छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या के कारण एव समाधान | Chhattisgarh me Naksal Samasya ke karan avm Samadhan
विद्यार्थीओ आज के इस लेख में हम आपको छत्तीसगढ़ में नक्सल संसकया के कारण एवं उसके उपाय के बारे में बताने जा रहे है , जो की CGPSC ,UPSC जैसे इंटरव्यू में जरूर पूछे जाते है , मूलतः इस विषय की उपयोगिता कगपस्क, के मुख्य परीक्षा प्रश्न पत्र 2 , निबंध , छत्तीसगढ़ राज्य स्तरीय मुददए में पूछे जाते है तो आप इन्हे ध्यान से पढ़िए , और निचे कमेंट में अपने विचार जरूर बताईयेगा ।
नक्सल समस्या क्या है ?
नक्सल समस्या न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि संपूर्ण भारत में आंतरिक अशांति का प्रमुख कारण है। यह समस्या गरीब, शोषित, अधिकारहीन जनता को अधिकार दिलाने के नाम से प्रारंभ हुआ था किन्तु यह वर्तमान में यह आतंकवाद का पर्याय बन गया है । माओवाद उपेक्षा और शोषण से भड़की चिंगारी थी जो आज ज्वाला बन गई है जिसमें देश का एक तिहाई हिस्सा (लगभग 200. जिला) वर्तमान में झुलस रहा है ।
जल जंगल जमीन के नाम से प्रारंभ यह क्रांति आज रेड कॉरिडोर के नाम से पृथक राष्ट्र की अवधारणा तक पहुंच गया है। हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की जिसमें बातचीत का मुख्य मुद्दा नक्सल समस्या ही थी यह समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।
नक्सलियों को सत्ता हिंसा के माध्यम से चाहिए। सत्ताधारियों की शोषण ने ही नक्सलियों की रक्तपूर्ण हिंसा को जन्म दिया है। हमारी राजनितिक , राजनितिक , सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था इन्हें पोषण दे रही हैं। यदि हमारी व्यवस्थायें सबका साथ सबका विकास पर चले तो नक्सली विचारधारायें दम तोड़ देंगी।
तमाम सरकारी व्यवस्थाओं, भारी भरकम बजट, पुलिस और सेना के जवानों के प्रयासों और बड़े बड़े रणनीतिकारों की मंहगी बैठकों के बाद भी नक्सली समस्या में निरंतर होती जा रही वृद्धि एक राष्ट्रीय चिंता का विषय है।
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नक्सलवाद की पृष्ठभूमि
इस आंदोलन की शुरुआत पश्चिम बंगाल के एक गांव नक्सलबाड़ी से हुई थी, इस विचारधारा को नक्सलवादी आंदोलन या माओवादी क्रांति भी कहते हैं। ये माओ के विचार सत्ता बंदूक की नाली से निकलती है। पर विश्वास करते हैं चारु मजूमदार व कानू सान्याल इसके जनक माने जाते हैं।
छत्तीसगढ़ में कुछ बड़े मामले22 मार्च 2020 : सुकमा जिले में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में 17 जवान शहीद हो गए हैं। 9 अप्रैल 2019 : दंतेवाड़ा जिले में नक्सलियों ने बीजेपी के विधायक, भीमा मंडावी के काफिले पर हमला किया जिससे उनकी मौत । 25 मई 2013 : परिवर्तन यात्रा के दौरान झीरम घाटी में कांग्रेस पार्टी के शीर्षस्थ 29 नेताओं जैसे महेंद्र कर्मा, विद्या चरण शुक्ल आदि की मृत्यु मई 2012 : सुकमा में तैनात जिला अधिकारी का अपहरण 16 अप्रैल 2010 : 1 CRPF के 76 जवानो की शहादत |
नक्सली समस्या बढ़ने का कारण
नक्सल समस्या का हल नहीं निकलने के पीछे मुख्य वजहें हैं। प्रथम विभिन्न दलों में इस बात पर सहमति ही नहीं है कि ये समस्या सामाजिक/ आर्थिक समस्या है या कानून व्यवस्था की। दूसरा प्रशासनिक व राजनीतिक इच्छा शक्ति का अभाव होना।
