छत्तीसगढ़ के उत्तरी भू-भाग में समुद्र सतह से 1099 मीटर ऊंचाई पर स्थित एक विस्तृत पठारी भू-भाग जिसमें 226 वर्ग कि.मी. वन क्षेत्र हैं। इस संपूर्ण पठार को मैनपाट कहा जाता है।
368 वर्ग कि.मी. में विस्तारित यह पठारी भू-भाग जो अपने अंक में कलकल कलरव करते झरने, अठखेलियां करती हुई वन क्षेत्र से बहती हुई नदियां, घने एवं बहुप्रजातीय वृक्षों, औषधीय महत्व की वनस्पत्त्तियां, दुर्लभ पौध प्रजातियां, वन्यप्राणी एवं पक्षियों के बसेरे को समाहित करते हुए चित्ताकर्षक मनोहारी परिदृश्य प्रस्तुत करता है।
मैनपाट के पठारी क्षेत्र में कुल 15 पंचायत एवं 24 ग्राम समाहित हैं, जिनकी जनसंख्या लगभग 25000 है। यहां का विकासखण्ड मुख्यालय नर्मदापुर है जो जिला मुख्यालय से 65 कि.मी. की दूरी पर स्थित है।
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यहां मुख्यतः मांझी, मंझवार, पहाड़ी कोरवा, उरॉव एवं कंवर जनजातियां निवास करती हैं। साथ ही हरिजन, अहीर एवंअन्य सामान्य जातियां भी यहां निवासरत हैं। ( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
वर्ष 1962-63 में भारत – चीन युद्ध के पश्चात् तिब्बती शरणार्थी भारत सरकार द्वारा मैनपाट पर बसाये गये हैं, जो 7 विभिन्न कैंपों में निवासरत हैं। जिनकी वर्तमान जनसंख्या लगभग 800 है। तिब्बती अपने सांस्कृतिक वैभव एवं समररसता के लिए प्रसिद्ध हैं।
सरगुजा अंचल में आदिकाल से अनेक संस्कृतियों का प्रादुर्भाव एवं उनके विकास यात्रा का वृतांत मिलता हैं, किन्तु प्राचीन बौद्ध धर्म की संस्कृति के लिए यह अंचल एकमात्र ऐसा स्थान है,
जहां तिब्बती संस्कार में पले मैनपाट के निवासियों को अपनी परंपरा, धार्मिकता एवं बौद्ध संस्कृति की उपासना की झलक प्रत्यक्ष होती है। वहीं प्राकृतिक सौंदर्य को समेटे हुए मैनपाट नामक एक छोटा सा स्थान जहां लोग तिब्बती संस्कृति के पोषक हैं।
इनकी भाषा और संस्कृति इस अंचल की प्रचलित संस्कृति से भिन्न है। सरगुजा जिला के अंचल में मैनपाट के निवासी तिब्बतीयों द्वारा अपने संस्कृति को सुरक्षित रखने की भावना के भरसक प्रयास के बाद भी सरगुजा की संस्कृति एवं जीवन शैली में अपनत्व अनुभव करते हैं।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
मैनपाट, राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 78 (कटनी-अंबिकापुर-गुमला) के काराबेल नामक स्थान, जो अंबिकापुर से 50 कि.मी. की दूरी पर स्थित है, सड़क मार्ग द्वारा तथा अंबिकापुर से दरिमा होते हुए मैनपाट (दूरी 65 कि.मी.) पहुंचा जा सकता है| मैनपाट वर्ष भर सड़क मार्ग से जुड़ा रहता है।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
मैनपाट पहुंचने हेतु नजदीकी रेलवे स्टेशन अंबिकापुर है | प्रमुख शहरों से दूरी निम्नानुसार है:-
1. रायपुर 385 कि.मी.
2. रांची 328 कि.मी.
3. बनारस 370 कि.मी.
