छत्तीसगढ़ की मिट्टिया Chhattisgarh Ki Mittiya Soils of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में 5 प्रकार की मिट्टिया पायी जाती है ।
- लाल पिली मिटटी
- बलुई मिटटी
- काली मिटटी
- लेटराइट मिटटी
- दोमट मिटटी
लाल पीली मिटटी
- स्थानीय नाम – मटासी
- विस्तार : 50-60%
- क्षेत्र : रायपुर , बिलासपुर , सरग्गुजा संभाग
- छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक भाग में पायी जाती है ।
- छत्तीसगढ़ में लगभग 55% में पायी जाती है ।
- लाल रंग – फैरस ऑक्साइड के कारण लाल होता है ।
- पीला रंग – फेरिक ऑक्साइड के कारण पीला होता है ।
- गोंडवाना व चिंतामणि चट्टान से बनती है ।
- PH मान 5.5 से 8.5 तक होता है ।
- यह छत्तीसगढ़ के मैदान व सरगुजा बेसिन में पाया जाता है ।
- यहाँ मुख्य फसल धान होता है ।
बालुई मिटटी/ लाल रेतीली मिटटी
- स्थानीय नाम : टिकरा
- छत्तीसगढ़ में दूसरा सर्वाधिक मिटटी है ।
- छत्तीसगढ़ में लगभग 20-30% में पायी जाती है ।
- यह दंडकारण्य में पायी जाती है ।
- यह अमलीय होती है ।
- यहाँ मुख्या फसल – मोटा अनाज ( कोदो कुटकी होता है )
काली मिटटी
- स्थानीय नाम : कन्हार
- क्षेत्र – बालोद , बेमेतरा , मुंगेली , राजिम , महासमुंद , कुरुद , धमतरी , कवर्धा
- कृषि – कपास , चना , गेहू , गन्ना
- यह 10 से 15% में पायी जाती है ।
- यह भूरे रंग , गहरी चीका व रेगुर मिटटी होती है ।
- इसे स्थानी लोग कन्हार व भर्री मिटटी कहते है ।
- यह बेसाल्ट व लावा निर्मित मिटटी है ।
- फेरिक टिटेनियम के कारण कला दिखाई देता हिअ ।
- इसमें सर्वाधिक जल धारण क्षमता होती है ।
- इसलिए फसल के लिए अधिक उपजाऊ होती है ।
- PH मान 7 से 8 होता है ( क्षारीय )
- यहाँ मुख्या फसल चना , गेहू , गन्ना होती है ।
- यहाँ मैकल क्षेणी , राजनांदगाव , कवर्धा में पायी जाती है ।
लेटराइट मिटटी
- स्थानीय नाम : भाटा
- क्षेत्र : सरगुजा तथा , दुर्ग संभाग के कुछ हिस्से एवं जगदलपुर
- कृषि : आलू एवं मोटा अनाज
- अन्य : कठोर , भवन निर्माण में उपयोगी
- इसमें एल्युमीनियम के ऑक्साइड पाए जाते है ।
- यहाँ जशपुर पाट प्रदेशो में पाया जाता है ।
- इसे मिटटी का भवन निर्माण में प्रयोग किया जाता है ।
- PH मान 7 से अधिक होता है ( क्षारीय )
- यहाँ मुख्या फसल टमाटर , चाय, अदि होता हिअ ।
- यह कथ्य रंग का होता है ।
- इस मिटटी का निर्माण निछलन से होता है ।
- निछलन:- (अर्थ ) मिटटी पानी में मिलकर बह जाती है और जो कंकर बच जाती है , उसे लेटराइट मिटटी कहते है ।
दोमट मिटटी
- स्थानीय नाम : डोरसा
- क्षेत्र : बस्तर , दंतेवाड़ा , सुकमा
- कृषि : धान के लिए उपयुक्त
- यहाँ मिटटी दंतेवाड़ा व सुकमा में पायी जाती है ।
- यह आयरन ऑक्साइड के कारण लाल होता है ।
- इसमें बहने वाली पानी भी लाल होती है ।
- PH मान 6.5 से अधिक होता है । ( अमलीय )
- इसमें जल धारण क्षमता सबसे कम होती है ।
नोट :- गभर , मरहरण , टिकरा मिटटी डंकारण्य में पायी जाती है ।
गाद:- कछारी मिटटी में पायी जाती है ।
छत्तीसगढ़ के मिट्टियो के स्थानीय नाम
- कन्हार –काली, गहरी भूरी मिट्टी
- मटासी मिटटी — लाल-पीली मिट्टी
- डोरसा — कन्हार एवं मटासी मिट्टियों का मिश्रण
- कछारी –जलोढ़, लवण एवं जैव पदार्थ युक्त मिट्टी
- भाठा –लेटेराईट मिट्टी, मुरूम युक्त, छोटे पत्थरों सहित
- पहाड़ी -भाटा व टिकरा का मिश्रण
बस्तर में मिट्टी के स्थानीय नाम
(उच्च से निम्न भूमि के क्रम में)
- मरहान
- टिकरा (लाल बलुई मिट्टी)
- माल
- गाभर
उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में मिट्टी के नाम
(उच्च से निम्न भूमि के क्रम में)
- टिकरा
- छावर
- गोदा छावर
- बाहरा
