छत्तीसगढ़ में शिक्षा एवं प्रेस का विकास Chhattisgarh Me Siksha Press Ka Vikas
मैकाले की शिक्षा योजना के अंतर्गत 1864 में रायपुर में एक मिडिल स्कूल प्रारंभ किया गया जहाँ सह-शिक्षा की व्यवस्था थी। जो 20 वर्षों के बाद हाईस्कूल बना।
आज हम इसे प्रो. जयनारायण पाण्डेय शा. बहुउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक शाला के नाम से जानते हैं। रायपुर में 1882 में राजकुमार कॉलेज प्रारंभ हुआ, जिसमें देशी राजाओं के राजकुमारों को शिक्षा दी जाती थी। इनकी परीक्षाएँ
इंडियन कौसिल ऑफ एजुकेशन दिल्ली से संचालित होती थीं। विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा के लिए रायपुर में ही 1938 में छत्तीसगढ़ महाविद्यालय की स्थापना हुई।
भारत में प्रेस का विकास
भारत में अंग्रेजी, बांग्ला, हिन्दी समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे जिनका जनता पर व्यापक असर होने लगा। समाचार पत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने के उद्देश्य से 1878 में भारत के तत्कालीन वायसराय लिटन ने वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट पारित किया ।
इस समय के प्रसिद्ध समाचार पत्र द हिन्दू, द इंडियन मिरर, अमृत बाजार पत्रिका, केसरी, मराठा स्वदेश मिलन, प्रभाकर और इन्दु प्रकाश थे। इससे जनता में राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई।
छत्तीसगढ़ में प्रेस का विकास
पं. माधवराव सप्रे को छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता का जनक कहा जाता है। इन्होंने सन् 1900 में पत्रकारिता प्रारंभ की छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र पेन्ड्रा से प्रकाशित होना शुरू हुआ।
सन् 1889-90 ई. में राजनोंदगाँव रियासत अपना राजकीय समाचार पत्र प्रकाशित करता था, जिसका नाम प्रजा हितैषी’ था।
इसके अतिरिक्त छत्तीसगढ़ मित्र, हिंदी केसरी’ छत्तीसगढ़ विकास’ ‘उत्थान आलोक, महाकोशल’ ‘कॉँग्रेस पत्रिका, आजकल’, छत्तीसगढ़ केसरी” आदि उस समय के प्रमुख समाचार पत्र थे इन पत्र- पत्रिकाओं से जनता में पर्याप्त चेतना एवं जागरूकता आई।