4. रायगढ़ 150 कि.मी. (व्हाया कापू)
5. कोरबा 140 कि.मी. (व्हाया कापू)
बौद्ध मंदिर ( Mainpat Baudh Temple )
छत्तीसगढ़ में एकमात्र बौद्ध मंदिर सरगुजा जिले के मैनपाट में दर्शनीय है। जहां बौद्ध परंपरा के अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है। इस बौद्ध मंदिर में तिब्बतीयों के विवाह भी संपन्न होते हैं |
मैनपाट में तिब्बतीयों के अधिकांश पर्व, बौद्ध मंदिर में गौतम बुद्ध के बुद्धत्व प्राप्त करने के बाद दिये गये प्रथम प्रवचन का दिन, निर्वाण प्राप्ति के बाद स्वर्ग जाकर अपनी माता से मिलने के बाद पुनः पृथ्वी पर लौटने का दिन, नये वर्ष के आगमन का दिन, दलाई लामा का जन्मदिन आदि के रूप में मनाया जाता है।
ये सभी पर्व किसी-न-किसी धार्मिक प्रसंग से जुड़े हुए हैं| मैनपाट स्थित बौद्ध मंदिर परंपरागत बौद्ध वास्तुकला के अनुसार ही निर्माण किया गया है। यहां की पूजा-अर्चना भी परंपरागत बौद्ध संस्कृति के अनुरूप की जाती है।
यह स्थल छत्तीसगढ़ के आगंतुक पर्यटकों के लिए रूचिपूर्ण इसलिए प्रतीत होता है, चूंकि उन्हें सरगुजा के वन जीवन एवं सादगीपूर्ण आदिवासी संस्कृति के लोग एवं दूसरी ओर बौद्ध धर्म के अनुयायी तिब्बती संस्कृति, इन दोनों संस्कृतियों का मिलन स्थल देखने मिलता है |
मैनपाट प्राकृतिक सौंदर्य का ही नहीं, अपितु दो संस्कृति का समरसता को भी प्रदर्शित कर पर्यटकों के लिए आकर्षण पैदा करती है।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
टाईगर प्वाईंट ( Mainpat Tiger point )
मैनपाट के पूर्वी हिस्से में संरक्षित वनखण्ड पी. 2350 एवं पी. 2351 वनखण्ड मड़वा सरई के मध्य से महादेव मुड़ा नदी बहती है। महादेव मुड़ा नदी वन क्षेत्र के मध्य में 60 मीटर की ऊंचाई से गिरती हुई एक आकर्षक जल प्रपात बनाती है |
पूर्व में यह स्थल टाईगर का विचरण क्षेत्र होने के कारण इसका नाम टाईगर प्वाइंट पड़ा। टाईगर प्वाइंट के पास नदी अपने सुंदर स्वरूप में है। नदी के दोनों ओर दुर्लभ वनौषधियां प्रचुरता से पायी जाती हैं।
यहां मिश्रित एवं साल के सघन वन स्थित है। टाईगर प्वांईट के किनारे सुरक्षा की दृष्टि से रेलिंग का निर्माण किया गया है, जिससे पर्यटक सुरक्षित रूप से टाईगर प्वांईट के दृश्य का आनंद उठा सकते हैं।
वर्ष 2003-04 में वन-विभाग द्वारा ईको टूरिज्म विकास मद से प्राप्त राशि से महादेव मुड़ा नदी पर एनीकट बनाया गया है। इसमें चार फीट गहरा पानी हमेशा बना रहता है। यह स्थल बच्चों के नहाने एवं तैराकी के लिए उपयुक्त है।
विभागीय योजनांतर्गत फायर वॉच टावर के रूप में निर्मित टावर पर्यटकों के विहंगम दृश्यों के अवलोकन एवं प्राकृतिक सौंदर्य को तिहारने के लिए एक उपयुक्त स्थल है। यह टावर अग्नि से बचाव, निरीक्षण एवं वन सुरक्षा के लिए भी उपयोगी है।
महामहिम राज्यपाल द्वारा यहां प्रवास के दौरान यहां की भूरि-भूरि प्रशंसा की गयी।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
मछली प्वांईट ( Mainpat Fish point)
घनी वादियों के बीच स्थित संरक्षित वन कक्ष क्रमांक पी. 2340 एवं पी. 2341 वनखण्ड – सरभंजा से गुजरती हुई स्वच्छ जलधारा का नाम मछली नदी है। प्राचीन काल से छोटी सुस्वादु मछलियों के लिए प्रसिद्ध इस नदी की निर्मल जल धारा से एक चित्ताकर्षक जल प्रपात मछली प्वांईट का निर्माण हुआ है।
इस प्रपात की उंचाई 48 मीटर है। यहां गिरता हुआ पानी दूधिया झागदार हो जाता है | इसके ठीक सामने पहाड़ी से एक पतली दूधिया जलधारा 80 मीटर उंचाई से गिरती है, जिसे मिल्की-वे कहते हैं।
