छत्तीसगढ़ में फ्रेंडशिप डे और मितान पर मोर जुबान का कहिथे ?
‘फ्रेंडशिप डे’ और मितान आज एक फैशन चलत हावय। माँ, पिता, परिवार दिवस मनायें। कुछ दिन ले ‘फ्रेंडशिप डे’ मा एक धारा ले के फ्रेंडशिप बैंड बांधे जाथे। राखी के बदले रूप आए। फेर रिस्ता भाई-बहिनी के नोहय, दोस्ती के आय। छत्तीसगढ़ में ये दिवस के कोनो मलतब नइए।
हमर इंहा संबंध बहुत गहिर होथे। महतारी अउ लइका के. ददा अब लइका के हवय। परिवार के आपसी संबंध ह आज भी संयुक्त परिवार के रूप म हावय। अब लड़का के, ददा अउ लडका के हवय अब ये मितानी याने दोस्ती के दिवस मनावत हावयं। छत्तीसगढ़ म त ‘देखरू जरूरत नहए।
एक धारा के बंधन बांधे एक बर बर दोस्त बनाए के जरूरत नइए। इहां तो जिनगी भर बर दोस्ती होथे। हमर छत्तीसगढ़ म मितान प्रथा हावय। बहर भर में कई बेर मौका आथे जब भगवान या प्रकृति ल साकछी बना के दोस्त बनाये जाये। येला हमन मितान कहिथन। ‘मित्रता’ करना ही मितान बनाना आय ।
राखी के पहिली भोजली बोवे जाथे। सावन के अश्टमी के दिन गेहूं, जौ, धान, मूंग उरिद ल एक टोकनी म बोये जाथे। पांच तरह के या फिर फेरे साल तरह के अनाज ल बोये जाथे, जहां उहा भाई ये भार ल उतारथे । भोजली ल ठंडा करथें। उही समय म भोजली के माटी ल धोये जाथे अउ भोजली ल घर ले आयें।
जेन ल मितान बनाना हे ओखर कान म भोजली खोंच के मितान बंद लेथें। एक दूसरे के नाम नई लेवयं भोजली ही कहियें। ये मितान दू-तीन पीढ़ी तक ले चलथे। एक-दूसरे के घर आना जाना, खाना-पीना चलथे। बर बिहाव में भी मान गउन करे जाथे। इही परकार ले. कई दूसरे बेरा होथे जब तुलसी बदे जाथे।
येला भागवत होथे तब तुलसी पत्ता अउ नरियर देके बदे जाथे। गजा मूंग बदे जाथे। रथ दूइज के दिन अंकुरित मूंग-चना के परसाद बांटे जाथे। इही परसाद ल एक-दूसर ल दे के अठ नरियर दे के भगवान के सामने म मितान बंदे जाथे। ये मितान घलो-दू-तीन पीढ़ी तक चलत रहिथे जगन्नाथ भगवान के परसाद होथे महापरसाद । येला कई बहर ले घर में रखे रहियें। जब मनखे के मृत्यु के बेरा आ जथे तब महापरसाद खवाये जाथे। इही महापरसाद एक नरियल दे के मितान बदे जाथे। जंवारा बदे जाथे। भोजली सरिख जंवारा ल ठंडा
करे के बाद ओला धोके परसाद बांटे जाथे। तब इही जंवारा ल कान में खोंच के मितान बदे जाथे। देवारी के समय म गौरा-गौरी के बिहाव होथे। जब ओला ठंडा करथें तेखर बाद दौना पान बदे जाथे। ये मितान के अलग-अलग समय म अलग अलग ढंग ले बनाए के तरीका आय। हमर ईहा एक दिन नहीं बछर भर मितान बनाये जाये।
येखर अलावा सतनारायन कथा पूजा के दिन घलो एक-एक नरियर कपड़ा के दे मितान बदे जाथे। येमा जाति बंधन नहए। समरसता के भाव हावय। मितान बदे के दिन अठ जिनिस ल देखवे तब पता चलथे के पूरा प्रकृति ले जुरे हावय। भोजली, जंवारा, अंकुरित अनाज, आय गजा मूंग भी अंकुरित मूंग अड चना आय। तुलसी दल अउ दौना पान भी पौधा, आय, दूनो तुलसी प्रजाति आय महापरसाद अनाज जेन सब ल जोड़ के रखथे उही साकछी रहिथे मितान बने के। ..अतेक सुग्घर संदेश अठ संस्कृति ल हमन भुलावत हन। येला समझ के एक बेर अउ शुरू करे के जरूरत रहे।