तँय उठथस सुरूज उथे | Tay uththas Surooj Uthe by Vinay Kumar Pathak
1
तय उठथस सूरुज उथे, सुसताथस होथे साम रे ।
रात घलो हो जाये, जब लेथस बने अराम रे ।।
जउन पानी ल तँय छूथस, वो गंगाजल हो जाये रे ।
जउन लकड़ी ल तँय धरथस, तुतारी-हल हो जाथे रे ।।
जउन बीजा ल तँय छूयस, हो जाथे सुघ्घर पेड़ रे।
जउन रसदा ले रेंगथस, बन जाथे वोहर मेड़ रे।।
जब काज म भिड़ जाथस , बेरा हो जाथे थाम रे ।।
2
दू हाथ बढ़ाये आघू , हो जाथे जम्मो काज रे ।
बूता सुरू हो जाथे , जब ले लेथस अनताज रे।।
जाँगर पेरे तौ भुइयाँ अनपूरना के राज रे।
माटी सोन्ना होही, पछीना चुचवाही आज रे ।
देह जुड़ाही झटकुन, परिही जब जोरहा घाम रे ।।
3
तोर त्-त्-त्-त् बइला के, बन जाथे गाता छंद रे।
सब खेत होथे राधा, तँय बनथस बेटा नन्द रे ।
तोर खुसी ले खेत मन, झुमर-झुमर लहरावै रे ।
तोर उद्दाह ले गाँवें, म नवा जिनगी आवै रे ।
तोर खेत चारों खुट, हो जाये चारों धाम रे ।।
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