सहकारी बैंको की संरचना | सहकारी बैंक किसे कहते है
भारत में सहकारी आन्दोलन का आरम्भ मुख्यत: किसानों को कम ब्याज-दर पर ऋण उपलब्ध कराने के लिए किया गया था।
सहकारी बैंकों ने ऋणों के विविधिकरण शुरूआत की है, अब वे बहुत-सी वे क्रियाओं के लिए ऋण देने लगे हैं, इनमें दुग्धशालाएँ, मुर्गीपालन, अन्तर्देशीय समुद्री मत्स्य, भेड़ पालन, रेशम, गोबर गैस प्लान्ट और बैलगाड़ियाँ शामिल है।
सहकारी बैंक
- स्वामित्व के आधार पर सहकारी बैंक न तो निजी क्षेत्र के बैंक है, न ही सार्वजनिक क्षेत्र के बल्कि इनका स्वामित्व सहकारी समिति/संस्था के पास होता है।
- अन्य वाणिज्यिक बैंक संयुक्त स्टॉक बैंक हैं, जबकि सहकारी बैंक सहकारी संगठन हैं।
- सहकारी बैंक भारतीय रिजर्व बैंक एवं सहकारिता अधिनियम द्वारा नियंत्रित होते हैं। वाणिज्यिक बैंकों को बैंकिंग नियमन अधिनियम द्वारा शासित किया जाता है, जबकि सहकारी बैंक सहकारी सोसायटी अधिनियम से शासित हैं।
- वाणिज्यिक बैंक की तुलना में विभिन्न प्रकार को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराने में सहकारी बैंकों का दायरा कम है।
ग्रामीण सहकारी ऋण संस्थानों के दो अंग हैं
ऋण अवधि के आधार पर भारत में दो तरह के सहकारी बैंक थे
1. अल्पकालिक एवं मध्यकालिक उधार हेतु- प्राथमिक बैंक, सहकारी केन्द्रीय बैंक एवं अपेक्स बैंक
2. दीर्घकालीन उधार हेतु- सहकारी कृषि एवं ग्राम विकास बैंक
1.अल्पकालिक एवं मध्यकालिक उधार हेतु सहकारी बैंक
सहकारी बैंकों का त्रिस्तरीय ढाँचा है, जो निम्नानुसार है-
सबसे निचले स्तर पर : प्राथमिक साख समिति/प्राथमिक सहकारी बैंक मध्य स्तर पर : जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक शीर्ष पर : अपेक्स बैंक |
(1) प्राथमिक साख समिति– सहकारी बैंक संरचना में ये सबसे निचले स्तर पर हैं, इसे प्राथमिक कृषि साख/उधार समिति भी कहते हैं। छोटे ऋण प्राप्त करने हेतु कृषक इन सहकारी समिति/बैंकों को अधिक पसंद करते हैं।
- राज्य में वर्तमान में 2058 प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियां हैं, जिनमें 667 लैम्प्स एवं 1391 पैक्स हैं। (PACS Primary Agricultural Cooperative Societies)
(LAMPS – Large Area Multi-Purpose Societies)
(II) जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक– इनका मुख्य कार्य प्राथमिक समितियों को ऋण देना है। ये सामान्य जनता की जमा भी स्वीकारते हैं एवं अन्य बैंकिंग कार्य भी करते हैं।
- वर्तमान में छत्तीसगढ़ में 6 जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक हैं। जो निम्नानुसार हैं
1.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, रायपुर
2.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, दुर्ग
3.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, बिलासपुर
4.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, राजनांदगांव
5.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, जगदलपुर
6.जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक, अम्बिकापुर
(III) राज्यीय सहकारी बैंक– यह बैंक अपेक्स बैंक भी कहा जाता है, यह राज्य में सहकारी ऋण संरचना के शीर्ष पर होता है।
- अपेक्स बैंक, जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों को धन देता है और उन पर नियन्त्रण रखता है।
- यह रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया से उधार लेता है और उसके तथा केन्द्रीय सहकारी बैंकों और ग्राम प्राथमिक समितियों के बीच कड़ी के रूप में काम करता है।
- अन्य सहकारी उद्यमों और प्रवृत्तियों को भी प्रोत्साहन देता है।
नोट-
- सहकारी बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक एवं सहकारिता कानून के तहत सहकारिता विभाग के नियंत्रण में रखा गया है।
- सहकारी बैंकिंग प्रणाली में खाताधारक या ऋण प्राप्त करने वाला व्यक्ति बैंक का हितधारक होता है।
2. दीर्घकालीन उधार हेतु- सहकारी कृषि एवं ग्राम विकास बैंक
- भूमि बन्धक बैंकों की स्थापना का आरम्भ 1929 में मद्रास से हुआ।
- इन बैंकों का नाम बदल कर भूमि विकास बैंक किया गया था जिसे बाद में फिर से बदल कर प्राथमिक सहकारी कृषि एवं ग्राम विकास बैंक कहा गया।
- इसका मुख्य कार्य था अचल सम्पत्ति को बंधक रखकर ऋण देना.
