विद्याचरण शुक्ल छत्तीसगढ़ | Vidyacharan Shukla Ki Jeevani Chhattisgarh

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विद्याचरण शुक्ल  छत्तीसगढ़ Vidyacharan Shukla Ki Jeevani Chhattisgarh

कांग्रेस के कद्दावर नेता माने जाने वाले विद्याचरण शुक्ल का जन्म 2 अगस्त 1929 को रायपुर में हुआ। विद्याचरण शुक्ल को राजनीति विरासत में मिली थी।

उनके पिता पंडित रविशंकर शुक्ल वकील, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और कांग्रेसी नेता थे। पंडित रविशंकर शुक्ल पुनर्गठित मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री भी थे। विद्याचरण शुक्ल ने मॉरिस कॉलेज नागपुर से बीए करने के बाद एल्विन कूपर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरुआत की।

1957 में कांग्रेस के टिकट पर वीसी शुक्ल ने महासमुंद (तब बलोदा बाजार उसका नाम था) सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा। उन्होंने सीट से बड़े अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी को हराया और भारतीय संसद में सबसे युवा सांसद बने। सन् 1962 में महासमुंद से और 1971 मे रायपुर से सांसद बने।

सन 1977 मे उन्होने लोकसभा का चुनाव रायपुर से लडा पर आपातकाल से उपजे आक्रोश के कारण हार गये। वे नौ बार लोकसभा का चुनाव जीते। 1966 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कैबिनेट में उन्हें मंत्री बनाया गया।

अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने संचार, गृह, रक्षा, वित्त योजना, विदेश, संसदीय आदि मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। 1975-77 में जब देश में आपातकाल के समय शुक्ल सूचना और प्रसारण मंत्री थे। उन्होंने रायपुर में 1975 में एक टीवी स्टेशन की स्थापना की थी, उस वक्त पूरे मध्यप्रदेश में केवल रायपुर में यह सुविधा थी।

स्व.शुक्ल 80 के दशक के बाद के वर्षों में विश्वनाथ प्रताप सिंह से जुड़ गए और 1989 के संसदीय चुनाव से पूर्व गठित जनमोर्चा का हिस्सा रहे। शुक्ल को विश्वनाथ प्रताप सिंह सरकार में मंत्री बनाया गया और बाद में वे चंद्रशेखर की तरफ आ गए और कुछ समय तक सत्ता में रही जद (एस) सरकार में मंत्री बने रहे।

बाद में वे फिर कांग्रेस में लौटे और प्रधानमंत्री नरसिंह राव के नेतृत्व में संसदीय मामले और जल संसाधन मंत्री बने। 2004 में शुक्ल कांग्रेस छोड़कर शरद पवार की एनसीपी में शामिल हो गए। 2005 में शुक्ल भाजपा में शामिल हो गए। वे केंद्रीय समिति के सदस्य भी रहे।

बाद में वे फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्यामाचरण शुक्ल इनके बड़े भाई थे। शुक्ल के परिवार में पत्नी सरला शुक्ल और तीन पुत्रियां हैं।

26 मई, 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं के काफिले पर घात लगाकर हमला किया था जिसमें कांग्रेस के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा सहित 27 लोग मारे गए और विद्या चरण शुक्ल एवं 31 अन्य लोग जख्मी हो गए थे शुक्ल का इलाज दिल्ली के गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में किया जा रहा था।

अस्पताल में ही 11 जून 2013 को वीसी शुक्ल का निधन हो गया। किसी राजनेता में जितने भी गुण हो सकते हैं वो सब विद्याचरण शुक्ल में थे। वे एक राजनेता के बेटे थे। उनके पिता रविशंकर शुक्ल मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री थे।

इस नाते उनकी राजनीति विरासत की राजनीति रही लेकिन 1957 में मात्र 28 वर्ष की उम्र में सांसद बन जाने के बाद से 2013 में 84 वर्ष की उम्र में भी खुद को राजनीतिक रूप से प्रासंगिक रख पाना सब के बूते की बात नहीं हो सकती। विरासत की तो हरगिज नहीं।

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