मछली प्वांईट में जैव विविधता अपने प्राकृतिक स्वरूप में विद्यमान हैं| यह शोधार्थियों के लिए एक महात्वपूर्ण स्थल है। पर्यटन स्थल मछली प्वांईट दूर तक विस्तारित है। इसमें प्राकृतिक जलक्रीड़ा करने हेतु जगह-जगह पर पानी का पर्याप्त जमाव है |
पर्यटक इसके तट पर भ्रमण कर प्राकृतिक सोंदर्य का आनंद लेते हैं।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
परपटिया:-( Mainpat parpatiya )
मैनपाट में पश्चिमी छोर पर स्थित विंहगम प्राकृतिक दृश्यों को अपने में समेटे परपटिया यहां संरक्षित वन कक्ष क्रमांक पी. 2296 वनखण्ड दमाली में स्थित है। यहां से बंदरकोट की ऊंची दुर्गम पहाड़ी, प्राकृतिक गुफा रक््सामाड़ा, जनजातियां आस्था का प्रतीक दुल्हा-दुल्हन पर्वत, बनरह बांध, श्याम घुनघुट्टा के बांध के साथ मेघदूत की रचना स्थली रामगढ़ पर्वत दृष्टिगोचर होता है।
पर्यटन विकास के अंतर्गत यहां पर एडवेंचर जोन निर्मित किया जाना है | पेराग्लाईडिंग हेतु इस स्थल का चयन किया गया है।
मेहता प्वांईट:-( Mainpat Mehta point)
मैनपाट से 8कि.मी. दूरी पर स्थित है, मेहता प्वांईट। सरगुजा और रायगढ़ की सीमा निर्धारित करने वाले झरने का यह जलप्रपात पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा हुआ है।
इस प्वांईट से एक सुदूर जल क्षेत्र ऐसा दिखाई देता है, जैसे कोई समुद्र हो | यहां पर्यटकों के ठहरने के लिए वन विभाग का विश्राम गृह भी है | प्रायः यहां लोग निजी वाहनों से पहुंचते हैं ।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
देव प्रवाह (जलजली):- ( Mainpat Devpravah, jaljali)
संरक्षित वन कक्ष क्रमांक पी. 2328 एवं पी. 2329 वनखण्ड कमलेश्वरपुर में स्थित एक प्राकृतिक झील है जो आगे चलकर एक लहरदार नयनभिराम नाले का रूप धारण करता हुआ, 80 मीटर उंचाई से गिरता हुआ एक झरना बनाता है, इसे देवप्रवाह झरना कहते हैं।
यहां पर घने अछूते वन हैं जो अपने आप में अलौकिक वनौषधियों एवं जैव-विविधता को समाहित किये हुए हैं।
जलप्रपात:-( Mainpat Jalprapat )
1.टाईगर प्वांईट (11. कि.मी.),
2.मछली प्वांईट (20 कि.मी.),
3.मंचधारा (38 कि. मी.),
4.मेछारैना (30 कि.मी.),
5.देव प्रवाह (8 कि.मी.),
6.पेंथर प्वांईट (15 कि. मी)
7.एवं कदनई झरना (32 कि.मी.) इत्यादि जलप्रपात दर्शनीय हैं।
विहंगम दृश्य:-
1.मैनपाट में मेहता प्वांईट (07 कि.मी.),
2. मालतीपुर सनराईज (18 कि.मी.),
3.परपटिया सनसेट (28 कि.मी.),
4.अमगांव व्यू (16 कि.मी.),
5.समनिया व्यू (15 कि.मी.) आदि विहंगम दृश्य दर्शनीय हैं।
गुफाएं:-( Mainpat Gufaye)
मैनपाट के महत्वपूर्ण गुफाओं में
1.बंदर कोट (32 कि.मी.),
2.रक्सामाड़ा (32 कि.मी.),
3.भालू माड़ा (08 कि.मी.),
4. झील गुफा (08 कि.मी.),
5.पैगा खोह (15 कि.मी.) इत्यादि शामिल हैं।
एडवेंचर जोन:-( Mainpat Adventure Zone)
मैनपाट के प्रमुख एडवेंचर जोन-
1.परपटिया (28 कि.मी.),
2.मालतीपुर (22 कि.मी.),
3.वन विश्राम गृह (10 कि.मी.) आदि है।
पर्यटन परिपथ:-( Mainpat Tourist Circuit)
मैनपाट के प्रमुख पर्यटन परिषथ निम्नानुसार है:-
1.परपटिया नान दमाली ट्रेकिंग (28 कि.मी.),
2.इको बाटिनिकल ट्रेल (माटीघाट) (22 कि.मी.),
3.मेडिको बाटिनिकला ट्रेल (मछली नदी) 19 कि.मी.),
4.मेडिसिनल ट्रेल मालतीपुर 12 कि.मी.),
5.देव प्रवास (जलजली) इको बाटिनिकल ट्रेल (08 कि.मी.) आदि ।
सांस्कृतिक वैभव:-( Mainpat Cultural splender)
मैनपाट के प्रमुख सांस्कृतिक वैभव –
1.ट्राईवल विलेज अवगवां (।4कि.मी),
2.तिब्बती कैंप (02 कि.मी.)