- ये बैंक बहुत से उद्देश्यों के लिए उधार देते हैं- जिनमें ऋणों की वापसी, भूमि का सुधार, कृषि औजारों की खरीद, कुएँ या डीजल पम्प लगाना आदि शामिल हैं।
- 2014 में जिला सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक का जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक में संविलियन हो गया है।
छत्तीसगढ़ राज्य में बैंकिंग कार्यो की प्रगति ( राशि करोड़ में )
क्र | विवरण | जून 2020 | जून 2021 | % वृद्धि |
1. | बैंको की संख्या | – | 47 | – |
2. | शाखाओ की संख्या | – | 3136 | – |
3. | ATM की संख्या | – | 3320 | – |
4. | कुल जमा | 176881.44 | 192324.30 | 8.73 |
5. | कुल अग्रिम | 112900.30 | 123082.66 | 9.02 |
6. | साख-जमा अनुपात प्रतिशत | 63.83 | 64.00 | |
7. | प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम | 51156.99 | 54449.75 | 6.44 |
8. | कुल अग्रिम में से प्राथमिक क्षेत्र में अग्रिम प्रतिशत | 45.31 | 44.24 | |
9. | कृषि में अग्रिम | 15823.81 | 17855.52 | 12.4-84 |
10. | कुल अग्रिम में से कृषि क्षेत्र में अग्रिम प्रतिशत | 14.02 | 14.51 | |
11. | लघु उद्योगों वर्गों के लिए अग्रिम | 25536.59 | 26246.15 | 2.78 |
12. | अन्य कमजोर वर्गों के लिए अग्रिम | 11992.53 | 11864.40 | -1.07 |
13. | कुल अग्रिम में से अन्य कमजोर वर्ग का प्रतिशत | 10.62 | 9.64 | – |
14. | महिलाओ को अग्रिम | 11759.521 | 13694.37 | 16.45 |
राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक द्वारा सहायता
RIDF सहायता
- ग्रामीण आधारभूत सुविधा विकास निधि (RIDF) के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य को वर्ष 2020-21 के दौरान कुल 1,432 करोड़ की ऋण राशि स्वीकृत की गई है।
- इसके अंतर्गत- ग्रामीण सड़कों के लिए – 237.21 करोड़
- लघु सिंचाई परियोजना के लिए- 119.23 करोड़ सौर ऊर्जा संचालन पंप सेटों के लिए 854.11 करोड़
- कोविड-19 प्रबंधन और नियंत्रण के लिए 138.36 करोड़
पुनर्वित्त सहायता
- नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को कृषि उत्पादन ऋण एवं निवेश ऋण हेतु सहायता दी जाती है।
- मार्कफेड सहायता
- राज्य में खरीफ मौसम 2020-21 में धान खरीदी हेतु मार्कफेड को रू.5000 करोड़ का ऋण दिया गया था। खरीफ मौसम 2021-22 के लिए धान खरीदी हेतु मार्कफेड को रू. 7000 करोड़ की स्वीकृति दी गई है।
NIDA नाबार्ड आधारभूत विकास सहायता
- नाबार्ड द्वारा छत्तीसगढ़ में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना- 2018-19 के अंतर्गत 3 लाख ग्रामीण घरों के निर्माण के लिए छत्तीसगढ़ रुरल हाउसिंग कार्पोरेशन लिमि को ₹792.44 करोड़ का ऋण दिया गया।
खाद्य प्रसंस्करण निधि
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय भारत सरकार अधिसूचित खाद्य पार्क और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए किफायती ऋण प्रदान करता है। इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ राज्य के खाद्य पार्क मेसर्स इंडस बेस्ट मेगा फूड पार्क तिल्दा जिला रायपुर को ऋण स्वीकृत किया गया है।
