सीख सीख के गोठ | Seekh Seekh Ke Goth by Satyabhama Adil
1.सियान मन के सीख के गोठ मा , – हमला का करना चाही , का नई करना चाही , सगुन-असगुन बात के संकेत मिलथे । बेटा ह खाय बार बइठथे अउ महतारी ह कहु परस्थे , त दू कौड़ा जादा खाना परस देथे । बेटा ह खिसियाथे , त महतारी ह हास के कईथे –
“माता के परसे
अउ मेघा के बरसे ।।”
2.”तेल फूल ले लड़का बाढ्य पानी से बाढ़य धान।
खान-पान ले सगा कुटुम्ब करवैया बढ्य किसान।।”
3.हमर छत्तीसगढ़ी संस्कृति माँ-बात-बात मां सीख देय के रिवाज हावय ? गांव के सियान मन हाना जोर-जोर के अपन बात ल कईथे। अउ छोटे उमर वाले मन ला सीख देथे। अगर हमन सियान मन के गोठ ल, ऊखर सीख ल गांठ बाँध के धरबो त हमर बहुत अकन काम ह सरल हो जाहि । हमन समाज के भीतर रइथेन। चार झन के बीच मां रइथेन। संभल के नई चलबो, सियान मनके सीख ल नई गुनबो, त कइसे बनही कतेक सुन्दर मरजाद के बात कईथे ।
“पर तिरिया के मुख नह देखौ । फूटे बंधवा के पानी नइ पियौ।”
4.”बिन आदर के पहुना। बिना आदर पर जाय
गोड़ पोय परछी में बठै
सूरा बरोबर खाय ।”
5.आज के बासी संग काल के साग
अपने घर में, का के लाज
जे हर दूसर घर, खंधवा कोदथे
तेहर अपने बोजाथे
6.गली-गली में साधु रेंगे ।
संत फुकावै कान
चोला तरे त झन तरै
नारियर धोती ले काम
7.चलनी में दूध दुहै,
करम ल दोस देय।
अपन मरे बिन सरग नइ दिखे।
8.तेली पर तैल होथे
त पहाइ ल नइ पोतै ।।
पीठ ल मार ले,
पेट ल झन मार
अइहा बईद परानघातिया।
9.आइसना गोठ सुनके नारी मन ल कुछु सीखे के ये। अपन सुभाव ल सुधारे बर कोसिस करय। आज कल पढ़ई-लिखाई के जमाना आगे है। कतकोन किताब पढ़यो-फेर-ओ किताब के सीख ल, अपन जीवन में नई उतारन त का फायदा सियान मन गोठ में कईथे।
“पढ़े बर न कढ़े बर
गोठ करे बर चटर चटर।”
10.पढ़े बर पढ़े
फेर कढ़े नहीं
पढ़े लिखे बने करे।
तोर चाल में कीरा परे ।।
11.अपने पेट ल देखे बर नइए
दूसरे के पेट दिखा जाथै
अपन टोटा ल देखे नहि
आन के फूला ल हाँसथे।
इन्हे भी पढ़े :-
👉चंडी माता मंदिर : विचित्र ! पत्थर की स्वयंभू मूर्ति निरंतर बढ़ रही है !
👉खरौद का शिवमंदिर : लक्ष्मण जी ने क्यों बनाये थे सवा लाख शिवलिंग ?
👉जगननाथ मंदिर : चमत्कार ! पेड़ का हर पत्ता दोने के आकर का कैसे ?
👉केशव नारायण मंदिर : भगवान विष्णु के पैर के नीचे स्त्री, शबरी की एक कहानी !