छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल | Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel

Share your love
4.6/5 - (19votes)

विद्यार्थीओ आज हम पढेगेंगे Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of Chhattisgarh यह जनजाति परीक्षा की दृस्टि से महत्वपूर्ण है तो इस जनजाति को आपको पढ़ना चाहिए ।

Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel  छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल
Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल

छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल  Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel |

प्रकृति की स्वच्छन्द गोद में भीड़-भाड़ से दूर गिरि कंदराओं, घने जंगलो के आसपास निवास करने वाली गोंड जनजाति अपनी कम से कम आवश्यकताओं के साथ प्राकृतिक जीवन यापन करती है। लोक संगीत या आदिम संगीत खेल मनोरंजन के साधन हैं। इनके खेलों में विशेष सामग्री की आवश्यकात नहीं होती है।

कंकड़, पत्थर, धूल, लकड़ी, पत्ता आदि साधनों से ही केल जम जाता. है। खेल के लिये खास मैदन या चबूतरा नहीं घर का छोटा आँगन, गली-खोरी आदि कहीं भी खेल खेले जाते हैं। हार-जीत का निर्णय खिलाड़ी स्वयं कर लेते है। खेल में वेश-भूषा का कोई महत्व नहीं है और न ही खिलाड़ियों को शिक्षण-प्रशिक्षण देने का आवश्यकता होती है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

सब कुछ परंपरानुसार होता है। कोई भी नवसिखा खिलाड़ी एक बार खेल देखकर उसे खेल सकता है। इसी तरह खिलाड़िों की कोई संख्या निश्चित नहीं होती है। नियम इतने सादे सरल और कम होते हैं कि उनका पालन अपने – आप हो जाता है। खेलों में व्यायाम के साथ-साथ मनोरंजन भी खूब होता है। आपस में झगड़े-झांसे भी नहीं होते है। खेलों में समय की कोई पाबंदी नहीं होती है।

ढेरी

जब जी में जाती है, तो दांव देने वाला वही खिलाड़ी फिर से अड्डे पर खड़े होकर ढेरी में चोट मारकर गिराने का भरसक प्रयास करता है। ढेरी गिरते ही खेलने वाले सभी खिलाड़ी ताबड़-तोड़ भागकर गेंद की मार से बचने की कोशिश करते हैं । ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

यही क्रम खेल के पूरे समय तक चलता है। बीस खपरी (ढेरी) पर चोट मारते समय यदि खेलने वाले किसी खिलाड़ी ने गेंद जमीन पर गिरने से पहले गेंद रोक ली (कैंच कर ली तो वह खिलाड़ी खेल से बाहर कर दिया जाता है। खेल का यह क्रम चलता है, खेलने वाली टोली के सभी खिलाड़ी खेल से बाहर हो तक चलता है तब दांव देने वाली टोली को खेलने का अवसर मिलता है इस तरह पारियाँ बदलती रहती हैं।

डंडा चूमना

डंडा चूमना वृक्षों और डालियों का खेल है। इस खेल • में वही लड़का भाग लेता है, जो अत्यंत फुर्ती के साथ झाड़ों में चढ़ और उतर सके। वर्षाकाल के कुछ दिनों को छोड़कर यह खेल कभी भी खेला जाता है। लड़कियाँ इस खेल में भाग नहीं लेती है। ज्यादातर इस खेल के लिये इमली या शीशम के वृक्ष चुने जाते है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

क्योंकि इन वृक्षों की डगालें अत्यंत मजबूत और लचीली होती है। गाँव के लड़के एकत्र हो जंगल को कूच कर झाड़ के नीचे पहुँचकर सर्वानुमति से अगुवा चुन लिया जाता है। अब मुखिया दो फूट लंबा एक डंडा लेकर झाड़ के नीचे से दूर फेंकता है। इसके पूर्व दांव देने वाले लड़के का निर्धारण किया जाता है। खेलने वाले सभी लड़के एक गोल घेरे मे खड़े होते हैं। अगुवा खिलाड़ी लड़का सभी लड़कों की गिनती निम्मनानुसार शब्दों के व्दारा करता है ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