विशिष्ट उद्योग घंघे:-( Mainpat specific Industry)
मैनपाट के प्रमुख उद्योग धंधे
1.बाक्साईड खदाने (10 कि.मी.)
2.आलू (खरीफ) व टाउ की खेती (10 कि.मी.)
3.एवं कालीन सेंटर (06 कि.मी.) आदि है।
डायवर्सन चैनल:- ( Mainpat Diversion channel )
मैनपाट के डायवर्सन चैनल निम्नानुसार हैं:-
1.माटीघाट डायवर्सन (2 कि.मी.),
2.जलजली डायवर्सन (06 कि.मी.) आदि ।
जन आस्था:-( Mainpat Public faith )
मैनपाट में निम्नलिखित प्रमुख जन आस्था का केन्द्र हैः-
1.बौद्ध मठ (02 कि.मी.),
2.काली मंदिर (16 कि.मी.),
3.बंजारी मंदिर (12 कि.मी.),
4.जंगलेश्वर मंदिर (18 कि.मी.)
5.शिवालय (12 कि.मी.),
6.पनही पखना (31 कि.मी.),
7.दूल्हा-दूल्हिन (31 कि.मी.) आदि |
उपका:-( Mainpat upka )
मैनपाट के प्रमुख उपका –
1.कैंप नं. 0। (02 कि.मी.),
2.मछली नदी पर (18 कि.मी.),
3. सरई केरचा (23 कि.मी.),
4.असगवां (18 कि.मी.),
5.समनिया (19 कि.मी.) आदि।
घाटियां (वैली):-( Mainpat valley )
मैनपाट की महत्वपूर्ण घाटियां निम्नानुसार हैं:-
1.कदनई (28 कि.मी),
2.करदना (26 कि.मी.),
3.सकरिया (16 कि.मी.),
4.गोविंदपुर (21 कि.मी.),
5.पैगा (15 कि.मी.) आदि ।
आवास व्यवस्था:-( Mainpat Housing System)
छ.ग. पर्यटन मंडल द्वारा संचालित 22 कमरे का सैला टुरिस्ट रिसॉर्ट एवं दो कमरे का वन विभाग का विश्राम गृह तथा अंम्बिकापुर में विभिन्न होटल एवं धर्मशाला उपलब्ध हैं।
कैसे पहुंचे:-( How to reach Mainpat )
वायु मार्ग: रायपुर (436 कि.मी.) निकटतम हवाई अड्डा है, जो मुंबई, दिल्ली, नागपुर, हैदराबाद, कोलकाता, बेंगलूरू, विशाखापट्नम एवं चैन्नई से जुड़ा हुआ है।
रेलमार्ग: बिलासपुर (420 कि.मी.) से अंबिकापुर के लिए रेल सुविधा है।
सड़क मार्ग: मैनपाट जाने के लिए अंबिकापुर से (65 कि.मी.) एवं रायगढ़ से (193 कि.मी.) टैक्सी, बस एवं निजी वाहन से पहुंचा जा सकता है।
बगीचा ( Mainpat Gardens)
बगीचा अपने नाम के अनुसार प्राकृतिक रूप से हरी-भरी वादियों की गोद में बसा है। नाशपत्ती, लीची और आम के बगीचों के कारण इस क्षेत्र का नाम पड़ा बगीचा रायगढ़ – जशपुर नगर मार्ग पर लगभग 167 कि. मी. पर स्थित है कुनकुरी से 78 कि.मी. की दूरी पर यह पर्यटन स्थल स्थित है। जशपुर नगर से इसकी दूरी 112 कि.मी. है।
हरी-भरी वादियों की गोद में बसा बगीचा निम्न आकर्षण के कारण प्रकृति प्रेमी पर्यटकों के लिए एक मनोरम पर्यटन स्थल के रूप में विस्तारित हुआ है | स्थल की अपनी पहचान बगीचा के रूप में होती है।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
मनोरम प्राकृतिक घाटी-( Mainpat Panoramic Natural valley )
बगीचा अपने नाम के अनुसार प्राकृतिक सौंदर्य के लिए, बगीचा रैना सन्ना वन मार्ग एवं वहां स्थित मनोरम घाटियां वर्ष भर चित्तकर्षक हरियाली से प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित करता है। संपूर्ण बगीचा गर्मियों में शीतल, सुखद, जलवायु के लिए प्रसिद्ध है।
