मेरे प्यारे दोस्तों आज हम आपको “प्रज्ञागिरी पर्वत डोंगरगढ़ छत्तीसगढ़” की जानकारी देने वाले है। यहाँ जानकारी आपको छत्तीसगढ़ के किसी भी परीक्षा में पूछे जा सकते है , या आप किसी चीज के बारे में रिसर्च करना चाहते है, या आप फिर छत्तीसगढ़ में घूमना चाहते है तो यहाँ जानकारी आपके बहुत ही काम आएगी। इसलिए आप इस लेख को ध्यान से पढ़े और अपनी राय दे।
भगवान बुद्ध ( भगवान विष्णु के 9वे अवतार )
प्रज्ञा- ज्ञान, बुद्धि और सरस्वती | डोंगरगढ़ का ऐसा पर्वत जहां ज्ञान, बुद्धि और सरस्वती की प्राप्ति हो, उसे कहा जाता है| छत्तीसगढ़ की पुण्य स्थली, राजा कामसेन की नगरी, कामाख्या व कामावतीपुरी डोंगरगढ़ में प्रज्ञागिरि की उपादेयता, बौद्ध धर्म का छत्तीसगढ़ में विस्तार ही नहीं, अमितु प्राचीन बौद्ध तीर्थ सिरपुर से संबंध जोड़ती हुई बौद्ध पर्यटन स्थल एवं बौद्ध तीर्थ का गौरव प्राप्त करती है।
बुद्धमू शरणम् गच्छामि, धम्मम् शरणम् गच्छामि, संधम् शरणम् गच्छामि की ऋचाओं से गुंजायमान प्रज्ञागिरि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 406 किमी राजनांदगांव से 36 कि.मी. पर डोंगरगढ़ जहां छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध शक्तिपीठ माँ बम्लेश्वरी देवी का मंदिर है। ( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
सघन वनों से आच्छादित छोटी-छोटी डोंगरी से घिरा हुआ गढ़-डोंगरगढ़ की पर्वतीय श्रृंखला में अनेक डोंगरियां हैं। इन्हीं में माँ बम्लेश्वरी डोंगरी के उत्तर-पूर्व दिशा में नंगारा डोंगरी स्थित है। इस पर्वत में तथागत भगवान गौतम बुद्ध की ध्यानस्थ मुद्रा में प्रतिमा स्थापित कर इस पर्वत का नाम प्रज्ञागिरि रखा गया।
लगभग 650 मीटर ऊंची इस पर्वत में पहुंचने के लिए 225 सीढ़ियां बनायी गयी है। 6 फरवरी 1998 को यहां महात्मा गौतम बुद्ध की 30 फीट ऊंची ध्यानस्थ मुद्रा की प्रतिमा विधिवत परित्राण पाठ कर स्थापना किया गया। ( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
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इस स्थापना दिवस पर विश्व के विभिन्न देशों के बौद्ध अनुयायियों ने भाग लिया था, जिसमें जापान के सोमनहोरी शावा व भारत के अन्य प्रान्तों से बौद्ध, भिक्षु एवं देश के बौद्ध धर्मावलंबियों ने डोंगरगढ पहुँचकर, इस प्रज्ञागिरि पावन तीर्थ में भाग लिया था | नागपुर (महाराष्ट्र) एवं छत्तीसगढ़ के मध्य एक दर्शनीय बौद्ध तीर्थ के रूप में स्थापित प्रज्ञागिरि दोनों राज्यों के मध्य बौद्ध धर्म की समरसता का प्रतीक है ।
प्रज्ञागिरि पर्वत पर सूर्योदय होते ही सूर्य की प्रथम किरण ज्योंहि प्रतिमा के मुख मण्डल पर प्रतिबिम्बित होती हे त्योंहि प्रकृति की अद्भुत छटा सुनहरे आभा मण्डल के रूप में बिखरता हुआ दृष्टिगोचर होकर ऐसा प्रतीत होता है कि सुनहरी प्रभामण्डल युक्त भगवान बुद्ध घाटियों के मध्य से एकाएक अवतरित हो रहे हों |(Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
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सूर्यास्त में यहां प्रकृति की अनुपम लीला दृष्टिगोचर होती है – दिनभर का थका सूरज दूर क्षितिज में मलिनता की लालिमा लिये हुए किरणें प्रतिमा पर प्रतिबिम्बित होते ही ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान बुद्ध धीरे-धीरे घाटियों में समाहित हो रहे हैं। प्रज्ञागिरि के इस अनुपम दृश्य को देखने वाले श्रद्धालु एवं पर्यटक इसे अपना सौभाग्य मानते हैं।