         आंच कांच पूरे पांच, नदी किनारे काला सांप, लाओ लाठी मारो सांप।

अगुवा लड़का गोले मे खड़े हुये सभी लड़कों की छाती में एक बाद एक उंगली रखकर इन शब्दों को लय ताल से बोलता है। जिस लड़के पर साँप शब्द का अंत होता है, वह अलग कर शब्दों का उच्चारण फिर प्रारंभ होता है । इस तरह बारी-बारी से सभी लड़के अलग होते जाते है तथा जो लड़का अंत में शेष बचता है, वह दांव देने वाला होता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

वह मुखिया व्दारा दूर फेंके गये डंडे को उठाने के लिये फुर्ती से दौड़ लगाता है। सभी खिलाड़ी वृक्ष के ऊपर उसकी डालियों में चढ़ जाते हैं और दांव देने वाला खिलाड़ी लड़का डंडा उठाकर वृक्ष के नीचे आ डंडे को चूमकर रख वृक्ष पर चढ़ता है और यह प्रयास करता है कि वह चढ़े हुये लड़को में से किसी को छू ले । इधर पूर्व से चढ़े हुये लड़के यह प्रयास करते हैं कि वे दांव देने वाले लड़के से बचकर किसी तरह नीचे रखे डंडे छू ले । ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

इसलिये वे झाड़ से नीचे रखे हुये डंडे को बचाने का प्रयास करता है। यदि अपने चतुराई से वृक्ष पर चढ़े हुए किसी लड़के ने डंडा छू कब्जा मान वह डंडे को ऊपर चढ़े हुये अपने साथियों को देने का भरपूर प्रयास करता है। जितने लड़के डंडा छू लेते है, वे मीर (विजयी) माने जाते है जो नहीं छू पाते और उनें दांव देने वाला लड़का नीचे छू लेता है, तो उसे दांव देना पड़ता है। सभी मीर हो दांव देने वाले लड़के फिर से दांव देना पड़ता है अर्थात फिर से डंडा फेंका जाता है, दांव देने वाला फिर उठाकर लाता है और खेल का पूरा क्रम पुर्ववत चलता है।

फुर्र-फुर्र

मूल रूप से लड़कियों का खेल है। जब भी मौका मिला, लड़कियाँ इकट्ठी हुई, घर का आँगन ही खेल का स्थल, खासकर वह आँगन जिसमें पिरमिटिया (पारें) बनी हुई होती है। गाँव के कई आँगनों में यह खेल चलता है। आँगन मे लड़कियाँ गोल घेरे में सामने वाली लड़की से एक-दूसरे की एड़ी और पंजे सट कर मिल जायें इस तरह गोल घेरे में एक दूसरे के साथ मिल आकार ऐसा बनता हैं, मानो फूल खिला हो।

अब सभी लड़कियाँ एक स्वर में कहती है- दादर के महुवा, गिर गये पतेरा, इतना कहकर बजाती हैं और दूसरी बार अपने दोनों हाथों को जमीन पर रखकर सरकती है। इस प्रकार तीन क्रियायें एक साथ चलती हैं, यथा दादर के महुवा….कहना, ताली बजाना और जमीन पर सरकना। मुखिया लड़की बीच में अचानक फुर्र फुर्र कहते ही सब लड़कियाँ आँगन की पिरमिटिया या ओंटा मे चढ़ जाती हैं, जो लड़की इस दौड़ में नहीं चढ़ पाती है- वह दांव देने वाली लड़की कहलाती है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

सब लड़कियाँ उससे बचती है और वह सबको छूने का प्रयास करती है। जो लड़की पिरमिटिया या ओंटा पर चढ़ी रहती है, उसे छूने पर कोई फर्क नहीं पड़ता है। जो लड़की नीचे उतरती है और उसे दांव देने इस तरहवाली लड़की छू लेती है, तो उसे दांव देना पड़ता है।

कूकी की हांक

गोंड जनजाति के गाँवों में छोटे बच्चों के व्दारा कूकी की हांक का एक मनोरंजन खेल खेला जाता है। एक लड़का दांव देने वाला होता है और मुखिय सभी खेलने वाले लड़कों को गोल घेरे में खड़ा कर प्रत्येक लड़के की छाती में बारी-बारी से हाथ की एक उंगली रखकर निम्नानुसार उच्चारण करता है-

