पंचायती राज व्यवस्था क्या है ? | Panchayatri Raj Vyavastha Kya hai
पंचायती राज का प्रधान लक्ष्य शक्ति का विकेन्द्रीकरण कर ग्रामवासियों को शासन सूत्र सौंपना है. प्राचीन काल से भारत में ग्रामीण स्वशासन की परम्परा रही है चाहे वैदिक काल हो या मौर्य काल, चोल कालीन ग्राम स्वायत्तता या मध्यकाल,
आधुनिक काल में पंचायती राज का विकास :
- आधुनिक काल में सर्वप्रथम भारत सरकार अधिनियम (1919) में ग्राम पंचायतों का प्रावधान किया गया.
- स्वतंत्रता उपरांत भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्व में अनुच्छेद 40 में इसे स्थान दिया गया।
- संविधान में पंचायती राज को राज्य सूची का विषय बनाया गया.
- 73 वाँ संविधान संशोधन, जिसमें पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा प्रदान कर नियमित चुनाव एवं अधिकारों से संबद्ध किया तथा इसके माध्यम से लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण को वास्तविक रूप दिया गया.
- पंचायती राज व्यवस्था के लिए समय-समय पर गठित अनेक समितियों ने सिफारिशें दीं थीं. सरकारिया आयोग ने भी पंचायती राज व्यवस्था पर सुझाव दिए थे।
विभिन्न समितियों का विवरण निम्नानुसार है :
समिति | वर्ष | सिफारिशें |
बलवंतराय मेहता समिति | 1957 | त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था |
संथानम समिति | 1963 | पंचायती राज संस्थाओं के वित्तीय मामले |
अशोक मेहता समिति | 1977-78 | द्विस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था |
दंतेवाला समिति | 1978 | विकासखण्ड स्तर पर नियोजन |
जी.वी.के. राव समिति | 1985 | पंचायती राज संस्थाओं में नियमित चुनाव |
लक्ष्मीमल सिंघवी समिति | 1987 | पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा |
थुंगन समिति | 1989 | पंचायती राज को संवैधानिक मान्यता प्रदान करना |
भूरिया समिति | 1995 | पेसा एक्ट |
73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 : सार – संक्षेप
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम किस वर्ष पारित हुआ?
उत्तर : 1992
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 भारत की गजट (राजपत्र) में प्रकाशन कब हुआ?
उत्तर– 24 अप्रैल 1993
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 कब से लागू हुआ?
उत्तर– गजट में प्रकाशन तिथि 24 अप्रैल 1993 से
प्रश्न : पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?
उत्तर- प्रत्येक वर्ष 24 अप्रैल को
प्रश्न : 73 वाँ संविधान संशोधन क्या है ?
उत्तर– यह गाँवों में पंचायतों को स्व-शासन की इकाई के रूप में स्थापित करने हेतु संशोधन है।
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 का मुख्य उद्देश्य क्या है ?
उत्तर– पंचायत राज व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा प्रदान करना।
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा पंचायत संबंधी प्रावधान संविधान के किस भाग में जोड़ा गया।
उत्तर– संविधान के भाग 9 में पंचायत राज संबंधी अध्याय जोड़ा गया।
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन द्वारा कौन सी अनुसूची संविधान में शामिल की गयी।
उत्तर– 11वीं अनुसूची
प्रश्न : संविधान के अनुच्छेद 243 (डी) में पंचायत को किस रूप में परिभाषित किया गया?
उत्तर– ग्रामीण अंचल की स्वशासन की संस्था के रूप में।
प्रश्न : संविधान के किस अनुच्छेद में पंचायतों की शक्तियाँ, अधिकार एवं दायित्व बताये गये हैं?
उत्तर– अनुच्छेद 243 (जी)
प्रश्न : संविधान का 73वाँ संशोधन, पंचायत चुनाव को बनाता है?
उत्तर– आदेशात्मक
प्रश्न : 73वें एवं 74वें संवैधानिक संशोधन के समय भारत के प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तर– श्री पी. व्ही. नरसिम्हा राव
प्रश्न : 73 वें संशोधन द्वारा पंचायतों को संवैधानिक हैसियत देने के पूर्व से पंचायत संबंधी क्या प्रावधान है?
उत्तर- अनुच्छेद 40 में नीति निर्देशक तत्व के तहत् राज्यों को पंचायत व्यवस्था के संबंध में निर्देश दिये गये थे।
प्रश्न : 73 वें संशोधन द्वारा पंचायतों को संवैधानिक हैसियत देने के पूर्व से पंचायत संबंधी क्या प्रावधान हैं?
उत्तर– अनुच्छेद 40 में नीति निर्देशक तत्व के तहत् राज्यों को पंचायत व्यवस्था के संबंध में निर्देश दिये गये थे।
प्रश्न : संविधान में पंचायतों के गठन के लिए क्या प्रावधान किये गये हैं?
उत्तर– ग्राम, जनपद और जिला स्तर पर तीन-स्तरीय पंचायत का गठन करना।
प्रश्न :क्या सभी राज्यों में तीन-स्तरीय पंचायत गठित किये जायेंगे?
उत्तर– नहीं, 20 लाख से कम आबादी वाले राज्य में दो-स्तरीय पंचायत गठित किये जा सकेंगे
1. जिला पंचायत
2. ग्राम पंचायत
प्रश्न : संविधान में पंचायतों के चुनाव एवं सुदृढ़ वित्त संबंधी परामर्श के लिए किन नये संस्थाओं की स्थापना का प्रावधान 73 वें संविधान संशोधन में किया गया है?
उत्तर– राज्य निर्वाचन आयोग एवं राज्य वित्त आयोग की स्थापना का प्रावधान।
प्रश्न : पंचायतों के चुनाव का भार किस संस्था को सौंपा गया है?
उत्तर– राज्य निर्वाचन आयोग को
प्रश्न : संविधान में पंचायतों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए सुझाव देने वाली संस्था है?
उत्तर– राज्य वित्त आयोग
प्रश्न : ग्राम सभा को गाँव की संवैधानिक संस्था के रूप में मान्यता किस संविधान संशोधन से मिली?
उत्तर- 73वाँ संविधान संशोधन से।
प्रश्न : 73वें संविधान संशोधन में किन वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान है?
उत्तर– अनुसूचित जाति, जनजाति एवं महिलाओं के लिए
प्रश्न : 73वें संविधान संशोधन में अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्गों के लिये आरक्षण का प्रावधान किस अनुपात में है?
उत्तर- अनुसूचित जाति, जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में।
प्रश्न : 73वें संविधान संशोधन के अनुसार पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का उपबंध करने का अधिकार किसे दिया गया?
उत्तर– राज्य का विधान मण्डल अन्य पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण का प्रावधान कर सकता है।
प्रश्न : संविधान में कब से पंचायतों में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है?
उत्तर– 73वाँ संविधान संशोधन से
प्रश्न : महिलाओं के लिए कितना आरक्षण का प्रावधान किया गया है?
उत्तर- कम से कम एक तिहाई
प्रश्न : पंचायत चुनाव लड़ने के लिए न्यूनतम आयु सीमा क्या रखी गयी हैं?
उत्तर– 21 वर्ष
प्रश्न : पंचायत का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
उत्तर- पांच वर्ष।
प्रश्न : पंचायत के कार्यकाल का आरंभ कब से माना जाता है?
उत्तर– पंचायत के प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से।
प्रश्न : पंचायत के विघटन के बाद कितने समय से पूर्व पुनः निर्वाचन कराना आवश्यक है?
उत्तर– विघटन की तारीख से 6 माह से पहले।
प्रश्न : पांच वर्ष के कार्यकाल के पूर्व पंचायत के विघटन पर फिर से गठित पंचायत की अवधि क्या होगी?
उत्तर– केवल शेष अवधि तक
प्रश्न : 73वाँ संविधान संशोधन में पंचायतों को कौन से मुख्य कामों की जिम्मेदारी सौंपी गई?
उत्तर– सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास।
प्रश्न : किस अनुसूची में दर्ज विषयों के लिये पंचायतों को शक्तियाँ हस्तान्तरित करने हेतु अधिकृत किया गया है?
उत्तर- 11वीं अनुसूची।
प्रश्न : संविधान की 11वीं अनुसूची में कितने विषयों को शामिल किया गया है
उत्तर– 29 विषय।
प्रश्न : 73 वें संविधान संशोधन के अनुसार सबसे पहले किस राज्य ने पंचायत राज व्यवस्था लागू किया?
उत्तर- मध्य प्रदेश ने ( तब छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा था।)
प्रश्न : छत्तीसगढ़ सहित अविभाजित मध्य प्रदेश में नवीन पंचायती राज कब लागू हुआ?
उत्तर– 25 जनवरी 1994 को
73 वाँ संविधान संशोधन के प्रावधान | 73 Va Samvidhan Sansodhan ke Pravdhan
पंचायतों को अधिकार संपन्न बना कर स्वशासन के इकाई के रूप में स्थापित करने के लिये 73 वाँ संविधान संशोधन लाया गया और इसे 24 अप्रैल 1993 से संपूर्ण देश में लागू किया गया। इस संशोधन से संविधान के भाग 9 में पंचायत संबंधी प्रावधान जोड़ा गया। इस संशोधन के पश्चात् पंचायतों को संवैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ।
73 वें संविधान संशोधन से अनुच्छेद 243 एवं उप-अनुच्छेद 243 (A) से अनुच्छेद 243 (O) जोड़ा गया। इसमें मुख्य प्रावधान निम्नलिखित हैं :
243 परिभाषा
- इस अनुच्छेद में जिला, ग्राम सभा, मध्यवर्ती स्तर, पंचायत, पंचायत क्षेत्र, जनसंख्या एवं ग्राम को परिभाषित किया गया है।
243 – (A) ग्राम सभा
- ग्राम सभा, ग्राम स्तर पर ऐसी शक्तियों का प्रयोग एवं कृत्यों का पालन करेगी जो राज्य विधान मण्डल विधि द्वारा उपबंधित करेगा।
243-(B) पंचायतों का गठन
- प्रत्येक राज्य में ग्राम, मध्य स्तर और जिला स्तर पर पंचायतों का गठन किया जाएगा।
- खंड (1) में किसी बात के होते हुए भी, मध्यवर्ती स्तर पर पंचायत का उस राज्य में गठन नहीं किया जा सकेगा जिसकी जनसंख्या बीस लाख से अनधिक है।
243-(C) पंचायतों की संरचना
- राज्य का विधान-मण्डल, विधि, द्वारा, पंचायतों की संरचना के संबंध में प्रावधान कर सकेगा।
- ग्राम स्तर और जनपद स्तर पर पंचायत के सभी स्थान पंचायत क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र से प्रत्यक्ष निर्वाचन के द्वारा चुने गए व्यक्तियों से भरे जाएंगे और इस प्रयोजन के लिए प्रत्येक पंचायत क्षेत्र प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया जाएगा।
- जिला स्तर पर पंचायतों के स्थान ऐसी रीति से निर्वाचन द्वारा भरे जाएंगे जो राज्य विधान- मण्डल, विधि द्वारा उपबन्धित करें।
- राज्य का विधान- मण्डल, विधि द्वारा
(क) ग्राम स्तर पर पंचायतों के सरपंचों का जनपद पंचायतों में या ऐसे राज्य की दशा में जहाँ जनपद पंचायतें नहीं है, जिला पंचायतों में,
(ख) जनपद पंचायतों के अध्यक्षों का जिला पंचायतों में,
(ग) लोक सभा के सदस्यों और राज्य स्तर की विधान सभा के सदस्यों के जो ऐसी निर्वाचन-क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जिनमें ग्राम स्तर से भिन्न पर कोई पंचायत क्षेत्र पूर्णत: या भागतः समाविष्ट है ऐसी पंचायत में,
(घ) राज्य सभा के सदस्यों और राज्य की विधान परिषद के सदस्यों के जहाँ वे –
(1) जनपद पंचायत में प्रतिनिधित्व करने के लिए प्रावधान कर सकेगा।
(2) जिला स्तर पर किसी पंचायत क्षेत्रों के भीतर निर्वाचकों के रूप में पंजीकृत है, जिला पंचायत में - किसी पंचायत के अध्यक्ष और पंचायत के ऐसे अन्य सदस्यों को पंचायतों के अधिवेशनों में मत देने का अधिकार होगा जो पंचायत क्षेत्रे के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र से, चाहे प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा या अन्यथा चुने गए है।
- (क) ग्राम स्तर पर किसी पंचायत के अध्यक्ष का निर्वाचन ऐसी रीति से, जो राज्य के विधान-मण्डल द्वारा, विधि उपबंधित की जाए, किया जाएगा और
(ख) जनपद या जिला स्तर पर किसी पंचायत या अध्यक्ष, उसके निर्वाचित सदस्यों द्वारा अपने में चुना जाएगा।
243. (D) स्थानों का आरक्षण
- प्रत्येक पंचायत में –
(क) अनुसूचित जातियों और
(ख) अनुसूचित जनजातियों, के लिए स्थान आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन क्षेत्रों को चक्रानुक्रम से आबंटित किए जा सकेंगे। - अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों के लिये आरक्षित स्थानों की कुल संख्या के एक तिहाई से अन्यून स्थान, यथास्थिति, अनुसूचित जातियों या अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
- प्रत्येक पंचायत में प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा भरे जाने वाले स्थानों की कुल संख्या के एक-तिहाई से अन्यून स्थान (जिसके अंतर्गत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की महिलाओं के लिए आरक्षित स्थानों की संख्या भी है) महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे स्थान किसी पंचायत में भिन्न-भिन्न निर्वाचन-क्षेत्रों के चक्रानुक्रम में आबंटित किए जा सकेंगे।
- ग्राम या किसी अन्य स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों का पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और महिलाओं के लिए ऐसी रीति से आरक्षित रहेगा जैसी राज्य का विधान मण्डल, विधि द्वारा उपबंधित करें:परन्तु किसी राज्य में प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित अध्यक्षों के पदों की संख्या से यथाशक्य वही होगा जो उस राज्य की अनुसूचित जातियों की अथवा राज्य की अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या में है :परन्तु यह और कि प्रत्येक स्तर पर पंचायतों में अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के एक तिहाई से अन्यून पद महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे।
- खण्ड (1) व (2) के अधीन स्थानों का आरक्षण एवं खण्ड (4) के अधीन अध्यक्षों के पद के लिए आरक्षण (जो महिलाओं के लिए आरक्षण से भिन्न है) अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।
- इस भाग की कोई बात किसी राज्य के विधान-मण्डल को किसी स्तर पर पिछड़े वर्ग के नागरिकों के लिए किसी पंचायत के स्थानों या अध्यक्षों के पद के आरक्षण के लिए कोई उपबन्ध करने से निवारित नहीं करेगी।
243-(E) पंचायतों का कार्यकाल आदि
- प्रत्येक पंचायत यदि तत्समय में प्रवृत्ति किसी विधि के अधीन उसे पहले ही विघटित नहीं कर दिया जाता है तो अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से 5 वर्ष की अवधि तक, न कि उससे अधिक बनी रहेगी।
- तत्समय प्रवृत्त किसी विधि का कोई संशोधन किसी स्तर ऐसी पंचायत का, जो ऐसे संशोधन के ठीक पूर्व कार्य कर रही है तब तक विघटन नहीं करेगा, जब तक खण्ड (1) में विनिर्दिष्ट उसके कार्यकाल का अवसान नहीं हो जाता।
- किसी पंचायत का गठन करने के लिए निर्वाचन –
(क) खण्ड (1) में निविर्दिष्ट उसके कार्यकाल के अवसान के पूर्व,
(ख) उसके विघटन की तारीख से छः मास की अवधि के अवसान के पूर्व, पूरा किया जाएगा,
परन्तु जहाँ वह शेष अवधि के लिए कोई विघटित पंचायत बनी रहती है, छह मास से कम है, वहाँ ऐसी अवधि के लिए उस पंचायत का गठन करने के लिए कोई निर्वाचन कराना आवश्यक नहीं होगा। - पंचायत के कार्यकाल के अवसान से पूर्व किसी पंचायत के विघटन पर गठित की गई पंचायत उस अवधि क केवल शेष भाग के लिए बनी रहेगी।
243 – (F) सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
- कोई व्यक्ति किसी पंचायत का सदस्य चुने जाने के लिए और सदस्य बनने के लिए निरर्हित होगा –
(क) यदि वह संबंधित राज्य के विधान-मण्डल के निर्वाचनों के प्रयोजनों के लिए तत्समय प्रवृत्त किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निरर्हित कर दिया जाता है: परन्तु कोई व्यक्ति इस आधार पर निरर्हित नहीं होगा कि उसकी आयु 25 वर्ष से कम है, यदि उसने 21 वर्ष की आयु प्राप्त कर ली है,
(ख) यदि वह राज्य के विधान-मण्डल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा निरर्हित कर दिया जाता है। - यदि यह प्रश्न उठता है कि किसी पंचायत का कोई सदस्य खण्ड (1) से वर्णित किन्हीं निरर्हताओं से ग्रस्त हो गया या नहीं, तो वह प्रश्न ऐसी प्राधिकारी को, और ऐसी रीति से जैसा राज्य का विधान-मण्डल, विधि द्वारा उपबंधित करे, विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा।
243 – ( G ) पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार, उत्तरदायित्व
इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए राज्य विधान-मण्डल विधि द्वारा, पंचायतों को ऐसी शक्तियाँ और प्राधिकार प्रदान कर सकेगा जो वह उन्हें स्वायत्त शासन की संस्थाओं के रूप में कार्य करने योग्य बनाने के लिए आवश्यक समझे और ऐसी विधि में पंचायतों को उपयुक्त स्तर पर ऐसी शर्तों के अधीन रहते हुए जैसी उसमें विनिर्दिष्ट की जाए, निम्नलिखित के संबंध में शक्तियाँ और उत्तरदायित्व न्यायगत करने के लिए उपबंध किए जा सकेंगे-
