केयूर भूषण की जीवनी | Keyur Bhushan Ki Jiwani Chhattisgarh

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केयूर भूषण की जीवनी Keyur Bhushan Ki Jiwani | Life of Keyur Bhushan

जन्म 1 मार्च 1928 को छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के जांता गांव में हुआ था। माता पिता स्व. श्रीमती रोहानी देवी स्व. श्री मथुरा प्रसाद मिश्रा शिक्षा- 5 वी तक की पढ़ाई बेमेतरा से की, पढ़ाई के दौरान स्कूल में ही आजादी के संग्राम की चर्चा सुनते थे ।

राजनीति और समाजसेवा में छात्र अवस्था से ही कार्यरत हो जाने के कारण वे मिडिल स्कूल से आगे शिक्षा ग्रहण नहीं कर सके। उन्होंने कांग्रेस, कम्युनिस्ट पार्टी तथा सर्वोदय में कार्य किया और कई बार जेल गए।

केयूर भूषण की स्वतंत्रता आन्दोलन में भागीदारी

उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर अंग्रेजी सरकार के विरुद्ध 1942 के असहयोग आन्दोलन में भाग लिया और गिरफ्तार हुए।

15 दिनों की सजा.उस समय वह रायपुर केन्द्रीय जेल में सबसे कम उम्र के राजनीतिक बंदी थे। सन 1942 में ही पुन: गिरफ्तार ,09 माह की सजा.कुल चार साल जेल में काटे ।

केयूर भूषण की स्वतंत्रता आन्दोलन में पुनः भागीदारी

स्वतंत्रता के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होकर किसान,मजदुर, विद्यार्थी आन्दोलन में सक्रीय रहे. संत विनोभा भावे के भूदान आन्दोलन में सक्रिय भूमिका अदा की. महात्मा गांधी द्वारा स्थापित हरिजन सेवक संघ में जिला, प्रान्त से लेकर राष्ट्रिय उपाध्यक्ष तक का दायित्व को निभाया.गोवा मुक्ति आन्दोलन में सक्रीय रहे. रियासतों के विलीनीकरण के लिए आन्दोलन में सक्रीय रहे.

केयूर भूषण की अस्पशर्यता निवारण पदयात्रा

पंजाब के आतंकवाद के दौरान 12800 ग्रामों की राजिम से भोपाल तक पद यात्रा की.नाथद्वार मंदिर (राजस्थान) एवं पांडातराई मंदिर में दलित प्रवेश के लिए आन्दोलन किये.

सांसद के रूप में भूषण ने वर्ष 1980 से 1990 तक लोकसभा में रायपुर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था। गांधीवादी चिंतक थे।

हमेशा साइकिल से चलने वाले केयूर भूषण काफी सादगी पसंद थे। उनका पृथक छत्तीसगढ़ आंदोलन में काफी अहम योगदान रहा छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2001 में राज्योत्सव के अवसर पर उन्हें पंडित रविशंकर शुक्ल सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया था ।

केयूर भूषण की साहित्यिक गतिविधियां

पत्रकारिता के साथ-साथ राष्ट्रिय एकता, सामाजिक समरसता के लिए छत्तिसगढ़ी एवं हिंदी में व्यंग, कविता एवं गध लेखन किये.जिसमे प्रकाशित पुस्तके है .

1.नित्य प्रवाह (प्राथना एवं भजन)

2.पथ(विभूतियों को समर्पित काव्य संग्रह) छत्तिसगढ़ी के नारी रत्न छत्तीसगढ़ी साहित्य में बनाई पहचान

3.छत्तिसगढ़ी कविता संग्रह -लहर, कहां बिलागे मोर धन के कटोरा, मोर मयारू गाँव


केयूर
भूषण के लिखित छत्तीसगढ़ी
 उपन्यास

1.कुल के मरजाद, लोक-लाज समें के बलिहारी,

2.कहानी संग्रह-कालू भगत, आंसू म फ़िले अचरा, डोंगराही रद्दा

3.छत्तिसगढ़ी निबंध संग्रह – हिरा के पीरा, मोर मयारुक

4.सोना कैना (नाटक), मोंगरा (कहानी), बनिहार (गीत), इत्यादि की रचना की।

इसके अलावा इन्होंने छत्तीसगढ़ के 75 प्रमुख स्वतंत्रा संग्राम सेनानियों की जीवन गाथा लिखी,जो अप्रकाशित है.


केयूर
भूषण का
पत्रकारिता में योगदान

केयूर भूषण का पत्रकारिता में भी काफी योगदान रहा। उन्होंने साप्ताहिक छत्तीसगढ़, साप्ताहिक छत्तीसगढ़ संदेश, त्रैमासिक हरिजन सेवा (नई दिल्ली) और मासिक अन्त्योदय (इंदौर) का संपादन भी किया।

छत्तीसगढ़ में देश भर के जाने-माने कलाकारों को एक मंच पर लाने के लिए केयूर भूषण ने अपना अहम योगदान दिया। उनके प्रयासों से रायगढ़ में चक्रधर समारोह प्रारंभ हुआ। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी को बोली से राजभाषा बनाने के लिए भी केयूर भूषण ने लगातार संघर्ष किया।

  1. कुल के मरजाद:-इसमें भूषण साहब ने राजघरानों के लोगों के दर्द को बयां किया है।
  2. कहां विलागे मोर धान के कटोरा:-इस उपन्यास में उन्होंने मातृभूमि की पीड़ा और धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के दर्द की दस्ता बयां की है।
  3. लोक लाज:-लोक लाज उपन्यास में भूषण साहब ने समाज के बनाए गए नियम-कानूनों पर कटाक्ष किए हैं। किताब के माध्यम से वे लोगों की सोच पर प्रहार करते हैं।
  4. समे के बलिहारी:-जातिगत व्यवस्था को आधार बनाकर लिखे गए इस उपन्यास में भूषण ने हर एक इंसान को समान बताने का प्रयास किया है। साथ ही जाति की वजह से प्रेम प्रसंगों की समाप्ति की दशा को भी दर्शाया गया है।

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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