गुप्त वंश छत्तीसगढ़ | Gupt Vansh Chhattisgarh | Gupt Dynasty Chhattisgarh
गुप्त वंश छत्तीसगढ़
राजधानी > पाटलिपुत्र( पटना ), बिहार
दाक्षिरापथ > महानदी बेसिन को कहा जाता है ।
महाकांतार > बस्तर को कहा जाता है ।
>इस वंश की जानकारी समुन्द्रगुप्त के दरबारी हरिषेण के प्रयाग प्रसस्ति अभिलेख से मिलती है ।
>इस काल में महानदी बेसिन या फिर कहे की छत्तीसगढ़ के ऊपर और मध्य हिस्से को दाक्षिरापथ और वही निचले हिस्से अर्थात बस्तर को महाकांतार कहा जाता है ।
श्री गुप्त :-
- श्री गुप्त ही छत्तीसगढ़ के गुप्त वंश का संस्थापक है ।
घटोच्कच :-
चन्द्रगुप्त-I :-
- चन्द्रगुप्त-I ही छत्तीसगढ़ के गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक है ।
समुन्द्रगुप्त :-
- यहाँ बहुत ही महान शासक था , इसलिए उसे भारत का नेपोलियन कहा जाता था ।
- समुद्रगुप्त ने ही आर्यावर्त के 12 राजाओ को हराया , एवं दाक्षिरावर्त के 9 राजाओ को भी हराया जिसमे से 2 छत्तीसगढ़ के थे ।
- इसने शरभपुरी वंश के कौशल के राजा महेंद्र सेन व महाकांतार( बस्तर ) नल वंश के राजा व्याग्रराज को पराजित किया , इसक वर्णन हरिषेण कृत प्रयाग प्रशस्ति में मिलता है ।
- कौशल( महेंद्र सेन) व महाकांतार( व्याग्रराज) को जीता था ।
चन्द्रगुप्त-II :-
- इन्होने अपने पुत्री प्रभावती का विवाह वाकाटक वंश के राजा रुद्रसेन से किया था ।
कुमार गुप्त :-
- इसका रातजारित सिक्का आरंग से प्राप्त हुआ है ( मयूर सिक्का )
40 सिक्का :-
- पिटाई ग्राम रायपुर से परैत हुआ जिसमे महेन्द्रादित्य व विक्रमदित्य उलेख्खित है जो गुप्त वंश के राजा है ।
बनाबरद :-
- दुर्ग से गुप्तकालीन वंश के सिक्के प्राप्त हुए है ।
देवरानी जेठानी :-
- देवरानी जेठानी मंदिर इसी काल में बनाया गया लेकिन किसने बनाया यह स्पष्ट नहीं है ।
- यह मंदिर बहुत ही प्राचीन है ।