ताना रे हरी नाना रे साजन ताना रे हरी नाना

जिस लड़के पर अंतिम नाना शब्द गिरता है, उसे घेरे से अलग कर मीर समझा जाता है इस प्रकार समस्त लड़कों में से जो अन्त में बच दांव देने वाला होता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

किसी एक स्थान को थान अर्थात गोल निश्चित कर दांव देने वाला लड़का उसमें आँख बंद करके खड़े होते ही सब लड़के यहाँ-वहाँ छुपने के लिये भाग जाते है। तब मुखिया अपने छुपे हुए स्थान से कूकी की हांक लगाता हैं। कूकी की हांक सुनकर दांव देने वाला लड़का छुपे हुये लड़को को ढूँढ उन्हें छूने का प्रयास करता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

दूसरी ओर छुपे हुए लड़के दांव देने वाले लड़के से बचकर थान छू लेते हैं, वे मीर समझे जाते हैं छू जाने वाले लड़के को दांव छू • देना पड़ता है। दांव देने वाला लड़का थान की रक्षा करते हुए अपने दुश्मन लड़के को छूता है। इस खेल का मुख्य उद्देश्य थान की रक्षा करना और थान को छूना होता है।

लुखरी दांव

लुखरी दांव आदिवासी गाँवों में बूढ़ी औरतों और छोटे-छोटे बच्चों व्दारा खेला जाता है। प्रायः रात्रिकालीन जब कार्यों से फुर्सत मिलती है तो छोटे-छोटे बच्चे बच्चियाँ का दल अपनी नानी दादी के साथ आँगन में जमा हो जाता है। नानी दादी किसी एक बच्ची को दांव देने वाली लुखरी (लोमड़ी) बनाती है। बाद बाकी सभी बच्चे आँगन में गोल घेरे में बैठ जाते है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

अब नानी या दादी कोई ऐसी बात या चुटकुला बोलती हैं, जिससे सभी जोर से ठहाका लगाकर हँसते है। इसके साथ ही सभी बचेचे अपने एक घुटना मोड़कर उस पर दोनों हाथों इस तरह को रखते है, कि घुटने पर कटोरिनुमा आकार बन जाता है। अब नानी या दादी एक कंकड़ी उठाती है और उसे सभी खिलाड़ी बच्चों के घुटनों पर बनी कटोरी में रखने का उपक्रम करती हैं। इसी समय यह उच्चारण करती है

एक-दो-तीन खाओ बीन-बीन

यह कहते हुए किसी एक की कटोरी में कंकड़ी को छुपा देती है। जैसे ही उच्चारण बंद होता है, सभी बच्चे एक स्वर में बोलते है – आ लुखरी बेर खा जात। यह सुनते ही दांव देने वाली लड़की छुपी हुई गोटी (कंकड़ी) को ढूँढने के लिये सबके बीच मे आती है। दांव देने वाली लड़की सूझबूझ एवं सतर्कता के साथ प्रत्येक खिलाड़ी लड़की के सिर पर हाथ रखती हुई इसमें गोटी- इसमें गोटी कहती है।

सभी खिलाड़ी लड़कियाँ अपे घुटने पर बनी हाथ की कटोरी में गोटी छिपाने का अभिनय करती है, जिससे दांव देने वाली लड़की को यह शंका हो कि अमुक के पास गोटी छिपी है। दांव देने वाली लड़की को जब यह विश्वास हो जाता है कि अमुक लड़की की मुट्ठी मे गोटी छिपी है तो वह उस लड़की के सिर पर हाथ रखकर पकड़ लुखरी कहती है, उसे अपनी मुट्ठी खोलना पड़ता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

यदि उसकी मुट्ठी मे गोटी निकल गई, तब उसे खेल से निकलकर लुखरी बनना पड़ता है और लुखरी बनी हुई लड़की खेल में उसका स्थान लेती है। यदि मुट्ठी में गोटी नहीं निकली तो दांव देने वाली लड़की पर एक तरैया चढ़ जाती है और खेल पूर्ववत आरंभ होता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

इस तरह एक लड़की पर सात तरैया चढ़ जाने पर उसे बोदा (मूर्ख) बन अपनी एक टांग अंगोछे से बाँधकर लंगड़ाती हुई दौड़-दौड़ कर अन्य खिलाड़ी लड़कियों को छूती है और सब लड़कियाँ यहाँ-वहाँ भागती है। चारों ओर हँसी के फव्वारे फूटते हैं। अपूर्व मनोरंजन के साथ यह खेल चलता है। ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

इन्हे भी पढ़े 

👉माँ मड़वारानी मंदिर : आखिर क्यों मंडप छोड़ भाग आयी थी माता मड़वारानी 

👉पाताल भैरवी मंदिर : शिव , दुर्गा , पाताल भैरवी एक ही मंदिर में क्यों है ?

