परलकोट विद्रोह छत्तीसगढ़ Paralkot Vidroh Chhattisgarh
- परलकोट विद्रोह या फिर कहे की भोपालपट्टनम संघर्ष 1825 को उत्तर, बस्तर में हुआ था ।
- इसके शासक महिपाल देव राजपूत जी थे ।
- इस विद्रोह के नेतृत्वकर्ता भी गेंद सिंह राजपूत जी ही थे । गेंद सिंह परलकोट के जमींदार भी थे ।
- इन सभी लोगो और महिपाल देव , गेंद सिंह के विरोध में था या कहे जो विपक्षी था जिससे इन सभी की लड़ाई था वह था अंग्रेज अधिकारी पेबे ( इसे एगनय ने नियुक्त किया था ) .
- इस विद्रोह का मुख्य कारण था की यहाँ के लोग को लगता था की अंग्रेज उनके हिन्दू धर्म को बर्बाद कर देगा या फिर कहे की वह धर्म परिवर्तन करवा देगा जैसे अन्य राज्यों में होता था ,एवं ये सभी लोग बस्तर में हो रहे अबूझमाड़ियों पर हो रहे शोषण से मुकत करना था ।
- ये सभी लोगो ने पेबे को रोकने के लिए तीर , भाले चलाये ताकि वे उन ईसाई अंग्रेजो को रोक सके ।
- गेंद सिंह राजपूत को भूमिया राजा भी कहा जाता था ।
- विद्रोह के समय सभी विद्रोहियों ने अपना प्रतिक चिन्ह एक धावड़ा वृक्ष की टहनी को बनाया था और ये भी कहा था की इसकी पट्टी कभी भी सुखनी नहीं चाहिए ।
- इतनी मेहनत करने के बाद भी पेबे ने इस विद्रोह को दमन कर दिया था ।
- और परिमाण यहाँ हुआ की वीर गेंद सिंह राजपूत जी को 10 जनवरी 1825 को अंग्रेजो ने गिरफ्तार कर लिया एवं वे जानते थे की जनता और भी विद्रोह कर देगी इसलिए उन लोगो ने जल्द ही 20 जनवरी 1825 को ही वीर गेंद सिंह राजपूत किले के सामने फांसी दे दिया गया ।
- गेंद सिंह राजपूत जी को छत्तीसगढ़ एवं बस्तर का प्रथम शहीद कहा जाता है ।
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