सहकारिता किसे कहते हैं सहकारिता क्या है Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai 

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सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai 

सहकारिता किसे कहते हैं ? सहकारिता क्या है ? : सहकारिता वास्तव में लोकतांत्रिक साधन का ऐसा प्रारूप है जो पारस्परिक सहायता पर आधारित बैंकिंग संस्थाओं और सहकारी संस्थाओं को संगठित कर उनका संस्थागत विकास करता है।

भारत का सहकारी आन्दोलन विश्व में सबसे बड़ा सहकारी आंदोलन है। देश में लगभग 2 लाख सहकारी समितियाँ है जिनकी सदस्य संख्या लगभग 18 करोड़ है। सहकारी आन्दोलन अधिकतर ग्रामों पर आधारित हैं। सहकारी समितियाँ कृषि उत्पादन के विकास का प्रधान ढाँचा कायम कर रही हैं और समाज के कमजोर वर्गों को सेवाएँ उपलब्ध कराने का माध्यम भी हैं।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )

सहकारी समितियों के मार्गदर्शी सिद्धान्त निम्न हैं:-

  • स्वैच्छिक एवं खुली सदस्यता,
  • लोकतान्त्रिक नियन्त्रण,
  • लाभ का न्यायपूर्ण वितरण
  • संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग।

संविधान में संशोधन

लोकतान्त्रिक, आर्थिक दृष्टि से सक्षम एवं आत्मनिर्भर सहकारी संस्थाओं एवं उनके सशक्तिकरण एवं नियमित चुनाव के लिए संविधान में संशोधन किया गया है।

  • 97वाँ संविधान संशोधन 2012 द्वारा सहकारिता को स्वायत्तता एवं संवैधानिक दर्जा-
  • भाग 3 मूल अधिकार में अनु. 19, 1 (ग) में सहकारी समिति बनाने की स्वतंत्रता
  • भाग 4 राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांत में अनु. 43ब जुड़ा जिसके अनुसार राज्य सहकारी समितियों की स्वैच्छिक स्थापना, लोकतांत्रिक नियंत्रण, स्वायत कामकाज एवं व्यावसायिक प्रबंधन को प्रोत्साहन देने का प्रयास करेगा,
  • संविधान में भाग 9B की प्रविष्टि- सहकारी समितियां. इसके तहत अनु 2432H जोड़ कर सहकारी समितियों की स्थापना, कार्यकाल, चुनाव, स्वायत्तता, वित्त संबंधी विस्तृत प्रावधान किए गए हैं.

सहकारी अन्दोलन की उपलब्धियाँ

  • सस्ती दर पर ऋण- कुल कृषि ऋणों का लगभग 27% सहकारी समितियों द्वारा दिया जाता है।
  • खेती के उन्नत तरीकों के प्रयोग में सहायता,
  • किसानों को सस्ते क्रय के लिए संस्थाएं
  • कृषि उपज को अच्छे भावों पर बेचने में सहायता- मार्कफेड, वनोपज समितियां
  • किसानों को भण्डारण सुविधाएँ
  • आवास सहकारी समितियां द्वारा उचित मूल्य पर आवासीय प्लाट एवं मकान
  • हथकरघा बुनकरों एवं अन्य शिल्पियों की सहायता उत्पाद, वित्त एवं विपणन सहायता
  • उपभोक्ता सहकारी समितियों ने न्यून वस्तुओं को समान और उचित भाव पर उपलब्ध कराके दुकानदारों को मनमानी कीमतें वसूल करने से रोका है।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )
  • दुग्ध समितियां- दूध उत्पादकों को उचित मूल्य एवं उपभोक्ताओं को उचित दर पर दुग्ध उत्पाद का विक्रय

 सहकारी आन्दोलन की कमजोरियाँ

  • सहजता का अभाव आन्दोलन सरीखा। जनता के बीच सहज रूप से विकसित नहीं हुआ। सरकारी
  • वित्त का अभाव – वित्त का अभाव सहकारी आन्दोलन की मूलभूत दुर्बलता रही है।
  • केवल उत्पादन कार्यों के लिए ऋण देना अन्य आवश्यकताओं के लिए नहीं।
  • केवल उधार देने की व्यवस्था विपणन, विधायन, उन्नत खेती आदि की उपेक्षा
  • गैर-सरकारी अभिकरणों द्वारा प्रतिस्पर्द्धा – साहूकार, व्यापारी महाजन आदि से.
  • दोषपूर्ण प्रबन्ध और नेतृत्व
  • सरकारी दबाव-सरकार ने सहकारिता को एक सरकारी विभाग ही बना डाला।