👉फणीकेश्वरनाथ महादेव मंदिर : सोलह खम्बो वाला शिवलिंग अपने नहीं देखा होगा !

👉प्राचीन शिव मंदिर : भगवन शिव की मूर्तियों को किसने तोडा , और नदी का सर धार से अलग किसने किया ?

👉प्राचीन ईंटों निर्मित मंदिर : ग्रामीणों को क्यों बनाना पड़ा शिवलिंग ?

👉चितावरी देवी मंदिर  : शिव मंदिर को क्यों बनाया गया देवी मंदिर ?

👉शिव मदिर : बाली और सुग्रीव का युद्ध करता हुआ अनोखा मंदिर !

👉सिद्धेश्वर मंदिर : आखिर त्रिदेव क्यों विराजमान है इस मंदिर पर ?

👉मावली माता मंदिर : महिसासुर मर्दिनी कैसे बन गयी मावली माता ?

👉कुलेश्वर मंदिर : ब्रह्मा, विष्णु , शंकर के रचयिता अदि शिव का मंदिर 

👉चंडी माता मंदिर : विचित्र ! पत्थर की स्वयंभू मूर्ति निरंतर बढ़ रही है !

👉खरौद का शिवमंदिर : लक्ष्मण जी ने क्यों बनाये थे सवा लाख शिवलिंग ? ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉जगननाथ मंदिर : चमत्कार ! पेड़ का हर पत्ता दोने के आकर का कैसे ?

👉केशव नारायण मंदिर : भगवान विष्णु के पैर के नीचे स्त्री, शबरी की एक कहानी !

👉नर-नारायण मंदिर : मेरु शिखर के जैसा बना मंदिर !

👉राजीव लोचन मंदिर : कुम्भ से भी अनोखा है यहाँ का अर्धकुम्भ !

👉खल्लारी माता का मंदिर : जहा भीमपुत्र घटोच्कच का जन्म हुआ , कौरवो ने पांडवो को मरने के लिए लाछागृह भी यही बनवाया था !

👉देवरानी और जेठानी मंदिर : क्या है सम्बन्ध दोनों मंदिरो के बीच ?( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉मामा भांजा मंदिर : ऐसा मंदिर जिसका निर्माण एक दिन में किया गया !

👉लक्ष्मण मंदिर : पुरे भारत में ईंटो से निर्मित पहला मंदिर 

👉जैन मंदिर : राजपूत राजाओ द्वारा बनाये गए जैन मंदिर 

👉विष्णु मंदिर : कलचुरी शासको द्वारा बनाया गया अब तक का जबरजस्त मंदिर !

👉गणेश मंदिर  : पुत्री उषा और चित्रलेखा की कहानी !

👉दंतेश्वरी मंदिर : 52वा शक्तिपीठ जिसके बारे में बहुत हिन्दू नहीं जानते !

👉हटकेश्वर महादेव मंदिर : जिसे मुग़ल भी नहीं तोड़ पाए !

👉महामाया देवी मंदिर : यहाँ 31 हजार ज्योति कलश क्यों जलाते है श्रद्धालु !( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉शिवरीनारायण मंदिर : जहा भगवान राम ने खाये थे शबरी के झूठे बेर ।  

👉माँ बम्लेश्वरी मंदिर : आखिर क्यों तालाब में कूदी थी कामकंदला ?

👉नगपुरा जैन मंदिर : राजा गज सिंह ने 108 जैन मुर्तिया बनाने की प्रतिज्ञा क्यों ली ? 

👉भोरमदेव मंदिर : दाढ़ी-मुछ वाले योगी की मूर्ति के पेट पर क्या लिखा है ? 

👉माता कौशल्या मंदिर : वह धरती जिसने भगवान राम की माता कौशल्या को जन्म दिया !

👉डीपाडीह मंदिर : सामंत की रानियाँ क्यों कूद पड़ी आग में ?

