गोरखपुर जनपद और मध्यप्रदेश ,gorakhpur janpad aur madhyaprades: गोरखपुर- जनपद भारतवर्ष के उन प्राचीन जनपदों में से है जहाँ सबसे पहले भारतीय आर्यों के जीवन और सभ्यता का विकास हुआ था। यह मध्यदेश” के मध्य में स्थित है और भौगोलिक दृष्टि से प्राचीनकाल कोसल राज्य में सम्मिलित था। भारतीय इतिहास के प्रथम दृश्यों का अभिनय इसी मध्यदेश में हुआ था।
इसलिये गोरखपुर जनपद इस ऐतिहासिक अभिनय में सहयोगी और साक्षी था। आर्य राज्यों के विस्तार, चक्रवर्ती राजाओं के दिग्विजय, सुन्दर शासन-व्यवस्था, सामाजिक संघटन, धार्मिक और दार्शनिक प्रचार, साहित्य और कला आदि जीवन के सभी प्रयोगों में गोरखपुर-जनपद ने अपना भाग लिया।
मनु – देश के सबसे प्राचीन ऐतिहासिक ग्रन्थ पुराणों के अनुसार इस देश के मूल राजा मनु वेवस्वत थे जो विवस्वान् अर्थात् सूर्य से उत्पन्न हुए थे। इसका अर्थ यह है कि मनु जिस आर्यवंश में उत्पन्न हुए थे वह सूर्योपासक था और अपनी उत्पत्ति सूर्य से मानता था।
मनु के पहले न कोई सुव्यवस्थित समाज था और न कोई राज्या केवल मानव-समूह था। उसमें मात्स्यन्याय 4 फैला हुआ था। जिस तरह बड़ी मछलियाँ छोटी मछलियों को खा जाती हैं उसी तरह सबल लोग दुर्बलों को सताते थे।
इस दशा से विकल होकर विपत्ति के मारे सब लोग इकट्ठे हुये और सर्वसम्मति से मनु राजा चुने गये। इस अवसर पर राजा और प्रजा के बीच जो प्रतिज्ञा हुई उसके अनुसार मनु ने प्रजारक्षण, प्रजापालन और प्रजारंजन की शर्त और राजा ने उनका शासन मानने और भूमि की उपज का छठवाँ भाग देना स्वीकार किया। मनु की कहानी वास्तव में समाज और राष्ट्र के उदय की कथा है।
यह मानव विकास की वह अवस्था थी जब मनुष्य पशु से मानव बना और समाज में रहना सीखा। इसी समय समाज के नियम और शासन विधान बने। नीति और धर्म की भावना का उदय भी इसी समय हुआ। सचमुच में मनु तो इस युग के प्रतिनिधि थे; यह विकास सारे समाज के प्रयत्न और चिंतन का फल था।