कोरबा में शैलचित्र की खोज Korba Me Shailchitra Ki Khoj Chhattisgarh
जिला पुरातत्व संग्रहालय के मार्गदर्शक श्री हरि सिंह क्षत्री और उनके सहयोगियों ने कोरबा जिले के विभिन्न दूरस्थ अंचलों में प्रागैतिहासिक काल से लेकर नवपाषाणकालीन 369 शैलचित्रों के मिलने का दावा किया है।
इन शैलचित्रों में तलवारधारी घुड़सवार, अश्व, हिरण, मयूर, मुर्गी से लेकर शेरों वाली हाथ जोड़ी और अन्य ज्यामितीय चिन्हों के शैलचित्र विभिन्न पहाड़ियों पर खोजे हैं।
1.सभी शैलचित्र ई.पू. ढाई हजार साल से दस हजार साल पुराने माने जा रहे हैं।
2.गोल्हर गांव के शैलचित्रों में एक चित्र के उपर दोबारा चित्र बनाये जाने के भी स्पष्ट प्रमाण हैं। जिससे यह जानकारी मिलती है कि इस क्षेत्र में आदिमानव लम्बे समय तक रहे हैं।
3.ग्राम सोनारी में दो रॉक आर्ट सेल्टरों में से शेरों वाली हाथाजोड़ी गुफा में हाथ के पंजे के तीस, जानवरों के दो समूहों के शैलचित्र सहित कुल चालीस की संख्या में शैलचित्र मिले हैं। इसके साथ ही एक और सेल्टर में हाथ के पंजे के नौ और शैलचित्र भी खोजे गये हैं।
4.सकनटुक नाम की जगह पर हाथ के पंजे के सात, दण्डनुमा एक और अन्य प्रकार के तीस और शैलचित्रों को खोजा गया है।
5.ग्राम अरेतरा के तीन विभिन्न रॉक सेल्टरों में सीताचैक में 34 शैलचित्र मिले हैं जिनमें हाथ के पंजे के 16, ज्यामितीय प्रकार के -16, और दो जानवरों के हैं। इसी गांव में हाथामाड़ा पहाड़ी पर हाथ के पंजों के 65 शैलचित्र मिले
6.गढ़पहरी में अत्यंत धुमिल अवस्था में 3 अन्य शैलचित्रों की खोज की गई है।
7.करतला विकासखण्ड के सुअरलोट ग्राम के दुल्हा-दुल्ही पहाड़ी पर शैलचित्रों को खोजा था। यहां राम के वनवास से जुड़े कई शैलचित्र मिले है। ये शैलचित्र लगभग 25 फीट लंबी है, दो रेखाएं एक दूसरे को काटती है।
8.ग्राम के सीता चैकी में भी अत्यंत महत्वपूर्ण शैलचित्र मिले थे ।
9.फुटका पहाड़ अजगरबहार के पास केरा गुफा (मछलीमाड़ा)
10.सतरेंगा के पास महादेव पहाड़ी पर पंजों के निषान के 10 शैलचित्र मिल चुके हैं।
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