इस घाटी के मार्ग पर स्थित आम, नाशपाती, लीची के फलों से लदी वादियां बगीचा की सुदंरता में चार चांद लगा देते हैं| इस वादियों से पर्यटक को उसकी असीम सौंदर्य की अनुभूति होती है।
उसे ऐसा लगता है कि स्वर्ग धरती पर उतर आया हो, रंग-बिरंगी फूलों से लदी एवं फलों से परिपूर्ण हरी भरी वादी पर्यटकों को स्वर्ग लोग के सदृश्य आनंद देते हैं।
रानी झूला- ( Mainpat Rani jhula )
बगीचा से कुछ दूरी पर रानी झूला पर ईब-नदी का उद्गम स्थल है। नदी के उद्गम स्थल पर एक कुण्ड का निर्माण कराया गया है।
छत्तीसगढ़ और उड़ीसा में प्रवाहित होने वाली लगभग 202 कि.मी. लंबी ईब नदी, महानदी की सहायक नदी है। छत्तीसगढ़ में ईब नदी ऐसी नदी है, जहां के रेत में स्वर्ण कण मिलते हैं। यह स्थान रानीझूला के नाम से प्रसिद्ध है।
बादलखोल अभयारण्य ( Mainpat Badalkhol Sanctuary )
रायगढ़ – जशपुर मार्ग पर स्थित बादल खोल अभयारण्य लगभग 104 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है| बादल खोल अभयारण्य इस क्षेत्र का प्रमुख अभयारण्य है बादल खोल अभयारण्य पहुंचने के लिए तहसील मुख्यालय बगीचा जाना पड़ता है |
सघन वनों से आच्छादित यह प्राकृतिक सौंदर्य लिए अभयारण्य वन देवता की छत्रछाया से पलते-बढ़ते और स्वछंद विचरते वन्य प्राणियों की अनोखी दुनिया है। यहां वन्य प्राणी स्वछंद विचरण करते, कुलांचे भरते स्वाभाविक रूप में दिखाई देते हैं। इस अभयारण्य के आसपास का प्राकृतिक परिवेश अत्यंत मनोरम है | जंगली हाथियों ने यहां अपना रहवास बना लिया है।
कैलाश गुफा (गहिरा गुरू आश्रम)-( Mainpat Kailash Gufa )
बगीचा तहसील में स्थित कैलाश गुफा बगीचा से लगभग 0 कि.मी. दूर बतौली मार्ग पर दाहिने ओर जाने वाली सड़क मार्ग पर 28 कि.मी की दूरी पर गायबुड़ा के निकट सघन वन क्षेत्रों के मध्य में स्थित है।
इस स्थान को स्थानीय लोग गहिरा गुरू के आश्रम के नाम से पुकारते हैं। यह स्थल श्री रामेश्वर गुरू गहिरा बाबा के नाम विख्यात है। कठोर पहाड़ी को काट-काटकर इस आश्रम (गुफा) को बनाया गया है। यह आश्रम पूर्णत: प्राकृतिक है।
इस आश्रम का छत चट्टान का बना हुआ है। यहां प्राचीन गुरूकुल की तरह बच्चे धोती-करता पहने, संस्कृत का अध्ययन करते हैं। यहां स्थित गुरूकुल आश्रम और मंदिर अत्यंत ही सुंदर है। यह देखने योग्य है।
गहिरा गुरू के गुफा के अंदर जल की धाराएं झरती है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण इसे गंगा झरना कहा जाता है। आश्रम के एक कक्ष में स्थापित प्रतिमा की प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है।
कैलाशगुफा व गंगा झरना भारत की प्राचीन ऋषि कूल परंपरा का जीवित साक्ष्य है, आतिथ्य परंपरा इस गहिरागुरू आश्रम की विशेषता है। इस नैसर्गिक सौंदर्य से परिपूर्ण रमणीय स्थल कैलाश गुफा अंचल का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
हथगड़ा-( Mainpat Hathgada )
