छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग Chhattisgarh Rajbhasha Ayog
राज्य के विचारों की परंपरा और राज्य की समग्र भाषायी विविधत के परिरक्षण, प्रचलन और विकास करने तथा इसके लिये भाषायी अध्ययन, अनुसंधान तथा दस्तावेज संकलन, सृजन तथा अनुवाद, संरक्षण, प्रकाशन, सुझाव तथा अनुशंसाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ी पारम्परिक भाषा को बढ़ावा देने हेतु शासन में भाषा के उपयोग को उन्नत बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन करने हेतु अधिनियम भारत गणराज्य के इकसठवें वर्ष में छत्तीसगढ़ विधान मंडल द्वारा निम्नलिखित रुप में यह अधिनियमित हो
1. यह अधिनियम छत्तीसगढब राजभाषा आयोग अधिनियम, 2010 कहलाएगा.
• इसका विस्तार सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ राज्य में होगा।
• यह राजपत्र में इसके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होगा।
2. इस अधिनियम में, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो
• आयोग से अभिप्रेत है, इस अधिनियम की धारा 3 के अंतर्गत गठित छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग
• अध्यक्ष से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन द्वारा यथा नामांकित आयोग का अध्यक्ष
• विभाग से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन, संस्कृति विभाग
• शासन से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन
• सदस्य से अभिप्रेत है, आयोग का नामांकित सदस्य तथा जिसमें अध्यक्ष भी सम्मिति है।
• राज्य से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन
• सचिव से अभिप्रेत है, छत्तीसगढ़ शासन
3. राज्य शासन, इस अधिनियम के अंतर्गत प्रदत्त की गयी शक्तियों का प्रयोग करने एवं इसे सौंपे गये कृत्यों के निर्वहन के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के नाम से एक निकाय का गठन करेगा।
• आयोग एक अध्यक्ष तथा चार सदस्यों से मिलकर बनेगा, आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्य ऐसे प्रतिष्ठित एवं ख्यातिप्राप्त व्यक्ति होंगे, जो छत्तीसगढ़ी भाषा/छत्तीसगढ़ी साहित्य के ज्ञाता होंगे।
• आयोग के अध्यक्ष एवं चार सदस्य राज्य शासन द्वारा नामांकित होंगे।
4.अध्यक्ष व सभी सदस्य ऐसी अवधि तक पद धारण करेंगे जो तीन वर्षों से अधिक की नहीं होगी या जो इस निमित्त राज्य शासन द्वारा अभिनिर्धारित की जाये तता यह दो कार्यकाल से अधिक की नहीं होगी।
- परंतु यह कि प्रक्रिया के अनुसार एक सदस्य के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति होने की दशा में, अध्यक्ष हेतु पुनः परिवर्तित होगी।
- अध्यक्ष या सदस्य, राज्य शासन को संबोधित एवं लिखित में यथास्थिति अध्यक्ष या सदस्य के पद से किसी भी समय त्याग पत्र दे सकेंगे।
भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी अउ लालकृष्ण आडवाणी छत्तीसगढ़ राज बनाइस। मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह एवं मान संस्कृति मंत्री बृजमोहन अग्रवाल छत्तीसगढ़ी ल राजभासा बनाइस। विधानसभा में छत्तीसगढ़ी राजभासा आयोग के अधिनियम 28 नवंबर 2007 के पारित होइस तेखर 11 जलाई 2008 के राजपत्र म प्रकासन होइस। 14 अगस्त, 2008 के कार्यालय के उद्घाटन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के करकमल ले सम्पन्न होइस।
उद्देश्य – लक्ष्य
राज्य के विचारों की परंपरा और राज्य की समग भाषायी विवधता के परिरक्षण, प्रचलन और विकास करने तथा इसके लिये भाषायी अध्ययन, अनुसंधान तथा दस्तावेज संकलन, सृजन तथा अनुवाद, संरक्षण, प्रकाशन, सुझाव तथा अनुशंसाओं के माध्यम से छत्तीसगढ़ी पारम्परिक भाषा को बढ़ावा देने हेतु | शासन के भाषा के उपयोग को उन्नत बनाने के लिए छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग का गठन किया गया है। आयोग के प्राथमिक लक्ष्य एवं उद्देश्य निम्नांकित है
• राजभाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में दर्ज कराना।
•राजकाज की भाषा में उपयोग
•त्रिभाषायी भाषा के रूप में प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षाओं में पाठ्यक्रम में शामिल करना
उपलब्धियां
• साहित्यकार संभागीय सम्मेलन
• जिला साहित्यकार सम्मेलन एवं सम्मान समारोह
• माई कोठी योजना
• छत्तीसगढ़ी हिन्दी शब्दकोष निर्माण
• बिजहा कार्यक्रम
• कुशाभाऊ ठाकरे वि.वि. द्वारा छत्तीसगढ़ी स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम
छतीसगढ़ी हिंदी शब्दकोष निर्माण कार्यवाही
उपलब्धियों की इस कड़ी में आयोग का एक महत्वपूर्ण कार्य छत्तीसगढ़ी हिंदी शब्दकोष निर्माण कार्य था। इस, हेतु राजभाषा आयोग कार्यालय में छत्तीसगढ़ी हिंदी शब्दकोष निर्माण समिति का गठन किया गया।
डा. रमेन्द्रनाथ मिश्र की अध्यक्षता में तथा सदस्य के रुप में श्री चितरंजन कर, डॉ पालेश्वर प्रसाद शर्मा, डॉ चंद्रकुमार चंद्राकर एव डॉ. के.के. झा को सम्मिलित कर उक्त समिति का गठन किया गया. संयोजक डा. सुरेंद्र दुबे, सचिव छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग बनाये गये हैं।
>छत्तीसगढ़ी राजभाषा विधेयक- 28 नवंबर 2007 को विधानसभा में पारित।
>राजपत्र प्रकाशन-11 जुलाई 2008।
>छत्तीसगढ़ी राजभाषा आयोग विधायक-3 अगस्त 2010
>राजपत्र में प्रकाशन-3 सितंबर 20101
>कार्यालय प्रारंभ- स्थापना 14 अगस्त 2008।
>छत्तीसगढ़ी को राजभाषा का दर्जा-संविधान के अनु 347 के अंतर्गत बनाया गया।
>छत्तीसगढ़ी दिवस- 28 नवंबर 2012 को मनाने की घोषणा मुख्यमंत्री एवं संस्कृत मंत्री ने आयोग द्वारा संचालित कवि सम्मेलन में किया।
प्रथम अध्यक्ष:-
पं. श्यामलाल चतुर्वेदी 2008 से 2011 तक रहे।
सदस्य- श्री केदार सिंह परिहार, श्रीमती निर्मला तिवारी।
पूर्व अध्यक्ष:-
पं. दानेश्वर शर्मा, 2011 से 2013 तक।
डॉ. विनय कुमार पाठक 2005 से 2018 तक।
पूर्व सदस्य- श्री सुरजीत नवदीप, धमतरी श्री गणेश सोनी कवर्धा।