बौद्ध परम्परा के अनुसार गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में स्वीकार किया गया है। प्राचीन ग्रंथ दीर्घनिकाय के महापरिनिब्बानसुत में बुद्ध द्वारा ही लुम्बिनी, बौद्धशया, सारनाथ, और कुशीनगर की यात्रा करने के लिये कहा गया है। (Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
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चीनी यात्री फाहयान( 399-414BC ):- ने मुख्य रूप से 6 स्थानों को बौद्ध तीर्थ के रूप में उल्लेखित करते हुए वहां की यात्रा सुखद बतायी है:-
1.लुम्बिनी – जहाँ बुद्ध का जन्म हुआ था।
2.बौद्धगया – जहाँ बुद्ध को ज्ञान प्राप्त हुआ था।
3.सारनाथ – जहाँ इन्होने धर्मचक्र प्रवर्तन किया था |
4.श्रावस्ती (जेतवन बिहार) – जहाँ 25 वर्ष तक धर्मोदेश दिया था।
5.संकिता – जहाँ ब्रम्हा एवं इन्द्र के साथ माता को उपदेश देकर पृथ्वी पर उतरे थे |
6.कुशीनगर – जहाँ उन्हें निर्वाण प्राप्त हुआ था। चीनी बौद्ध यात्री इत्सिंग (671-695) ने उपरोक्त स्थानों के साथ दो और स्थानों को जोड़ा था |
7.राजगृह का कुक्कुट पादगिरी – बुद्ध यहां रहकर उपदेश दिये थे |
8.वैशाली – जहाँ उन्होंने सम्पूर्ण जीवन का दृष्टान्त वर्णित किया था। चीनी बौद्ध यात्री युवान-चॉग (629-645) ने इन 8 स्थानों के अतिरिक्त बौद्ध धर्म स्थल के रूप में उललेखित किया है। जहाँ लोग धार्मिक यात्रा पर आते-जाते और पूजा वस्तु समर्पित करते थे |( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh)
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हेनसॉग के अनुसार:-
ओशोलीना संधाराम :जहाँ बुद्ध के चरण चिन्ह अंकित था |
मथुरा : जहाँ बुद्ध के शिष्यों के शरीरावशेष पर स्तूप बना था।
कपिथ : अशोक ने जहाँ की धार्मिक यात्रा की थी |
कन्नौज : जहाँ बुद्ध के दाँत का दर्शन होता है |
इसके अतिरिक्त सारनाथ में बुद्ध की भव्य मूर्ति स्थापित है। अशोक ने सारनाथ की यात्रा की थी और बौद्ध तीर्थों में इसका प्रमुख स्थान था| अशोक ने बुद्ध से संबंधित सभी स्थानों पर स्तूप निर्माण करवाया था और अनेक स्थानों की धार्मिक यात्रा की थी।
युवाग-चाँग ने इसी तरह पाटलीपुत्र, बौद्धगया में बोधिवृक्ष, उद् में पुष्पगिरी नामक संधाराम, पुण्डवर्धन, वैशाली, प्राम्बोधि पहाड़, बुद्धवन, पिपुलगिरी राजगिरि, नालन्दा आदि स्थानों को तीर्थ स्थल के रूप में उललेखित किया है | वहीं अनुयायियों को धार्मिक यात्रा की कर मूर्ति, स्तूप आदि की पूजा करने और बहुमूल्य वस्तुएं समर्पित करने का उल्लेख किया है।( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
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तीर्थों की यात्रा से उन्हें विश्वास था कि तीर्थ की मिट्टी से, रोग से मुक्ति मिल जाती है तथा स्वर्ग की प्राप्ति संभव हो जाता है। जैसे-जैसे बौद्ध धर्म का विकास होता गया, वैसे-वैसे अनेक स्थानों को बुद्ध से संबंधित करके बौद्ध तीर्थ के रूप में उनकी मान्यता होती गयी और लोग वहाँ धार्मिक यात्रा करने लगे |
छत्तीसगढ़ का प्राचीन डुँगराख्य नगर एवं राजा कामसेन की नगरी का कामाख्यानगरी (कामावतीपुर) का वैभवशाली इतिहास मिलता है | वहीं नंगारा डोंगरी स्थित है जिसे अब प्रज्ञागिरि के नाम से जानते हैं।
प्रज्ञागिरि नामक पर्वत पर 30 फीट ऊंची भगवान गौतम बुद्ध की ध्यानस्थ मुद्रा में भव्य प्रतिमा स्थापित है | जिसके दर्शन के लिए दूर-दूर से दर्शनार्थी एवं पर्यटक आते हैं | यहाँ प्रत्येक वर्ष 6 फरवरी को एक अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का भव्य आयोजन होता है। ( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
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जहाँ देश-विदेश के बौद्ध धर्मानुयायी यहाँ आकर भाग लेते हैं | वर्ष 1991 में सर्वप्रथम इस नंगारा डोंगरी (प्रज्ञागिरि) पर बौद्ध संघ द्वारा ध्वजरोहर कर इसका नाम परिवर्तित किया गया।