(क) आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय के लिए योजनाएं तैयार करना,
(ख) आर्थिक विकास और सामाजिक न्याय की स्कीमों को, जो उन्हें सौपी जाए, जिसके अंतर्गत वे स्कीमें भी है जो ग्यारहवी अनुसूची में सूचीबद्ध विषयों के संबंध में है, क्रियान्वित करना।
243-(H) पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति एवं पंचायत निधि
राज्य का विधान-मण्डल विधि द्वारा-
(क) ऐसी प्रक्रिया के अनुसार और ऐसी सीमाओं के अधीन रहते हुए, ऐसे कर, शुल्क, पथकर और फीसें उद्ग्रहीत, संग्रहित और विनियोजित करने के लिए किसी पंचायत को प्राधिकृत कर सकेगा,
(ख) ऐसे प्रयोजनों के लिए और ऐसी शर्तों तथा सीमाओं के अधीन रहते हुए राज्य सरकार द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत ऐसे कर, शुल्क, पथकर और फीसें किसी पंचायत को समनुदेशित कर सकेगा।
(ग) पंचायतों के लिए राज्य की संचित निधि में से ऐसे सहायता अनुदान के लिए उपबंध कर सकेगा और देने
(घ) पंचायतों द्वारा या उनकी ओर से प्राप्त सभी धनों के जमा करने के लिए ऐसी निधियों का गठन तथा ऐसी निधियों में से धन का प्रत्याहरण करने के लिए। भी उपबंध कर सकेगा।
243-(I) वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन के लिए वित्त आयोग का गठन
(1) राज्य के राज्यपाल, प्रत्येक पाँचवें वर्ष के अवसान पर पंचायतों के वित्तीय स्थिति की समीक्षा करने के लिए एक वित्त अयोग का गठन करेगा, जो
(क) (1) राज्य द्वारा उद्ग्रहणीय कर, शुल्क, पथकर, फीस के शुद्ध आगमों का राज्य और पंचायतों के बीच वितरण करने, (11) पंचायतों द्वारा लगाये एवं वसूल किये गये कर, शुल्क, पथकर और फीस का विनियोजन करने,
(III) राज्य के संचित निधि में से पंचायतों को सहायता अनुदान देने,
(ख) पंचायतों की वित्तीय स्थिति को सुधारने के लिए आवश्यक उपाय,
(ग) कोई अन्य विषय, जो पंचायतों के वित्तपोषण के हित में हो, के संबंध में सिफारिशें प्रस्तुत करेगा। राज्यपाल आयोग के सिफारिशों को पूर्ण विवरण के साथ ज्ञापन, राज्य के विधान-मण्डल के समक्ष रखवाएंगे।
243 – (J) पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा
- राज्य का विधान-मण्डल, पंचायतों द्वारा लेखा बनाए रखने और ऐसे लेखाओं की संपरीक्षा कराने संबंधी नियम बना सकेंगे।
243 – (K) पंचायतों के लिए निर्वाचन
(1) पंचायतों के लिए कराए जाने वाले सभी निर्वाचनों के लिए निर्वाचक नामावली तैयार कराने का और उन सभी निर्वाचनों के संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण करने के लिये एक राज्य निर्वाचन आयोग का गठन किया जायेगा जिसमें राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया गया एक राज्य निर्वाचन आयुक्त होगा।
243-( 0 ) निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन
इस संविधान में किसी बात के होते हुए भी –
(क) अनुच्छेद 243 (K) के अधीन बनाई गई विधि जो निर्वाचन-क्षेत्रों के परिसीमन या ऐसे निर्वाचन-क्षेत्रों के स्थानों के आवंटन से संबंधित है, विधि मान्यता को किसी न्यायालय में प्रश्नगत नहीं की जाएगी,
(ख) किसी पंचायत के लिए कोई भी निर्वाचन, ऐसी निर्वाचन अर्जी पर ही प्रश्नगत किया जायेगा जो ऐसे अधिकारी को और ऐसी रीति से प्रस्तुत की गई है जिसका राज्य के विधान मण्डल द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन उपबंध है, अन्यथा नहीं।
पंचायती राज संबंधी अनुच्छेद
अनुच्छेद 243–>परिभाषाएँ अनुच्छेद 243(A)–>ग्राम सभा अनुच्छेद 243 (B)–>पंचायतों का गठन अनुच्छेद 243 (C)–>पंचायतों की संरचना अनुच्छेद 243 (D)–> स्थानों का आरक्षण अनुच्छेद 243 (E) –>पंचायतों का कार्यकाल आदि अनुच्छेद 243 (F) –>सदस्यता के लिए निरर्हताएँ अनुच्छेद 243 (G)–>पंचायतों की शक्तियाँ, प्राधिकार, उत्तरदायित्व अनुच्छेद 243 (H) –>पंचायतों द्वारा कर अधिरोपित करने की शक्ति एवं पंचायत निधि अनुच्छेद 243 (I)–> वित्तीय स्थिति के पुनर्विलोकन हेतु वित्त आयोग का गठन अनुच्छेद 243(J)–>पंचायतों के लेखाओं की संपरीक्षा अनुच्छेद 243(K)–> पंचायतों के लिए निर्वाचन अनुच्छेद 243 (L)–>संघ राज्य क्षेत्रों में लागू होना अनुच्छेद 243 (M)–> इस भाग का कतिपय क्षेत्रों में लागू न होना अनुच्छेद 243 (N)–>विद्यमान विधियों और पंचायतों का बना रहना अनुच्छेद 243(0)–>निर्वाचन संबंधी मामलों में न्यायालयों के हस्तक्षेप का वर्जन |
संविधान की 11वी अनुसूची में शामिल विषय
- कृषि, कृषि विस्तार सम्मिलित करते हुये
- भूमि सुधार एवं भूमि संरक्षण
- लघु सिंचाई, जल प्रबंध और जल फैलाव विकास
- पशुपालन, दुग्ध उद्योग और कुक्कुट पालन
- मत्स्यपालन
- सामाजिक वानिकी और कृषि वानिकी
- लघु वनोपज
- खाद्य प्रसंस्करण उद्योग सम्मिलित करते हुये लघु उद्योग
- खादी, ग्राम तथा कुटीर उद्योग
- ग्रामीण आवास
- पेयजल
- ईंधन तथा चारा
- सड़क, पुलिया, पुल, पार घाट (फैरिज) जल मार्ग तथा आवागमन के अन्य साधन
- विद्युत का वितरण सम्मिलित करते हुये ग्रामीण विद्युतीकरण
- अपारंपरिक ऊर्जा स्त्रोत
- गरीबी उन्मूलन योजना
- प्राथमिक तथा माध्यमिक विद्यालयों को सम्मिलित करते हुये शिक्षा
- तकनीकी प्रशिक्षण तथा व्यावसायिक शिक्षा
- प्रौढ़ तथा अनौपचारिक शिक्षा
- पुस्तकालय
- सांस्कृतिक क्रियाकलाप
- बाजार तथा मेले
- अस्पताल, प्राथमिकता चिकित्सा केन्द्र तथा औषधालयों को सम्मिलित करते हुये स्वास्थ्य, स्वच्छता
- परिवार कल्याण
- महिला एवं बाल विकास
- विकलांग और मानसिक रूप से बाधितों को सम्मिलित करते हुये समाज कल्याण
- कमजोर वर्गों का कल्याण विशेषत: अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों
- लोक वितरण पद्धति
- सामुदायिक आस्तियों का संधारण
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 | Chhattisgarh Panchayat Raj Adhiniyam 1993
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993
अविभाजित मध्यप्रदेश, देश का प्रथम राज्य था जिसने 73वें संविधान संशोधन में किये गए लगभग समस्त प्रावधानों को यथावत लागू किया तथा मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 बनाया। यह अधिनियम 30 दिसम्बर 1993 को विधानसभा में पारित हुआ। 24 जनवरी, 1994 को महामहिम राज्यपाल महोदय का अनुमोदन प्राप्त हुआ एवं 25 जनवरी, 1994 को राजपत्र में प्रकाशित हुआ था।
इस अधिनियम को 31 अक्टूबर 2000 तक के संशोधनों सहित छत्तीसगढ़ में अपनाने के लिए 7 जून, 2001 को विधियों का अनुकूलन आदेश बनाया गया तथा राजपत्र (असाधारण) क्रमांक 134 दिनांक 18 जून 2001 में प्रकाशन के साथ यथावत अनुकूलन किया गया। नवम्बर 2000 बाद मध्यप्रदेश के पंचायत राज अधिनियम में जो भी संशोधन हुये हैं वे अब छत्तीसगढ़ राज्य में लागू नहीं होंगे। अब छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा द्वारा परित संशोधन ही लागू होंगे।
एक नजर में पंचायती राजकार्यकाल : 5 वर्ष |
छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम, 1993 प्रावधान
अध्याय 1 : प्रारंभिक
1.संक्षिप्त नाम, विस्तार और प्रारंभ
2.परिभाषाएँ
अध्याय 2 : ग्राम सभा
3.ग्राम के संबंध में अधिसूचना
4.ग्राम की मतदाता सूची
5.ग्राम के मतदाताओं का रजिस्ट्रेशन
6.ग्राम सभा का सम्मिलन
7.ग्राम सभा की शक्तियाँ और कृत्य तथा उसका वार्षिक सम्मिलन
अध्याय 3 : पंचायतों की स्थापना
8.पंचायतों का गठन
9.पंचायत की अवधि
10.ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और जिला पंचायत की स्थापना
11. पंचायतों का निगमन
12.ग्राम पंचायतों का वार्डो में विभाजन
13. ग्राम पंचायतों का गठन
14.मत देने तथा अभ्यर्थी होने के लिए अर्हता
15.एक साथ सदस्यता का प्रतिषेध
16.विलुप्त
17.सरपंच और उप-सरपंच का निर्वाचन
18. बहिर्गामी सरपंच द्वारा कार्यभार का सौपा जाना
19. निर्वाचन की अधिसूचना
20. प्रथम सम्मेलन और पदावधि
21.सरपंच और उप सरपंच के विरूद्ध अविश्वास का प्रस्ताव
21(क). ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों का वापस बुलाया जाना
22, जनपद पंचायत की संरचना
23.खण्ड का निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन
24.विलुप्त
25. जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन
26. सदस्यों, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नामों का प्रकाशन
27.प्रथम सम्मिलन और पदावधि
28.अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास का प्रस्ताव
29.जिला पंचायत का गठन
30.जिला का निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजन
31.विलुप्त
32.अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का निर्वाचन
33. सदस्यों, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के नामों का प्रकाशन
33(क). लिपिकीय गलतियाँ या लोप का ठीक किया जाना
34. प्रथम सम्मिलन और पदावधि
35.अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव
36. पंचायत का पदधारी होने के लिए निरर्हताएँ
37.पंचायत के पदधारियों द्वारा त्यागपत्र
38.रिक्तियों का भरा जाना
39. पंचायत के पदधारी का निलम्बन
40.पंचायत के पदधारियों का हटाया जाना
41. एक से अधिक पद धारण करने का वर्जन
अध्याय 4: निर्वाचन का संचालन
42.राज्य निर्वाचन आयोग की शक्तिया
42-(क).अधिकारियों और कर्मचारीवृन्द करने की शक्ति।
43.नियम बनाने की शक्ति को नियुक्त करने और उनके कर्त्तव्य और कृत्यों को समानुदेशित
अध्याय 5: पंचायतों के कामकाज का संचालन तथा पंचायत के सम्मिलन की प्रक्रिया
44.सम्मिलन की प्रक्रिया
45. पंचायत द्वारा अंतिम रूप से निपटाये गये विषयों पर पुनर्विचार
46. ग्राम पंचायत की स्थायी समितियाँ
47.जनपद पंचायत और जिला पंचायत की स्थायी समितियाँ
47-(क).त्यागपत्र
47-(ख).सदस्य या सभापति के निर्वाचन की विधिमान्यता में विवाद
48.सरपंच, उपसरपंच, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की शक्तियाँ, कर्त्तव्य
अध्याय 6: पंचायतों के कृत्य
49.ग्राम पंचायत के कृत्य
49- क. ग्राम पंचायत के अन्य कृत्य
50.जनपद पंचायत के कृत्य
51. राज्य सरकार के कतिपय कृत्यों का जनपद पंचायत या जिला पंचायत को सौपा जाना
52.जिला पंचायत के कृत्य
53. पंचायतों के कृत्यों के संबंध में राज्य सरकार की शक्ति
54.सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुविधायें और सुरक्षा की बाबत ग्राम
55. भवनों के परिनिर्माण पर नियंत्रण
56,सार्वजनिक मार्गो तथा खुले स्थलों पर रुकावटें बाधा तथा अधिक्रमण
57.मार्गों का नामकरण करने तथा भवनों पर क्रमांक डालने की शक्ति
58.बाजारों या मेलों का विनियमन
59.सड़कों को घुमाव देने, मोड़ने, चालू न रखने या बंद करने की जनपद पंचायतों की शक्ति
60.जनपद पंचायत में निहित सड़कों और भूमियों पर अधिक्रमण
61,समझौता करने की शक्ति
अध्याय 6 (क) : कालोनी निर्माण
61-(क) परिभाषा
61-(ख). हान्स कालोनी निर्माण करने वाले का रजिस्ट्रीकरण
61-(ग) कालोनियों का विकास
61-(घ)अवैध कालोनी निर्माण के लिये दण्ड
61-(E).अवैध सन्निर्माण के अपराध का दुष्प्रेरण करने के लिए दण्ड
61-(च).अवैध व्यपवर्तन के या अवेध कालोनी निर्माण के किसी क्षेत्र में भू-खण्डों के अंतरण का शून्य होना
61-(छ).अवैध कालोनी में अंतर्ग्रस्त भूमि का समपहरण
अध्याय 7 पंचायत की निधि और उसकी संपत्ति
62.राज्य सरकार कतिपय संपत्ति पंचायत में निहित कर सकेगी
63.पंचायत की निधियों का समनुदेशन
64.पंचायत को सहायता अनुदान
65.स्थावर संपत्ति का अंतरण
66.पंचायत निधि
67.संविदा निष्पादित करने का ढंग
68.सहायता अनुदान देने की शक्ति
अध्याय 8: पंचायतों की स्थापना, बजट तथा लेखे
69.सचिव तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी की नियुक्ति
70.पंचायत के अन्य अधिकारी और सेवक
71.शासकीय सेवकों की प्रतिनियुक्ति
72.मुख्य कार्यपालक अधिकारी तथा सचिव के कृत्य
73.बजट तथा वार्षिक लेखे
अध्याय 9 : कराधान और दावों की वसूली
74.भूमि पर उपकर उद्ग्रहण करने की शक्ति
75. खण्ड के भीतर संपत्ति के अंतरण पर शुल्क
76. जिला पंचायत राज निधि
76-(क) रकम का पंचायतों के बीच संवितरण
77.अन्य कर
78.करों का विनियमन करने की राज्य सरकार की शक्ति
79. कराधान के विरुद्ध अपील
80.बाजार फीस आदि का ठेके पर दिया जाना
81. बकाया की वसूली
82.अपवंचन के लिए शास्ति
83.करों में राहत देने के बारे में राज्य सरकार की शक्ति
अध्याय 10: नियंत्रण
84.पंचायतों के कार्य का निरीक्षण
85.आदेशों आदि का निष्पादन, निलंबित करने की शक्ति
86.कतिपय मामलों में पंचायतों को संकर्मों का निष्पादन करने के लिये आदेश देने की राज्य
87.सरकार की शक्ति व्यतिक्रम, शक्तियों के दुरूपयोग आदि के लिये पंचायतों को विघटित करने की राज्य सरकार की शक्ति
88.पंचायत के कार्यकलापों की जाँच
89.हानि, दुरूपयोजन के लिए पंचो आदि का दायित्व
90.पंचायतों और अन्य स्थानीय प्राधिकारियों के बीच विवाद
91. अपील और पुनरीक्षण
92.अभिलेख व वस्तुयें वापस कराने तथा धन वसूलने की शक्ति
93.शक्तियों का प्रत्यायोजन
94. नियंत्रण की साधारण शक्ति
अध्याय 11 नियम और उपविधियाँ
95.नियम बनाने की शक्ति
96.उपविधियाँ
97.आदर्श (मॉडल) उपविधियाँ
अध्याय 12: शास्ति
98.निरर्हित हो जाने पर पंच, सदस्य, सरपंच, उप-सरपंच, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की हैसियत में कार्य करने के लिये शास्ति
99.हितबद्ध सदस्यों द्वारा मत दिये जाने के लिये शास्तियाँ
100. किसी सदस्य, पदधारी या सेवक द्वारा संविदा में हित अंर्जित करने के लिये शास्ति
101. अधिकारियों आदि का सदोष अवरोध
102. पंचायतों के सदस्य आदि को बाधा पहुॅचाने की प्रतिषेध
103. सूचना को हटाने या मिटाने का प्रतिषेध
104.जानकारी न देने या मिथ्या जानकारी देने के लिये शास्ति
105.बोली लगाने का प्रतिषेध
106.किसी पंचायत को नुकसान की प्रतिपूर्ति किये जाने की प्रक्रिया
अध्याय 13 : प्रकीर्ण
107. सदभावपूर्वक किये गये कार्यों का परित्राण
108.सूचना के अभाव में वाद का वर्जन
109.सदस्यों, अधिकारियों आदि के विरुद्ध कतिपय वादों में प्रतिवाद पंचायत के खर्चे पर किया जाएगा
110.कर आदि के संबंध में अन्य कार्यवाही का वर्जन
111.पंचायत के सदस्य या सेवक लोक सेवक होंगे
112.रिक्ति या गठन की प्रक्रिया आदि में त्रुटि होने के कारण पंचायत के कार्य अविधिमान्य नहीं होंगे
113. भूमि का अर्जन
114. केन्द्रीय सरकार या राज्य सरकार अनुज्ञप्ति या अनुज्ञा अभिप्राप्त नहीं करेगी
115.पंचायत की धन उधार लेने की शक्ति
116.वसूल न की जा सकने वाली धनराशियाँ तथा अनुपयोगी सामग्री का बट्टे खाते में डाला जाना
117. सदस्यों आदि को पारिश्रमिक का प्रतिषेध
118.पंचायत के अभिलेख आदि का निरीक्षण किया जा सकेगा
119. दस्तावेजों आदि तामील कराने की पद्धति
120.अधिनियम के प्रयोजनों के लिए प्रवेश आदि
121. निर्वाचन मामलों में न्यायालयों द्वारा हस्तक्षेप का वर्जन
122.निर्वाचन याचिका
123.ऐसे व्यक्तियों को निष्कासित करने की शक्ति जो फीस का संदाय करने से इंकार करें
124स्वामी या अधिभोगी द्वारा व्यतिक्रम किये आने पर पंचायत संकर्मों का निष्पादन कर सकेगी और व्यय वसूल कर सकेगी
125.ग्राम पंचायत के मुख्यालय का बदला जाना, गाम सभा का का विभाजन, समामेलन तथा परिवर्तन
126.ग्राम का विस्थापन
127.खण्ड तथा जिला पंचायत की सीमाओं में परिवर्तन
128.सरकारी भूमियों का प्रबंध
अध्याय 14 : संपरीक्षा
129.पंचायतों की संपरीक्षा
अध्याय 14-क: अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों के लिए विशिष्ट उपबंध
129-क परिभाषाएँ
129-ख ग्राम सभा तथा ग्राम सभा का गठन
129-ग ग्राम सभा की शक्तियाँ और कृत्य
129-ए ग्राम पंचायत के कृत्य
129-ड स्थानों का आरक्षण
129-च जनपद तथा जिला पंचायत की शक्तियाँ
अध्याय 15 निरसन
130. निरसन तथा व्यावृत्ति
131. विद्यमान स्थायी कर्मचारियों के संबंध में व्यावृत्तियाँ
132. कठिनाइयाँ दूर करने की शक्ति
अनुसूची-1
अनुसूची-2
अनुसूची- 3
अनुसूची- 4
छत्तीसगढ़ में पंचायती राज व्यस्वस्था से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कब हुआ?
