छत्तीसगढ़ी फिल्म, छत्तीसगढ़ में सिनेमा | Chhattisgarh Me Cinema Chhattisgarhi film

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छत्तीसगढ़ में सिनेमा Chhattisgarh Me Cinema Films Movies in Chhattisgarh

सिनेमा 

छत्तीसगढ़ के प्रथम निर्देशक >> किशोर साहू ( राजनांदगाव )

फिल्म >> नदिया के पर ( पुराना फिल्म )

कहि देबे सन्देश :-

  1. छत्तीसगढ़ की प्रथम फिल्म है
  2. इसके निर्देशक मानुनायक ( प्रथम ) है ।
  3. इसके गीतकार हेमंत साहू ( प्रथम ) है ।
  4. इसके संगीतकार मलय चक्रवर्ती ( प्रथम ) है ।

घर द्वार :-

  1. छत्तीसगढ़ की दूसरी फिल्म है ।
  2. इसके निर्देशक निरंजन तिवारी है ।
  3. इसके गीतकार हरी ठाकुर , मोहम्मद  रफ़ी है ।

जय माँ बम्लेश्वरी :-

  1. छत्तीसगढ़ की प्रथम वीडियो फिल्म है ।
  2. इसके निर्देशक राजेंद्र तिवारी और श्री चाँद सुंदरानी जी थे ।

मोर छैया भुइया :-

  1. छत्तीसगढ़ की प्रथम रंगीन फिल्म है ।
  2. छत्तीसगढ़ की सबसे सफल फिल्म है ।
  3. इसके निर्देशक सतीश जैन जी है ।

नोट :- छत्तीसगढ़ का पहला इमर्सिव डोम रायपुर में तैयार है , जिसमे 5D में मूवी देख सकेंगे लगत 6 करोड़ , एकसाथ 150 लोग बैठ सकते है ।

चलिए अब इन चीजों को थोड़ा विस्तृत रूप में देख लेते है ?

छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी छत्तीसगढ़ की प्रथम फिल्म ‘कही देवे सन्देस’ (ब्लैक एण्ड वाईट) थी। यह फिल्म अंतरजातीय प्रेमकथा एवं छूआछूत पर आधारित है। जसका प्रदर्शन 14 अप्रैल 1965 को दुर्ग भाटापारा में हुआ कही देवे संदेश को तत्कालीन भारत की प्रधानमंत्री एवं सूचना व प्रसारण मंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने देखा और प्रशंसा भी किया था।

छत्तीसगढ़ की प्रथम फिल्म का निर्माण मनु नायक ने किया। साथ ही उन्होनें इस फिल्म का लेखक एवं निर्देशक भी किया। मनु नायक छत्तीसगढिया फिल्म के भीष्म पितामह कहे जाते है। इस फिल्म में मुख्य अभिनेता कान मोहन, मुख्य अभिनेत्री उमा (राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म दोस्ती में अभिनय किया था), सहायक अभिनेत्री के रूप में सुरेखा वाजा अहमद अब्बास ने अभिनय किया।

‘कही देबे सन्देस’ में संगीत मलय चक्रवर्ती ने दिया तथा इस फिल्म के लिए गीत डॉ. एस. हनुमंत नायडू एव राजदीप लिखे। इस फिल्म में मोह मद रफी, महेंद्र कपूर, सुमन कल्याणपुर व मीनू पुरुषोत्तम जैसे हिन्दी फिल्मों के महान गायकों ने इस फिल्म में गीत गाये।

छत्तीसगढ़ की दूसरी फिल्म

छत्तीसगढ़ी भाषा में बनी छत्तीसगढ़ की दूसरी फिल्म घर-द्वार (ब्लैक एण्ड वाईट) थी। यह फिल्म सामाजिक पृष्टि भूमि पर आधारित फिल्म थी। इस फिल्म का निर्माण जे. के. फिल्मस् रायपुर द्वारा किया गया था। फिल्म का प्रदर्शन 1971 में किया गया।

इस फिल्म के निर्माता विजय कुमार पाण्डेय थे तथा फिल्म का निर्देशक एवं लेखक निरंजन तिवारी ने किया। इस फिल्म के संगीतकार जमाल सेन, गीतकार हरि ठाकुर एवं इस फिल्म में गीतों को मोह मद रफी एवं सुमन कल्याणपुर ने अपनी आवाज दी थी। स्व. हरिठाकुर रचित गीतों ने उस समय लोकप्रियता की पायदान हासिल की गोंदा फुलगे मोरे राजा गोंदा फुलगे और सुन सुन मोरा मया के पीरा संगवारी’ ने जनमानस में अमिट छाप छोड़ी।

