देश भर में सभी परिवारों (ग्रामीण एवं शहरी) तक बैंकिंग सेवाओं के लिए सार्वभौमिक पहुँच प्रदान करना चाहता है। जबकि पहला वित्तीय समावेश कार्यक्रम 2000 से अधिक आबादी वाले गांवों को शामिल करने पर केन्द्रित था, PMJDY के अंतर्गत सरलीकृत KYC हेतु दिशा निर्देश दिया गया है।

22/01/2022 की स्थिति में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खोले गए कुल खातों की संख्या 44,32,71,252 है।

रूपे कार्ड

रूपे कार्ड एक नई भुगतान योजना NPCI द्वारा नियोजित कि गयी है। यह एक घरेलू, स्वतंत्र बहुपक्षीय कार्ड भुगतान प्रणाली है जो सभी भारतीय बैंकों और भारत में वित्तीय संस्थानों में इलेक्ट्रॉनिक भुगतान की अनुमति प्रदान करता है। रूपे कार्ड 8 मई 2014 को भारत के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र को समर्पित किया गया है। इससे अंतरराष्ट्रीय कार्ड पर निर्भरता कम होती है। यह चीन जैसे बड़े उभरते देश जिनकी स्वयं के घरेलू कार्ड भुगतान प्रणाली है के जैसा है। भारत सरकार ने बैंकों को सभी किसान क्रेडिट कार्ड KCC और प्रत्यक्ष लाभ अंतरण DBT लाभार्थियों को डेबिट कार्ड जारी करने का निर्देश दिया है इसके साथ हर नये खाता धारक को एक डेबिट कार्ड जारी किया जाना है।

मुद्रा योजना ( Micro Units Development Refinance Agency )

छोटे गैर कॉर्पोरेट क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। किंतु इन छोटे कुटीर उद्योगों को बैंक नियमों को पूरा नहीं कर पाने के कारण बैंकों से आर्थिक मदद आसानी से नहीं मिलती। वे काफी हद तक स्ववित्त पोषित हैं अथवा निजी नेटवर्क या साहूकारों पर निर्भर हैं। इसलिए मुद्रा बैंक योजना 8 अप्रैल 2015 को घोषित की गई हैं। मुद्रा बैंक योजना के तहत छोटे उद्योगों एवम दुकानदारों को ऋण की सुविधा तीन चरणों में दी गई है

शिशु ऋण योजना : कुटीर उद्योग की शुरुआत के समय मुद्रा बैंक के तहत पचास हजार के ऋण का प्रावधान है।

किशोर ऋण योजना : इसमें ऋण की राशि पचास हजार से पांच लाख तक की जा सकती है।

तरुण ऋण योजना : इसमें पाँच से दस लाख तक का ऋण लिया जा सकता हैं।

प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) और एलपीजी के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण:

DBT योजना का उद्देश्य, विभिन्न विकास योजनाओं के अंतर्गत पैसे सीधे और बिना किसी देरी के लाभार्थियों तक पहुँच सुनिश्चित करना है। बैंक डीबीटी/डीबीटीएल के क्रियान्वयन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और इस कार्य के चार महत्वपूर्ण चरण है

1. सभी लाभार्थियों के बैंक खातों का खुलना।
2. आधार नंबर और एनपीसीआई मैपर पर अपलोड करने के साथ बैंक खातों की सीडिंग।
3. राष्ट्रीय स्वचालित क्लियरिंग हाउस का उपयोग कर धन हस्तांतरण, आधार कार्ड भुगतान ब्रिज सिस्टम
4. पैसे निकालने के लिए बैंकिंग ढांचे का सुदृढ़ीकरण ।

ध्यान दे :

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