उत्तर– 1 नवम्बर, सन् 2000 को
प्रश्न : छत्तीसगढ़ पृथक राज्य बनने से पूर्व किस राज्य का हिस्सा था?
उत्तर– मध्यप्रदेश
प्रश्न :छत्तीसगढ़ राज्य में पंचायती राज के लिये किस अधिनियम का यथावत अनुकूलन किया गया?
उत्तर- मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 (क्रमांक 1, सन् 1994) का।
प्रश्न :छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम में मध्यप्रदेश राज्य के कब तक के संशोधनों को शामिल किया गया है?
उत्तर– 31 अक्टूबर, 2000 तक के संशोधनों को यथास्थान शामिल किया गया है।
प्रश्न :मध्यप्रदेश पंचायत राज अधि., 1993 में मध्यप्रदेश विधानसभा द्वारा किये गए कौन से संशोधन छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होंगे ?
उत्तर– 1 नवंबर 2000 तथा बाद के मध्यप्रदेश में किये गए संशोधन छत्तीसगढ़ में लागू नहीं होंगे
प्रश्न :विधियों का अनुकूलन आदेश कब अधिसूचित किया गया? राजपत्र में इसका प्रकाशन कब किया गया?
उत्तर– 7 जून, 2001 को विधियों का अनुकूलन आदेश अधिसूचित किया गया।
प्रश्न : छत्तीसगढ़ राज्य में विधियों का अनुकूलन आदेश 2001 कब हुआ?
उत्तर– 1 नवम्बर, 2000 से
प्रश्न : राजपत्र में इसका प्रकाशन कब किया गया ?
उत्तर-18 जून, 2001 के छत्तीसगढ़ राजपत्र (असाधारण) में इसका प्रकाशन किया गया।
प्रश्न :छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 की प्रमुख उद्देश्य क्या है?
उत्तर– 1. स्थानीय शासन और विकास के कामकाज में पंचायत संस्थाओं को प्रभावी बनाना.
2. शासन एवं कामों में सहभागिता सुनिश्चित करना।
3. पंचायत की स्थापना से संबंधित विधि को समेकित और संशोधित करने हेतु।
प्रश्न :छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधि. 1993 का विस्तार कहाँ तक है?
उत्तर– सम्पूर्ण छत्तीसगढ़ पर
प्रश्न :छत्तीसगढ़ में कुल कितने जिला पंचायतें है?
उत्तर- 27
प्रश्न :छत्तीसगढ़ में जनपद पंचायतों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 146
प्रश्न :छत्तीसगढ़ में ग्राम पंचायतों की संख्या कितनी है?
उत्तर- 11664
ग्राम सभा से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न :अधिनियम के प्रयोजन हेतु “ग्राम’ किसे कहते हैं?
उत्तर– ‘ग्राम’ गांव या गांव का समूह है, जिसे राज्यपाल द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
प्रश्न :ग्राम सभा क्या है?
उत्तर-ग्राम के मतदाता सूची में दर्ज लोगों की सभा।
प्रश्न :ग्राम सभा का कार्यकाल कितने समय का होता है?
उत्तर-ग्राम सभा सदस्य एक स्थायी निकाय है।
प्रश्न :छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम 1993 में ग्रामसभा को कहाँ परिभाषित किया गया ?
उत्तर-अधिनियम की धारा 2 (आठ) में।
प्रश्न :ग्रामसभा के सदस्य कौन होते हैं?
उत्तर-स्थानीय मतदाता सूची में दर्ज 18 वर्ष से अधिक उम्र का व्यक्ति उस ग्राम की ग्रामसभा का सदस्य होगा।
प्रश्न :मतदाता सूची क्या है?
उत्तर-ग्राम के वयस्क मतदाताओं की सूची।
प्रश्न :कौन व्यक्ति मतदाता सूची में अपना नाम जुड़वा सकता है?
उत्तर-जिसकी आयु 18 साल हो चुकी हो एवं ग्राम का मामूली तौर पर निवासी है।
प्रश्न : कौन एक से अधिक मतदाता सूची में अपना नाम शामिल करवा सकता है?
उत्तर– कोई नहीं।
प्रश्न : ग्राम सभा का साल में न्यूनतम कितना सम्मिलन आवश्यक है?
उत्तर-कम से कम छ: बार।
प्रश्न : औसतन कितने समय में ग्राम सभा का एक सम्मिलन होना चाहिये।
उत्तर-हर दो महीने में एक सम्मेलन।
प्रश्न : ग्राम सभा के लिए शासन द्वारा कौन सी तारीख निश्चित है?
उत्तर-निम्नलिखित तिथियों में बैठक बुलाना अनिवार्य है-
23 जनवरी तारीख से शुरू होने वाले सप्ताह में
14 अप्रैल तारीख से शुरू होने वाले सप्ताह में
20 अगस्त तारीख से शुरू होने वाले सप्ताह में
2 अक्टूबर तारीख से शुरू होने वाले सप्ताह में
माह जून में सुझाये गये तिथि को एवं
माह नवम्बर को सुझाये गये तिथि को तथा
जरूरत होने पर ग्रामसभा की और भी बैठक बुलायी जा सकती है।
प्रश्न :शासन द्वारा नियत तिथियों के अलावा कब ग्राम सभा की बैठक की जा सकती है?
उत्तर-जनपद पंचायत, जिला पंचायत या कलेक्टर के अपेक्षा किये जाने अथवा ग्राम सभा के कुल संख्या के एक तिहाई सदस्यों द्वारा लिखित में अपेक्षा करने पर।
प्रश्न :ग्राम पंचायत के कितने ग्रामों में ग्राम सभा आयोजित की जावेगी?
उत्तर-ग्राम पंचायत के प्रत्येक ग्राम में।
प्रश्न :अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा, ग्राम के अलावा कहां पर होती है?
उत्तर-ग्राम के पारा, टोला, बसाहट एवं बस्ती में।
प्रश्न : कोरम (गणपूर्ति) किसे कहते हैं?
उत्तर-सम्मिलन/बैठक में सदस्यों की जरूरी उपस्थिति को कोरम (गणपूर्ति) कहते हैं।
प्रश्न :सामान्य क्षेत्र के ग्राम सभा में कोरम, कितने से पूरा होता है?
उत्तर-कुल सदस्यों के दसवें भाग से, जिसमें एक तिहाई महिला का होना आवश्यक है।
प्रश्न :अनुसूचित क्षेत्रों के ग्राम सभा का कोरम कितने से पूरा होता है?
उत्तर-कुल सदस्यों के एक तिहाई संख्या से, जिसमें एक तिहाई महिला का होना आवश्यक है।
प्रश्न : सामान्य क्षेत्र के ग्राम सभा की बैठक की अध्यक्षता करता है?
उत्तर-सरपंच
प्रश्न : सरपंच के अनुपस्थित रहने पर सामान्य क्षेत्र के ग्राम सभा की अध्यक्षता कौन करेगा?
उत्तर-उपसरपंच
प्रश्न :सरपंच और उपसरपंच दोनों अनुपस्थित हैं तो सामान्य क्षेत्र के ग्राम सभा बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर-ग्राम सभा में उपस्थित सदस्यों द्वारा बहुमत से निर्वाचित व्यक्ति अध्यक्षता करेगा।
प्रश्न :अनुसूचित क्षेत्र में ग्राम सभा के बैठक की अध्यक्षता करता है?
उत्तर-सभा में उपस्थित सदस्यों द्वारा निर्वाचित जनजातीय व्यक्ति, जो पंचायत का सदस्य न हो।
प्रश्न :ग्राम सभा की बैठक में कोरम पूरा नहीं होने पर, क्या होगा?
उत्तर-बैठक आगामी तिथि के लिये स्थगित कर दी जावेगी।
प्रश्न :ग्राम सभा में कोरम पूरा कराने की जिम्मेदारी किसकी है?
उत्तर-वार्ड के लिए संबंधित पंच का एवं पूरे पंचायत के लिए सरपंच का।
प्रश्न :ग्राम सभा की स्थगित बैठक में कोरम का क्या प्रावधान है?
उत्तर-कोरम संबंधी कोई बंधन नहीं है?
प्रश्न :क्या बैठक लिए निर्धारित एजेण्डा को स्थगित बैठक में बदला जा सकता है? या नया विषय विचार के लिए लाया जा सकता है?
उत्तर- नहीं, स्थगित बैठक के निर्धारित एजेंडा में भी कोई बदलाव नहीं होगा।
प्रश्न : कौन-कौन से विषयों पर ग्राम सभा का कोरम पूरा होना आवश्यक है?
उत्तर– वार्षिक कार्ययोजना, हितग्राहियों का चयन, वार्षिक बजट, लेखा संपरीक्षा प्रतिवेदन वार्षिक लेखा तथा रिपोर्ट के बारे में।
प्रश्न : ग्राम सभा के बैठक बुलाने की जिम्मेदारी किसकी है?
उत्तर-सरपंच की।
प्रश्न : यदि सरपंच ग्राम सभा की बैठक नहीं बुलाता है तो उस पर क्या कार्यवाही का प्रावधान है?
उत्तर-विहित प्राधिकारी द्वारा सरपंच को पद से हटाने की कार्यवाही की जा सकती है।
प्रश्न : ग्रामसभा की बैठक ग्रामसभा के सदस्यों के द्वारा बुलाए जाने की क्या प्रक्रिया है?
उत्तर-ग्रामसभा के एक-तिहाई सदस्यों द्वारा कार्यपालक पदाधिकारी से लिखित मांग किए जाने पर ग्राम सभा की बैठक बुलायी जा सकते हैं।
प्रश्न : किसी सदस्य के ग्राम सभा की सदस्यता के बारे में विवाद होने पर उसका हल कैसे किया जाता है?
उत्तर-अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति, संबंधित ग्राम सभा की मतदाता सूची में नाम मिलान कर निर्णय करता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के भीतर एक से अधिक ग्राम सभाओं के बीच कोई विवाद अथवा विषय पर विचार कैसे होता है?
उत्तर-ग्राम सभा का संयुक्त सम्मिलन बुलाकर।
प्रश्न : ग्राम सभा का समय एवं स्थान कौन तय करता है?
उत्तर-सरपंच द्वारा या उसकी अनुपस्थिति में उप सरपंच द्वारा तथा दोनों की अनुपस्थिति में ग्राम पंचायत के सचिव द्वारा।
प्रश्न : ग्राम सभा के बैठक की सूचना कितने दिन पहले दी जाती है?
उत्तर-कम से कम सात दिन पूर्व, विशेष दशा में तीन दिन पहले।
प्रश्न : ग्राम सभा की बैठक की सूचना कैसे दी जाती है?
उत्तर-सूचना की एक प्रति ग्राम पंचायत कार्यालय में एवं ग्राम के सहज दृश्य स्थान पर चिपका कर तथा ग्राम में मुनादी/डोंडी पिटवाकर दी जाती है।
प्रश्न : ग्राम सभा की बैठक की सूचना के प्रारूप क्रमांक क्या है? इसमें कौन-कौन सी जानकारी देना आवश्यक है?
उत्तर-प्रारूप-एक। इसमें सम्मिलन की तारीख, समय तथा स्थान और लिये जाने वाले विषय दर्शाये जाते हैं।
प्रश्न : ग्राम सभा के समक्ष रखे जाने वाले अभिलेखों का निरीक्षण कब किया जा सकता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के कार्यालय में कार्यालयीन समय पर।
प्रश्न :ग्राम सभा के समक्ष विचाराधीन विषयो पर निर्णय कैसे होता है ।
उत्तरबहुमत से। मत भिन्नता की स्थिति में मतदान हाथ उठाकर किया जाता है।
प्रश्न :ग्राम सभा के बैठक की कार्यवाही कौन लिखता है ।
उत्तर-ग्राम पंचायत का सचिव।
प्रश्न :ग्राम सभा की कार्यवाही किस भाषा में लिखी जाती है ।
उत्तर-हिन्दी में
प्रश्न : ग्राम सभा के कार्यवाही की पुस्टि कैसे होती है ।
उत्तर-अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति के द्वारा कार्यवाही पंजी के अंत में हस्ताक्षर करके।
प्रश्न :ग्राम सभा की सलाना बैठक कब बुलाई जाती है ।
उत्तर-माह दिसम्बर में।
प्रश्न : ग्राम सभा की वार्षिक बैठक में क्या-क्या विषय रखे जाते हैं?
