नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा ।
मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar Janjati Chhattisgarh Manjhwar Tribe Chhattisgarh
✅ मंझवार जनजाति की उत्पत्ति
मझवार छत्तीसगढ़ की एक अल्पसंख्यक जनजाति है। 2011 की जनगणना में छत्तीसगढ़ में इनकी जनसंख्या 55320 दर्शाई गई थी। इनमें पुरुष 27613 तथा स्त्रियाँ 27707 थी। इनका मुख्य निवास क्षेत्र सरगुजा, बलरामपुर, कोरबा और रायगढ़ जिले में हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
मझवार जनजाति के उत्पत्ति के संबंध में ऐतिहासिक अभिलेख नहीं है। सन्दर्भ ग्रंथ में इन्हें गोंड, मुण्डा और कंवर जनजाति के मुखिया लोगों का एक मिश्रित समूह बताया गया है। जो परम्परागत जाति पंचायत में मध्य में बैठते थे, अतः मझवार कहलाये। इनकी उत्पत्ति माझी जनजाति के साथ मानी गई है। कालान्तर में दोनों अलग-अलग जनजाति के के रूप में अलग-अलग अस्तित्व वाली जनजाति के रूप में है। अधिकांश लक्षण इनमें कोलारियन जनजाति समूह का विद्यमान है।
✅ मंझवार जनजाति के रहन-सहन
मझवार जनजाति सामान्यतः गोंड, कंवर, उरांव आदि के साथ सुदूर वनांचल के ग्रामों में निवास करती है। इनके घर मिट्टी के बने होते हैं। छप्पर घास फूस या देशी खपरैल से निर्मित होते हैं। घर में सामान्यतः दो-तीन कमरे पाये जाते हैं। कमरे के बाहर “परछी” (बरामदा) होता है। दीवार की पुताई सफेद मिट्टी से की जाती है। घर का फर्श मिट्टी का होता है, जिसे गोबर मिट्टी से लीपते हैं।
घरेलु वस्तुओं में चारपाई, चक्की, मूसल, ओढ़ने-बिछाने के कपड़े, भोजन बनाने व खाने के बर्तन, कुल्हाड़ी, कृषि उपकरण, मछली पकड़ने का जाल आदि पाये जाते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
स्त्री-पुरुष प्रातः उठकर बबूल, नीम, करंज आदि के दातून से दाँतों की सफाई प्रतिकार करतीमा सात के बाल को करने के पश्चात् प्रतिदिन स्नान करते हैं। महिलायें सिर के बाल को मिट्टी से धोकर मूंगफली, तिल या गुल्ली के तेल लगाकर चोटी बनाकर जूड़ा बाँधती हैं। महिलाओं के हाथ पैर व चेहने पर गुदना पाया जाता है। वे गहनों की शौकीन होती है। हाथ में चूड़ी, ऐंठी, गले में सुतिया, कान में खिनवा, नाक में लौंग, फूली पहनती हैं।
इनका मुख्य भोजन कोदो, कुटकी, चावल का भात या पेज है। उड़द, मूंग, कुलथी की दाल तथा मौसमी सब्जी कंदमूल, जंगली भाजी खाते हैं। मांसाहार में मछली, बकरा, हिरण, खरगोश का मांस खाते हैं। त्योहार, उत्सव पर महुआ से निर्मित शराब पीते हैं। पुरुष बीड़ी पीते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
✅ मंझवार जनजाति के व्यवसाय
इस जनजाति का आर्थिक जीवन मुख्यतः कृषि, जंगली उपज संग्रह, मजदूरी आदि पर निर्भर है। कोदो, धान, मूंग, उड़द, अरहर, तिल, माड़िया आदि इनका प्रमुख कृषि उपज है। कृषि भूमि असिंचित होने के कारण उत्पादन बहुत कम होता है। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
जंगली उपज के महुआ-गुल्ली, तेंदू पत्ता, हर्रा, गोंद, लाख, इमली, धवई के फूल आदि संग्रह कर बेचते हैं। जंगली- कंदमूल फल, भाजी स्वयं के उपयोग के लिये एकत्र करते हैं। पहले हिरण, खरगोश आदि का शिकार भी करते थे। शिकार पर प्रतिबन्ध होने के कारण वर्तमान में शिकार नहीं करते। वर्षा ऋतु में स्थानीय नाले से स्वयं के उपभोग के लिये मछली पकड़ते हैं।
