भगवान धनवंतरि छत्तीसगढ़ | Bhagwan Dhanwantri Chhattisgarh

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भगवान धनवंतरि छत्तीसगढ़ Bhagwan Dhanwantri Chhattisgarh

भगवान धनवंतरि

पंचम वेद के रूप में विख्यात आयुर्वेद के आदिदेव भगवान धन्वन्तरि का क्षीरसागर मंथन से उत्पन्न चौदह रत्नों में एक माना जाता है. जिनका अवतरण इस अनमोल जीवन आरोग्य स्वास्थ्य ज्ञान और चिकित्सा से भरे हुए अमृत-कलश को लेकर हुआ था।

देवासुर संग्राम में घायल देवों का उपचार भगवान धन्वंतरि के द्वारा किया गया। भगवान धन्वन्तरि विश्व के आरोग्य एवं कल्याण के लिए विश्व में बार-बार अवतरित हुए। इस तरह भगवान धन्वन्तरि के मार्दुभाव के साथ ही सनातन सार्थक एवं शाश्वत आयुर्वेद मी अवतरित हुआ जिसने अपने उत्पत्ति काल से आज तक जन-जन के स्वास्थ्य एवं सस्कृति का रक्षण किया है।

वर्तमान काल में आयुर्वेद के उपदेश उतने ही पुण्यशाली एवं शाश्वत हैं जितने की प्रकृति के अपने नियम। भगवान धन्वन्तरि ने आयुर्वेद को आठ अंगों में विभाजित किया, जिससे आयुर्वेद की विषयवस्तु सरल सुलम एवं जनोपयोगी हुई।

इनकी प्रसिद्धि इतनी व्यापक हुई कि इन्हीं के नाम से संप्रदाय सचालित होने लगा भगवान धन्वन्तरि की जयंती एवं विशेष पूजा अर्चना, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी अर्थात धनतेरस के दिन मनाते हुए प्रत्येक मनुष्य के लिए प्रथम सुख निरोगी काया एवं श्री-समृद्धि की कामना की जाती है।

राज्य शासन द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा, शिक्षा तथा शोध एवं अनुसंधान के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं को सम्मानित करने के उद्देश्य से देवतुल्य भगवान धन्वन्तरि की स्मृति में धन्वन्तरि सम्मान की स्थापना की गई है। इस सम्मान के अतर्गत प्रशस्ति पत्र एव 2 लाख रु की सम्मान राशि दी जाती है।

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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