सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh

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नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा ।

सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh Saur Tribe Chhattisgarh 

सौर जनजाति का परिचय 

सौर मध्य प्रदेश की एक जनजाति है। प्रदेश की बोली में भिन्नता के कारण कुछ स्थानों पर इन्हें सौर और कुछ स्थानों में सोर कहा जाता है। सौर जनजाति की प्रमुख निवास क्षेत्र सागर, टीकमगढ़, छतरपुर, दमोह आदि जिले हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

मध्य प्रदेश में सौर तथा सोर जनजाति की कुल जनसंख्या जनगणना 2011 में 180245 दर्शाई गई है। छत्तीसगढ़ की जनगणना 2011 में सौर तथा सोर जनजाति की जनसंख्या 245 (228+17) दर्शित है। मध्य प्रदेश राज्य विभाजन के कारण इस जनजाति के कर्मचारियों के छत्तीसगढ़ में निवासरत परिवारों की जनसंख्या होने की संभवना प्रतीत होती हैं।

सौर जनजाति की उत्पत्ति के संबंध में कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण उपलब्ध नहीं है। इस जनजाति में प्रचलित किवदंती अनुसार राजगोंड, खरगोंड, सौर तथा सहरिया जाति के पूर्वज आपस में मौसेरे भाई थे। सागर, उतरपुर क्षेत्र में इनके पूर्वज पहले “वनरखा” के नाम से पहचाने जाते थे। या वन में रहकर वनों की रखवाली करते थे। “वनरखा” का अर्थ वन में रहने वाले वाला। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति का रहन-सहन 

सौर जनजाति के ग्राम वनों के आस-पास पाये जाते हैं। इन ग्रामों में अन्य जातियाँ जैसे ब्राह्मण, लोधी, कुम्हार, लुहार, चमार, नाई, कोष्ठी, कलार आदि भी निवास करती हैं। गाँव के एक किनारे पर सौर जनजाति का मुहल्ला होता है। इस जनजाति के लोग अपना घर स्वयं बनाते हैं घर की दीवार मिट्टी की होती है, जिसके ऊपर देशी खपरैल का छप्पर बनाते हैं। घरों की दीवारों पर सफेद मिट्टी की पुताई की जाती है।

स्त्रियाँ घर के फर्श को मिट्टी व गोबर से रोज लीपती हैं। घर में सामान्यतः अनाज की कोठी, कमरे में एक किनारे चूल्हा, अनाज पीसने की चक्की, भोजन बनाने तथा खाने के बर्तन, पानी भरने हेतु मिट्टी का घड़ा, अन्य घरेलू सामग्री, ओढ्ने बिछाने के कपड़े, कृषि उपकरणों में कुल्हाड़ी, फावड़ा, कुदाली, गैंती आदि होती हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति के लोग प्रातः दातोन से दाँत साफ करते हैं। रोज स्नान करते हैं। शरीर के मैल को पत्थर से साफ करते हैं। बालों को मिट्टी से धोते हैं। पुरूष सिर के बाल नाई से कटवाते हैं स्त्रियों बालों का जूड़ा या चोटी बनाती हैं।

सौर जनजाति की स्त्रियाँ हाथ, पैरों व चेहरे पर गुदना गुदवाती हैं। पुरुष धोती, सलूका, कुर्ता, साफा, मण्डी तथा महिलाएँ सुगदा, धोती, पोलका पहनती हैं। आभूषणों में महिलाएँ गिलट, चाँदी आदि के आभूषण पहनती हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

इस जनजाति का मुख्य भोजन गेहूं, ज्वार बाजरा या मक्का की रोटी, मौसमी सब्जी, तुवर, उड़द की दाल वनों के आसपास रहने वाले लोग जंगली कंदमूल, भाजी आदि खाते हैं। मांसाहार में मुर्गा, बकरा, विभिन्न प्रकार के पक्षी, मछली खाते हैं। उत्सव, त्योहार, विवाह के अवसरों पर महुए की शराब बनाकर पीते हैं। पुरुष धूम्रपान के रूप में बीड़ी पीते हैं।

सौर जमजती का व्यवसाय 

सौर जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि तथा मजदूरी है। खेती की भूमि बहुत कम पाई जाती है, जो असिंचित है। इसमें मक्का, जुआर, उड़द, तुवर आदि बोते हैं। उपज बहुत कम होती है। जो भूमिहीन हैं, उनके आजीविका का मुख्य स्त्रोत मजदूरी है।

इसके अतिरिक्त जंगलों से लकड़ी काटकर बेचना, तेन्दूपत्ता, गोंद, शहद, महुआ, गुली, आदि एकत्र कर बेचते हैं। जंगलों के आस-पास रहने वाले सौर जनजाति के लोग किरमिच नामक छोटे पौधो से टोकरी बनाकर बेचते हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति के परम्पराए