मझवार जनजाति में उपजाति होने का उल्लेख नहीं मिलता है। जाति बर्हिविवाही गोत्रों में विभक्त हैं। इनके प्रमुख गोत्र भैंसा, सुरही, टाटी, साहड़ा, भेलवा, बाघ, झिंगा, चुटरू, डुमर, नाग, खोकसा, भण्डारी, डांग, सुवा, खुंटा, धानकी, क्रमान, बाम्बी, विंगरी, केकरा आदि हैं। गोत्र के जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, वृक्ष-लता आदि टोटम पाये जाते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
✅ मंझवार जनजाति की परम्परा
इस जनजाति की गर्भवती महिलाएँ प्रसव के दिन तक अपनी आर्थिक तथा पारिवारिक कार्य करती हैं। गर्भावस्था में कोई विशेष संस्कार नहीं पाया जाता। प्रसव बुजुर्ग महिला की देख रेख में घर में ही कराया जाता है। बच्चे का नाल घर में गड़ाते हैं।
प्रसूता को कुलथी, छिंद की जड़, सरई छाल, ऍठी मुड़ी, गोंद, सोंठ, गुड़, आदि का काढ़ा बनाकर पिलाते हैं। छठे दिन छठी मनाते हैं। नवजात शिशु तथा प्रसूता को नहलाकर देवी-देवता एवं सूर्य आदि का प्रणाम कराते हैं। रिश्तेदारों को भोजन कराते हैं तथा शराब पिलाते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
विवाह उम्र लड़कों का 16 से 18 वर्ष व लड़कियों का 14 से 16 वर्ष माना जाता है। विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। विवाह में वर के पिता वधू के पिता को अनाज, दाल, गुड़, तेल तथा पचास से सौ रुपये “सूक भरना” के रूप में देता है। विवाह मुख्यतः मंगनी, सगाई, ब्याह और के रूप में पूर्ण होता है। फेरा लगवाने की रस्म जाति का प्रमुख करता है। विनिमय, सेवा विवाह, घुसपैठ, सहपलायन, विधवा पुनर्विवाह, देवर भाभी पुनर्विवाह को भी सामाजिक मान्यता है।
मृत्यु उपरान्त मृतक को दफनाते हैं। विशिष्ट व्यक्ति को जलाते हैं। तीसरे दिन परिवार के पुरुष सदस्य दाढ़ी, मूंड तथा सिर का मुण्डन कराते हैं। दसवें दिन स्नान के पश्चात् पूर्वजों की पूजा करते हैं। मृत्यु भोज देते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
मझवार जनजाति में परम्परागत जाति पंचायत (सामाजिक पंचायत) पाई जाती है। जाति पंचायत के प्रमुख को “गौटिया “ कहा जाता है। इस पंचायत में विवाह, तलाक, अनैतिक संबंध, उत्तराधिकार, आदि विवादों का परम्परागत तरीकों से निराकरण किया जाता है।
✅ मंझवार जनजाति की देवी-देवता
इस जनजाति के प्रमुख देवी-देवता ठाकुर देव, बूढ़ा देव, दूल्हा देव, भीमसेन, बगरम पाट, बूढ़ी माई, कंकालिन माई आदि हैं। हिंदू देवी-देवता राम, कृष्ण, शिव, गणेश, हनुमान तथा सूर्य, चंद्रमा, धरती, नदी, वृक्ष, नाग आदि की भी पूजा करते हैं। इनके प्रमुख त्योहार हरेली, पोला, नया खानी, दशहरा, दिवाली, कर्मा पूजा, होली आदि हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना पर विश्वास करते हैं। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
इस जनजाति के लोग करमा पूजा के अवसर पर करमा नाच, भोजली उत्सव पर भुजलिया नाच, विवाह पर विवाह नाच, होली पर रहस, दिवाली पर महिलायें पंडकी नाचते हैं। इनके लोक गीतों में करमा गीत, सुवा गीत, फाग, विवाह गीत, ददरिया गीत, भजन आदि प्रमुख हैं।
2011 के जनगणना अनुसार मझवार जनजाति में साक्षरता 38.3 प्रतिशत दर्शित है। पुरुषों में साक्षरता 47.0 प्रतिशत तथा स्त्रियों में साक्षरता 29.5 प्रतिशत थी। ( मंझवार जनजाति छत्तीसगढ़ Manjhwar janjati chhattisgarh manjhwar tribe chhattisgarh )
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