👉शिवरीनारायण के आस पास के अन्य सभी मंदिर ।

👉बाबा सत्यनारायण धाम रायगढ |

👉लुतरा शरीफ बिलासपुर छत्तीसगढ़ |

👉शदाणी दरबार छत्तीसगढ़( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉छत्तीसगढ़ के धार्मिक स्थल |

👉श्री गुरु सिंह सभा गुरुद्वारा |

👉बस्तर दशहरा छत्तीसगढ़ | 

👉प्रथम विश्व युद्ध का इतिहास |

👉[2021] छत्तीसगढ़ के सरकारी योजनाए

👉छत्तीसगढ़ के खेल पुरस्कार

👉छत्तीसगढ़ के काव्य गद्य

👉छत्तीसगढ़ में जेल प्रशासन

👉छत्तीसगढ़ में संचार

👉छत्तीसगढ़ में शिक्षा स्कूल विश्वविद्यालय 

👉छत्तीसगढ़ में सिनेमा

👉छत्तीसगढ़ वायु परिवहन ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉छत्तीसगढ़ रेल परिवहन

👉छत्तीसगढ़ में सड़क परिवहन

👉छत्तीसगढ़ के परिवहन

👉छत्तीसगढ़ में ऊर्जा

👉छत्तीसगढ़ के औधोगिक पार्क काम्प्लेक्स

👉छत्तीसगढ़ के उद्योग

👉Chhattisgarh Dolomite Tin Heera Sona Diamond Gold

👉छत्तीसगढ़ में बॉक्साइट ऐलुमिनियम 

👉छत्तीसगढ़ के चुना पत्थर

👉छत्तीसगढ़ में लौह अयस्क कहा कहा पाया जाता है | 

👉दीवानपटपर गांव कवर्धा छत्तीसगढ़

👉दाऊ दुलार सिंह मंदराजी

👉छत्तीसगढ़ पदमश्री पदमभूषण ( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉छत्तीसगढ़ी कलेवा व्यंजन पकवान भोजन

👉छत्तीसगढ़ी मुहावरे लोकोक्तिया 

👉विद्याचरण शुक्ल छत्तीसगढ़

👉केयूर भूषण की जीवनी

👉पंडो जनजाति छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ में शिक्षा प्रेस का विकास

👉छत्तीसगढ़ सामान्य ज्ञान 

👉छत्तीसगढ़ में प्रथम

👉छत्तीसगढ़ के साहित्य साहित्यकार

👉छत्तीसगढ़ के परियोजनाएं

👉खारुन नदी छत्तीसगढ़ 

👉मरीन ड्राइव तेलीबांधा तालाब

👉नगर घड़ी चौक रायपुर

👉राजकुमार कालेज रायपुर

👉डोंगरगढ छत्तीसगढ़( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉भिलाई स्टील प्लांट

👉बैगा जनजाति

👉जिंदल रायगढ़ छत्तीसगढ़

👉कांकेर जिला छत्तीसगढ़

👉बीजाकाशा जलप्रपात

👉लक्ष्मण झूला रायपुर छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ के पहाड़ो की ऊंचाई

👉छत्तीसगढ़ का प्राकृतिक विभाजन

👉छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण तिथि क्रम 

👉छत्तीसगढ़ शासन के विभिन्‍न भवनों के नाम 

👉छत्तीसगढ़ के लोक खेल 

👉भगवान धनवंतरि छत्तीसगढ़

👉दानवीर भामाशाह छत्तीसगढ़

👉Pandit Ravishankar Shukla ka Jeevan Parichay

👉महाराजा प्रवीरचंद भंजदेव( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉पाण्डु वंश छत्तीसगढ़

👉गुप्त वंश छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ में मराठा शासन

👉छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति

👉छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की स्थापना 

👉छत्तीसगढ़ में जंगल सत्याग्रह

👉छत्तीसगढ़ के किसान आंदोलन

👉छत्तीसगढ़ का आधुनिक इतिहास

👉छत्तीसगढ़ के रियासत

👉छत्तीसगढ़ के 36 गढ़

👉फणिनाग वंश छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ का मध्यकालीन इतिहास