छत्तीसगढ़ राज्य में सहकारिता

प्रदेश के किसानों, कारीगरों, बुनकरों, मछुआरों, दुग्ध उत्पादकों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्गों, महिलाओं तथा अन्य कमजोर वर्गों के व्यक्तियों की सहकारी संस्थाओं के लिए राज्य के सहकारिता विभाग की भूमिका एक मित्र, दार्शनिक एवं मार्गदर्शक के रूप में कार्य करने की है।

सहकारिता विभाग का मुख्य आधार सहकारी संस्थाएं हैं। प्रदेश में सहकारी संस्थाएं निम्न गतिविधियों में सक्रिय हैं

  • ब्याज मुक्त अल्पकालीन कृषि ऋण- प्राथमिक सहकारी संस्थाओं द्वारा
  • उत्तम खाद, उन्नत बीज, कीटनाशक औषधि, कृषि यंत्र
  • कृषि उपज विपणन- समर्थन मूल्य पर कृषि उपज खरीद
  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली में खाद्यान्न वितरण
  • उपभोक्ता
  • आवास
  • मत्स्य
  • डेयरी
  • बुनकर
  • खनिज
  • वनोपज
  • मत्स्य एवं अन्य बीज उत्पादन
  • शिक्षा प्रशिक्षण
  • औद्योगिक इकाईयों का निर्माण एवं संचालन

अल्पकालीन साख संरचना

  • प्रदेश में अल्पकालीन साख संरचना का त्रिस्तरीय ढाँचा कार्यरत है। जिसका विवरण आगे के पृष्ठों में दिया गया है।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )

अल्पकालीन कृषि साख संरचना के माध्यम से कृषकों को ऋण वितरण

(क) ऋण व्यवसाय प्रदेश में 2,058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियाँ संचालित हैं, इन समितियों में 29.05 लाख कृषक सदस्य हैं। सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को कृषि एवं उससे सम्बद्ध कार्य हेतु रियायती दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जो निम्नानुसार है-

ऋण विवरण ऋण राशि ब्याज दर
1 अल्पकालीन कृषि ऋण 5 लाख रू. अधिकतम 0 %
2 गौ-पालन हेतु ऋण 2 लाख रू. तक 1 %
गौ-पालन हेतु ऋण 2-3 लाख रू. तक 3 %
3 मत्स्य पालन एवं उद्यानिकी कार्यों हेतु ऋण 1 लाख रु तक 1 %
मत्स्य पालन एवं उद्यानिकी कार्यों हेतु ऋण 1-3 लाख रु. तक 3 %

(ख) कृषकों को ब्याज मुक्त ऋण- कृषकों को प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से दिनांक 01.04.2014 से ब्याज मुक्त अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ में स्थापित सहकारी शक्कर कारखाने

क्र. शक्कर कारखाने का नाम उत्पादन (प्रारंभ वर्ष) पेराई क्षमता TDC
1. भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, कवर्धा, ग्राम राम्हेपुर, जिला कबीरधाम. 2002.03 3500
2. मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित अंबिकापुर, ग्राम केरता, जिला सूरजपुर. 2009.10 2500
3. दंतेश्वरी मैया सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, बालोद, ग्राम करकाभाट, जिला बालोद. 2009.10 1250
4. सरदार वल्लभ भाई पटेल सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, प.डरिया, जिला कबीरधाम. 2016.17 2500

1. इथेनॉल प्लांट की स्थापना

(क) भोरमदेव सहकारी शक्कर उत्पादक कारखाना कवर्धा में ईथेनाल प्लांट PPP मोड पर स्थापित करने हेतु छत्तीसगढ़ डिस्लरी (NKI बायोफ्यूल्स प्रा.लि.) के साथ MOU

(ख) मां महामाया सहकारी शक्कर कारखाना मर्या., अंबिकापुर ग्रा. केरता जि. सूरजपुर में मोलासिस से इथेनॉल बनाने हेतु प्लांट के लिए V.S.I. Pune से DPR तैयार।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )

2. शक्कर कारखाने में 6 मेगावॉट को-जनरेशन पावर प्लॉट– माँ महामाया सहकारी शक्कर कारखाना मर्यादित, अंबिकापुर ग्रा. केरता जि. सूरजपुर में स्थापित हो रहा है।

