भादो जार्ता उत्सव छत्तीसगढ़ Bhado Jarta Utsav Chhattisgarh
दुनिया के अधिकांश लोगों को भगवान की अदालत का डर सताता है, लेकिन बस्तर क्षेत्र के आदिवासी लोगों वर्ष में एक बार अपने देवताओं को कचहरी में पेश करते हैं। इस कचहरी की न्यायाधिपति होती हैं भंगाराम देवी।
बस्तर जिले के केशकाल कस्बे के धने जंगलों में हर साल दो दिन तक भादो जार्ता उत्सव को मनाया जाता है। भंगाराम देवी की इस अदालत में देवी-देवताओं को पेशी पर लाने के लिए दूर-दूर से 500 से ज्यादा गांवों के लोग आते हैं।
इसमें नौ परगना में फैले 55 राजस्व ग्रामों में विराजित तमाम देवी-देवता, लाठ, आंगा, छत्र, डोली आदि के रूप में यहां लाए जाते हैं। देवी-देवताओं को भी पक्ष रखने का मिलता है मौका गांव पर आपदा या विपत्ति अथवा पूजा- अर्चना के बाद भी जिंदगी में परेशानियां बनी रहने पर देवी-देवताओं को दोषी | ठहराते हुए भंगाराम माई की अदालत में शिकायत की जाती है।
देवीदेवताओं को भी अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाता है। उनके प्रतिनिधि के रूप में पुजारी, गायता, सिरहा, मांझी व मुखिया मौजूद रहते हैं। दो दिन तक चलने वाले इस जार्ता उत्सव के दौरान यहां महिलाओं का आना मना होता है इसके पीछे ऐसी मान्यता है कि महिलाओं का मन कमजोर होता है इसलिए उन पर बुरी आत्माएं जल्दी असर करती ।
कहा जाता है कि भादो महीने के आखिरी शनिवार को सभी देवी-देवताओं का आना जरूरी होता है और भंगाराम देवी
की अदालत में सबकी पेशी होती है। इसके पहले 6 शनिवार तक यहां लगातार पूजा होती है। दो दिन चलने वाले इस आयोजन में देवी-देवताओं को परंपरानुसार पद और प्रतिष्ठा के हिसाब से स्थान दिया जाता है,.
इनके साथ प्रतिनिधि के रूप में पुजारी, गायता, सिरहा, ग्राम प्रमुख, | मांझी, मुखिया और पटेल | पहुंचते हैं। फिर इसके बाद देवी-देवताओं की पूजा और सत्कार किया जाता है। यहां होने वाले आयोजन में एक बात खास है।
यहां बिना मान्यता के किसी भी नए देव की पूजा नहीं की जा सकती है। ग्रामीणों की मांग पर ही नए देवताओं को मानने की मान्यता दी जाती है। भंगाराम देवी की अदालत में पेशी के दौरान देवी-देवताओं को दोषी ठहराए जाने पर निलंबन, मान्यता खत्म करने के अलावा मौत की सजा भी दी जाती है।
छोटी सजा के तौर पर अर्थ । दंड भी लगाया जाता है। यहां सजा पाने वाले देवी-देवताओं की वापसी का भी प्रावधान है लेकिन यह तब ही। संभव है जब यहां वे अपनी गलतियों को सुधारते हुए भविष्य में लोक कल्याण के कार्यों को पहले करने कािवचन देते हैं। यह वचन संजा पाए 7 देवी-देवता संबंधित पुजारी के सपने 7 में आकर देते हैं।