उत्तर-लेखाओं का वार्षिक विवरण,
पहले साल की प्रशासनिक रिपोर्ट,
जाने वाले साल की कार्ययोजना,
पिछला आडिट टीप एवं उसके उत्तर,
अगले साल का बजट अनुमान,
जनपद पंचायत, जिला पंचायत एवं प्राधिकृत अधिकारी द्वारा निर्धारित अन्य विषय।
प्रश्न : ग्राम सभा के अधिकार एवं कार्य क्या है?
उत्तर-सामाजिक व आर्थिक विकास से संबंधित योजनाओं का प्रस्ताव,
कार्यान्वयन से पूर्व योजनाओं का अनुमोदन,
अंकेक्षण व लेखाओं पर विचार,
सार्वजनिक भूमि का प्रबंधन,
ग्रामसभा की संपति की देखभाल,
बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना,
सामाजिक चेतना आदि।
अनुसूचित क्षेत्रो में पंचायतो के लिए विशिष्ट उपबंध (PESA)
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम का गठन कौन करता है ?
उत्तर- राज्यपाल लोक अधिसूचना द्वारा “ग्राम” गठन करते हैं।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा का गठन संबंधी क्या प्रावधान है?
उत्तर-” ग्राम सभा” साधारणतया एक ग्राम में एक होगी, परन्तु ग्राम सभा के सदस्य चाहे तो एक से अधिक ग्राम सभा हो सकती है।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा की अतिरिक्त शक्तियाँ और कृत्य क्या-क्या है?
उत्तर- परम्पराओं तथा रूढ़ियों की सांस्कृतिक पहचान, सामुदायिक साधनों तथा विवाद निराकरण को रूढ़िगत ढंग से सुरक्षित, संरक्षित करना भूमि, जल, वन का प्रबंध करना व बाजार, मेला, पशु मेला का ग्राम पंचायत के माध्यम से प्रबंध करना, जनजातीय उप-योजनाओं के लिए स्त्रोतों और व्ययों पर नियंत्रण एवं राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करना।
प्रश्न : जनजाति क्षेत्रों में ग्राम पंचायत के क्या-क्या कृत्य हैं?
उत्तर- ग्राम पंचायत-ग्राम पंचायत के साधारण अधीक्षण, नियंत्रण तथा निर्देश के अधीन बाजार, मेला, पशु मेला का प्रबंध, स्थानीय योजना, जनजातीय उपयोजना, योजनाओं के स्त्रोतों और व्ययों का नियंत्रण तथा राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अन्य शक्ति एवं कृत्य करना।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में आरक्षण का क्या प्रावधान है?
उत्तर- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के लिए उनकी जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण होगा परन्तु अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान का आरक्षण आधे से कम नहीं होगा।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में सरपंच/अध्यक्ष पद के आरक्षण संबंध में क्या प्रावधान हैं ?
उत्तर-तीनों स्तर के पंचायत में अनुसूचित जनजाति के लिए सरपंच/अध्यक्ष के पद आरक्षित रहेंगे।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का क्या प्रावधान है?
उत्तर-तीन चौथाई स्थानों का आरक्षण अनुसूचित जाति, जनजाति तथा अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए हो सकता है।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्र के किसी ग्राम पंचायत में अनु.जनजाति जनसंख्या नहीं है तो पंच, सरपंच पद हेतु प्रावधान है, की
उत्तर-पंच एवं सरपंच के पद अजजा वर्ग के लिए अपवर्जित (समाप्त) कर दिया जायेगा।
प्रश्न : यदि अनुसूचित क्षेत्र में जनपद/जिला पंचायत में अनुसूचित जनजाति का प्रतिनिधि नहीं है तो क्या प्रावधान है?
उत्तर-अनुसूचित जनजाति का व्यक्ति निर्वाचित सदस्यों के दसवें भाग तक नामनिर्दिष्ट कर सकता है।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों के जनपद पंचायत तथा जिला पंचायत की शक्तियाँ उत्तर क्या-क्या हैं?
उत्तर- लघु जलाशयों की योजना बनाना, उन पर स्वामित्व तथा उनका प्रबंधन करना। समस्त सामाजिक क्षेत्र में उनको अंतरित संस्थाओं तथा कृत्यकारियों का नियंत्रण। स्थानीय योजनाओं, जनजातीय उप-योजनाओं के स्रोतों एवं व्ययों पर नियंत्रण। राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त शक्तियों तथा कृत्य का पालन करना।
ग्राम पंचायत की स्थापना से सम्बंधित प्रश्नं
प्रश्न : त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर कौन से है?
उत्तर-ग्राम के लिए ग्राम पंचायत,
विकास खण्ड के लिए जनपद पंचायत,
जिला के लिए जिला पंचायत के गठन की व्यवस्था
प्रश्न : पंचायतों के कार्यकाल कितने साल का होता है?
उत्तर-पांच साल का
प्रश्न :पंचायतों का कार्यकाल कब से शुरू माना जाता है?
उत्तर-प्रथम सम्मिलन की तारीख से।
प्रश्न : क्या अधिनियम के विधि अनुसार ग्राम पंचायत को भंग किया जा सकता है?
उत्तर-हाँ।
प्रश्न : किसी पंचायत के भंग होने पर उसका निर्वाचन कब किया जाता है?
उत्तर-भंग होने के छः महीने के भीतर।
प्रश्न : भंग उपरान्त उपचुनाव से निर्वाचित पंचायत का कार्यकाल कितने अवधि का होता है?
उत्तर-कार्यकाल के शेष अवधि के लिए।
प्रश्न : पंचायतों का निगमन क्या है?
उत्तर-पंचायतें विधिक व्यक्ति के समान हैं जिनकी अपनी सामान्य मुद्रा होती है। वे अपने नाम से वाद दायर कर सकते हैं अथवा उसके विरूद्ध मामले चलाए जा सकते हैं तथा ये चल एवं अचल सम्पत्ति अर्जित करने, धारण करने व अंतरित करने का अधिकार रखते हैं।
प्रश्न : एक ग्राम पंचायत में कितने वार्ड होते हैं?
उत्तर-एक ग्राम पंचायत में कम से कम 10 तथा अधिक से अधिक 20 वार्ड होते हैं।
प्रश्न : ग्राम पंचायत किनसे मिलकर बनता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत निर्वाचित पंचों तथा सरपंच से मिलकर बनता है।
प्रश्न : पंचायत के किसी वार्ड में पंच का चुनाव नहीं हो पाने से क्या किया जाता है?
उत्तर-छः महीने के भीतर पुनः निर्वाचन की कार्यवाही की जाती है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के सरपंच का निर्वाचन नहीं हो पाता है तो क्या कार्यवाही होगी?
उत्तर-ग्राम पंचायत के प्रथम बैठक में पंच गण अपने में से एक पंच को सरपंच चुनेंगे
प्रश्न : पंचो द्वारा निर्वाचित सरपंच को नये सरपंच के निर्वाचन तक क्या अधिकार होते हैं?
उत्तर-पंचायत के सभी कार्य करने का अधिकार जो एक सामान्य निर्वाचित सरपंच के लिए निर्धारित है।
प्रश्न : अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए वार्डों का आरक्षण के संबंध में क्या प्रावधान है?
उत्तर-अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए वार्डों का आरक्षण 50 प्रतिशत से कम होने पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25 प्रतिशत वार्ड आरक्षित किये जा सकेंगे।
प्रश्न : कलेक्टर द्वारा वार्डों का आरक्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर--लाट पद्धति के द्वारा चक्रानुक्रम से दो पंचवर्षीय कार्यकाल के लिये।
प्रश्न : यदि किसी वार्ड में आरक्षित वर्ग की आबादी नहीं है तो भी क्या उस वर्ग के लिए आरक्षित रखा जावेगा?
उत्तर-नहीं, उस वर्ग के आरक्षण से वार्ड को मुक्त किया जावेगा।
प्रश्न : कोई व्यक्ति कितने वार्ड में चुनाव के लिये खड़ा हो सकता है?
उत्तर--केवल एक ।
प्रश्न : उपसरपंच पद के लिए उम्मीदवार कौन हो सकता है?
उत्तर--ग्राम पंचायत का कोई भी निर्वाचित पंच
प्रश्न : यदि सरपंच आरक्षित वर्ग के नहीं हैं तो उपसरपंच कौन हो सकेंगे?
उत्तर-अजा/अजजा /अपवि के निर्वाचित पंच।
प्रश्न : नव निर्वाचित सरपंच कब से काम पर उपस्थित माना जाता है?
उत्तर- ग्राम पंचायत के पहली बैठक से।
प्रश्न : नये सरपंच को कार्यभार कब मिलता है?
उत्तर-पुराने सरपंच द्वारा पहली बैठक के दिन।
प्रश्न : पुराने सरपंच द्वारा कार्यभार नहीं सौंपने पर क्या कार्यवाही की जाती है?
उत्तर--दोषी पाये जाने पर वह छः साल के लिए पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के निर्वाचित प्रतिनिधियों के नामों का प्रकाशन किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर-अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की पहली बैठक कौन बुलाता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत का सचिव।
प्रश्न : चुनाव के तुरन्त बाद ग्राम पंचायत की पहली बैठक कब बुलायी जाती है?
उत्तर-– प्रकाशन के 30 दिन के भीतर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत में किसके विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जा सकता है?
उत्तर-सरपंच एवं उपसरपंच के विरूद्ध।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की सूचना किस प्रारूप में दी जाती है?
उत्तर-निर्धारित प्रारूप में।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की सूचना हेतु कितने सदस्यों का दस्तखत जरूरी है?
उत्तर-एक-तिहाई ।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की सूचना किसको दी जाती है?
उत्तर-सरपंच और उपसरपंच के लिए अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व),,
जनपद पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए कलेक्टर,,
जिला पंचायत के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के लिए-संचालक, पंचायत
प्रश्न : क्या सरपंच और उपसरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव हेतु एक ही सूचना दी जा सकती है?
उत्तर- नहीं, दोनों के लिए अलग-अलग सूचना दी जावेगी ।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की सूचना मिलने के कितने दिन बाद सक्षम अधिकारी बैठक बुलाता है?
उत्तर-15 दिन के भीतर।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव के बैठक की सूचना कितने दिन पहले दी जाती है?
उत्तर-सात दिन।
प्रश्न : जिसके विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है वह बैठक की अध्यक्षता कर सकता है?
उत्तर-नहीं।
प्रश्न : सरपंच और उपसरपंच के अविश्वास प्रस्ताव के बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर-नायब तहसीलदार या समकक्ष अधिकारी।
प्रश्न : जनपद के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के अविश्वास प्रस्ताव के बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर-डिप्टी कलेक्टर या समकक्ष अधिकारी।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव के बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा?
उत्तर-कलेक्टर/अतिरिक्त कलेक्टर ।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में प्रस्तावक सदस्य के अलावा और कौन-कौन बोल सकते हैं?
उत्तर-कोई भी इच्छुक सदस्य तथा जिस पर अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है वह भी बोल सकता है।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में मतदान होने पर पक्ष में कैसे चिन्ह लगाते हैं?
उत्तर-पक्ष में सही का चिन्ह लगाते हैं।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में मतदान होने पर विपक्ष में कैसे चिन्ह लगाते हैं?
उत्तर-विपक्ष में गुणा का चिन्ह
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के लिए कितने मत की जरूरत होती है
उत्तर- बैठक में उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों के तीन चौथाई बहुमत से, जो उस समय पंचायत का गठन करने वाले सदस्यों की दो तिहाई से अधिक हो।
प्रश्न : अविश्वास प्रस्ताव कब लाया जा सकता है?
उत्तर-पद ग्रहण करने के एक साल बाद,
कार्यकाल समाप्त होने के छः माह पहले और
यदि पूर्व में अविश्वास प्रस्ताव नामंजूर हुये हैं तो, उसके एक साल बाद।
प्रश्न : सरपंच/उपसरपंच के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित होने पर इसकी विधिमान्यता को कितने दिन के भीतर चुनौती दी जा सकती है?
उत्तर-अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के सात दिन के भीतर कलेक्टर को प्रस्तुत कर।
प्रश्न : जनपद अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव की विधिमान्यता को चुनौती कब तक दिया जा सकता है?
उत्तर-अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के दस दिन के भीतर
प्रश्न : जनपद के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव की विधिमान्यता को चुनौती किसके समक्ष प्रस्तुत दी जा सकती है?
उत्तर-संचालक पंचायत को।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव की विधिमान्यता को चुनौती कितने दिन के भीतर दी जा सकता है?
उत्तर-अविश्वास प्रस्ताव पारित होने के पंद्रह दिन के भीतर
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव की विधिमान्यता को चुनौती किसके समक्ष दी जा सकती है?
उत्तर-राज्य सरकार को प्रस्तुत कर
प्रश्न : ग्रामसभा द्वारा, ग्राम पंचायत के किन पदधारियों को वापस बुलाया जा सकता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के सरपंच एवं पंच को।
प्रश्न : सरपंच को वापस बुलाने के लिए सूचना हेतु ग्राम सभा के कितने सदस्यों की दस्तखत जरूरी है?
उत्तर-पंचायत की ग्राम सभा के कुल सदस्य संख्या के, कम से कम एक तिहाई सदस्या
प्रश्न : ग्राम पंचायत प्रतिनिधि को वापस बुलाने के लिए सूचना किसको दिया जाता है?
उत्तर-अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
प्रश्न : ग्राम सभा के कितने मतों पर, सरपंच या पंच अपने पद से वापस हो जायेंगे ?
उत्तर-यथास्थिति ग्राम सभा के कुल सदस्य संख्या की आधे से अधिक मत।
प्रश्न : पंच/सरपंच जिसके विरूद्ध राईट टू रिकाल पारित हुआ है, वापस बुलाने को कितने दिन के भीतर चुनौती दे सकता है?
उत्तर-सात दिन के भीतर
प्रश्न : पंच/ सरपंच जिसके विरूद्ध राईट टू रिकाल पास हुआ बुलाने को चुनौती किसके समक्ष प्रस्तुत कर सकता है?
उत्तर-कलेक्टर को
प्रश्न : किसी पंच/सरपंच को वापस बुलाने के लिए नियत बैठक में मतदान वापस कैसे होगा ?
उत्तर-गुप्त मतदान द्वारा।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के पदाधिकारियों को कितने समय बाद वापस बुलाया जा सकता है?
उत्तर-आम चुनाव में पदग्रहण उपरांत ढाई साल के बाद एवं उप चुनाव से निर्वाचित प्रतिनिधि के कार्यकाल के आधा समय बीतने के बाद।
प्रश्न : जनपद पंचायत किनसे मिलकर बनता है?
उत्तर-निर्वाचित जनपद पंचायत सदस्य, विधायक एवं जनपद क्षेत्र के सरपंचों के एक पंचमांश (चक्रानुक्रम से एक वर्ष की कालावधि के लिये)
प्रश्न : यदि किसी क्षेत्र में सदस्य का चुनाव नहीं हो पाता है तो अध्यक्ष/उपाध्यक्ष चुनाव का क्या होगा?
उत्तर-अध्यक्ष/उपाध्यक्ष का चुनाव किया जा सकता है। कोई रूकावट नहीं है।
प्रश्न : जनपद पंचायत में औसतन कितने आबादी पर एक निर्वाचन क्षेत्र बनाया जाता है?
उत्तर-5000
प्रश्न : जनपद पंचायत में कुल कितने निर्वाचन क्षेत्र/सदस्य होते हैं?
उत्तर-कम से कम 10 एवं अधिक से अधिक 25
प्रश्न : जनपद पंचायत में अजा एवं अजजा के लिए आरक्षण किस अनुपात में किया जाता है?
उत्तर-जनसंख्या के अनुपात में।
प्रश्न : जनपद पंचायत में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कितना स्थान आरक्षित होता है?
उत्तर-अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए 50% से कम आरक्षण होने पर अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 25% स्थान आरक्षित किया जाता है।
प्रश्न : जनपद पंचायत में महिलाओं के लिए कितना आरक्षण है?
उत्तर-कुल पदों का 50%
प्रश्न : जनपद पंचायत में आरक्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर-दो पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए लाट निकालकर चक्रानुक्रम से।
प्रश्न : यदि किसी क्षेत्र में कोई आरक्षित वर्ग की जनसंख्या नहीं है तो क्या किया जाता है?
उत्तर-आरक्षण से मुक्त किया जाता है।
प्रश्न : जनपद पंचायत के अध्यक्ष पद का चुनाव कौन लड़ सकता है?
उत्तर-जनपद पंचायत का निर्वाचित सदस्य।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्रों में जनपद पंचायत के अध्यक्ष कौन होते हैं?
