रामगढ सरगुजा छत्तीसगढ़ | Ramgarh Sarguja Chhattisgarh

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Ramgadh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh ( रामगढ सरगुजा छत्तीसगढ़ )
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प्रयाग  तथा वाराणसी से दक्षिण की ओर जाने वाले प्राचीन यात्रा पथ पर सरगुजा जिले के उदयपुर विकास खण्ड में स्थित एक ऊंची पहाड़ी, भूतपूर्व रामपुर टप्पा के समतल मैदानों में अचानक ही उठ खड़ी हुई।

समतल भू-सतल से 308 मीटर की ऊंचाई तक उत्तर से दक्षिण में फैली एक पहाड़ी और इस पहाड़ी के दक्षिण – पहाड़ी भाग में लगभग 310 मीटर ऊंची एक सीधी खड़ी चट्टान, इस पूरी पहाड़ी को एक बैठे हुए हाथी की आकृति देते हैं | इस पहाड़ी को रामगढ़ कहते हैं। .

पारम्परिक कथाओं के अनुसार रामायण काल में यह स्थल *दण्डकारण्य’ था एवं सीताजी पहाड़ी स्थित गुफा ‘सीता बेंगरा’ में निवास करती थी पहाड़ी के समीप से ही बहने वाली नदी रिहन्द या रेण प्राचीन काल की रेणुका नदी थी। इतिहासविद्‌ कर्निघम रामगढ़ की पहाड़ियों को रामायण में वर्णित ‘चित्रकूट ‘ मानते हैं। एक अन्य मान्यता के अनुसार महाकवि कालिदास ने ‘मेघदूतम्‌’ की रचना रामगढ़ में की थी |Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)
 
 

दर्शनीय स्थल-

हाथी पोल:-( Hathipole Ramgarh chhattisgarh)

रामगढ़ के उत्तरी छोर के निचले भाग में एक विशाल सुरंग है जो लगभग 39 मीटर लम्बा एवं मुहाने पर 17 मीटर ऊंचा एवं इतना ही चौड़ा है | इसे हथपोल या हाथीपोल कहते हैं। अन्दर इसकी ऊंचाई इतनी अधिक है कि इसमे से हाथी आसानी से गुजर  सकता है |

 बरसात में इसमें से एक नाला बहता है। अन्दर चट्टानों के बीच एक कुण्ड है जो सीत कुण्ड के नाम से जाना जाता है जिसका पानी अत्यन्त निर्मल एवं शीतल रहता है |Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

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सीता बेंगरा:( Sitabengra Ramgarh)

इस पहाड़ी का सबसे रोचक पौराणिक प्राचीन अवशेष एक गुफा है जिसका नाम सीता बेंगरा अर्थात सीता का निवास स्थान है| यह उत्तरी – पूर्वी ढाल में ऊंचाई पर स्थित है। आकार में यह गुफा 14 मीटर लंबी एवं 4.2 मीटर चौड़ी है।

ऊंचाई सामने की ओर 2मीटर  है जो पीछे की ओर कम हो गई है। गुफा के बाहर कई संख्या में  वृत्ताकार पायदान एवं चट्टानों पर कटे आसन है  गुफा के सामने दाहिने सिरे पर मानव चरणों के निशान  खुदे हुए हैं। कहा जाता है कि वनवास  के समय सीताजी इसी गुफा में रहती थी।

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नाट्य शाला:-

सीता बेंगरा की रचना को देखकर आभास होता है कि इसका उपयोग प्राचीन काल में नाट्यशाला के रूप  में किया जाता था| पूरी व्यवस्था बहुत हो कलात्मक है | गुफा में बाहर लगभग 50-60 लोगों के बैठने हेतु अर्धचन्द्राकार में आसन बने हुये है। 

गुफा में प्रवेश स्थल की फर्श पर दो छिद्र है। जिनका उपयोग सम्भवतः पर्दे में लगाये जाने वाले लकड़ी के स्तम्भों को फसाने के लिए किया जाता था प्रतिवर्ष  आषाढ़ के प्रथम दिवस पर इस नाट्यशाला में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता हैRamgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