3. प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति पुनर्गठन योजना 2019 के तहत प्रदेश में 725 नई समितियों का गठन किया गया है। राज्य में प्राथमिक कृषि साख सहकारी समिति की कुल संख्या 2,058 हो गई है। प्रति समिति गाँवों और किसानों की संख्या कम हो गई है, जिसके कारण भीड़ एवं दूरी कम, काम जल्दी एवं समय की बचत हो रही है।

सहकारी विपणन

कृषि विपणन में सहकारी संस्थाएँ महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सहकारी संस्थाएँ किसानों की दलाल एवं आढ़तियों की शोषणात्मक प्रवृत्तियों से रक्षा करती हैं। | सरकारी संस्थाओं ने स्वयं को मात्र विपणन तक ही सीमित नहीं रखा है बल्कि वे किसानों ऋण, भण्डारण व प्रसंस्करण की सुविधाएँ भी उपलब्ध कराती है। ये सहकारी संस्थाएँ भारत के लगभग सभी गाँवों में फैली हैं।

राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ लिमिटेड (नैफेड)

  • नैफेड सर्वोच्च सहकारी विपणन संगठन है जो चयनित कृषि उत्पादों के खरीद, वितरण व आयात-निर्यात में संलग्न हैं। यह सरकार की अनाशवान वस्तुओं (दाल, गेहूँ, तिलहन इत्यादि) के संदर्भ में न्यूनतम समर्थन मूल्य, कार्यवाही एवं नाशवान वस्तुओं (फल व सब्जियों) के संदर्भ में बाजार-हस्तक्षेप कार्यवाही के लिए नोडल एजेंसी का कार्य करता है।

जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ मर्यादित (ट्राईफेड)

  • भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ मर्यादित (ट्राईफेड) की स्थापना 1987 में की गई इसने 1988 से कार्य करना प्रारंभ किया।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )
  • ट्राईफेड का मुख्य उद्देश्य आदिवासी उत्पादों के विपणन विकास के क्रियान्वयन के लिए आपसी सहयोग तथा लोकतांत्रिक तरीके से अपने सदस्यों की आर्थिक समुन्नति एवं सदस्यों के हित को मजबूत करना है।

 राज्य सहकारी विपणन संघ (मार्कफेड)

मार्कफेड कृषि से संबंधित गुणवत्तायुक्त उत्पाद जैसे रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, पौध संरक्षण सामग्री उपलब्ध कराती है। जिससे सुदूर अंचलों में स्थापित प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों और विपणन सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को उचित मूल्य पर सुगमता से गुणवत्तायुक्त कृषि आदान उपलब्ध हो सकें।

राज्य शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP पर धान उपार्जन हेतु राज्य सहकारी विपणन संघ मर्या. (मार्कफेड) रायपुर को नोडल एजेंसी बनाया गया है। राज्य में मार्कफेड MSP पर धान एवं मक्का उपार्जन का कार्य करती है। राज्य के सभी धान उपार्जन केन्द्र कम्प्यूटराईज हैं।

वर्ष 2021-22 में धान उपार्जन

उपार्जित धान मात्रा : 97.97 लाख मिट्रिक टन धान का उपार्जन

समर्थन मूल्य : धान कॉमन 1940रू. प्रति क्वि.
धान A ग्रेड 1960रू. प्रति क्वि.

उपार्जन अवधि : 1 दिसम्बर, 2021 से 7 फरवरी, 2022 तक

  • वर्ष 2020-21 में समर्थन मूल्य पर 92.02 लाख टन धान खरीदी की गई थी।
  • अद्यतन विभागीय जानकारी के अनुसार मार्कफेड द्वारा कुल 2058 प्राथमिक कृषि साख समितियों के 2484 केन्द्रों पर धान उपार्जन किया गया। उपार्जन केन्द्रों की संख्या पहले 2311 थी जिसे बढ़ाकर 2484 किया गया।
  • धान उपार्जन की घोषित अंतिम तिथि पहले 31 जनवरी 2022 तक थी जिसे बढ़ाकर 7 फरवरी, 2022 तक किया गया।( सहकारिता किसे कहते हैं ? | सहकारिता क्या है ? Sahkarita Kise Kahte hai Sahkarita kya hai )

वर्ष 2021-22 में मक्का उपार्जन

  • 1870 रू. प्रति क्वि. समर्थन मूल्य पर 1 दिसम्बर, 2021 से 28 फरवरी, 2022 तक उपार्जन किया गया।

ध्यान दे :

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