छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति | Chhattisgarh me 1857 ki Kranti | 1857 Revolution in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में 1857 की क्रांति का हिस्सा
सोनाखान विद्रोह (1856) :-
- स्थापना > 1490 में बिसई ठाकुर बिंझवार ने सोनाखान जमींदार की स्थापना किया था।
- नेतृत्व > सोनाखान के जमींदार वीर नारायण सिंह राजपूत थे।
- कारण > अकाल पीड़ितो को खाना उपलब्ध कराना इसके लिए वीर नारायण सिंह ने कसडोल के माखन लाला व्यापारी के गोदाम से अनाज लूटा।
- गिरफ्तार > 2 दिसम्बर 1857 में कैप्टन स्मिथ ने सोनाखान से किया।
- धोखेबाजी > भटगांव, बिलाईगढ़, देवरी व कटंगी के जमींदारों ने अंग्रेजों का साथ दिया।
- फाँसी > इसी आरोप में 10 दिसम्बर 1857 को रायपुर के जयस्तंभ चौक फाँसी दे दिया गया।
- अधीक्षक > चार्ल्स इलियट
- शहीद > छ.ग. स्वतंत्रता आंदोलन के प्रथम शहीद कहलाते है।
सुरेन्द्र साय चौहान का विद्रोह :-
- स्थान > संबलपुर (उड़ीसा)
- नेतृत्व > सुरेन्द्र साय चौहान (संबलपुर के जमींदार)
- कारण > उत्तराधिकार युद्ध के कारण हजारीबाग जेल में बंद ।
- इस दौरान वीर नारायण सिंह का बेटा गोविन्द सिंह साथ में था।
- ये 31 अक्टूबर 1857 को जेल से फरार ।
- सजा > 1864 में गिरफ्तार कर असीरगढ़ के किले में भेज दिया गया।
- जहाँ 1884 में खूब यातनाओं के बाद मृत्यु हो गयी।
- इसे छ.ग. स्वतंत्रता आंदोलन के अंतिम शहीद कहते है।
सोहागपुर विद्रोह (15 अगस्त 1857 ) :-
- स्थान > सरगुजा ।
- नेतृत्व > रंगाजी बापू।
- विपक्षी > अंग्रेज।
सैन्य / सिपाही विद्रोह (18 जनवरी, 1858) :-
- स्थान > रायपुर
- नेतृत्व > हनुमान सिंह पुलिस (बैसवाड़ा के राजपूत)
- पद > रायपुर में सेना के तीसरी बटलियन के लश्कर-ए-मैग्जीन के पद में पदस्थ थे।
- कारन > 1857 के क्रांति का प्रभाव था।
- हत्या :- अपने बड़े अधिकारी सार्जेन्ट सीडवैल को गोली मरी थी।
- हनुमान सिंह फरार हो गया लेकिन उसके 17 साथी गिरफ्तार हो गये तथा फाँसी दे दी गई।
नोट :- हनुमान सिंह को छ.ग. का मंगल पाण्डे कहते हैं।
सारंगगढ़ का विद्रोह :-
- स्थान > रायगढ़
- नेतृत्व > कमल सिंह
- विपक्षी > अंग्रेज
उदयपुर का विद्रोह :-
- स्थापना > सरगुजा
- नेतृत्व > कल्याण सिंह
- विपक्षी > अंग्रेज
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