उत्तर-केवल अनुसूचित जनजाति वर्ग के निर्वाचित सदस्य।
प्रश्न : जनपद पंचायत के अध्यक्ष किन-किन पदों पर नहीं रह सकते?
उत्तर-संसद/राज्य विधान सभा के सदस्य या सहकारी सोसायटी के सभापति/उपसभापति
प्रश्न : जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष के लिए कौन खड़ा हो सकता है?
उत्तर-जनपद पंचायत के निर्वाचित सदस्य ।
प्रश्न :जनपद के अध्यक्ष अनुसूचित जाति/जनजाति/अपिव के हैं तो उपाध्यक्ष कौन होगा?
उत्तर-किसी भी वर्ग का निर्वाचित सदस्य।
प्रश्न :जनपद पंचायत के अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण कौन करता है?
उत्तर-कलेक्टर ।
प्रश्न : जनपद पंचायत के निर्वाचित अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के नामों के प्रकाशन के लिए कौन अधिकारी अधिकृत है?
उत्तर-संयुक्त संचालक / उपसंचालक पंचायत एवं समाज कल्याण |
प्रश्न : जनपद पंचायत के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के चुनाव में मतदान कौन कर सकता है?
उत्तर-केवल जनपद पंचायत के निर्वाचित सदस्य ।
प्रश्न : जनपद पंचायत के चुनाव बाद पहली बैठक कौन बुलाता है?
उत्तर-जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी।
प्रश्न : चुनाव के बाद जनपद पंचायत की पहली बैठक कितने दिन के भीतर बुलायी जाती है?
उत्तर-30 दिन के भीतर।
प्रश्न : किनसे मिलकर जिला पंचायत बनता है?
उत्तर-जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य, सांसद, विधायक एवं जनपद पंचायत के अध्यक्ष से।
प्रश्न : जिला पंचायत के निर्वाचन क्षेत्र का विभाजन कितने आबादी पर किया जाता है?
उत्तर-औसतन 50,000 की जनसंख्या पर एक सदस्य निर्वाचन क्षेत्र।
प्रश्न : जिला पंचायत में कितने निर्वाचित सदस्य होते हैं?
उत्तर-कम से कम 10 एवं अधिक से अधिक 35 सदस्य ।
प्रश्न : जिला पंचायत में क्या अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए स्थानों का आरक्षण है?
उत्तर-उनकी आबादी के अनुपात में।
प्रश्न : अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए जिला पंचायत में कितने स्थान आरक्षित होते हैं?
उत्तर-अजा एवं अजजा के लिए 50 प्रतिशत से कम स्थान आरक्षित होने पर 25 प्रतिशत स्थान।
प्रश्न : जिला पंचायत में महिलाओं के लिए कितने स्थानों पर आरक्षण होता है?
उत्तर-50% स्थान।
प्रश्न : स्थानों का आरक्षण कैसे किया जाता है?
उत्तर-कलेक्टर के द्वारा लाट निकालकर चक्रानुक्रम से दो पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के लिए कौन खड़ा हो सकता है?
उत्तर-जिला पंचायत के निर्वाचित सदस्य।
प्रश्न : अनुसूचित क्षेत्र में जिला पंचायत के अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर-जिला पंचायत के चुने गये अनुसूचित जनजाति के सदस्य ही।
प्रश्न : यदि जिला पंचायत का अध्यक्ष सामान्य वर्ग से हैं तो उपाध्यक्ष किस वर्ग के होंगे?
उत्तर-आरक्षित वर्ग से।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष पद का आरक्षण कैसे एवं किसके द्वारा किया जाता है?
उत्तर-संचालक, पंचायत द्वारा लाट निकालकर, चक्रानुक्रम से दो पंचवर्षीय कार्यकाल के लिए।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष हो जाने पर कोई सदस्य सहकारी सोसायटी का सभापति/उपसभापति ………..।
उत्तर-नहीं रह सकता।
प्रश्न : चुनाव में कोई लिपिकीय गलती या लोप होने पर क्या किया जा सकता है?
उत्तर-लिपिकीय गलती या लोप होने पर उसे ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न : जिला पंचायत की पहली बैठक किसके द्वारा बुलायी जाती है?
उत्तर-जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा।
प्रश्न : चुनाव उपरांत जिला पंचायत की पहली बैठक कितने दिन के भीतर बुलायी जाती है?
उत्तर-प्रकाशन के 30 दिन के भीतर।
प्रश्न : पंचायत चुनाव लड़ने या पद पर बने रहने के योग्य कौन नहीं होंगे?
उत्तर-नार्कोटिक्स के उपयोग, विक्रय या उपभोग में किसी अपराध के दोषी होने पर,
पंचायत या शासकीय भूमि/भवन पर बेजा कब्जा करने पर,
वह पदाधिकारी जिसने चुनाव जीतने के एक साल के अंदर अपने घर में शौचालय नहीं बनाया है।
प्रश्न : पंचायत के पदाधिकारी कौन नहीं हो सकते हैं?
उत्तर-30 साल से कम आयु का निरक्षर व्यक्ति,
छः माह के जेल से दण्डित व्यक्ति जिसे जेल छोड़े पाँच साल नहीं हुआ है।,
दिवालिया या मानसिक रूप से बीमार,
जिसकी उम्र 21 साल से कम हो एवं जिसका नाम मतदाता सूची में दर्ज न हो. जो सरकारी नौकरी करता हो.,
पटेल के पद को छोड़कर अन्य लाभ के पद पर हो.,
जिसको पंचायत की कोई भी राशि देना बाकी हो,
किसी भी शासकीय या पंचायत की जगह पर अतिक्रमण किया हो.
नशीली चीजों से संबंधित अपराध का दोषी हो.
प्रश्न : पंचायत पदधारी के बिना अनुमति लगातार कितनी बैठक में भाग नहीं लेने पर कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तर-तीन बैठक
प्रश्न : ग्राम पंचायत एवं जनपद पंचायत के पदधारी का बैठक में अनुपस्थित रहने पर कौन अधिकारी दण्डात्मक कार्यवाही कर सकता है?
उत्तर-कलेक्टर |
प्रश्न : जिला पंचायत के पदधारी की बैठक में अनुपस्थित रहने पर कौन अधिकारी कार्यवाही करने हेतु सक्षम है?
उत्तर-संचालक, पंचायत।
प्रश्न : ग्राम पंचायत का पंच अपने पद का त्याग-पत्र किसे देगा?
उत्तर-प्रारूप-क में सरपंच को।
प्रश्न : जनपद पंचायत का सदस्य अपना त्यागपत्र किसे प्रस्तुत करेगा?
उत्तर-प्रारूप-क में जनपद पंचायत के अध्यक्ष को।
प्रश्न : जिला पंचायत के सदस्य अपने पद का त्याग किसे कर सकते हैं?
उत्तर-प्रारूप-क में जिला पंचायत के अध्यक्ष को।
प्रश्न : ग्राम पंचायत का सरपंच अपने पद से त्याग करना चाहें तो किसे आवेदन देगा?
उत्तर-प्रारूप-क में संयुक्त उपसंचालक पंचायत एवं समाज कल्याण को।
प्रश्न : अपने पद का त्याग करने वाले जनपद के अध्यक्ष किसे अपना त्याग पत्र सौंपेंगे?
उत्तर-प्रारूप-क में कलेक्टर/अतिरिक्त कलेक्टर को।
प्रश्न : जिला पंचायत के अध्यक्ष अपने पद का त्याग किसे कर सकेंगे?
उत्तर-त्याग पत्र प्रारूप-क में कलेक्टर को देकर।
प्रश्न : क्या कोई पदधारी त्याग पत्र वापस ले सकता है?
उत्तर-हाँ। त्याग पत्र स्वीकार होने के पहले प्रारूप-ग में।
प्रश्न : पंचायत के पदधारी का त्याग पत्र कैसे स्वीकार किया जाता है?
उत्तर-पंचायत के अगले बैठक में चर्चा कर।
प्रश्न :सरपंच/जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के अध्यक्ष का त्याग पत्र कितने दिन के भीतर सक्षम अधिकारी के द्वारा स्वीकार किया जाना जरूरी है?
उत्तर- 30 दिन के भीतर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के सरपंच का पद खाली हो जाने पर काम चलाने के लिए क्या व्यवस्था की जाती है?
उत्तर- सचिव 15 दिन के भीतर पंचायत की विशेष बैठक बुलाकर संबंधित वर्ग के पंचों से सरपंच का चुनाव कराता है
प्रश्न : पंचायत के पदाधिकारियों को निलंबित करने का आधार क्या हो सकता है ?
उत्तर-भारतीय दंड संहिता के चिन्हित धाराओं में अपराध कायम होने पर, आरोप विरचित होने पर या पद से हटाने के लिए कारण बताओ सूचना आरोप पत्र जारी होने पर।
प्रश्न :ग्राम पंचायत के पंच, सरपंच, उपसरपंच को कौन निलम्बित कर सकते हैं?
उत्तर- अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
प्रश्न :जनपद पंचायत के सदस्य, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को निलम्बित करने हेतु कौन अधिकारी सक्षम है?
उत्तर- कलेक्टर/अति कलेक्टर।
प्रश्न :जिला पंचायत के सदस्य, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को निलम्बित करने हेतु कौन अधिकृत है?
उत्तर-कलेक्टर
प्रश्न :क्या सक्षम अधिकारी द्वारा निलंबन आदेश की पुष्टि के लिए राज्य सरकार को प्रकरण भेजी जाती है?
उत्तर- हाँ।
प्रश्न :राज्य सरकार को निलंबन आदेश की पुष्टि कितने दिनों के भीतर करना जरूरी होता है?
उत्तर- 90 दिन के भीतर, अन्यथा निलंबन आदेश प्रभावहीन हो जाता है।
प्रश्न :क्या पंचायत के पदधारियों को पद से हटाया जा सकता है?
उत्तर- हाँ।
प्रश्न :पंचायत के पदधारियों को पद से हटाने हेतु क्या आधार हो सकता है?
उत्तर- भारत के प्रभुता, एकता, अखण्डता या समरसता का अवचारी, भाईचारे की भावना एवं स्त्रियों के सम्मान पर प्रतिकूल प्रभाव एवं कर्त्तव्य निर्वहन में घोर उपेक्षा या गफलत का दोषी पाना।
प्रश्न :किसी पंचायत के पदधारी को पद से हटाने हेतु विहित प्राधिकारी कौन है?
उत्तर- ग्राम पंचायत के लिए–अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
जनपद पंचायत के लिए –कलेक्टर/अति. कलेक्टर
जिला पंचायत के लिए–संचालक, पंचायत
प्रश्न :अवचार के कारण किसी पदधारी को पद से हटाने पर वह
उत्तर- अन्य पंचायत का भी सदस्य नहीं रहेगा एवं 6 साल के लिए चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
प्रश्न :यदि कोई व्यक्ति एक से अधिक पद के लिए चुनाव जीतता है तो वह कितने पद पर कार्य कर सकता है?
उत्तर- किसी एक पद पर।
प्रश्न :एक से अधिक पद में निर्वाचित व्यक्ति द्वारा किसी एक पद का चयन नहीं करने पर वह किस पद पर माना जावेगा?
उत्तर- क्रमश: जिला पंचायत का सदस्य, जनपद पंचायत का सदस्य, ग्राम पंचायत का सरपंच, ग्राम पंचायत का पंच में से। पद माना जायेगा।
प्रश्न : एक से अधिक पद पर निर्वाचित व्यक्ति किसी पंचायत के बैठक में भाग लेने के बाद क्या चयन करने का हक रखता है?
उत्तर- नहीं, जिस पंचायत के बैठक में भाग लिया है। उसी पंचायत का सदस्य माना जायेगा।
पंचायतो के कामकाज – संचालन तथा सम्मलेन की प्रक्रिया
प्रश्न : ग्राम पंचायत के बैठक बुलाने की जिम्मेदारी किसकी है?
उत्तर- ग्राम पंचायत के संरपच की।
प्रश्न : जनपद पंचायत की बैठक बुलाने कौन जिम्मेदार है?
उत्तर- जनपद पंचायत का अध्यक्ष।
प्रश्न : क्या जिला पंचायत के अध्यक्ष पर बैठक बुलाने की जिम्मेदारी है?
उत्तर- हाँ।
प्रश्न : बैठक की सूचना में किन बातों का लिखना जरूरी है?
उत्तर- बैठक की तारीख, समय, स्थान एवं एजेण्डा।
प्रश्न : बैठक की सूचना कितने दिन पहले जारी किया जाता है?
उत्तर- साधारण बैठक के सात दिन पहले एवं विशेष बैठक के तीन दिन पूर्व ।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की बैठक के लिए एजेंडा कौन तैयार करता है?
उत्तर- सरपंच की सलाह से सचिव
प्रश्न : जनपद पंचायत की बैठक का एजेंडा कौन बनाता है?
उत्तर-अध्यक्ष कार्यपालन अधिकारी
प्रश्न : जिला पंचायत की बैठक हेतु एजेण्डा किसके द्वारा निश्चित किया जाता है?
उत्तर- मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा अध्यक्ष की सलाह से।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के बैठक की अध्यक्षता करता है?
उत्तर- सरपंच।
प्रश्न : सरपंच की अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- उपसरपंच।
प्रश्न : सरपंच एवं उपसरपंच दोनों के अनुपस्थिति होने पर बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- उपस्थिति पंचों द्वारा चुने गये व्यक्ति (पंच) द्वारा।
प्रश्न : जनपद पंचायत के बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- जनपद अध्यक्ष।
प्रश्न : अध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- उपाध्यक्ष
प्रश्न : अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों के अनुपस्थित रहने पर बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- उपस्थित सदस्यों द्वारा चुना गया सदस्य।
प्रश्न : जिला पंचायत के बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- अध्यक्ष।
प्रश्न : अध्यक्ष के अनुपस्थित रहने पर अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर- उपाध्यक्ष
प्रश्न : अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष दोनों के अनुपस्थित रहने पर बैठक की अध्यक्षता कौन करता है?
उत्तर-उपस्थित सदस्यों द्वारा चुना गया सदस्य ।
प्रश्न : पंचायत की बैठक में कौन भाग ले सकता है?
उत्तर-पंचायत का सदस्य
प्रश्न : प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धन संबंधी कोई हित रखने वाला सदस्य क्या पंचायत की बैठक में,,,,,,,
उत्तर-भाग नहीं ले सकता है?
प्रश्न : बैठक में कोई भी पदाधारी को बोलते समय किन नियमों का पालन करना होता है?
उत्तर-न्यायालय में विचाराधीन विषय के गुण-अवगुण पर टीका-टिप्पणी नहीं करना।
किसी अधिकारी या प्रतिनिधि के विरूद्ध व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाना।
संताप कारी अपमानजनक भाषा का प्रयोग न करना।
प्रश्न : किसी पदधारी को व्यस्था भंग करने का दोषी किन कारणों से माना जाता है?
उत्तर-सन्ताप कारी शब्द का उपयोग।
बैठक में अशांति पैदा करना।
सभापति के आदेश का पालन न करना।
प्रश्न : सदस्य द्वारा व्यवस्था भंग करने का दोषी पाये जाने पर क्या कार्यवाही की जाती है?
उत्तर-सभापति उसे बैठक से निकल जाने का निर्देश दे सकता है।
प्रश्न : यदि कोई पदधारी किसी विषय पर संकल्प प्रस्तुत करना चाहता है। तो उनकी सूचना कितने दिन पूर्व सभापति को प्रस्तुत कर सकता है?
उत्तर-पांच दिन पूर्व ।
प्रश्न : पदधारी को संकल्प प्रस्तुत करने की सूचना कैसे देनी चाहिए?
उत्तर-लिखित में हस्ताक्षरित आवेदन।
प्रश्न : किसी विषय पर बराबर मत होने की स्थिति में सभापति क्या करता है?
उत्तर-एक अतिरिक्त मत देकर निर्णय करता है।
प्रश्न : पंचायत की सम्मिलन में कार्यवाही विवरण किस भाषा में लिखी जाती है?
उत्तर-हिन्दी में।
प्रश्न : कार्यवाही पंजी में मुख्यत: क्या-क्या लिखा जाना चाहिए?
उत्तर-उपस्थित पद्घारियों एवं अधिकारियों में नाम ,
समस्त कार्यवाहियों का विवरण,
किसी संकल्प के पक्ष या विपक्ष में मत देने वाले या तटस्थ रहने वाले पदधारियों के नाम
प्रश्न : कार्यवाही पंजी में विवरण लिखने के बाद अंत में हस्ताक्षर कौन करता है?
उत्तर-अध्यक्षता करने वाला व्यक्ति।
प्रश्न : बैठक के कार्यवाही की प्रति सभी सदस्यों को कितने दिनों के भीतर देना चाहिए?