बगीचा विकासखण्ड में स्थित कांसाबेल से 6 कि.मी. पूर्व में स्थित छोटा सा गांव हैं हथगड़ा, जो प्राचीन काल के ऐतिहासिक पुरावशेषों के लिए प्रसिद्ध है। यहां अनेक जलाशय एवं मंदिरों के भग्नावशेष है।
रंगबिरंगी मिट्टी-( Mainpat colored clay)
बगीचा विकासखण्ड में गऊर नदी के किनारे पंडरापाट के पास स्थित चुंदापाट है, जहां रंग-बिरंगी मिट्टी ही आकर्षण का केन्द्र है। इस स्थान में प्रकृति के विभिन्न स्वरूप, मिट्टी के रूप में दिखाई देती है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है।
लेखा पत्थर-( Mainpat Accounting Stone)
बगीचा से बादलखोल अभयारण्य जाने वाले मार्ग में 17 कि.मी. की दूरी पर जोड़ा नामक नाले के किनारे स्थित एक शिलाखण्ड पर कुछ अस्पष्ट चित्र लिपि अंकित है स्थानीय भाषा में इसे लिखा पखना कहते हैं|
जिसका अर्थ है लिखा हुआ पत्थर | इस गुफा में खड़े चट्टान में छत के ऊपर आड़े रखे हुए शिला में ऊंचाई पर अंकित यह चित्र लिपि, सामान्य आदमी के पहुंच से ऊंचा है। उक्त चित्रलिपि अब तक अपठित है | तथापि क्षेत्र की प्राचीनता का परिचय मिलता है।
देउरकोना-( Mainpat Deurkona )
देउरकोना अर्थात् देवताओं का कोना, यहा स्थल बगीचा विकास खण्ड में ग्राम नन्हेसर का एक टोला है। यहा स्थित प्राचीन ऐतिहासिक शिव मंदिर और शिल्पांकित कलाकृतियां पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
जलप्रपातों का क्षेत्र बगीचा-
प्रकृति की गोद में बसा बगीचा सुरम्य वादियों से घिरा होने के कारण प्राकृतिक जलप्रपात की अधिकता है।
1.रजपुरी जलप्रपात-( Mainpat rajpuri waterfall )
बगीचा से पूर्व दिशा में लगभग 3 कि.मी. की दूरी पर सघन वनों के मध्य रजपुरी पहाड़ी से प्रवाहित जलप्रपात स्थित है। इस प्रपात में जल लगभग 50 फीट की उंचाई से कलकल ध्वनि करता हुआ नीचे गिरकर प्राकृतिक छटा बिखेरता है।
2.दराबघाघ (जलप्रपात)-( Mainpat darabaghagh )
बगीचा क्षेत्र में दराब घाघ नामक स्थान में पहाड़ी से गिरता हुआ जलप्रपात मनमोहक दृश्य प्रस्तुत करता है। दराबघाघ, बगीचा विकासखण्ड में ग्राम भड़िया से दनगरी जाने वाले मार्ग पर स्थित है।
3.महनई घाघ (जलप्रपात)-( Mainpat mahanai ghagh )
महनई घाघ स्थान बगीचा से कुछ दूरी पर स्थित है| इस स्थान में पहाड़ी से गिरता हुआ जलप्रपात को महनई घाघ जलप्रपात कहा जाता है।
4.वेचवार (जलप्रपात)-( Mainpat vechvar )
बगीचा विकासखण्ड के ग्राम सुलेखा के पास वेचवार जलप्रपात प्रवाहित होता है | इस वेचवार जलप्रपात की विशेषता है कि काफी उंचाई से गिरता चट्टान से टकराकर धुएं की धार के समान दिखाई देता है। दिन से सूर्य की किरणें इसमें पड़ते ही इन्द्रधनुष की छटा बिखेरता हुआ मनमोहक बन जाता है।
आवास व्यवस्था:-( Mainpat Housing System )
बगीचा तहसील मुख्यालय में लोक निर्माण और वन विभाग के अलग-अलग विश्वाम गृह हैं।
कैसे पहुंचे:-( How to reach Mainpat )
जशपुर नगर (112 कि.मी.) एवं अंबिकापुर (55 कि.मी.) से बगीचा के लिए बस, टैक्सी चलती है।
सन्ना:-( Mainpat sanna )