नक्सली समस्या कारण :
- कम श्रम में अधिकतम लाभ लेने की पूंजीवादी प्रवृत्ति ही सारी विषमताओं का कारण है। आर्थिक विषमता से उत्पन्न गरीबी ही वर्ग संघर्ष की जनक है। आजादी के बाद भी इस विषमता में कोई कमी नहीं आयी। नक्सलियों के लिये यह एक बड़ा मानसिक हथियार है
- आदिवासी समाज के परंपरागत व्यवसाय व जीवन शैली पर क्रमश: बाह्य हस्तक्षेप बढ़ते जा रहा है। सरल समाज के पास आजीविका के साधनों का अभाव होते जा रहा है
- सामान्यत: आम मनुष्य हिंसक तभी होता है जब शोषण की सारी सीमायें पार हो जाती हैं। के लिये शोषण की पराकाष…समर्थक बनाना नक्सलियों के लिये बहुत आसान हो जाता है।
- शासन की जनहितकारी योजनाओं के निर्माण एवं उनके क्रियान्वयन में गंभीरता, निष्ठा व पारदर्शिता का अभाव रहता है जिससे वंचितों को भड़काने के लिये माओवादियों को मौका मिल जाता है।
- सत्ताधीशों में न तो सामाजिक विषमतायें समाप्त करने, न भ्रष्टाचार को प्रश्रय देना बन्द करने और न ही नक्सली समस्या के उन्मूलन के प्रति राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव दिखता है।
- अपराधियों के प्रति कड़े कानून के अभाव, विलम्ब से प्राप्त होने वाले न्याय से उत्पन्न जनअसंतोष एवं हमारी लचीली कानून व्यवस्था ने नक्सलियों के हौसले बुलन्द किये हैं।
- रोजगारोन्मुखी शिक्षा के अभाव, महंगी और दुर्लभ होती शिक्षा, कुटीर उद्योंगो के अभाव में आजीविका के दुर्लभ होते जा रहे साधनों से नक्सली बनने की प्रेरणा बढ़ती जा रही है
- राष्ट्रीयभावना भी निरंकुश होते जा रहे हैं।
- जिन राज्यों में भौगोलिक दुर्गमता के कारण आवागमन के साधन विकसित नहीं हो सके वहाँ की स्थिति का लाभ उठाते हुये नक्सलियों ने अपना आतंक स्थापित करने में सफलता प्राप्त कर ली है । उदाहरण स्वरूप अबूझमाड़ को नक्सली अपनी विचारधाराओं के लिये उपयुक्त मानते हैं।
- विदेशों से नक्सलियों को विचार और हथियार दोनों ही प्राप्त हो रहा है, इस बात के अनेक बार प्रमाण मिल चुके है।
- नक्सल प्रभावित हर जिले को केंद्र और राज्य सरकार अत्यधिक धन विकास कार्यों हेतु देती है किन्तु इतने धन के बावजूद बस्तर जैसे क्षेत्र बिना बिजली और सड़क के रहती है। माना जाता है कि इस पैसे में से एक बड़ा हिस्सा नक्सलियों, अफसरो व राजनीतिज्ञों के मध्य बंटता है ।
- नक्सली इलाकों के व्यापारियों से नक्सली और अफसर भरपूर रंगदारी करते हैं, इसके बदले वे आदिवासियों के असल शोषण से आँखें मूंदे रहते हैं।
- नक्सलवादियों की सफलता की वजह उन्हें स्थानीय स्तर पर मिलने वाला जन समर्थन है।
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नक्सलवाद की समस्या का समाधान
- जन असंतोष के कारणों पर नियंत्रण और विकास के समान अवसरों की उपलब्धता की सुनिश्चितता के साथ-साथ कड़ी दण्ड प्रक्रिया नक्सली समस्या को समाप्त किया जा सकता है।
- नक्सली समस्या के उन्मूलन के लिए दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति भी जरूरी है।
- आम नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा एवं विकास के समान अवसरों की उपलब्धता की सुनिश्चितता।