उत्तर-दस दिन के भीतर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत को बैठक के कार्यवाही की प्रति 15 दिन के भीतर किस अधिकारी को भेजना चाहिए?
उत्तर-जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को।
प्रश्न : जनपद पंचायत के कार्यवाही की प्रति 15 दिन के भीतर किस अधिकारी को भेजा जाता है?
उत्तर-जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी को
प्रश्न : ग्राम पंचायत के बैठक की कोरम कितने सदस्यों की उपस्थिति से होती है?
उत्तर-आधे सदस्यों से
प्रश्न : जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के बैठक की कोरम के लिए कितने सदस्यों की उपस्थिति जरूरी है?
उत्तर-एक तिहाई सदस्य
प्रश्न : बैठक में कोरम नहीं होने पर बैठक,,,,,,,,,,
उत्तर-आगामी तिथि के लिए स्थगित की जाती है।
प्रश्न : स्थगित बैठक की सूचना कैसे दिया जाता है?
उत्तर-बैठक की तारीख एवं समय की सूचना पंचायत के कार्यालय में चिपकाकर
प्रश्न : क्या स्थगित बैठक में भी कोरम की पूर्ति होना आवश्यक है?
उत्तर-कोरम का कोई बंधन नहीं है।
प्रश्न : स्थगित बैठक में कौन सा नया विषय विचार के लिए लाया जा सकता है?
उत्तर-कोई भी नहीं।
प्रश्न : बैठक के लिए कितने दिन पूर्व सूचना दिया जाना चाहिए?
उत्तर-साधारण बैठक के लिये सात दिन पहले एवं विशेष बैठक हेतु तीन
प्रश्न : पंचायत की या उनकी समितियों की माह में कितनी बैठक बुलाया जाना चाहिए?
उत्तर-प्रत्येक माह कम से कम एक बार।
प्रश्न : सरपंच द्वारा पिछले बैठक के 25 दिन तक बैठक नहीं बुलाने पर कौन बैठक बुला सकता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत का सचिव
प्रश्न : अध्यक्ष द्वारा पिछले बैठक के 25 दिन तक बैठक नहीं बुलाने पर कौन बैठक बुला सकता है?
उत्तर-मुख्य कार्यपालन अधिकारी।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की बैठक में आय-व्यय की जानकारी कब प्रस्तुत किया जाता है?
उत्तर-मासिक बैठक में।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की बैठक में आय-व्यय की जानकारी प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी किसकी है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के सचिव की।
प्रश्न : जनपद/जिला पंचायत की बैठक में आय-व्यय की जानकारी कब प्रस्तुत किया जाता है?
उत्तर-प्रत्येक तिमाही बैठक में
प्रश्न : पंचायत द्वारा अंतिम रूप से निपटाये गये विषय पर कब पुनर्विचार विचार किया जा सकता है?
उत्तर-छः माह के बाद।
प्रश्न : छः महीने के भीतर, अंतिम रूप से निपटाये गये विषय पर पुनः विचार किया जा सकता है?
उत्तर-तीन चौथाई सदस्य के पुनर्विचार हेतु लिखित में सममति प्राप्त होने पर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत किसके निर्देश पर अंतिम रूप से निपटाये गये विषय पुनर्विचार कर सकता है?
उत्तर-अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) एवं कलेक्टर के निर्देश पर
गणपूर्ति (कोरम) के लिए न्यूनतम संख्या
जनपद पंचायत की बैठक के लिए कोरम–>>कुल सदस्यों का एक तिहाई जिला पंचायत की बैठक में कोरम–>>कुल सदस्यों का एक तिहाई ग्राम पंचायत की बैठक में कोरम–>>कुल सदस्यों का 50% समितियों की बैठक में कोरम–>>कुल सदस्यों का 50% ग्राम सभा (सामान्य क्षेत्र) की बैठक में कोरम–>>कुल मतदाताओं का 10% (एक तिहाई महिला आवश्यक) ग्राम सभा (अनुसूचित क्षेत्र) की बैठक में कोरम–>>कुल मतदाताओं का एक तिहाई (एक तिहाई महिला आवश्यक) |
यदि कोरम पूरा नहीं होता है तो किसी अगली तारीख के लिए बैठक स्थगित कर दी जाती है। इस प्रकार स्थगित बैठक में कोरम पूरा होना जरूरी नहीं है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत में कितने स्थायी समितियों का गठन किया जा सकता है ?
उत्तर-अधिक से अधिक पांच
प्रश्न : ग्राम पंचायत की पाँच स्थायी समितियाँ कौन-कौन सी है?
उत्तर-1. सामान्य प्रशासन समिति
2. निर्माण एवं विकास समिति
3. शिक्षा, स्वास्थ्य एवं समाज कल्याण समिति
4. कृषि, राजस्व एवं वन समिति।
5. ग्राम गौठान समिति
प्रश्न : ग्राम पंचायत की समितियाँ किसके नियंत्रण में कार्य करती हैं?
उत्तर-ग्राम पंचायत के सामान्य नियंत्रण के अधीन ।
प्रश्न : स्थायी समितियों के सदस्य होने की अर्हता क्या है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के निर्वाचित पंचों में से तथा इसके अतिरिक्त विभिन्न क्षेत्रों के विषय-विशेषज्ञ को स्थायी समिति में मनोनीत किया जा सकता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों में सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-4 सदस्य ।
प्रश्न : एक पंच एक समय में कितने समितियों का सदस्य हो सकता है?
उत्तर-अधिक से अधिक दो समिति
प्रश्न : ग्राम पंचायत की कोई समिति कितने विषय विशेषज्ञों को सहयोजित कर सकती है?
उत्तर-संबंधित विषय के विशेषज्ञ या अनुभव रखने वाले अधिक से अधिक दो व्यक्ति को ।
प्रश्न : समिति के बैठक में किसे मत देने का अधिकार नहीं होता है?
उत्तर-सहयोजित सदस्यों को
प्रश्न : ग्राम पंचायत के सामान्य प्रशासन समिति का अध्यक्ष कौन होता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत का सरपंच।
प्रश्न : पांच वर्ष के पूर्व समिति के किसी सदस्य का पद कब रिक्त माना जाताहै?
उत्तर-किसी सदस्य की मृत्यु, त्यागपत्र, अयोग्य होने या काम करने के लिए असमर्थ होने पर।
प्रश्न : समिति में कोई सदस्य का पद रिक्त हो जाने पर कैसे भरा जाता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत की बैठक बुलाकर।
प्रश्न : समितियों का कार्यकाल कितने समय के लिए होता है?
उत्तर-प्रत्येक स्थायी समिति का कार्यकाल पांच वर्षों के लिए होता है।
प्रश्न : स्थायी समिति के रिक्त पद पर भरे गये नये सदस्य का कार्यकाल कितना होता है?
उत्तर-समिति के शेष अवधि के लिए।
प्रश्न : स्थायी समिति के बैठक की सूचना कितने दिन पहले दी जाती है?
उत्तर-तीन दिन पूर्व ।
प्रश्न : बैठक की सूचना देने का तरीका क्या होता है?
उत्तर-सभी सदस्यों को भेजकर एवं कार्यालय में चिपकाकर ।
प्रश्न : समिति की बैठक के कोरम के लिए कितने सदस्यों की उपस्थिति जरूरी है?
उत्तर-कम से कम आधे ।
प्रश्न : कोरम नहीं होने पर क्या बैठक,,,,,,,हो जाता है?
उत्तर-अगली तारीख व समय के लिए स्थगित
प्रश्न : समिति के बैठक में निर्णय कैसे लिया जाता है?
उत्तर-बहुमत के समर्थन से।
प्रश्न : कोई विषय एक से अधिक समितियों से संबंधित होने पर उसका निर्णय कैसे होता है?
उत्तर-विषय को ग्राम पंचायत की बैठक में रखकर निर्णय किया जाता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत की समितियों के बैठक की कार्यवाही विवरण को पुष्टि के लिये कहाँ रखा जाता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत में
प्रश्न : जनपद या जिला पंचायत अपने अधीन कितनी समितियों का गठन कर सकती है?
उत्तर-7 (सात)
प्रश्न : जनपद या जिला पंचायत की न्यूनतम 5 स्थायी समितियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर-1. सामान्य प्रशासन समिति
2. कृषि समिति
3. शिक्षा समिति
4. संचार एवं संकर्म समिति
5. सहकारिता एवं उद्योग समिति
प्रश्न : पंचायत स्थायी समितियों के अलावा और कोई समिति का गठन किसके अनुमोदन से कर सकता है?
उत्तर-कलेक्टर के अनुमोदन से।
प्रश्न : प्रत्येक स्थायी समिति में सदस्यों की संख्या कितनी होती है?
उत्तर-कम से कम 5 सदस्य एवं अधिक से अधिक 10 सदस्य।
प्रश्न : स्थायी समितियों के कौन-कौन सदस्य होते हैं?
उत्तर-पंचायत के निर्वाचित सदस्यों में से तथा यथास्थिति सांसद एवं विधायक।
प्रश्न : पंचायत के निर्वाचित सदस्य एक समय में कितने समितियों के सदस्य हो सकते हैं?
उत्तर-अधिक से अधिक तीन समितियों के।
प्रश्न : किस समिति में एक महिला तथा अनुसूचित जाति/जनजाति वर्ग का एक सदस्य होना आवश्यक है?
उत्तर-शिक्षा समिति में
प्रश्न : विधान सभा के सदस्य किन-किन समितियों के पदेन सदस्य होते है?
उत्तर-जनपद पंचायत के सभी समितियों एवं जिला पंचायत के दो समितियों के
प्रश्न : सांसद कितने समितियों के पदेन सदस्य होते हैं?
उत्तर-केवल जिला पंचायत के दो समितियों में
प्रश्न : सामान्य प्रशासन समिति के सदस्य कौन होते हैं?
उत्तर-सभी समितियों के सभापति।
प्रश्न : जनपद या जिला पंचायत की सामान्य प्रशासन समिति के सभापति कौन होते हैं?
उत्तर-जनपद या जिला पंचायत के अध्यक्ष
प्रश्न : जनपद / जिला पंचायत के उपाध्यक्ष किस समिति के पदेन सभापति होते हैं?
उत्तर-शिक्षा समिति के।
प्रश्न : अन्य समितियों के सभापतियों का निर्वाचन कौन करता है?
उत्तर-समिति के सदस्य।
प्रश्न : सभापति का निर्वाचन कितने दिनों के भीतर हो जाना चाहिए?
उत्तर-समिति गठन के एक माह के भीतर।
प्रश्न : समिति के सदस्य की संख्या का निर्धारण कौन करता है?
उत्तर-पंचायत संकल्प पारित कर सदस्यों की संख्या निर्धारित करता है।
प्रश्न : जनपद/जिला पंचायत के समितियों की बैठक कौन बुलाता है?
उत्तर-समिति का सभापति ।
प्रश्न : समितियों के बैठक की सूचना कम से कम कितने दिन पूर्व दी जाती है?
उत्तर-पांच दिन पूर्व ।
प्रश्न : समितियों की बैठक कितने दिनों पर बुलाया जाना आवश्यक है?
उत्तर-प्रति माह कम से कम एक बार।
प्रश्न : समिति के कितने सदस्यों के लिखित आवेदन पर सभापति बैठक बुला सकता है?
उत्तर-तीन सदस्यों के
प्रश्न : निर्धारित संख्या में सदस्यों के आवेदन पर सभापति कितने दिनों के भीतर बैठक बुलायेगा?
उत्तर-दस दिन के भीतर।
प्रश्न : एक से अधिक समितियों से संबंधित विषय पर निर्णय कैसे लिया जाता है?
उत्तर-जनपद /जिला पंचायत की सामान्य सभा की बैठक में।
प्रश्न : क्या समिति की बैठक में जनता को प्रवेश दिया जा सकता है?
उत्तर-नहीं।
प्रश्न : जनपद/जिला पंचायत के सामान्य प्रशासन समिति के सचिव है?
उत्तर-मुख्य कार्यपालन अधिकारी।
प्रश्न : सामान्य प्रशासन समिति के अलावा अन्य समितियों के सचिव हैं?
उत्तर-मुख्य कार्यपालन अधिकारी के द्वारा नाम निर्दिष्ट अधिकारी।
प्रश्न : मुख्य कार्यपालन अधिकारी को समिति के बैठक के संबंध में क्या अधिकार प्राप्त है?
उत्तर-बैठक में उपस्थित हो सकता है एवं किसी विषय के बारे में स्पष्टीकरण दे सकता है।
प्रश्न : समिति द्वारा अंतिम रूप से निर्णित विषय पर फिर से विचार कब किया जा सकता है?
उत्तर-छः माह के बाद।
प्रश्न : समिति अपने निर्णय पर कब पुन: विचार करेगी?
उत्तर-यदि कम से कम तीन-चौथाई सदस्य पुन: विचार करने हेतु लिखित सहमति दें।
प्रश्न : समिति अपने निर्णय पर कितने दिनों के भीतर पुन: विचार कर सकती है?
उत्तर-छः माह के भीतर
प्रश्न : जनपद/जिला पंचायत के स्थायी समितियों के सदस्य अपना त्याग पत्र किसे सौंप सकते हैं?
उत्तर-जनपद/जिला पंचायत के अध्यक्ष को।
प्रश्न : क्या जनपद/जिला पंचायत के सामान्य प्रशासन समिति के सदस्य अपने पद से त्यागपत्र दे सकते हैं?
उत्तर-नहीं, क्योंकि समितियों के सभापति पदेन सदस्य होते हैं।
प्रश्न : सरपंच के मुख्य काम क्या है?
उत्तर-1. पंचायत की सम्मिलन की अध्यक्षता एवं विनियमन करना।
2. अधिनियम के प्रावधानों को कार्यान्वित करना।
प्रश्न : राज्य सरकार द्वारा ग्राम पंचायत को हस्तान्तरित कार्यों को करने के लिए कौन जिम्मेदार होते हैं?
उत्तर-सरपंच
प्रश्न : अध्यक्ष की अनुपस्थिति में उनके शक्तियों, कार्यों को करते हैं?
उत्तर-उपाध्यक्ष
प्रश्न : सरपंच की अनुपस्थिति में उनके शक्तियों, कार्यों को करते हैं?
उत्तर-उपसरपंच
ग्राम पंचायत के कार्य से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : ग्राम पंचायत के मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर-1. पंचायत क्षेत्र के आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय की वार्षिक योजना बनाना
2. विकास योजनाओं एवं निर्माण कार्यों का क्रियान्वयन, निष्पादन एवं पर्यवेक्षण करना
3. हितग्राहियों का चयन
प्रश्न : क्या राज्य/केन्द्र सरकार द्वारा सौंपी गई योजनाओं/कार्यों का निष्पादन करने से ग्राम पंचायत मना कर सकती है?
उत्तर-नहीं
प्रश्न : ग्राम सभा के अनुशंसा का क्रियान्वयन तथा आधारभूत नागरिक सुविधा का प्रबंध कौन करती है?
उत्तर-ग्राम पंचायत
प्रश्न : जनपद पंचायत के मुख्य कार्य क्या है?
उत्तर-1. हितग्राही मूलक योजना, स्वरोजगार का क्रियान्वयन ।
2. प्राकृतिक आपदाओं के समय सामना करना ।
3. नाव घाट, बाजार, मेला, प्रदर्शनी का प्रबंध करना।
4. विकास कार्य की योजना बनाना, पर्यवेक्षण एवं मूल्यांकन करना।
प्रश्न : ग्राम पंचायतों के बीच समन्वय तथा निधियों का पुनराबन्टन कौन करता है।
उत्तर-जनपद पंचायत
प्रश्न : जिला पंचायत के क्या-क्या प्रमुख काम है?
उत्तर-राज्य सरकार अधीन विकास एवं सामाजिक न्याय की योजना निर्माण व निष्पादन,
जनपद तथा ग्राम पंचायतों के क्रियाकलापों का समन्वय, मूल्यांकन एवं पर्यवेक्षण तथा मार्गदर्शन करना,
केन्द्र एवं राज्य द्वारा उपलब्ध कराये गए निधि का पंचायातों के बीच पुनराबन्टन करना, समाज कल्याण की योजनाओं का क्रियान्वयन करना,
कर्मचारियों पर नियंत्रण रखना।
प्रश्न : ग्राम पंचायत को सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा और सुरक्षा हेतु क्या प्रमुख शक्तियाँ प्राप्त है?
उत्तर-घृणित या खतरनाक वस्तुओं, औद्योगिक इकाईयों का विनियमन एवं पर्यावरण नियंत्रण।
स्वच्छता, जल निकास, जल प्रदाय के स्त्रोत का रख रखाव व जल उपयोग का विनियमन।
प्रश्न : कोई व्यक्ति किसकी अनुमति से पंचायत सीमा के भीतर भवन का निर्माण या परिवर्तन कर सकता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत की अनुमति से
प्रश्न : भवन निर्माण या परिवर्तन हेतु अनुमति के आवेदन पर कितने दिन के भीतर ग्राम पंचायत को निर्णय लेना चाहिए?