छत्तीसगढ़ की प्रथम कलर फिल्म

छत्तीसगढ़ की प्रथम कलर फिल्म मोर छइया भुईया है। फिल्म का प्रदर्शन 27 फरवरी 2000 को किया गया। इस फिल्म के निर्माता शिवदयाल जैन एवं निर्देशक एवं लेखक सतीश जैन ने किया। इस फिल्म ने अनुज शर्मा को छत्तीसगढ़ी फिल्म का प्रथम सुपर स्टार बना दिया।

इस फिल्म में मु य कलाकार अनुज शेखर, पूनम, जागृति, मनमोहन ठाकुर थे। बाबला बागची ने इस फिल्म के लिए संगीत दिए तथा लक्ष्मण मस्तुरिया एवं विनय बिहारी ने गीत लिखे। मनु नायक ने दूसरी फिल्म पठौनी की घोषणा जरूर की लेकिन वो अधूरी रही।

टेक्नोलॉजी के विस्तार से सन् 1985 में वीडियो होम सिस्टम के कैमरे से पहली वीडियो फिल्म ‘जय मां बम्लेश्वरी’ का निर्माण सुंदरानी बंधुओं ने कर छत्तीसगढ़ी वीडियों फिल्म निर्माण की नयी विधा का प्रारंभ किया। इस फिल्म का निर्देशन मशहूर नाटककार ज़लील रिजवी ने किया और कैमरा- संपादन कन्हैया पंजवानी ने । • प्रेम चंद्राकर की ‘मया दे दे मया ले ले’ भी सुपरहीट रही और इसके नायक अनुज शर्मा को सुपर स्टार भी बन गई।

● सुंदरानी बंधुओं की मयारू भौजी भी हिट रही कन्हैया पंजवानी की तुलसी चौरा और कमल जैन, सोहेल खान की नैना सहित करीब 25 से ज्यादा फिल्में उस दौर में बनी और प्रदर्शित हुई लेकिन सतीश जैन की दूसरी फिल्म झन भुलव मां-बाप ला प्रेम चंद्राकर की परदेशी के मया और मोहन सुंदरानी की जय महामाया ही चल पाई ।

● दिनेश पटेल ने भकला का निर्माण किया जिसमें स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर ने गीत गाकर इतिहास बनाया, हालांकि फिल्म नहीं चली।

• सन् 2007 में प्रकाश अवस्थी की गजब दिन भइगे ने डीजिटल टैक्नोलॉजी और यूएफओ के माध्यम से थियेटर में प्रदर्शित करने की तकनीक से छत्तीसगढ़ी फिल्म निर्माण को नयी दिशा दी।

कई फिल्मों ने मनाई सिल्वर जुबली

कई छत्तीसगढ़ी फिल्मों ने सिल्वर जुबली बनाई। मोर छंइहा भुईयां, मया दे दे मया ले ले, झन भूलव मां-बाप ला और मया सिल्वर जुबली के मुकाम तक पहुंचीं। 100 दिनों तक प्रदर्शित होने वाली फिल्मों में परदेसी के मया, तोर मया के मारे, टूरा रिक्शा वाला और लैला टिप टाप छैला अंगूठा छाप शामिल हैं। मयारू भौजी, रघुबीर, तीजा के लुगरा, भांवर, मया दे दे मयारू महू दीवाना तहूं दीवानी और राजा छत्तीसगढ़िया फिल्में सिनेमाघरों में सफलता पूर्वक 50 से अधिक दिनों तक प्रदर्शित हुई।

सम्मान और पुरस्कार

  • वर्ष 2014 में भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ी फिल्मों के अभिनेता अनुज शर्मा को पदश्री से सम्मानित किया।  सुप्रसिद्ध लोक गायिका और छत्तीसगढ़ी फिल्मों की पाश्र्व गायिका ममता चंद्राकर पद्मश्री से स मानित किया गया।
  • पद्म भूषण से अलंकृत तीजन बाई ने भीछत्तीसगढ़ी फिल्मों में अभिनय किया है। पद्मश्री से समानित भारती बंधु ने भी कुछ फिल्मों में अपनी आवाज दी है।
  • घरौंदा फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले छत्तीसगढ़ के साहित्यकार शंकर शेष के पिता नागोराव शेष ने वर्ष 1929 में बिलासपुर में जानकी विलास थियेटर की स्थापना की जो बाद में मनोहर टॉकिज कहलाई सक्ती और अकलतरा टूरिंग टॉकिज के माध्यम से फिल्म व्यवसाय के महत्वपूर्ण केंद्र बने।
  • छत्तीसगढ़ के सबसे पुराने छाबिगृहों में से एक राधाकृष्ण ‘टॉकिज मुंगेली अब बंद हो चुकी है

