छत्तीसगढ़ के किसान आंदोलन | Chhattisgarh Ke Kisan Andolan in History
छत्तीसगढ़ के किसान आंदोलन
राजनांदगाँव में बेगारी विरोधी आंदोलन (1879) :-
- इसका नेतृत्व सेवता सिंह ठाकुर ने किया था।
- बेगारी प्रथा के विरुद्ध सर्वप्रथम आवाज सेवता ठाकुर ने उठायी .
- अंग्रेजों ने इस आंदोलन को कुचल दिया।
छुईखदान आंदोलन (1938) :-
- इसका नेतृत्व रामनारायण मिश्र (हर्बुल) ने किया।
- यह अहिंसक आंदोलन था इसकी तुलना बारदोली सत्याग्रह से की जाती हिअ .
- गांधी जी की सलाह से यह आंदोलन स्थगित कर दिया गया।
डौडी लोहारा आंदोलन (1939) :-
- इसका नेतृत्व नरसिंह प्रसाद अग्रवाल व सरजू प्रसाद अग्रवाल ने किया।
- किसानों ने माली थोरा बाजार में आम सभा किया व गिरफ्तार हुये।
कांकेर आंदोलन (1944) :-
- इसका नेतृत्व तीन लोगों ने किया
- 1. इन्दरू केवट (कांकेर के गाँधी)
- 2. गुलाब हटना
- 3. कंगलू कुम्हार
- 200 बैलगाड़ियों के साथ 429 किसान गिरफ्तार हुये।
- आंदोलन की व्यापकता को देखकर कांकेर के राजा भानुप्रताप देव ने किसानों से समझौता कर लिया।
सक्ती में आंदोलन (1947 ) :-
- कारण > राजा लीलाधर सिंह की कृषि नीति ।
- राजा ने पुराने गौटियाओं को बेदखल कर दिया था।
- पुराने गौटियाओं एवं किसानों ने बेदखल किये गये खेतों से फसल काट लिया जिसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
- आजादी के बाद भी सक्ती में कृषक आंदोलन जारी रहा है।
सामाजिक आंदोलन
1. छ.ग मुक्ति मोर्चा → शंकर गुहा नियोगी (विधायक)
2. सहकारिता आंदोलन → ठाकुर प्यारे लाल सिंह
3. मजदूर आंदोलन (1920) → ठाकुर प्यारे लाल सिंह
4. अस्पृश्यता आंदोलन →पं. सुन्दरलाल शर्मा
5. किसान आंदोलन> खूबचंद बघेल
6. सामाजिक क्रांति के जनक → गुरु घासीदास