उत्तर-40 दिन के भीतर।
प्रश्न : क्या पंचायत द्वारा शौचालय के बिना भवन निर्माण की अनुमति दी जा सकती है?
उत्तर-नहीं।
प्रश्न : कोई व्यक्ति नाली, गली, सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण करता है तो ग्राम पंचायत क्या कर सकती है?
उत्तर-दोषी पाये जाने पर 1000 रूपये जुर्माना से दण्डित किया जा सकता है।
प्रश्न : किसी व्यक्ति द्वारा जुर्माना होने के बाद भी अतिक्रमण नहीं हटाने पर क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तर-प्रतिदिन 20 रू. का दण्ड किया जा सकता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत अतिक्रमण को हटाने के लिए संकल्प पारित कर किसे सूचित करती है?
उत्तर-तहसीलदार को।
प्रश्न : ग्राम पंचायत त्यौहारों के समय सार्वजनिक स्थान के उपयोग हेतु कितने दिन की अनुमति दे सकती है?
उत्तर-जनता को असुविधा न होने पर 10 दिन के लिए।
प्रश्न : क्या ग्राम पंचायत क्षेत्र में मार्गोंों का नामकरण तथा भवनों पर क्रमांक डालने की शक्ति ग्राम पंचायत को है?
उत्तर- हा
प्रश्न : ग्राम पंचायत क्षेत्र में बाजार एवं मेले की स्थापना कौन करती है?
उत्तर-संबंधित ग्राम पंचायत ।
प्रश्न : राज्य सरकार द्वारा किसी बाजार या मेले को सार्वजनिक घोषित करने पर किसके अधिकार में होता है?
उत्तर-जनपद पंचायत।
प्रश्न : बाजार या मेले में कारबार के स्थान, चबूतरा का आबंटन कौन करता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत।
प्रश्न : ग्राम पंचायत क्षेत्र के बाजार या मेले में कारोबार करने वालों से फीस वसूल कौन कर सकती है?
उत्तर-ग्राम पंचायत।
प्रश्न : मेले में प्रवेश करने के लिए किस पर रोक लगाई जा सकती है?
उत्तर-संक्रामक रोग से पीड़ित व्यक्ति को
प्रश्न : बाजार एवं मेले का अधीक्षक कौन हो सकता है?
उत्तर-सरपंच, उपसरपंच या कोई पंच
प्रश्न : बाजार या मेले का अधीक्षक का चयन कौन करता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत की बैठक में।
प्रश्न : अधीक्षक को क्या-क्या मुख्य शक्तियाँ प्राप्त होती है?
उत्तर-1. बाजार में फीस संबंधी विवाद का निराकरण।
2. स्टॉल के निर्माण के लिए स्थान का आवंटन।
3. खराब खाद्य पदार्थों को हटवाने व स्वच्छता बनाये रखना।
4. ग्राम पंचायत के नियम भंग करने वालों पर कार्यवाही करना।
प्रश्न : अधीक्षक के आदेश के विरोध में सुनवाई कौन करता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत।
प्रश्न : किसी व्यक्ति द्वारा नियम भंग करने पर उसे कैसे दंडित किया जा सकता है?
उत्तर-50 रू. तक के जुर्माने से।
प्रश्न : किसी व्यक्ति को जुर्माना के बाद भी नियम भंग करने पर दण्ड के लिए क्या प्रावधान है?
उत्तर-अतिरिक्त 5 रू. तक प्रतिदिन की दर से दण्डनीय होगा।
प्रश्न : सार्वजनिक बाजार या मेले का क्या मतलब है?
उत्तर-किसी बाजार या मेले को राज्य सरकार द्वारा सार्वजनिक घोषित करने पर उसे सार्वजनिक बाजार या मेला कहा जाता है।
प्रश्न : सार्वजनिक बाजार या मेला किस पंचायत के अधीन होता है?
उत्तर-जनपद पंचायत।
प्रश्न : किसकी अनुमति से जनपद पंचायत सड़कों को घुमाव देने, मोड़ने, चालू नहीं रखने या बंद करने की शक्ति का उपयोग करता है?
उत्तर-उपखंड अधिकारी (राजस्व)
प्रश्न : जनपद पंचायत की भूमि में अतिक्रमण करने वाले पर क्या कार्यवाही की जा सकती है?
उत्तर-1000 रूपये तक जुर्माना किया जा सकता है।
प्रश्न : अतिक्रमण हटाने के लिए मुख्य कार्यपालन अधिकारी क्या कर सकते हैं?
उत्तर-नोटिस जारी करना, अतिक्रमणकारी के खर्चे पर बाधा हटाना तथा संबंधित से बतौर भू-राजस्व की वसूली।
प्रश्न : पंचायतों को विधिक समझौता करने के लिए किसकी मंजूरी लगती है?
उत्तर-1. ग्राम पंचायत अनुविभागीय अधिकारी।
2. जनपद/जिला पंचायत अतिरिक्त कलेक्टर/कलेक्टर।
पंचायतो की स्थापना बजट तथा लेखा से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : ग्राम पंचायत के सचिव की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-उप संचालक, पंचायत एवं समाज कल्याण ।
प्रश्न : कितने पंचायतों के लिए एक सचिव की नियुक्ति की जाती है?
उत्तर-प्रत्येक ग्राम पंचायत हेतु।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के पदाधिकारी का नातेदार ग्राम पंचायत का सचिव हो सकता है?
उत्तर-नहीं।
प्रश्न : नातेदार के अंतर्गत कौन सी नातेदारी शामिल है?
उत्तर-पिता, माता, बहन, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, ससुर, सास, साला, बहनोई, देवर, साली, भाभी, ननद, देवरानी जेठानी, दामाद, पुत्रवधु ।
प्रश्न : जनपद एवं जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की नियुक्ति कौन करता है?
उत्तर-राज्य सरकार।
प्रश्न : ग्राम पंचायत सचिव की छुट्टी, सेवानिवृत्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, अनुपस्थिति पर काम चलाने के इंतजाम करता है?
उत्तर-उप संचालक, पंचायत एवं समाज कल्याण
प्रश्न : मुख्य कार्यपालन अधिकारी के छुट्टी, सेवानिवृत्ति, मृत्यु, त्यागपत्र या अनुपस्थिति के दौरान काम चलाने के इंतजाम कौन करता है?
उत्तर-विहित प्राधिकारी।
प्रश्न : पंचायतों के अभिलेखों को रखने और उसे बनाये रखने के लिए कौन जिम्मेदार है?
उत्तर-ग्राम पंचायत में सचिव एवं जनपद तथा जिला पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी।
प्रश्न : पंचायत की सेवा में शासकीय सेवकों को प्रतिनियुक्ति कौन कर सकती है?
उत्तर-राज्य सरकार।
प्रश्न : क्या पंचायत के बजट एवं वार्षिक लेखा प्रतिवर्ष बनाये जाने का प्रावधान है?
उत्तर-हाँ।
कराधान और दावों की वसूली से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : भूमि पर उपकर किनसे ली जाती है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के भू-धारी या सरकारी पत्तेदार से
प्रश्न : जिला पंचायत संकल्प पारित करके उपकर को कितने राशि तक बढ़ा सकती है?
उत्तर-10 रूपये की सीमा तक।
प्रश्न : भू-धारी या पट्टेदार से लगान एवं उपकर के अलावा और कौन से कर वसूले जा सकते हैं?
उत्तर-विकास कर।
प्रश्न : स्थावर संपत्ति के अंतरण पर स्टाम्प शुल्क में कितने प्रतिशत वृद्धि की जा सकती है?
उत्तर-एक प्रतिशत।
प्रश्न : जिला स्तर पर कौन सी एक पृथक निधि स्थापित करने का प्रावधान है?
उत्तर-जिला पंचायत राज निधि
प्रश्न : जिला पंचायत राज निधि में कौन-कौन सी राशि जमा की जाती है?
उत्तर-भूराजस्व, उपकर, विकास कर, अन्य कर, पथकर, शुल्क एवं अन्य प्राप्तियाँ।
प्रश्न : पंचायत क्षेत्र से उगाहे गए भू-राजस्व का अंतरण किसे किया जाता है?
उत्तर-ग्राम पंचायत को
प्रश्न : भू-राजस्व पर बढ़ा कर उगाहे गए उपकर निधि का बंटवारा कैसे किया जाता है?
उत्तर-50% ग्राम पंचायत को,
25% जनपद पंचायत को,
25% जिला पंचायत को दी जायेगी।
प्रश्न : विकास कर का बंटवारा किनके बीच होता है?
उत्तर-विकास कर का बंटवारा जनपद पंचायत एवं क्षेत्र के ग्राम पंचायतों के बीच होता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के अनिवार्य कर कौन से हैं?
उत्तर-भूमि एवं भवन पर संपत्ति कर, सण्डास पर सफाई कर, प्रकाश कर, वृत्ति कर, बाजार फीस, पशु बिक्री पर पंजीकरण फीस ।
प्रश्न : जनपद पंचायत कौन-कौन से कर अधिरोपित कर सकती है?
उत्तर-नाट्य गृह या नाट्य प्रदर्शनों तथा सार्वजनिक मनोरंजन के अन्य प्रदर्शनों पर कर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत को अन्य कर अधिरोपित करने हेतु किसके पूर्वानुमोदन उन की जरूरत होती है?
उत्तर-जनपद पंचायत के
प्रश्न : जनपद पंचायत किसके अनुमोदन से अन्य कर अधिरोपित कर सकती है?
उत्तर-अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
प्रश्न : ग्राम पंचायत द्वारा अधिरोपित अन्य कर संबंध में आपत्ति होने पर अपील किसे करते हैं?
उत्तर-कलेक्टर / अतिरिक्त कलेक्टर
प्रश्न : जनपद पंचायत द्वारा अधिरोपित अन्य कर बाबत् आपत्ति किसे प्रस्तुत किया जाता है?
उत्तर-सार्वजनिक नीलाम द्वारा।
प्रश्न : ग्राम पंचायत द्वारा बाजार, फीस आदि ठेके पर कैसे दिया जाता है?
उत्तर-जनपद पंचायत ।
प्रश्न : सार्वजनिक बाजार या मेले को नीलाम कौन कर सकता है? प्र. ठेके की राशि ठेकेदार से कैसे ली जानी चाहिए?
उत्तर-अग्रिम में, एकमुश्त ।
प्रश्न : कोई अधिरोपित कर फीस या जुर्माने की राशि प्रदाय नहीं करने पर वसूली कैसे होगी?
उत्तर-कलेक्टर द्वारा राशि की वसूली बतौर भू-राजस्व की भाँति की जायेगी।
प्रश्न : किसी व्यक्ति द्वारा राशि संदाय करने से चूक करने पर जुर्माने का क्या प्रावधान है?
उत्तर-बकाया राशि के अतिरिक्त 50 रूपये या अधिकतम 10 गुना राशि का जुर्माना।
प्रश्न : राज्य सरकार, कर संदाय करने से कितना भाग छूट दे सकती है?
उत्तर-पूर्णतः या अंशतः।
निर्वाचन का संचालन
प्रश्न : पंचायतों के निर्वाचन का दायित्व किस पर है?
उत्तर-राज्य निर्वाचन आयोग
प्रश्न : राज्य निर्वाचन आयोग के क्या-क्या कृत्य एवं शक्तियाँ प्राप्त है?
उत्तर-पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव कराना,
निर्वाचक नामावली तैयार करना
निर्वाचनों का अधीक्षण, निर्देशन तथा नियंत्रण करना
चुनाव संचालन हेतु अधिकारियों और कर्मचारियों की नियुक्ति तथा
नियम बनाने की शक्ति
प्रश्न : पंचायतों के निर्वाचन का संचालन कौन करता है?
उत्तर-राज्य का स्थानीय निर्वाचन अधिकारी।
पंचायत पदाधिकारी एवं उनकी निर्वाचन प्रणाली
संस्था | पदाधिकारी | निर्वाचन प्रणाली |
जिला पंचायत | अध्यक्ष , उपाध्यक्ष, जिला पंचायत सदस्य | अप्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रत्यक्ष |
जनपद पंचायत | अध्यक्ष , उपाध्यक्ष, जनपद सदस्य | अप्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रत्यक्ष |
ग्राम पंचायत | सरपंच उपसरपंच पंच | प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष प्रत्यक्ष |
मतपत्र का रंग एवं प्रतिभूति निक्षेप राशि
उमीदवार | मतपत्र रंग | अनारक्षित वर्ग | SC/ST /OBC महिला |
पाच | सफ़ेद | 50 रु | 25 रु |
सरपंच | नीला | 1000 रु | 500 रु |
जनपद पंचायत सदस्य | पीला | 2000 रु | 1000 रु |
जिला पंचायत सदस्य | गुलाबी | 4000 रु | 2000 रु |
पंचायतो पर नियंत्रण से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : ग्राम पंचायत के कार्यों का निरीक्षण कौन कर सकता है?
उत्तर-पंचायत एवं समाज शिक्षा संगठक एवं
अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व),
आयुक्त, संचालक पंचायत,
कलेक्टर तथा कलेक्टर द्वारा अधिकृत अन्य अधिकारी।
प्रश्न : जनपद पंचायत के कार्यवाहियों का निरीक्षण कौन कर सकता है?
उत्तर-आयुक्त, संचालक पंचायत या कलेक्टर अथवा कलेक्टर द्वारा नामनिर्दिष्ट अधिकारी।
प्रश्न : जिला पंचायत के कार्यवाहियों का निरीक्षण कौन कर सकता है?
उत्तर-आयुक्त, संचालक पंचायत या उनके द्वारा नामनिर्दिष्ट अधिकारी।
प्रश्न : पंचायतों का निरीक्षण कितने समय में किया जाना चाहिए?
उत्तर-वार्षिक रोस्टर तैयार कर वर्ष में कम से कम एक बार
प्रश्न : निरीक्षण अधिकारी को क्या-क्या शक्तियाँ प्राप्त है?
उत्तर-गवाह बुलाना, साक्ष्य अभिलेखित करना, अभिलेखों की प्रतियाँ लेना।
प्रश्न : पंचायत के द्वारा पारित किसी संकल्प, आदेश या अनुज्ञा को किन प्रमुख कारणों से निलंबित किया जा सकता है?
उत्तर-विधि के प्रतिकूल होने पर,
धन की हानि या दुरूपयोग पर,
सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा या सुविधा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका पर
शांति भंग होने की स्थिति में।
प्रश्न : पंचायत के संकल्प, आदेश, अनुज्ञा को निलंबित कौन कर सकता है?
उत्तर-1. ग्राम पंचायत – अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) ।
2. जनपद पंचायत कलेक्टर,
3. जिला पंचायत संचालक, पंचायत । –
प्रश्न : विहित प्राधिकारी द्वारा पंचायतों के संकल्प, आदेश आदि को निलंबित करने की पुष्टि किसके द्वारा की जाती है?
उत्तर-राज्य सरकार या नाम निर्दिष्ट अधिकारी द्वारा।
प्रश्न : राज्य सरकार या नाम निर्दिष्ट अधिकारी निलंबन आदेश की पुष्टि हेतु क्या कर सकता है?
उत्तर-पंचायत को सुनवाई का मौका देकर आदेश की पुष्टि, अपास्त या पुनरीक्षित कर सकता है।
प्रश्न : शासन ग्राम पंचायत के कार्यों की जांच किससे करा सकती है?
उत्तर-द्वितीय श्रेणी से अनिम्न पद के शासकीय अधिकारी से।
प्रश्न : यदि कोई पंचायत अधिनियम या अन्य विधि द्वारा प्रदत्त कर्तव्य का निष्पादन नहीं करता तो पालन कराने हेतु कौन अधिकृत है?
उत्तर-ग्राम एवं जनपद पंचायत के लिए कलेक्टर या अतिरिक्त कलेक्टर।
जिला पंचायत के लिए संचालक, पंचायत
प्रश्न : पंचायत के पदधारी द्वारा धन या संपत्ति की हानि, दुरुयोग किये जाने पर क्या कार्यवाही होती है?
उत्तर-सुनवाई का मौका देकर भूराजस्व के बकाया के तौर पर वसूली की जायेगी।
प्रश्न : धन या संपत्ति की वसूली कौन कर सकता है?
उत्तर-विहित प्राधिकारी कलेक्टर / अतिरिक्त कलेक्टर
प्रश्न : पंचायतों एवं स्थानीय प्राधिकारियों के बीच विवाद का हल कौन करता है?