सौर जनजाति पितृवंशीय, पितृसत्तात्मक, पितृ निवास स्थानीय जनजाति है। इनमें उपजाति होने का उल्लेख नहीं मिलता, किन्तु सौर जनजाति कई बहिर्विवाही गोत्रों में विभक्त है। इनके प्रमुख गोत्र लड़या, गिलहरया, बैगा, मगरिया, कछरया, कैथोरा, पटवा, सिलभानिया, कैप, पकोड़ा, मिंदरिया, बरखा, सोलकिया आदि है। अधिकांश गोत्र पेड़-पौधे व जीव-जन्तु पर आधारित हैं।

इस जनजाति की गर्भवती महिलाएँ प्रसव के दिन तक अपनी आर्थिक तथा पारिवारिक कार्य करती रहती है। संतान को ईश्वर की देन मानते है। सौर जनजाति में गर्भावस्था में कोई विशेष संस्कार का रिवाज नहीं है। प्रसव घर में ही सयानी (बुजुर्ग) महिलाओं की देख-रेख में कराया जाता है। दाई बच्चे के “नरा” (नाल) को नुकीले धारदार हथियार से काटती हैं तथा उसे बच्चे के जन्म स्थान पर ही गड़ाते हैं।

प्रसूता को सौंठ, अजवाइन, गुद आदि का काढ़ा बनाकर पिलाया जाता है। दो-तीन दिन तक प्रसूता को खाना नहीं दिया जाता है। सोंठ डालकर चाय देते हैं। तीसरे दिन हल्का भोजन दिया जाता है। छठवें दिन छठी मनाते हैं नवजात शिशु और प्रसूता को नहलाते हैं तथा नामकरण हेतु ब्राह्मणं बुलाते हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति में लड़कों का विवाह उम्र 12-18 तथा लड़कियों की विवाह उम्र 10-16 वर्ष के बीच पाई जाती है। एक ही गोत्र में विवाह नहीं होता। पुराने समय में विवाह में खर्च के रूप में लड़के का पिता, लड़की के पिता को कुछ अनाज व पैसा खर्ची के रूप में देता था। वर्तमान में खर्ची प्रथा समाप्त हो चुकी है।

पहले जाति में प्रमुख व्यक्ति महाते या मुखिया वर-वधू का वैवाहिक संस्कार संपन्न कराता था, वर्तमान में कई लोग ब्राह्मण बुलाते हैं। सहपलायन, घुसपैठ, घर जमाई, विधवा, पुनर्विवाह, देवर विधवा भाभी विवाह भी इस जनजाति में पाये जाते हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति में मृतक के शव को जलाया जाता है। अस्थि आस-पास की बड़ी नदी या आर्थिक स्थिति अनुसार प्रयाग जाकर गंगा में विसर्जित करते हैं। तेरहवीं संस्कार किया जाता है। तेरहवीं में गंगा भोज दिया जाता है।

सौर जनजाति में परंपरागत जाति पंचायत होती है। जाति पंचायत का प्रमुख “माहते ” होता है। यह पद वंशानुगत ढंग से पिता से पुत्र को मिलता है। जाति पंचायत में जातिगत मामले जैसे अनैतिक संबंध, विवाह संबंधी झगड़े, घुसपैठ विवाह, जाति में किसी कुंवारी या विधवा स्त्री का गर्भवती हो जाना इत्यादि मामले का निराकरण किया जाता है। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

निर्णय कार्य में “माहते” की मदद के लिए एक मुखिया भी होता है। जाति पंचायत की बैठक बुलाने हेतु जाति में से ही एक चौकीदार नियुक्त किया जाता है। दोषी व्यक्ति को सामाजिक भोज या आर्थिक जुर्माने के रूप में दंडित किया जाता है।

कई ग्रामों में महाते आपस में मिलकर एक क्षेत्रीय स्तर की जाति पंचायत का गठन आपस में मिलकर एक क्षेत्रीय स्तर की जाति । करते हैं, जिसमें ग्राम जाति पंचायत स्तर से अनिर्णित मामलों का निराकरण किया जाता है। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

सौर जनजाति के देवी-देवता और त्यौहार 

इनके मुख्य देवी-देवता, दूल्हा देव, ठाकुर देव, भवानी मां, भैंसासुर आदि है। इसके अतिरिक्त सूर्य, चन्द्रमा, नदी, पहाड़, पृथ्वी तथा हिन्दु देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है।

इनके प्रमुख त्योहार दशहरा, दिवाली, मकर संक्रांति, अक्षय तृतीय, गणेश चतुर्थी, देव उठानी आदि हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना पर विश्वास करते हैं। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

इस जनजाति में लोक गीत, नृत्य पायी जाती है। विवाह में ब्याह नाच, वनरा होली में फगुवा नृत्य, दिवाली में पंडाकी, राई नृत्य आदि हैं। लोकगीतों में विवाह गीत, जन्म के गीत, भजन आदि प्रमुख हैं।

2011 की जनगणनानुसार इस जनजाति में साक्षरता 58.3 प्रतिशत दर्शित है। पुरों में साक्षरता 67.0 प्रतिशत तथा महिलाओं में साक्षरता 48.3 प्रतिशत थी। ( सौर जनजाति छत्तीसगढ़ Saur Janjati Chhattisgarh saur tribe chhattisgarh )

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source : Internet

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Rajveer Singh
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