नल वंश छत्तीसगढ़ | Nal Vansh Chhattisgarh | Nal Dynasty Chhattisgarh
नल/नाग वंश छत्तीसगढ़
शासनकाल > 4 थी से 12 वि शताब्दी
संस्थापक > शिशुक
वास्तविक संस्थापक > व्याघ्रराज
प्रथम राजधानी > पुष्करि ( भोपालपटनम )
द्वितीय राजधानी > कोरापुट ( ओडिशा )
प्रशिद्ध शासक :-
शिशुक(290-330ई) :-
- नलवंश का संस्थापक ।
व्याघ्रराज (330-370) :-
- समुन्द्रगुप्त को हराया ।
वृषराज ( 370-400) :-
वराहराज (400-435) :-
- वास्तविक संस्थापक व इनका मुद्रा कोंडागांव के अड़ेंगा से प्राप्त हुआ (29 स्वर्ण मुद्रा )
भवदत्त वर्मन (435-465):-
- वाकाटक राजा नरेन्द्रसेन को हराया था और नदीवर्धन को नष्ट किया था ।
अर्थपति भतारक (465-480) :-
- वाकाटक राज पृथ्वीसेन ने इसे पराजित कर पुष्करि को नष्ट कर दिया था ।
स्कन्द वर्मन (480-515) :-
- पुष्करि को पुनः निर्माण किया ।
स्तम्भ (515-550) :-
नंदराज (550-585) :-
पृथ्वीराज (585-625) :-
वीरू पक्ष (625 -660) :-
- इसका पुत्र था विलसतुंग .
विलासतुंग (660-700) :-
- राजीव लोचन मंदिर का निर्माण राजिम में करवाया .
- राजिम शिलालेख में प्राचीन इतिहास की जानकारी मिलती है ।
- विलासतुंग विष्णु के उपासक थे ।
- इसने पाण्डुवंशियों को एक बार हराया था ।
- राजीव लोचन मंदिर को पांचवा धाम कहते है ।
- राजीव लोचन मंदिर का प्राचीन नाम पद्मावती था ।
पृथ्वीराज (700-740) :-
- इसके बाद का सन स्पष्ट नहीं है ।
भीमसेन (900-935) :-
नरेंद्र थावल (935-960 ):-
- नल वंश का अंतिम शासक था ।
नोट :- नल वंश के अभिलेख में लिखा है :- विजेता थे , विजेता है , विजेता रहेंगे
ताम्रपत्र :-
पंडियापदार > अर्थपति भट्टारक
केसरीबेड़ा > भीमसेन दिवित्य
श्राजिम > विलासतुंग
रिधीपुर > भवदत्त
पोड़ागढ़ > स्कन्द वर्मन
आक्रमण :-
- गुप्त वंश , वाकाटक वंश , चालुक्य वंश , कीर्तिवर्मन के साथ संघर्ष हुआ था ।
- कलचुरियो द्वारा समापति का उल्लेख मिलता है ।
अन्य तथ्य :-
- राजा वरहराज , भवदत्त , अर्थपति ने सोने के सिक्के चलाये थे ।
- पुलकेशिन द्वितीय के ऐहोल प्रशस्ति में नलवंश का वर्णन है ।
- मांडलिक > मंडल प्रमुख
- महामंडलेश्वर > 1 लाख गाओं की अधिपति
- महा गोष्ट > प्रशासनिक सलाहकार समिति
- प्रेगदा > मंत्री
शरभपुरी वंश छत्तीसगढ़
- शासन काल > ( 5 वी शताब्दी के आस पास )
- संस्थापक > शरभराज
- राजधानी > शरभपुर ( आज का सारंगढ़ या समबलपुर ओडिशा )
- इसे अमरारय वंश भी कहते है ।
- इस वंश के लेख सम्बलपुर से प्राप्त हुए है ।
प्रशिद्ध शासक
राजा नरेंद्र :-
- इसके नाम से कुरुद व पिपृदुला ताम्रपत्र मिले है ।
प्रसनमात्र :-
- इसने निडिल नदी ( लीलागर ) के किनारे प्रसन्नपुर शहर ( मल्हार ) का स्थापना किया था ।
- गुरुद , शंख , चक्र युक्त सोने के सिक्के चलाये थे ।
प्रवरराज :-
- सिरपुर को नै राजधानी बनायीं थी .
सुदेवराज :-
- कौवाताल अभिलेख ( महासमुंद ) में इसके सामंत इन्द्रबल का वर्ण मिलता है ।
प्रवरराज द्वितीय :-
- इन्द्रबल ने प्रवराज द्वितीय को मर कर पाण्डुवंश की नीव डाली ।
नोट :- भानु गुप्त के एरन अभिलेख (510 ई) में इस वंश के शासको का उल्लेख मिलता है ।
इन्हे भी एक-एक बार पढ़ ले ताकि पुरानी चीजे आपको Revise हो जाये :-
मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपको उस वंश के बारे में बताएँगे जिसे धुआँ धुआँ मचा दिया था