दाऊ दुलार सिंह मंदराजी Dau Dular Singh Mandraji ki Jiwani Chhattisgarh
दाऊ दुलार सिंह मंदराजी का जन्म 1 अप्रैल 1910 को रवेली ग्राम के सम्पन्न जमींदार परिवार में हुआ था । चार-पांच गांवों की मालगुजारी थी । आपको बचपन से गीत-नृत्य के प्रति खास लगाव था . उन दिनों गांव-गांव में खड़े साज का बोल-बाला था ।
आपने इस विधा को विकृति से बचाते हुए परिष्कृत करने का बीड़ा उठाकर रवेली गांव के मंचीय प्रदर्शन से प्रयास आरंभ किया । सक्षम कलाकारों से सुसज्जित उनकी टोली धीरे-धीरे लोकप्रियता पाने लगी ।
नाचा के माध्यम से अभिनय के क्षेत्र में मदन निषाद, लालू, भुलवाराम, फिदाबाई मरकाम, जयंती, नारद, सुकालू और फागूदास जैसे दिग्गजों को सामने लाने का श्रेय आपको है । नाचा के माध्यम से छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति को जीवन्त रखने और उसके समुचित संरक्षण के लिए अपना तन-मन-धन समर्पित कर दिया ।
जीवन का आखिरी पहर गुमनामी और गरीबी में गुजारा लेकिन आपने व्यक्तिगत लाभ-प्रशंसा की चाहत को दरकिनार कर केवल नाचा की समृद्धि को जीवन की सार्थकता माना । 1984 को उनका निधन हो गया
प्रदर्शनकारी लोक विधा-नाचा को जीवंत रखने, जन सामान्य में उसकी पुनर्प्रतिष्ठा और लोक कलाकारों को प्रश्रय देने वाला यह व्यक्तित्व नई पीढ़ी के लिए प्रेरक है । छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में लोक कला/शिल्प के लिए दाऊ मंदराजी सम्मान स्थापित किया है ।