इस पर्वत पर पिकनिक मनाने आये डोंगरगढ़ के निवासियों ने इसकी खोज की थी। इस प्रज्ञागिरि पर्वत में 6 फरवरी 1998 बुद्ध की भव्य मूर्ति की स्थापना की गयी थी तब से लगातार 6 फरवरी को यहाँ प्रत्येक वर्ष एक अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मलेन का आयोजन होला है |
प्रज्ञागिरि ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष एवं पदाधिकारीगणों द्वारा अथक परिश्रम कर प्रज्ञागिरि में प्रतिवर्ष अन्तर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन का आयोजन किया जाता है | इसके अलावा बुद्ध जयंती पर भी यहां विशेष कार्यक्रम का आयोजन होता है। यहां दूर-दूर से पर्यटक एवं श्रद्धालुगण आते हैं। ऐसी मान्यता है कि, इस पावन प्रज्ञागिरि में पहुंचकर ध्यान करने से उन्हें ज्ञान, बुद्धि एवं सरस्वती की प्राप्ति होती है।( Pragyagiri Parvat Dongargarh : Pragyagiri Mountains Dongargarh Chhattisgarh )
प्रज्ञागिरि पहाड़ी से समूचा डोंगरगढ़ नगर का सयनाभिराम दर्शन किया जा सकता है। वहीं चटटनो के मध्य बुद्ध की मूर्ति को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान बुद्ध चट्टानों से अवतरित हो रहे हैं | पर्यटकों को बुद्ध की भव्य. प्रतिमा आकर्षित करती है एवं प्रज्ञागिरि पर बुद्ध का दर्शन करने से एक विशेष शांति अनुभूति होती है एवं उत्तक ज्ञान-बुद्धि में वृद्धि होती है।
इस प्रकार छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के मध्य बना बोद्ध केन्द्र प्रज्ञागिरि दोनों राज्यों के मध्य बौद्ध धर्मानुयायियों के लिये प्रमुख दर्शनीय एवं तीर्थस्थली ही नहीं अपितु दोनों के लिये एक अस्मिता है।
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छत्तीसगढ़ में प्राचीन बौद्ध केन्द्र सिरपुर के बाद प्रज्ञागिरि एक बहुत बड़ा बौद्ध पर्यटन स्थली एवं धार्मिक तीर्थ के रूप में स्थापित होने जा रहा है | प्रज्ञागिरि दर्शनीय स्थल की ख्याति दिनों दिन बढ़ती जा रही है। भविष्य में यहाँ पर्यटन के विकास की प्रबल संभावनाएं हैं |
पहुंच मार्ग- प्रज्ञागिरि डोंगरगढ़ में स्थित है। डोगरगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग – 53 एवं मुंबई-हावड़ा रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है। यह राजनांदगांव से 36 कि.मी. एवं राजधानी रायपुर से 406 कि.मी. तथा नागपुर से 20 कि.मी. दूर है। यहाँ पक्की सड़क अथवा रेलमार्ग से सीधा पहुंचा जा सकता है। ( Pragyagiri Parvat Dongargaon : Pragyagiri Mountains Chhattisgarh )
डोंगरगढ़ रेलवे स्टेशन में अधिकांश गाड़ियां रूकती है। यहाँ आवागमन की सुगम व्यवस्था है। निजी वाहनों से भी यहाँ पहुंचा जा सकता है। डोगरगढ़ रेलवे स्टेशन पर छ.ग. पर्यटन मंडल का पर्यटक सूचना केंद्र स्थापित है, जहाँ से विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
आवास व्यवस्था:-
डोंगरगढ़ में आवास की उत्तम व्यवस्था है। यहां माँ बम्लेश्वरी देवी का शक्तिपीठ होने के कारण एवं प्रज्ञागिरि के दर्शन हेतु दर्शनार्थियों का ताँता सा लगा रहता है |
यहाँ होटल, लॉज, बम्लेश्वरी ट्रस्ट की धर्मशालाएं आदि हैं तथा पर्यटन विभाग द्वारा पालिका धर्मशाला एवं टूरिस्ट लॉज की भी सुविधा है जिसका संचालन ट्रस्ट समिति द्वारा किया जाता है| डॉगरगढ़ में ठहरने वालों के लिए स्वादिष्ट भोजन की भी उत्तम व्यवस्था है |( Pragyagiri Parvat Dongargaon : Pragyagiri Mountains Chhattisgarh )
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