उत्तर-दो या अधिक पंचायतों के बीच – राज्य सरकार
पंचायत और स्थानीय प्राधिकारी के बीच विवाद पर राज्य सरकार करेगी
यदि विवाद पंचायत और छावनी बोर्ड के बीच हो तो राज्य सरकार विवाद का हल केन्द्र
सरकार के अनुमोदन के अधीन करेगी।
प्रश्न : विभिन्न स्तर के आदेशों की अपील या पुनरीक्षण किसे की जा सकती है?
उत्तर-ग्राम पंचायत के आदेश की अपील या पुनरीक्षण – अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) को
जनपद पंचायत के आदेश की अपील या पुनरीक्षण – कलेक्टर को
जिला पंचायत के आदेश की अपील या पुनरीक्षण आयुक्त को
प्रश्न : पुनरीक्षण की सुनवाई कौन कर सकता है?
उत्तर-राज्य सरकार, आयुक्त, संचालक पंचायत या कलेक्टर।
प्रश्न : आयुक्त या संचालक पंचायत के आदेश के विरूद्ध अपील या पुनरीक्षण किसे किया जा सकता है?
उत्तर-राज्य सरकार।
प्रश्न : कोई भी आदेश की अपील कितने दिन के भीतर की जा सकती है?
उत्तर-30 दिनों के भीतर।
प्रश्न : पुनरीक्षण कितने दिन के भीतर किया जा सकता है?
उत्तर-60 दिनों के भीतर।
प्रश्न : पंचायतों के अभिलेख, वस्तु या धन को अनाधिकृत रूप से रखने पर क्या कार्यवाही होती है?
उत्तर-संबंधित को कारण बताने का अवसर देते हुए 30 दिन तक सिविल जेल भेजा जा सकता है
एवं
भूराजस्व बकाया की तरह वसूली की जा सकती है और तलाशी वारंट भी जारी किया जा सकता है।
प्रश्न : राज्य सरकार अपने किन शक्तियों को पंचायतों को प्रत्यायोजित कर सकती है?
उत्तर-नियम बनाने की शक्ति को छोड़कर अपने समस्त या किन्हीं शक्तियों को पंचायत को सौंप सकती है
नियम और उपविधियाँ
प्रश्न : अधिनियम के प्रावधान को लागू करने के लिए नियम बनाने का अधिकार किसे है?
उत्तर-राज्य सरकार।
प्रश्न : उपविधियाँ कौन बना सकती है?
उत्तर-राज्य सरकार को।
प्रश्न : ग्राम पंचायत द्वारा उपविधियाँ बनाने के लिए किसके पुष्टि की आवश्यकता होती है?
उत्तर-अधिनियम तथा उसके अधीन बनाये गए नियमों के तहत् राज्य सरकार के अनुमोदन से पंचायतें उपविधियाँ बना सकती हैं।
प्रश्न : जनपद/जिला पंचायत द्वारा उपविधियाँ बनाने हेतु किसकी पुष्टि आवश्यक है?
उत्तर-अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व)
प्रश्न : आदर्श (मॉडल) उपविधियाँ कौन बनाता है?
उत्तर-अतिरिक्त कलेक्टर / कलेक्टर
पंचायत के शस्तिया से सम्बंधित प्रश्न
प्रश्न : पंचायत के पंच या सदस्य अयोग्य हो जाने के बाद सम्मिलन में बैठने क या मत देने पर दण्ड का क्या प्रावधान है?
उत्तर-प्रत्येक दिन के लिए 50 रूपये तक जुर्माना ।
प्रश्न : सरपंच/उपसरपंच, अध्यक्ष/उपाध्यक्ष के अयोग्य हो जाने के बाद भी पद के हैसियत से कार्य करने पर क्या दण्ड है?
उत्तर-प्रत्येक दिन के लिए 100 रूपये तक जुर्माना।
प्रश्न : पंच/उपसरपंच, अध्यक्ष / उपाध्यक्ष यदि पंचायत के अभिलेख, वस्तु, धन या अन्य संपत्ति नहीं सौंपता है तो उसके लिए क्या शास्ति है?
उत्तर-2000 रूपये जुर्माने से दण्डित होगा।
प्रश्न : पंचायत का कोई सदस्य पदधारी या सेवक, संविदा में हित अर्जित करता है उसके लिए क्या शास्ति है?
उत्तर-1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना अथवा दोनों से दंडित हो सकता है।
प्रश्न : ग्राम पंचायत का कोई सदस्य, पदधारी या सेवक, संविदा के हित अर्जित करना चाहता है तो उसके लिए किसकी मंजूरी या अनुशंसा आवश्यक है?
उत्तर-संयुक्त / उपसंचालक पंचायत एवं समाज कल्याण ।
प्रश्न : जनपद पंचायत का कोई सदस्य, पदधारी या सेवक, संविदा के हित अर्जित करना चाहता है तो उसके लिए किसकी मंजूरी या अनुशंसा आवश्यक है?
उत्तर-कलेक्टर की
प्रश्न : यदि कोई पंचायत के अधिकारियों आदि को सदोष अवरोध कारित करता है तो उसके लिए क्या शास्ति है?
उत्तर-एक माह का कारावास या 500 रूपये तक जुर्माना या दोनों से दण्डनीय होगा।
प्रश्न : कोई व्यक्ति पंचायत द्वारा प्रदर्शित सूचना को मिटाता या हटाता है उसके लिए क्या शास्ति के प्रावधान है?
उत्तर-दोषसिद्धि पर 50 रूपये तक जुर्माना।
प्रश्न : यदि कोई अधिकृत व्यक्ति अपेक्षित जानकारी नहीं देता है या मिथ्या जानकारी देता है तो उसके लिए शास्ति है
उत्तर-दोषसिद्धि होने पर 250 रूपये जुर्माना ।
प्रश्न : पंचायत का कोई सदस्य, सेवक या अधिकारी पंचायत की चल या अचल संपत्ति के विक्रय में बोली लगाता है तो उसके लिए क्या दण्ड दिया जा सकता है?
उत्तर-दोषसिद्धि होने पर 250 रूपये तक जुर्माना एवं सेवक होने पर उस सेवा से भी हटाया जा सकेगा।
प्रश्न : कोई व्यक्ति पंचायत को नुकसान पहुंचाता है तो उससे नुकसान की प्रतिपूर्ति की क्या प्रक्रिया है?
उत्तर-दोषसिद्धि होने पर जुर्माना के साथ-साथ नुकसान की भरपाई के लिए जिम्मेदार होगा। जुर्माना नहीं देने पर भूराजस्व के बकाया के तौर पर वसूली की जा सकेगी।
प्रकीर्ण (विविध)
प्रश्न : किन वादों में प्रतिवाद, पंचायत के खर्च पर किया जायेगा?
उत्तर-पंचायत के किसी पदधारी, अधिकारी या सेवक के विरुद्ध कोई बाद, अधिनियम अधीन कार्यवाही से उत्पन्न होने पर पंचायत निधि से व्यय किया जायेगा।
प्रश्न : प्रतिवाद का खर्च पंचायत से करने के लिए किसकी पूर्व अनुमति आवश्यक है?
उत्तर-कलेक्टर
प्रश्न : पंचायत से संबंधित किन-किन व्यक्तियों को लोकसेवक माना गया है?
उत्तर-पंचायत का प्रत्येक पदधारी और उसका अधिकारी या सेवक लोकसेवक माने गये हैं।
प्रश्न : क्या पंचायत की रिक्ति, गठन की प्रक्रिया में त्रुटि होने पर उसके द्वारा किया गया कार्य विधि मान्य होंगे?
उत्तर-हा
प्रश्न : क्या पंचायत भूमि का अर्जन कर सकती है?
उत्तर-हा
प्रश्न : पंचायतें अर्जित भूमि को राज्य सरकार के अनुमति के बिना उसके उपयोग के प्रयोजन में परिवर्तन कर सकती है?
उत्तर-हा
प्रश्न : पंचायत किसकी मंजूरी से धन उधार ले सकती है?
उत्तर-राज्य सरकार
प्रश्न : पंचायतें किस प्रयोजन के लिए उधार ले सकती है?
उत्तर-अधिनियम के प्रयोजन को कार्यान्वित करने के लिए।
प्रश्न : सदस्यों आदि को पारिश्रमिक संबंधी क्या प्रतिषेध है?
उत्तर-किसी सदस्य को कोई पारिश्रमिक या भत्ता इस संबंध में बनाये गए नियमों के अनुसार हो दिया जाएगा।
प्रश्न : पंचायत अभिलेख निरीक्षण करने के लिए क्या प्रावधान है?
उत्तर-कोई व्यक्ति पंचायत के अभिलेख का निरीक्षण करना चाहे तो नियम के अनुसार शुल्क पहले घण्टे के लिए 2 रूपये, इसके बाद घण्टे या इसके भाग के लिए 50 पैसा जमा करने पर निरीक्षण कर सकेगा।
प्रश्न : पंचायत के किन-किन अभिलेखों का निःशुल्क निरीक्षण किया जा सकता है?
उत्तर-1. बजट
2. प्राप्ति एवं व्यय के वार्षिक लेखे
3. किसी कर की निर्धारण सूची
4. जन्म-मरण, मकान क्रमांक, आवासहीन आदि जानकारी का रजिस्टर
5. पंचायत के विनिश्चयों का रजिस्टर
6. वार्षिक कार्ययोजना, संपरीक्षा रिपोर्ट
प्रश्न : पंचायत के अभिलेख निरीक्षण के लिए समय या स्थान कहाँ होगा?
उत्तर-पंचायत कार्यालय में कार्यालयीन समय में।
प्रश्न : अधिनियम के प्रयोजन के लिए किसी भवन या भूमि पर प्रवेश करने की क्या प्रक्रिया है?
उत्तर-24 घण्टे पूर्व सूचना देकर किन्तु प्रवेश करने पर अधिभागी की सामाजिक तथा धार्मिक रूढ़ियों का सम्यक रूप से ध्यान रखा जाता है।
प्रश्न : निर्वाचन के किन-किन मामलों में न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप वर्जित है?
उत्तर-निर्वाचन क्षेत्र का परिसीमन, निर्वाचन क्षेत्रों में स्थानों का आबंटन से संबंधित मामलों में न्यायालय द्वारा हस्तक्षेप वर्जित है?
प्रश्न : निर्वाचन याचिका कितने दिनों के भीतर प्रस्तुत की जा सकती है?
उत्तर-निर्वाचन अधिसूचित होने के 30 दिनों के भीतर।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के निर्वाचन के मामले में निर्वाचन याचिका किसे प्रस्तुत की जा सकती है?
उत्तर-उपखण्ड अधिकारी (राजस्व) को।
प्रश्न : जनपद पंचायत के निर्वाचन के मामले में निर्वाचन याचिका किसे प्रस्तुत की जा सकती है?
उत्तर-कलेक्टर को ।
प्रश्न : जिला पंचायत के निर्वाचन के मामले में निर्वाचन याचिका किसे प्रस्तुत की जा सकती है?
उत्तर-संचालक, पंचायत को।
प्रश्न : ग्राम पंचायत के मुख्यालय में परिवर्तन, ग्रामसभा का विभाजन, मिलाना तथा परिवर्तन कौन कर सकता है?
उत्तर-राज्याल या उसके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी।
प्रश्न : ग्राम का विस्थापन कौन कर सकता है?
उत्तर-राज्यपाल या उनके द्वारा प्राधिकृत अधिकारी।
प्रश्न : खण्ड तथा जिला की सीमाओं में परिवर्तन कौन कर सकता है?
उत्तर-राज्यपाल।
प्रश्न : किसी जिला की सीमाओं में परिवर्तन होने पर जिला पंचायत के बारे में आदेश कौन पारित कर सकती है?
उत्तर-राज्य सरकार।
चौदहवा वित्त आयोग
प्रश्न : 14वें वित्त आयोग के तहत पंचायत के किस निकाय को राशि प्राप्त होगी ?.
उत्तर-त्रि-स्तरीय पंचायती राज व्यवस्था के तहत 14वें वित्त आयोग की राशि ग्राम पंचायतों को सीधे हस्तांतरित की की जायेगी। यह राशि पंचायत समिति एवं जिला परिषद् को प्राप्त नहीं होगी।
प्रश्न : पंचायतों को यह राशि किस मद में उपलब्ध करायी जा रही है?
उत्तर-पंचायतों को यह राशि बुनियादी सेवाओं को मजबूत करने के लिए उपलब्ध करायी जा रही।
प्रश्न : पंचायतों को 14वें वित्त आयोग के तहत प्राप्त राशि का व्यय किन-किन योजनाओं पर किया जाना है?
उत्तर-14वें वित्त आयोग की राशि का व्यय पंचायतों के बुनियादी सुविधाओं के विकास हेतु किया जाना है। बुनियादी सुविधाओं से तात्पर्य है पीने का पानी, जलापूर्ति, नाली एवं सड़क निर्माण, सौर ऊर्जा द्वारा प्रकाश की व्यवस्था, पंचायतों में उपलब्ध संरचनाओं की मरम्मती एवं रखरखाव तथा श्मशान, कब्रिस्तान, खेल के मैदानों के रख-रखाव,
प्रश्न : 14वें वित्त आयोग ने कितने तरह के अनुदान की अनुशंसा की है?
उत्तर-14वें वित्त आयोग ने में दो तरह के अनुदान की अनुशंसा की है-
बुनियादी अनुदान एवं कार्य निष्पादन अनुदान।
बुनियादी अनुदान कुल अनुदान का 90% एवं कार्य निष्पादन अनुदान कुल अनुदान का 10% है।
प्रश्न : 14वें वित्त आयोग के तहत की राशि प्राप्त करने के लिए न्यूनतम शर्तें क्या है ?
उत्तर-पंचायतों को योजना निर्माण एवं क्रियान्वयन का एक ढाँचा विकसित करना होगा। साथ ही, पंचायतों को अपने आय एवं व्यय का लेखा-जोखा व्यवस्थित तरीके से संधारित करना होगा।
प्रश्न : 14वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि का कितना प्रतिशत व्यय पंचायत के प्रशासनिक कार्यों में किया जा सकता है?
उत्तर-14वें वित्त आयोग से प्राप्त राशि का अधिकतम 10% प्रशासनिक कार्यों में किया जा सकता है।
15 वाँ वित्त आयोग
- पंद्रहवें वित्त आयोग अन्तर्गत त्रिस्तरीय पंचायत राज संस्थाओं को भारत सरकार द्वारा प्राप्त अनुदान राशि वितरण का अनुपात ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के मध्य 75 15 : 10 रखा गया है।
- इस अनुदान का उपयोग ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत द्वारा विकास योजना बनाकर किया जा सकता है।
- पंद्रहवें वित्त आयोग अनुदान राशि का उपयोग ग्राम पंचायतों की अनिवार्यत: मूलभूतनागरिक सुविधाओं के स्तर को सुधारने में किया जाता है, जिसमें-
1.50% अनाबद्ध अनुदान है और इसका उपयोग स्थान विशेष गई जरूरतों के लिए किया जा सकता है।
नोट- वेतन या अन्य स्थापना व्यय में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता।
2.50% बद्ध अनुदान है यथासंभव इसके आधे हिस्से का उपयोग दो महत्वपूर्ण सेवाओं को प्रदान करने में किया जाना चाहिए, ये हैं-
(क) स्वच्छता
(ख) पेयजल - 15वां वित्त आयोग के तहत प्राप्त अनुदान का 100% व्यय ऑनलाइन किया जाएगा।
- जिला, जनपद एवं ग्राम पंचायत के लेखा का ऑनलाइन ऑडिट किया जाएगा।
- ऑनलाइन ऑडिट की सम्पूर्ण जिम्मेदारी स्थानीय निधि संपरीक्षा को दी गई है।
पंचायत प्रतिनिधियों के मानदेय में वृद्धि
पदाधिकारी | पूर्व में प्राप्त मानदेय भत्ता | नविन मानदेय / भत्ता |
पंच | 200 | 500 |
सरपंच | 2000 | 4000 |
जनपद पंचायत सदस्य | 1500 | 5000 |
जनपद पंचायत अध्यक्ष | 4000 | 6000 |
जनपद पंचायत उपाध्यक्ष | 6000 | 10000 |
जिला पंचायत सदस्य | 6000 | 10000 |
जिला पंचायतअध्यक्ष | 10000 | 15000 |
जिला पंचायत उपाध्यक्ष | 15000 | 25000 |
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आजीविका |
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पंचायतरी राज व्यवस्था |
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2.73 वाँ संविधान संशोधन अधिनियम 1992 : सार-संक्षेप | क्लिक करे |
3.73 वाँ संविधान संशोधन के प्रावधान | क्लिक करे |
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7.पंचायत की स्थापना से सम्बंधित प्रश्न -Cg Vyapam ADEO Notes | Cg vyapam ADEO Book pdf Download | क्लिक करे |
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