समझिये की सूर्य की त्रिज्या 200 से 250 गुना अधिक हो गई है , ऐसी स्थिति में वह पृथ्वी समेत पास के ग्रहो को निगल लेगा और हम उसको दानव तारा कहने पर बाध्य होंगे। पर ऐसा कब और क्यों होगा?
सूर्य के केंद्र में परमाणु प्रक्रिया से ऊर्जा का निर्माण हो रहा है में (प्रश्न 83 देखिए)। पर इसमें लगने वाला हाइड्रोजन का ईंधन कभी ना कभी खत्म होने वाला है।
उसके बाद उसका केंद्र भाग अपने ही गुरुत्वाकर्षण के कारण अधिक तप्त होगा। इस स्थिति में उसमें पुनः नई परमाणु प्रक्रियाएँ आरंभ होंगी, जिसमें हीलियम का रुपांतर कार्बन में होगा। इससे पुनः ऊर्जा उत्पन्न होगी और सूर्य का बाह्य अंग फूलने लगेगा।
किंतु यह सब होकर सूर्य का दानव तारे में परिवर्तन होने के लिये छह अरब वर्षों की अवधि लगेगी ! ऐसी स्थिति में पहुँचे हुए अन्य कुछ तारे हमें दिखाई देते हैं।
उनका आकार विशाल और बाहरी रंग लाल होने से इन्हें लाल दानव तारे (Red Giant) कहा जाता है। भरत (Betelgeuse) इस प्रकार का तारा है।