- इस मेगा फूड पार्क का 03 जून 2021 को उद्घाटन किया गया।
सहकारी बैंकों को प्रत्यक्ष पुनर्वित्त सहायता
- इसके तहत नाबार्ड ने वर्ष 2020-21 में रायपुर जिला सहकारी बैंक को रु. 400/ करोड़ की प्रत्यक्ष पुनर्वित्त सहायता दी।
- दीर्घकालीन सिंचाई निधि (एलटीआईएफ)
- एलटीआईएफ के तहत छत्तीसगढ़ में तीन परियोजनाओं (मनियारि, केलो और खारुन) की पहचान की गई है। इनके लिए नाबार्ड सहायता राशि दे रहा है।
विशेष विकासात्मक पहल
स्वयं सहायता समूह- बैंक लिंकेज कार्यक्रम
- नाबार्ड ने राज्य में 2020-21 के अंत तक 4,03,000 समूहों का गठन किया।
- 2020-21 के दौरान 29,780 स्वयं सहायता समूह को ऋण से सहबद्ध किया गया। स्वयं सहायता समूह के संवर्धन और संस्थानों के क्षमता निर्माण हेतु राशि दी गई।
स्वयं सहायता समूहों के डिजिटाइजेशन के लिए ई-शक्ति
- नाबार्ड द्वारा 15 मार्च 2015 को स्वयं सहायता समूहों के डिजिटाइजेशन के लिए ई-शक्ति कार्यक्रम की शुरुआत।
- इससे SHG के अभिलेखों की पारदर्शिता, अद्यतनीकरण और रख-रखाव किया जाएगा।
- स्वयं सहायता समूहों को ऋण की स्थिति को अपग्रेड करने में सहायता मिलेगी।
- 31 दिसम्बर 2021 को राज्य के 6 जिलों- राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर, बस्तर, रायगढ़ और दंतेवाड़ा में यह कार्यक्रम चल रहा था।
- इन जिलों में स्वयं सहायता समूह के 2,25,597 सदस्यों के बचत खाते खोले गए।
संयुक्त देयता समूह (जे.एल.जी.)
- नाबार्ड ने काश्तकारों, बटाईदारों, मौखिक पट्टेदारों और सीमांत किसानों के समूहों के संवर्धन और वित्त-पोषण के लिए यह योजना बनाई है।
- छत्तीसगढ़ राज्य में 31 मार्च 2021 की स्थिति के अनुसार 2.81 लाख संयुक्त देयता समूह (जे.एल.जी.) गठित किए गए हैं।
आदिवासी विकास निधि के तहत वाड़ी विकास
- इसका उद्देश्य राज्य के आदिवासी परिवारों को टिकाऊ आजीविका के अवसर उपलब्ध कराना है। अब तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत राज्य के 21 जिलों में कुल 85 बाड़ी परियोजनाएं स्वीकृत की गयी है ।
जलवायु परिवर्तन
- राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन के लिए नाबार्ड एकमात्र राष्ट्रीय क्रियान्वयन संस्था है। पर्यावरण एवं वन मंत्रालय व जलवायु परिवर्तन द्वारा प्रस्तावित परियोजना छत्तीसगढ़ में महानदी के जलग्रहण क्षेत्र एवं डूबान भूमि में जलवायु अनुकूलन को नाबार्ड के प्रयासों से मंजूरी मिली है।
- महानदी के जलग्रहण क्षेत्र के साथ-साथ डूबान भूमि के तीन जिलों- धमतरी, महासमुंद और बलौदा बाजार की पारिस्थितिकी को पुनर्बहाल करने हेतु उपाय अपनाया जा रहा है।
कृषक क्लब और कृषक उत्पादक संगठन
- नवंबर 2021 की स्थिति के अनुसार, छत्तीसगढ़ राज्य में 700 कृषक क्लब कार्यरत है।
- 14 विभिन्न जिलों में 23 कृषक उत्पादक संगठन के गठन हेतु स्वीकृति।
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