👉सोमवंश छत्तीसगढ़

👉काकतीय वंश छत्तीसगढ़

👉छिन्दक नागवंश छत्तीसगढ़

👉ठाकुर प्यारेलाल सिंह छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग

👉छत्तीसगढ़ का प्राचीन इतिहास

👉नल वंश छत्तीसगढ़

👉सातवाहन वंश

👉कलचुरी वंश छत्तीसगढ़

👉सोनाखान विद्रोह छत्तीसगढ़

👉चम्पारण छत्तीसगढ़

👉राजिम प्रयाग छत्तीसगढ़

👉बस्तर छत्तीसगढ़

👉मैनपाट छत्तीसगढ़

👉तालगाओं बिलासपुर छत्तीसगढ़

👉सिरपुर महासमुंद छत्तीसगढ़

👉रतनपुर बिलासपुर छत्तीसगढ़

👉इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय

👉रायपुर का इतिहास

👉मल्हार बिलासपुर का इतिहास

👉छत्तीसगढ़ के प्रमुख व्यक्तित्व

👉छत्तीसगढ़ की जनगणना 2011

👉केंद्र संरक्षित स्मारक छत्तीसगढ़( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉छत्तीसगढ़ के स्थलों के उपनाम

👉छत्तीसगढ़ संभाग एवं जिलो का गठन

👉छत्तीसगढ़ औद्योगिक विकास केंद्र

👉बालोद जिला छत्तीसगढ़

👉गोरेला पेंड्रा मरवाही छत्तीसगढ़

👉दुर्ग के बारे में जानकारी

👉बेमेतरा जिला छत्तीसगढ़

👉Chhattisgarh Corundum Alexandrite Uranium Graphite Copper

👉छत्तीसगढ़ में कोयला उत्पादन

👉कोरबा में शैलचित्र की खोज

👉छत्तीसगढ़ में खनिज उत्पादन

👉पोई भाजी 

👉उड़द दाल के बड़ा 

👉चापड़ा छत्तीसगढ़

👉माड़ा पीठा

👉मखना भाजी

👉मंद-महुआ शराब

👉अइरसा अनरसा

👉मूंग दाल पकोड़ा

👉चौसेला संग चटनी

👉खरखरा बांध

👉खारा रिज़र्व वन

👉मनगटा वन्यजीव पार्क

👉छत्तीसगढ़ के पर्यटन स्थल

👉राजनांदगाव जिले की जानकारी

👉छत्तीसगढ़ राज्य संरक्षित स्मारक

👉छत्तीसगढ़ के प्राचीन स्थानों-शहरो नाम

👉छत्तीसगढ़ के अभ्यारण्य

👉छत्तीसगढ़ के राष्ट्रीय उद्यान

👉टाइम्स स्क्वायर ,नया रायपुर

👉चित्रकूट जलप्रपात छत्तीसगढ़

👉घटारानी जलप्रपात छत्तीसगढ़

👉शहीद स्मारक भवन रायपुर

👉दानपुरी झरना जशपुर छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ के शैलचित्र

👉कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान

👉प्रज्ञागिरी पर्वत डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़

👉मदकूद्वीप छत्तीसगढ़

👉बारनवापारा अभ्यारण छत्तीसगढ़

👉गंगरेल बांध धमतरी

👉उदंती-सीतानदी टाइगर रिज़र्व

👉रामगढ सरगुजा छत्तीसगढ़

👉दामाखेड़ा सिमगा छत्तीसगढ़

👉गिरौधपुरी धाम छत्तीसगढ़

👉केनापारा तेलईकछार जलाशय

👉मैत्री बाग भिलाई छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ के जलप्रपात( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉हाखिकुड़म जलप्रपात

👉छ:ग कृषि उपज-उत्पादक क्षेत्र

👉छत्तीसगढ़ के सभी तहसील

👉छत्तीसगढ़ नगर निगम

👉छत्तीसगढ़ नगर पालिका

👉छत्तीसगढ़ नगर पंचायत

👉छत्तीसगढ़ में शहरी प्रशासन 

👉उच्च न्यायलय छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ ग्रामीण प्रशासन

👉छत्तीसगढ़ की न्यायपालिका

👉छत्तीसगढ़ की कार्यपालिका

👉छत्तीसगढ़ विधानसभा सीट

👉छत्तीसगढ़ में प्रशासन

👉छत्तीसगढ़ की सिफारिश समितियाँ

👉मिनीमाता का जीवन परिचय

👉छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का गठन

👉डॉ.भंवरसिंह पोर्ते छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ के सम्मान पुरस्कार

