छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ी बोली | Chhattisgarhi Bhasha Chhattisgarhi Boli

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छत्तीसगढ़ी भाषा छत्तीसगढ़ी बोली | Chhattisgarhi Bhasha Chhattisgarhi Boli

छत्तीसगढ़ की भाषा है छत्तीसगढ़ी। पर क्या छत्तीसगढ़ी पूरे छत्तीसगढ़ में एक ही बोली के रुप में बोली जाती है? हम पूरे छत्तीसगढ़ में बोलीगत विभेद पाते हैं।

 

डॉ. सत्यभामा आडिल अपने “छत्तीसगढ़ी भाषा और साहित्य” (विकल्प प्रकाशन, रायपुर, 2002 , प-.7 ) में कहते हैं कि यह बोलीगत विभेद दो आधारों – जातिगत एवं भौगोलिक सीमाओं के आधार विवेचित किये जा सकते हैं। इसी आधार पर उन्होंने छत्तीसगढ़ की बोलियों का निर्धारण निश्चयन किया है –
1.छत्तीसगढ़ी- रायपुर, बिलासपुर और दुर्ग में जो बोली सुनाई देती है वह है छत्तीसगढ़ी।

2.खल्टाही-
छत्तीसगढ़ की यह बोली रायगढ़ जिले के कुछ हिस्सों में बोली जाती है। यह बोली हमें बालाघाट जिले के पूर्वी भाग में, कौड़िया में, साले-टेकड़ी में और भीमलाट में सुनाई देती है।

3.सरगुजिया-
सरगुजिया छत्तीसगढ़ी बोली सरगुजा में प्रचलित है। इसके अलावा कोरिया और उदयपुर क्षेत्रों में भी बोली जाती है।

4.लरिया-
छत्तीसगढ़ कीे यह बोली महासमुंद, सराईपाली, बसना, पिथौरा के आस-पास बोली जाती है।

5.सदरी कोरबा-
जशपुर में रहनवाले कोरबा जाति के लोग जो बोली बोलते हैं वह है सदरी कोरबा। कोरबा जाति के लोग जो दूसरे क्षेत्र में रहते हैं जैसे पलमऊ, सरगुजा, विलासपुर आदि, वे भी यही बोली बोलते हैं।

6.बैगानी-
बैगा जाति के लोग बैगानी बोली बोलते हैं। यह बोली कवर्धा, बालाघाट, बिलासपुर, संबलपुर में बोली जाती है।

7.बिंझवारी-
बिंझवारी में जो बोली बोलते हैं, वही है बिंझवारी। वीर नारायन सिंह भी बिंझवार के थे। रायपुर, रायगढ़ के कुछ हिस्सो में यह बोली प्रचलित है।

8.कलंगा-
कलंगा बोली पर उड़िया का प्रभाव पड़ा है क्योंकि यह बोली उड़ीसा के सीमावर्ती पटना क्षेत्र में बोली जाती है।

9.भूलिया-
छत्तीसगढ़ी की भूलिया बोली हमें सोनपुर और पटना के इलाकों में सुनाई देती है। कलंगा और भूलिया – ये दोनों ही उड़िया लिपि में लिखी जाती हैं।

10.बस्तरी या हलबी-
ये बोली बस्तर में हलबा जाति के लोग बोलते हैं। इस बोली पर मराठी का प्रभाव पड़ा है।

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