- शासकीय योजनाओं का समुचित क्रियान्वयन एवं उनमें पारदर्शिता की सुनिश्चितता, जिससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके।
- समुचित एवं सहयोगपूर्ण कानून व्यवस्था जिससे स्थानीय लोग नक्सलवादियों का प्रतिकार कर सकें और उन्हें जीवनोपयोगी आवश्यक चीजें उपलब्ध न कराने के लिये साहस जुटा सकें।
- कानून व न्याय व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता पर बल, जिससे लोगों को सहज और समय पर न्याय मिलने की सुनिश्चितता हो सके।
- आजीविकापरक एवं सर्वोपलब्ध शिक्षा की व्यवस्था, जिससे सामाजिक विषमताओं पर अंकुश लग सके।
- कुटीर उद्योगों को पुनर्जीवित करने के समुचित प्रयास जिसमे वर्गभेद की सीमाएं नियंत्रित की जा सके ।
- राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में नक्सलियों को लाने और उनके पुनर्व्यवस्थापन के लिये रोजगारपरक विशेष पैकेज की व्यवस्था।
- चीन और पाकिस्तान से नक्सलियों को प्राप्त होने वाले हर प्रकार के सहयोग को रोकने के लिये दृढ़ राजनीतिक और सफल कूटनीतिक उपायों पर गम्भीरतापूर्वक चिंतन व प्रयासों का वास्तविक क्रियान्वयन हो .
छत्तीसगढ़ सरकार के प्रयास
- बंदूक का हल बंदूक हो सकता इसीलिए सरकार कलम/ शिक्षा विकास के माध्यम से बस्तर के आदिवासी क्षेत्र की जनता को इस समस्या से निजात दिलाने का प्रयास कर रही है। इस दिशा में सरकार अनेक प्रयास कर रही है।
- इंफास्ट्रक्चर, सड़क, सेलफोन कनेक्टिविटी, पुल, स्कूल, चिकित्सालय का विकास ।
- सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में जवाहर नवोदय विद्यालय, आस्था, प्रयास, निष्ठा और स्वामी आत्मानंद विद्यालय संचालित किये जा रहे हैं ।
- आजीविका योजना के तहत रोशनी कार्यक्रम की शुरूआत की गई जिससे नक्सल प्रभावित जिलों में युवाओं को आदिवासी परिवेश में ही आजीविका का प्रयास किया जा रहा है।
- काफी, मक्का, मोटे अनाज की प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना व शिल्पकला को प्रोत्साहन ।
- लोन वर्राटू योजना के माध्यम से नक्सल विचारों के समर्थकों का घर वापसी अभियान चलाया जा रहा है।
- बस्तर बटालियन का गठन।
- आमचो बस्तर जैसे कार्यक्रम का संचालन।
- बस्तर में आदिवासी समुदाय के जल जंगल जमीन के अधिकारों को मान्यता देने का प्रयास ।
- आदिवासी क्षेत्रो में PESA एक्ट के तहत 5 वे अनुसूची लागु करने का प्रयास
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मेरे प्यारे विद्यार्थियों आप हमें कमेंट में बताइएगा कि यह लेख जो आज हमने लिखा वह आपको कैसा लगा इसमें से प्रश्न पूछे जाते हैं पीएससी में यूपीएससी में सब जगह या इंटरव्यू में यह पूछा जाता है इसलिए हमने आज का यह लेख लिखा और यह लेख लिखते हुए हो सकता है कि मुझसे कुछ गलती हो गई हो तो आप मुझे कमेंट में बताइएगा हम उसे सुधारने का प्रयास जरूर करेंगे धन्यवाद।
अगर इस बताये गए लेख में हमसे कुछ गलती हो जाती है , तो यह सयोंग नहीं माना जायेगा यह बिलकुल हमारी गलती है , जिसे सुधारा जा सकता है , तो आप कमेंट में हमें जरूर बताये ।
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