👉छत्तीसगढ़ के महिला सांसद और विधायक

👉छत्तीसगढ़ में पशुपालन

👉छत्तीसगढ़ की गुफाये

👉छत्तीसगढ़ में कृषि

👉छत्तीसगढ़ की मिट्टिया

👉छत्तीसगढ़ में नदियों किनारे बसे शहर

👉छत्तीसगढ़ में सिंचाई व्यवस्था

👉छत्तीसगढ़ का नदी परियोजना

👉छत्तीसगढ़ के नदियों की लम्बाई

👉छत्तीसगढ़ जल विवाद

👉इंद्रावती नदी अपवाह तंत्र

👉सोन नदी की सहायक नदिया

👉शिवनाथ नदी अपवाह तंत्र छत्तीसगढ़ 

👉महानदी अपवाह तंत्र छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ की नदिया

👉छत्तीसगढ़ में जीवो का संरक्षण

👉छत्तीसगढ़ वन संसाधन 

👉जशपुर सामरी पाट प्रदेश

👉सरगुजा बेसिन बघेलखण्ड

👉बस्तर का पठार

👉महानदी बेसिन छत्तीसगढ़ का मैदान

👉  छत्तीसगढ़ की जबरजस्त चित्रकला  जिसे अपने नहीं देखा !

👉 छत्तीसगढ़ के त्यौहार क्यों है दूसरे राज्यों से अच्छा !

👉  छत्तीसगढ़ का लोकनृत्य लोकनाट्य देखकर आप ठुमकना छोड़ देंगे !

👉 छत्तीसगढ़ के लोकगीत जिसे अपने अबतक नहीं सुना  ?

👉  छत्तीसगढ़ के देवी देवता जो बाहरी हिन्दू नहीं जानते होंगे ?

👉 छत्तीसगढ़ जनजाति विवाह गीत सुनते ही गुनगुनाने का मन करेगा !( Chhattisgarh ke Gond Janjati ke Khel | छत्तीसगढ़ के गोंड जनजाति के खेल Games of Gond tribe of छत्तीसगढ़ )

👉 छत्तीसगढ़ की अनुसूचित जनजातियाँ 

👉पत्थलगड़ी आंदोलन छत्तीसगढ़

👉छत्तीसगढ़ी बर्तन

👉  नगेसिया जनजाति छत्तीसगढ़ 

👉 छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ी बोली 

👉  छत्तीसगढ़ के आदिवासी विद्रोह 

👉 भादो जार्ता उत्सव छत्तीसगढ़

👉  बस्तर के मेले मंडई 

👉 छत्तीसगढ़ के प्रमुख महोत्सव 

👉  छेरछेरा त्यौहार छत्तीसगढ़ 

👉 छत्तीसगढ़ के आभूषण

👉  छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ 

👉 छत्तीसगढ़ के मेले

👉 छत्तीसगढ़ के जनजाति आदिवासी

👉  पोला के तिहार 

विद्रोह :-

👉  मुरिया विद्रोह में आदिवासियों ने कैसे अंग्रेजो को धूल चटाई ?

👉  लिंगागिरी विद्रोह के मंगल पांडेय से मिलिए !

👉  मेरिया माड़िया विद्रोह में दंतेश्वरी मंदिर पर अंग्रेजो ने कैसे हमला किया ?

👉  तारापुर विद्रोह छत्तीसगढ़ 

👉 परलकोट विद्रोह छत्तीसगढ़

👉  भोपालपट्नम विद्रोह छत्तीसगढ़

👉  भूमकाल विद्रोह छत्तीसगढ़

👉  कोई विद्रोह छत्तीसगढ़

👉 हल्बा विद्रोह छत्तीसगढ़ :-

👉  राउत नाचा छत्तीसगढ़ 

👉 ककसार नृत्य छत्तीसगढ़ 

👉  चंदैनी नृत्य छत्तीसगढ़ 

👉 करमा नृत्य छत्तीसगढ़

👉  सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ 

👉  पंथी नृत्य छत्तीसगढ़

Share your love
Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

Articles: 1070

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *