छछत्तीसगढ़ की चित्रकला | Chhattisgarh Ki Chitrakala | Paintings of Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ की चित्रकारी चित्रकला
चित्रकारी/चित्रकला | विस्तृत जानकारी |
चौक पुरना |
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हरितालिका |
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नोह डेरा |
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घर सज्जा |
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द्वार सज्जा |
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सवनाही |
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गोबर चित्रकारी |
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हाथा चित्रकारी |
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अठे कन्हैया | कृष्ण जन्मास्टमी पर मिटटी के रंगो से बनाया जाने वाला कथानक चित्र है । |
गोवर्धन | गोवर्धन पूजा के समय धन की कोठी में समृद्धि की कामना चित्रांकन |
बालपुर चित्रकला | बालप्लर , उदिस्शा से ए चितेर जाती के लोग अपनी बालपुर चित्रकारी के लिए जाने जाते है , इसमें पौराणिक चित्रकथाओ का अंकन किया जाता है । |
गोदना | विशेष रूप से आदिवासी महिलाये शरीर पर जोड़ने से विभिन आकृतिया बनवाती है विशेष रूप से बैगा गोदना प्रिय जनजाति है । |
परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण तथ्य : लोक कला
- इस राज्य की गाथा सीताराम नायक का सीताराम एक बंजारा था.
- सुरूज बाई खांडे इस राज्य के भरथरी की प्रमुख कलाकार थी।
- छत्तीसगढ़ राज्य के परम्परागत गीतकार जनजाति परधान गोंड राजाओं की मिथक कथा, लिंगोपाटा आदि का गायन करते हैं।
- छत्तीसगढ़ राज्य भरथरी में रानी पिंगला व राजा भरथरी के करूण कथा को गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
- पंडवानी महाभारत कथा पर आधारित एक लोकगायन है, भीम इसके नायक हैं। छत्तीसगढ़ राज्य का पंडवानी लोकगीत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध है, इसका मुख्य श्रेय तीजन बाई को जाता है, वे कापालिक शैली में गाती हैं।
- तीजन बाई को 1987 में पद्म श्री, 2003 में पद्म भूषण तथा 2019 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
- पण्डवानी गाथा गीत गाने वाली प्रमुख जनजातियाँ परजा एवं परधान हैं.
- पूनाराम निषाद पंडवानी के वेदमती शैली के कलाकार रहे हैं।
- छत्तीसगढ़ में गाया जाने वाला मंगरोहन गीत एक प्रकार का संस्कार गीत है।
- छत्तीसगढ़ में वैवाहिक संस्कार गीतों का सही क्रम है- चूलमाटी, तेलचघी, परघैनी, भड़ैनी, भांवर, टिकावन, विदाई।
- छत्तीसगढ़ के प्रणय गीत ददरिया को प्रेम गीत के रूप में जाना जाता है। इसमें श्रृंगार रस की प्रधानता होती है।
- पठौनी गीत छत्तीसगढ़ में गौना के समय गाये जाने वाला लोक गीत है।
- वेदमती तथा कापालिक छत्तीसगढ़ी लोक गायन पंडवानी की दो शैलियां हैं। वेदमती में शास्त्र सम्मत गायकी की जाती है सबल सिंह चौहान की दोहा चौपाई महाभारत इसका प्रमुख आधार है, जबकि कापालिक शैली में कथा कलाकार के स्मृति में विद्यमान होती है।
- श्री कृष्ण की लीलाओं पर आधारित रहस को छत्तीसगढ़ राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक परम्परा का प्रतीक माना जाता है।
- छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध नाट्य चंदैनी गोंदा में रवान यादव ने पाश्र्व संगीत दिया था।
- दाऊ दुलार सिंह मंदरा जी को नाचा का भीष्म पितामह कहा जाता है, इन्होंने रवेली साज नामक संस्था का गठन किया था।
- झीरलीटी, ककसार, गौर आदि बस्तर की नृत्य शैली हैं.
- थापटी तथा ढांढल कोरकू जनजाति के द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- रायगढ़ घराना कत्थक नृत्य शैली के लिए जाना जाता है। राजा चक्रधर सिंह इसके प्रमुख कलाकार रहे हैं।
- बस्तर क्षेत्र को दंडामी माड़िया जनजाति द्वारा जात्रा पर्व के दौरान गौर नामक शिकार नृत्य किया जाता है। जिसमें गौर के शिकार को बताया जाता है।
- सतनाम पंथ के प्रमुख नृत्य पंथी में जैतखंभ की स्थापना कर चारों तरफ पिरामिड बनाते हुए नृत्य किया जाता है। मांदर तथा झांझ इसके प्रमुख वाद्ययंत्र है।
- इस राज्य के जनजातियों द्वारा करम की प्रधानता पर आधारित करमा नृत्य किया जाता है, जो कृषि परम्परा से संबंधित है।
- अबूझमाड़िया जनजाति द्वारा अपने आदि देव को प्रसन्न करने के लिए वर्ष में एक बार ककसार पूजा का आयोजन एवं इस अवसर पर ककसार नृत्य किया जाता है।
- कोलिन जाति की महिलाएं धान से भरी टोकरी के ऊपर सुआ या तोते की मूर्ति रख चारों ओर परिक्रमा करते हुऐ सुआ नृत्य करती हैं।
- खुद को भगवान कृष्ण का वंशज मानने वाला यदुवंशी कुल राऊत नाचा लोक नृत्य करते हैं।
- मुड़िया घोटुल में सदस्यों के द्वारा मांदरी नृत्य किया जाता है।
- गौर मारिया नृत्य विवाह उत्सव पर किया जाता है।
- पंथी नृत्य छत्तीसगढ़ में सतनामी समुदाय के लोगों द्वारा किया जाने वाला नृत्य है।
- जीवन में कर्म की प्रधानता को बताने वाला करमा नृत्य की इष्ट करम देवी है।
- ममता चंद्राकर छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध लोक गायिका है 2016 में इन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया गया था।
- चक्रधर सिंह रायगढ़ के राजा थे जिन्होंने कत्थक पर अनेक ग्रंथ लिखे। ये एक दक्ष तबला वादक थे तथा इन्हें 1939 में संगीत सम्राट की उपाधि दी गई।
- छत्तीसगढ़ में कोलिन जाति की महिलाओं द्वारा फसल पकने के उपरांत दीवाली के करीब सुआ नृत्य करने की परंपरा है।
- पंथी नृत्य सतनाम पंथ से संबंधित है, इसमें जैत खंभ की स्थापना कर चारों तरफ पिरामिड बनाते हुए नृत्य किया जाता है देवदास बंजारे इसके प्रमुख कलाकार थे।
- धनकुल एक वाद्ययंत्र है जिसका निर्माण हांड़ी, सूपा, धनुष से किया जाता है। इसमें बांस की खपच्ची का प्रयोग भी किया जाता है।
- छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में निवास करने वाले माड़िया मुरिया जनजातियों द्वारा माओपाटा नृत्य किया जाता है, जो मूलतः एक शिकार नृत्य है।
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