छत्तीसगढ़ी फिल्मों से जुड़ी हस्तियां

  • तोर पैरी के झन झनर गीत गाकर जब मोह मद रफी ने ऐसा सुर छेड़ा जिसकी गूंज आज छत्तीसगढ़ी संगीत के रूप में पूरी दुनिया सुन रही है।
  • मन्ना डे का गाया शीर्षक गीत कही देबे संदेस सुनते ही ऊर्जा भर देता है
  • महेंद्र कपूर की आवाज में होरे होरे होरे अलग ही आनंद देता है।
  • सुन सुन मोर मया पीरा के संगवारी रे गीत को मौहम्मद रफी और सुमन कल्याण पुर के स्वर दिया
  • गोंदा फुलगे मोर राजा जैसे गीत भी जमाल सेन के संगीत को अमर बनाते हैं। • हरि ठाकुर का लिखा यह गीत झन मारो गुलेल आज भी याद है।
  • छत्तीसगढ़ के तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मधुकर कदम की फिल्म मोर सपना के राजा में अभिनय किया था उन्हें एक दृश्य में भाषण देते हुए फिल्माया गया था। मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह की झलक ईरा फिल्म्स की अजब जिनगी गजब जिनगी फिल्म में दर्शकों को मिली थी।
  • पूर्व विधायक श्रीचंद सुन्दरानी ने फिल्म निर्माण के साथ ही साथ अभिनय भी किया।
  • चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत ने छत्तीसगढ़ महतारी फिल्म को प्रस्तुत किया था, जिसके निर्माता पुष्पेन्द्र सिंह थे।

किशोर साहू

नदिया के पार फिल्म बनाने वाले किशोर साहू को हम हिन्दी फिल्मों में पहुँचे पहले छत्तीसगढ़ से जुड़े व्यक्तित्व के रूप में भी जानते हैं। अभिनेता, लेखक, निर्देशक एवं प्रोड्यूसर किषोर साहू का जन्म दुर्ग में 22 नवंबर 1915 को हुआ था। इन्होंने 1937 में नागपुर वि.वि. से अंग्रेजी साहित्य में डिग्री प्राप्त की थी।

अनेक लघु कहानियां रचने के बाद इन्होंने अभिनेता के रूप में बॉम्बे टॉकीज़ की फिल्म ‘जीवन प्रभात’ में देविका रानी के साथ 1937 से अपनी पारी शुरू की थी। 1954 में उन्होंने क्लासिक यूरोपियन स्रोत से जुड़ी फिल्म हैमलेट फिल्म का निर्माण किया था। फिल्मों में प्रोडक्शन का कार्य उन्होंने 1940 से आरंभ किया था। 22 अगस्त 1980 को 64 वर्ष की आयु में इनका देहांत बैंकाक, थाईलैंड में हुआ।

अभिनेता के रूप में किशोर साहू की फिल्में

वकील बाबू 1982, हरे राम हरे कृष्णा- 1971, जुआरी 1971, पुष्पांजलि 1970, गाइड 1965, पूनम की रात – 1965, काला बाज़ार 1960, लव इन शिमला- 1960, कालापानी – 1958, हैमलेट – 1954 मयूरपंख – 1954, हमारी दुनिया -1952, सपना – 1952, जलाजला -1952, बुझदिल- 1951, काली घटा – 1951 नमूना 1949, सावन आया रे 1949, सिंदूर-1947, इंसान 1944, राजा – 1943, जीवन प्रभात- 1937

निर्देशक के रूप में किशोर साहू

धुंए की लकीरें -1974, पुष्पांजलि – 1970, हरे काँच की चूडियां – 1967, पूनम की रात -1965, घर बसाके देखो 1963, गृहस्थी – 1963, दिल अपना और प्रीत पराई 1960, बड़े सरकार -1957, क़िस्मत का खेल 1956, हैमलेट – 1954, मयूरपंख – 1954, हमारी दुनिया- 1952, काली घटा – 1951, सावन आया रे- 1949, सावन भादो 1949, नादिया के पार 1948 साजन 1947, सिंदूर 1947, वीर कुणाल – 1945, शरारत 1944, राजा – 1943, कुंवारा बाप -19421

संवाद लेखक के रूप में किशोर साहू. तीन बहूरानियां-1968, लेखक

औरत – 1967, संवाद, हरे काँच की चूडियां – 1967, संवाद, पटकथा, कहानी, दिल अपनाऔरप्रीत पराई – 1960, लेखक, मयूरपंख – 1954, पटकथा ।

निर्माता के रूप में किशोर साहू हरे काँच की चूडियां, मयूरपंख और पुष्पांजलि

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Rajveer Singh
Rajveer Singh

Hello my subscribers my name is Rajveer Singh and I am 30year old and yes I am a student, and I have completed the Bachlore in arts, as well as Masters in arts and yes I am a currently a Internet blogger and a techminded boy and preparing for PSC in chhattisgarh ,India. I am the man who want to spread the knowledge of whole chhattisgarh to all the Chhattisgarh people.

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