ठाकुर प्यारेलाल सिंह Thakur Pyarelal Singh Chhattisgarh
ठाकुर प्यारेलाल सिंह
छत्तीसगढ़ में श्रमिक आंदोलन के सूत्रधार तथा सहकारिता आदोलन के प्रणेता ठाकुर प्यारेलाल सिंह का जन्म 21 दिसम्बर 1891 को राजनांदगांव जिले के दैहान ग्राम में हुआ।
पिता का नाम दीनदयाल सिंह तथा माता का नाम नर्मदा देवी था। इनकी प्रारमिक शिक्षा राजनांदगाव में और आगे की शिक्षा रायपुर में हुई। इन्होंने नागपुर तथा जबलपुर में उच्च शिक्षा प्राप्त कर 1916 में वकालत की परीक्षा उत्तीर्ण की।
1909 में सरस्वती पुस्तकालय की स्थापना की। इन्होंने 1920 में राजनांदगांव में मिल मालिको के शोषण के विरुद्ध आवाज उठाई, जिसमें मजदूरों की जीत हुई।
ठाकुर प्यारेलाल सिंह 1925 से रायपुर में निवास करने लगे। इन्होंने छत्तीसगढ़ में शराब की दुकानों के खिलाफ जनजागरण किया। नमक कानून तोड़ना, दलित उत्थान जैसे अनेक अभियानों का संचालन करते हुए ठाकुर प्यारेलाल सिंह को अनेक बार जेल भी जाना पड़ा।
राजनैतिक झंझावातों के बीच 1837 में इन्हें रायपुर नगरपालिका का अध्यक्ष चुना गया। 1945 में छत्तीसगढ़ के बुनकरों को संगठित करने के लिए इनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ बुनकर सहकारी संघ की स्थापना हुई।
प्रवासी छत्तीसगढियों को शोषण एवं अत्याचार से मुक्त कराने की दिशा में भी वे सक्रिय रहे। 1952 में रायपुर में विधानसभा के लिए चुने गए तथा विरोधी दल के नेता बने।
विनोबा भावे के भूदान एवं सर्वोदय आदोलन को इन्होंने छत्तीसगढ़ में विस्तारित किया। 20 अक्टूबर 1954 को भूटान यात्रा के दौरान अस्वस्थ हो जाने से इनका निधन हो गया।
छत्तीसगढ़ शासन ने उनकी स्मृति में सहकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ठाकुर प्यारेलाल सिंह सम्मान स्थापित किया है। यह सम्मान वर्ष 2001 से स्थापित किया गया।