Ramgadh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh ( रामगढ सरगुजा छत्तीसगढ़ )

 

सीता बेंगरा गुफा के समतल चट्टान पर दो पंक्तियों का एक शिलालेख है जिसके प्रत्येक पंक्ति की लबाई लगभग । मीटर है। यह लेख गुप्त युगीन शासकों के शिलालेखों में उत्कीर्ण किये गए ब्राम्ही लिपि के सामान ही उकेरे गए है इसके अलावा मौर्या के समय का एक संयुक्त अक्षर भी उत्कीर्ण की गई एवं कुछ संख्यात्मक मान  लिखे गए है मनो किसी तथ्यों की गिनती संभलकर रखी गई है 

 

जोगीमगारा:-( jogimara gufa Ramgarh)

सीता वेंगरा से सटी हुई एक दूसरी गुफा है जो जोगीमारा के नाम से जाना जाता है| इसकी छत   के बाहरी एवं भीतरी सतह पर पक्षियों , पुष्पों , अश्व, गज एवं मनुष्यों की आकृतियों को लाल, पीले, भूरे, हरे तथा काले रंगो से चित्रित किया गया है| 

इन्हीं में प्राचीन य॑त्य झरोखों का भी चित्रण किया गया है। दो पहियों  से युक्त रथ जिसे तीन पुष्पों घोड़े  खींच रहे हैं एवं जो छतरियों से ढंके हैं, सांची एवं भरहुत की कलाकृतियों में अंकित परिदृश्यों के समान है | Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

Ramgadh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh ( रामगढ सरगुजा छत्तीसगढ़ )

निरन्तर नमी में इन प्राचीन चित्रणों का बड़ा हिस्सा घूमिल होकर अस्पष्ट हो गये हैं तो भी कला के ये हिस्से प्राचीनतम  चित्रों के रूप में माने जाते  है |  जो ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी के समय की है| इस गुफा में उतनी ही प्राचीन 5 पंक्तियों का एक शिलालेख है जो सम्राट अशोक के शिलालेखों के सामान ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण है

 

तुर्रापानी:( Turrapani Ramgarh)

सीता बेंगरा से आगे खड़ी चटटान के तल में चटटान के बीच से  पानी की पतली धारा बहती है। जिसका जल अत्यंत स्वच्छ एवं शीतल है यह तुर्रापानी कहलाता है|

इस स्थान को तिलकामती भी कहते है यहाँ की मिटटी का रंग लाल है और किवदंती है की भगवान रामचंद्र जी ने सीताजी के मस्तक पर  इसी स्थान पर इस माटी से तिलक लगाया था यहाँ प्रतिवर्ष माघ (जनवरी/फ़रवरी),  चैत्र (मार्च/अप्रैल) एवं बैशाख (मई/जून) महीनो में मेला लगता  है |Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

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पऊरी दरवाजा या पऊरी द्वारी:( Pauri Darwaja Ramgarh)

मुख्य पहाड़ी के मार्ग पर एक जीर्ण शीर्ण द्वार है जो दो प्रस्तर स्तंभों को कई पत्थरों के टुकड़ों से जोड़कर बनाया गया है इस द्वार पथ के दूसरी तरफ कटे हुए पत्थरों के टुकड़ों के विशाल खंड पड़े  हुए हैं Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

जिनका उपयोग कभी एक घेरे नुमा दीवार के निर्माण में हुआ था इस द्वार से आगे कबीर चौरा नाम से चबूतरा है जो धर्मदास नाम  जोगी की समाधि है  रामगढ़ पहाड़ी के अंतिम जोगी थे  यही पर  एक विशाल प्रस्तर खंड है जिसमें एक छोटा सा अंदर जाने का रास्ता बना है वशिष्ठ गुफा के नाम से जाता है

 

सिंह दरवाजा /रावण दरवाजा:( Singh Darwaja/ Ravan Darwaja Ramgarh)

