सूर्य एक तप्त गैस का गोला है। उसकी सतह का तापमान करीबन 5600 डिग्री है। पर हम जैसे-जैसे उसके केंद्र की ओर बढ़ते हैं वैसे उसका तापमान बढ़ता है और केंद्र में वह सवा करोड़ डिग्री होगा, ऐसा उस गैस के गोले का गणित हमें बताता है।
इतने तप्त गैस में परमाणुओं के नाभिक अपने इलेक्ट्रॉन से अलग होते हैं और ये नाभिक एक दूसरे से संलयन कर ऊर्जा का उत्सर्जन करते हैं।
उदाहरण स्वरूप हाइड्रोजन के चार परमाणु नाभिक संयुक्त होकर हीलियम परमाणु नाभिक बनाते हैं। पर इसका द्रव्यमान चार हाइड्रोजन के परमाणु नाभिकों से थोड़ा कम होता है और यह अतिरिक्त द्रव्यमान ऊर्जा के रूप में बाहर निकलता है। यही ऊर्जा सूर्य के प्रकाश का मूल है।