बगीचा से 25 कि.मी. दूर सघन वनों के मध्य सड़क मार्ग पर सन्ना स्थित है। यह बगीचा विकासखण्ड के अंतर्गत सघन वनों से आच्छादित भूभाग है।
सन्ना क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण गुफा, झरना, आरण्य जैसे पर्यटन के लिए प्रसिद्ध स्थल है, जहां पर्यटकों के लिए दर्शनीय रूप में मां खुड़ियारानी की प्राकृतिक गुफा स्थित है।
खुड़ियारानी की गुफा:-( Mainpat khudiyarani ki gufa )
बगीचा विकासखण्ड के ड़ोड़की नाले के किनारे स्थित ग्राम छिछली से 5 कि.मी. में जशपुर जिले की ही सर्वाधिक दुर्गम गुफा खुड़ियारानी की गुफा है। मां खुड़ियारानी कोरवा जाति की आराध्या देवी मानी जाती है।
खुड़िया रानी की गुफा बगीचा, रौनी सन्ना पहाड़ी वनमार्ग में, रौनी से लगभग30-40 फीट नीचे उतर कर झरना के सामने ही यह प्राकृतिक गुफा है। इस गुफा में लंबी सुरंग है। यहां एक मूर्ति रखी हुई है, जिसे खुड़ियारानी कही जाती है।
यह प्राचीन मूर्ति कोरवा जाति की आराध्य देवी कही जाती है। सैकड़ों वर्षों से इस गुफा को लोग खुड़ियारानी की गुफा के नाम से जानते है। मां खुड़ियारानी के संबंध में जनश्रृति है कि कोरवा राजा को मां के आशीर्वाद से युद्ध में जीत मिली थी एवं उनका राज उन्हें वापस मिला था। यह देवी सन्ना क्षेत्र की ईष्ट देवी मानी जाती है |
जिसके प्रताप से पूरा अंचल खुशहाल रहता है। इसके दर्शन करने मात्र से सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। ऐसी जन-मान्यता है | मां खुड़ियारानी की गुफा के भीतरी कक्ष में प्रतिमा स्थापित है।
इसे अंग्रेज लेखक स्व. इ.डी. ब्रेट ने 4904 में प्रकाशित छत्तीसगढ़ फ्युडेटरी गजेटियार में प्रतिमा के संबंध में चर्चा करते हुए इसे बौद्ध प्रतिमा मानते है, वहीं स्थानीय वनसासी खुड़ियारानी को अपनी ईष्ट देवी मानकर पूजते आ रहे हैं।
गुफा की सुरंग काफी संकरा होने के कारण प्रतिमा तक पहुंच जाना संभव नहीं होता। यहां सुरंग के अंतिम छोर में एक दीप अर्से से निरंतर प्रज्वलित किया जा रहा है। गुफा के अंदर पहुंचने के लिए ग्राम रौनी से बैगा साथ ले जाने की परंपरा है।
ग्राम वासियों में मां खुड़िया रानी के प्रति अपार श्रद्धा एवं विश्वास है। इसी गुफा के सामने प्राकृतिक झरना चट्टान में प्रवाहित होती है तथा यहां एक प्राकृतिक चूल्हा है, जो चट्टान से बना हुआ है।
दर्शनार्थी यहां भोजन आदि तैयार करते हैं। गुफा के सामने का हिस्सा देखने से ऐसा लगता है कि यह कोई विशाल वृक्ष का जीवाश्म (फासिल्स) है। बड़े-बड़े वृक्षों से घिरा यह क्षेत्र नीचे खाई में होने के कारण अत्यंत रोमांचक लगता है | पर्यटकों के लिए यह गुफा एक अच्छा दर्शनीय स्थल है।( Mainpat Chhattisgarh : Mini Shimla of Chhattisgarh Mainpat )
आवास व्यवस्था-( Mainpat Housing system )
सनन्ना में ठहरने के लिए लोक निर्माण विभाग का विश्राम गृह उपलब्ध है।
कैसे पहुंचे-( How to reach )
जशपुर एवं अंबिकापुर से निजी वाहन से सन्ना जाया जा सकता है।
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