परीक्षाओ में अबतक पूछे गए महत्वपूर्ण तथ्य
- संत रामेश्वर गहिरा गुरूद्वारा निर्मित कैलाश गुफा कठोर पहाड़ी को छोड़कर आश्रम बनाया गया है, यहाँ शिव और पार्वती का मंदिर है।
- छुरी क्षेत्र में गोंडवाना क्रम को बहाने पाई जाती है। यहाँ रेल पत्थर और शैल स्तरों के बीच का निशेष है। गुफा बीजापुर जिले में स्थित है।
- दण्डकारण्य का विस्तार छत्तीसगढ़, उड़ीसा तथा आंध्रप्रदेश राज्यों में पाया जाता है।
- वनवास के दौरान भगवान राम ने कोरिया के सोतामढ़ी-हरीका से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया।
- मार्च 2022 की स्थिति में राज्य में कुल 28 जिले है।
- महानदी बेसिन के लगभग 50% भाग में कड़प्पा शैल समूह का विस्तार पाया जाता है।
- मैकल श्रेणी का पूर्वी भाग राज्य का सबसे कम वर्षा वाला क्षेत्र है, लोरमी पठार इसके अंतर्गत शामिल है।
- मध्य प्रदेश को दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है।
- छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती जिले, सबसे उत्तरी- बलरामपुर, सबसे दक्षिणी सुकमा, सबसे पश्चिमी- बीजापुर सबसे पूर्वी जशपुर
- राज्य के उत्तर पश्चिम में मैकल श्रेणी, धमतरी में सिहावा पर्वत तथा सरगुजा में रामगिरी की पहाड़ी स्थित है।
- नारायणपुर जिला बस्तर क्षेत्र में स्थित है जो कि राज्य का दक्षिणी हिस्सा है।
- पूर्वी बघेलखंड का पठार, दण्डकारण्य पठार, छत्तीसगढ़ का मैदान, जशपुर-सामरी पाट पठार छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक विभाजन है।
- छत्तीसगढ़ की उत्तर-पूर्व दिशा में झारखंड की सीमा लगती है।
- सामरीपाट राज्य का सबसे ऊंचा भाग है जबकि जशपुर पाट सबसे बड़ा पाट है।
- मटासी लाल-पीली मिट्टी का स्थानीय नाम है।
- छत्तीसगढ़ की सौमा तमिलनाडु को स्पर्श नहीं करता।
- दण्डकारण्य क्षेत्र में छत्तीसगढ़ एवं ओडिशा राज्य शामिल है।
- सतपुड़ा पर्वत माला छत्तीसगढ़ के उत्तर में स्थित है, मैकल श्रेणी इसका विस्तार है।
- बिहार छत्तीसगढ़ राज्य से संलग्न नहीं है।
- सरकारी आंकड़े के हिसाब से छत्तीसगढ़ राज्य के 1.35 लाख है. भौगोलिक क्षेत्रफल में से करीब 43% क्षेत्रफल में खेती की जाती है।
- छत्तीसगढ़ राज्य की दक्षिणी सीमा आन्ध्रप्रदेश से लगी हुई है।
- झारखंड राज्य जशपुर जिले के उत्तर पूर्व में स्थित है।
- छत्तीसगढ़ का भौगोलिक विस्तार 17°46′ से 24’5′ उत्तरी अक्षांश तथा 80*15′ से 84’24’ पूर्वी देशान्तर के मध्य है।
- राज्य के कोरिया जिले में कैमूर की पहाड़ी स्थित है। यह हसदेव नदी का उद्गम स्थल भी है।
- राज्य के सबसे अधिक 8 जिले ओडिशा से लगे है, जो जशपुर, रायगढ़, महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, कोंडागांव, बस्तर तथा सुकमा
- बीजापुर, नारायणपुर, कांकेर तथा राजनांदगांव महाराष्ट्र की सीमा को स्पर्श करते हैं।
- कलवारी पहाड़ राजनांदगांव, सिहावा धमतरी, जबकि गढ़िया पहाड़ कांकेर में स्थित है।
- बालाघाट मध्यप्रदेश में स्थित है।
- जशपुर जिले के तपकरा को छत्तीसगढ़ का नागलोक कहा जाता है।
- अप्रैल 2022 को स्थिति में क्षेत्रफल की दृष्टि से छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जिला राजनांदगांव है।
- दरमा घाटी बस्तर जिले में स्थित है।
- राजनांदगांव क्षेत्रफल के अनुसार छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जिला है।
- उपरोक्त विकल्पों में से बिलासपुर दंतेवाड़ा से अधिकतम दूरी पर स्थित है।
- दिए गए विकल्पों में रायपुर जिला अन्य 6 जिलों से घिरा हुआ है।
- दंतेवाड़ा एक भू आवेष्ठित जिला है जो किसी अन्य राज्य को स्पर्श नहीं करता।
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