Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh, Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh.
आप पर्यटन के शौकीन हैं तो गंगरेल का नजारा आपको जरूर आकर्षित करेगा |
गंगरेल का संक्षिप्त विवरण:( Gangrel Overview)
नदी का स्त्रोत – महानदी, उद्गम स्थल सिहावा
विद्युत उत्पादन – 40 मेगा वाट जिसमें 2.5 मेगा वाट की चार युनिट लगी है।
बांध की ऊंचाई – 47 मीटर
निर्माण – सन् 1978
मशीनरी – जर्मनी की एलेस्टेम कंपनी
गंगरेल तक कैसे पहुंचे
( How to reach Gangrel Dam)
गंगरेल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से मात्र 82 कि.मी. दूर है। मुम्बई-हावड़ा रेलमार्ग पर स्थित रायपुर निकटतम रेलवे स्टेशन है जो देश के सभी नगरों से सीधे जुड़ा हुआ है|
रायपुर से गंगरेल के लिये आरामदेह बस व टैक्सी की सुविधा उपलब्ध है एवं गंगरेल में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा निर्मित ठहरने के लिये विश्राम गृह भी उपलब्ध है |गंगरेल जाने के मार्ग पर सबसे पहले विंध्यवासिनी माता का मंदिर आता है |( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
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पहला पड़ाव:( First spot in Gangrel Dam)
धमतरी का सौभाग्य है कि यहां देवी के रूप में मां विंध्यवासिनी स्वयंभू — रूप में अवतरित है। वर्तमान में इस देवी को धमतरी नगर की देवी के रूप में माना जाता है| यह देवी बिलाई माता के नाम से छत्तीसगढ़ राज्य में जानी जाती है।( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
इस मंदिर के बारे में प्रचलित कथा इस प्रकार हैः- राजा मांडलिक अपने सैनिकों के साथ एक बार घने वन में पहुंचे जहां आज देवी का मंदिर है। इस स्थान पर घोड़े अपने पैर चलने के लिए उठाते ही नही थे |
राजा वापस लौट गये | दूसरे दिन फिर यह घटना घटित हुई और घोड़े उसी स्थान पर अड़ गये! तब राजा ने सैनिकों को निर्देश दिया कि वो घोड़ों से उतरकर आसपास देखें कि इसका क्या कारण है?( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
सैनिकों ने जब वन में खोज बीन की तो उन्होंने देखा कि एक पत्थर के चारों तरफ जंगली बिल्लियां जिनका आकार अत्यंत डरावना था, बैठी हुई थी। ( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
राजा को इसकी सूचना दी गई । राजा ने अनुष्ठान एवं क्षमा याचना के साथ बिल्लियों को भगाकर उस पत्थर को प्राप्त करने का आदेश दिया क्योंकि यह शिला बहुत ही आकर्षक एवं तेजस्वी था।
निरीक्षण के पश्चात् पाया गया कि यहां शिला जमीन के अन्दर तक है अतः उसे निकालने हेतु खुदाई की गई किन्तु शिला बाहर नहीं निकला तथा उसी स्थान पर जल धारा निकलनी प्रारंभ हो गई अतः खुदाई कार्य दूसरे दिन के लिए रोक दिया गया |( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
रात्रि में राजा को देवी ने स्वप्न दिया कि उसे वहां से मत निकालें बल्कि उसी स्थान पर उसकी पूजा आराधना किया जाना लोगों के लिए कत्याणकारी रहेगा। अतः दूसरे दिन राजा ने खुदाई बंद करवा कर देवी की नियमानुसार पूजा अर्चना के साथ वहीं पर स्थापना करवा दी।
सुन्दर चबूतरे का निर्माण कर दिया गया तथा बाद में इसे मंदिर का रूप प्रदान कर दरवाजा आदि बनाया गया | लोगों का ऐसा मानना है कि पत्थर अधिक उपर नहीं आया था । अतः प्रतिष्ठा के बाद देवी की मूर्ति स्वयं उपर उठी | ( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
आज भी यह प्रमाण दिखाई देता है क्योंकि पहले द्वार का निर्माण किया गया था तथा वहां से देवी का सीधा दर्शन होता था। उस समय मूर्ति पूर्ण रूप से बाहर नही आयी थी किन्तु जब पूर्ण रूप से बाहर आई तो चेहरा द्वार के बिलकुल सामने नहीं आ पाया एवं थोड़ा तिरछा रह गया।
अतः द्वार बनने के बाद ही मूर्ति बाहर आई है। मूर्ति के साथ काली बिल्लियां भी देखी गयी थीं इसलिए बहुत से लोग इसे बिलाई माता भी कहने लगे। यह प्रतिमा विंध्यवासिनी देवी के रूप में यहां पूजित है।
धमतरी से 40 कि.मी. की दूरी पर र्थित है-गंगरेल बांघ( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
दूसरा पड़ाव:( Second spot in Gangrel Dam)
गंगरेल का एक मनोरम दृश्य | आप यहां बोटिंग एवं उद्यान का आनंद उठा सकते हैं। गंगरेल में रूकने की उत्तम व्यवस्था है जिसे छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा निर्मित किया गया है। यहां खूबसूरत बगीचे एवं लक्जरी कॉटेज बने हैं। यहां से आप गंगरेल बांध एवं प्राकृतिक नजारे का लुफ्त उठा सकते हैं।( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
तीसरा पड़ाव:( Third spot in Gangrel Dam)
धमतरी जिला मुख्यालय से 13 कि.मी दूर ग्राम गंगरेल में मां अंगार मोती स्थित है। भक्ततजन प्रतिदिन यहां दर्शनार्थ आते हैं। तथा दर्शन का लाभ लेकर अपने आप को धन्य समझते हैं।
मां अंगार मोती गंगरेल जलाशय के तट पर स्थित है। लोगों का मानना है कि यहां उनकी मनोकामनाएं पूरी होती है। श्रद्धालु यहां दीप प्रज्जवलित करते हैं तथा विभिन्न अवसरों पर मेला भी भरता है।( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
चौथा अंतिम पड़ाव:( Fourth Spot in Gangrel Dam)
अब हम पहुंचते हैं सफर के अंतिम पड़ाव में, जहां आकर आप रोमांच से भर जायेगें। अंगार मोती मंदिर से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
अंगार ईको एडवेंचर कैम्प | यहां पर प्रत्येक कदम में आपको पूनः नये-नये एडवेंचर से गुजरना पड़ेगा जिसमें बर्मा ब्रिज, ब्रोन फायर कैट वॉक, मंकी क्रो, कमांडो नेट, टायर शोइंग, रूफ क्रॉसिंग जैसे एडवेंचर आपको रोमांचित कर देंगे । तो तैयार हो जाइये गंगरेल यात्रा के लिये।( Gangrel Dam Dhamtari Chhattisgarh : Gangrel bandh dhamtari Chhattisgarh)
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