वशिष्ट गुफा से आगे विशाल पत्थरा को तराशकर बनाया गया मेहराव आज भी खड़ा है| सीधी खड़ी चट॒टान पर इतने विशाल प्रस्तर खण्डों से निर्माण कार्य आश्चर्यजनक है। यह सिंह दरवाजा कहलाता है | Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

सिंह दरवाजे से टूटे हुये सीढ़ियों के पायदान (गणेश सीढ़ी) रावण दरवाजे तक ले जाते हैं। रावण. दरवाजा रावण की प्रतिमा, कुम्भकरण की प्रतिमा, कुछ नाचती हुई नारियों की प्रतिमा तथा सीताजी एवं हनुमानजी की प्रतिमा से युक्त है।

आस-पास कुछ अन्य मुर्तियां भी हैं, जिसके परिधान एवं अन्य जानकारियाँ प्राचीन काल की मूर्तियों के समान है। पहाड़ी की चोटी पर बहुत अच्छी स्थिति में एक मंदिर है जिसमें राम, लक्ष्मण एवं सीताजी की मूर्तियाँ रखी है | 

पहाड़ी के शिखर से लगभग 61 मीटर नीचे खड़ी चट्टान की सतह पर एक प्राकृतिक गुफा है। गुफा में नमी युक्त चाक मिट्टी पायी जाती है। मंदिर में पूजा के बाद भक्तों द्वारा इस मिट्दी को अपने कपाल में पवित्र चिन्ह के रूप में लगाया जाता है। गुफा के ठीक नीचे एक स्वच्छ जल का कुण्ड है जिसके बारे में ये कहा जाता है कि इसकी गहराई कभी नहीं बदलती |

 

महेशपुर:( Maheshpur Ramgarh Sarguja)

रामगढ़ के उत्तर में 8 किलोमीटर की दूरी पर रेण (रैणूका) नदी के किनारे स्थित महेशपुर में 12 विशाल मंदिरों के भग्नावशेष हैं जो मुख्यतः: शिव एवं विष्णु से संबंधित हैं| एक स्थान पर जैन तीर्थकर वृषभनाथ की प्रतिमा रखी हुई है।

ये सभी अवशेष 7वीं से लेकर 10वीं शताब्दी की मानी जाती है। यहां मुख्य रूप से त्रिपुरी के कलचुरि काल की कला शैली तथा सांस्कृतिक प्रभाव की झलक दिखाई देती है |Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

 

 

कैसे पहुंचे:-( How to reach Ramgarh)

रामगढ़ अम्बिकापुर-बिलासपुर मुख्य मार्ग पर स्थित उदयपुर से 3 कि.मी. और अम्बिकापुर से 43 कि.मी. की दूरी पर है। अम्बिकापुर एवं बिलासपुर से उदयपुर पक्की सड़क से जुड़ी है जिस पर पूरे वर्ष आवागमन होता है | 

अम्बिकापुर से उदयपुर तक बस की अच्छी सुविधा उपलब्ध है| उदयपुर से रामगढ़ पैदल अथवा मोटर गाड़ी से जाया जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन विश्रामपुर, अम्बिकापुर तथा बिलासपुर है। निकटतम हवाई ‘अड्डा रायपुर लगंभग 350 कि.मी. एवं बनारस 340 कि.मी की दूरी पर है |Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

 

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आवास व्यवस्था:-( Housing System in Ramgarh)

ठहरने के लिये उदयपुर में पी.डब्लूडी. विभाग का विश्रामयृह बना है। इसके अतिरिक्त उदयपुर से 18 कि.मी. दूर लखनपुर में ठहरने हेतु धर्मशाला एवं समीप के कुंवरपुर में सिचाई विभाग का विश्रामगृह है।

मेनपाट- में छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल द्वारा संचालित सैला टुरिस्ट रिसॉर्ट तथा अम्बिकापुर में ठहरने के लिए उच्च विश्रामगृह, विश्राम भवन, होटल,गेस्ट हाउस उपलब्ध है| Ramgarh Sarguja Chhattisgarh : Ramgarh Hills District of Sarguja Chhattisgarh)

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