
नमस्ते विद्यार्थीओ आज हम पढ़ेंगे मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh के बारे में जो की छत्तीसगढ़ के सभी सरकारी परीक्षाओ में अक्सर पूछ लिया जाता है , लेकिन यह खासकर के CGPSC PRE और CGPSC Mains में आएगा , तो आप इसे बिलकुल ध्यान से पढियेगा और हो सके तो इसका नोट्स भी बना लीजियेगा ।
मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda Janjati Chhattisgarh Munda Tribe Chhattisgarh
✅ मुण्डा जनजाति की उत्पत्ति
मुण्डा छत्तीसगढ़ की एक जनजाति है वे “होरोहान” या “मुरा” के नाम से भी जाने जाते हैं, जिसका अर्थ गाँव का मुखिया होता है। झारखण्ड में इनकी अधिकांश जनसंख्या निवास करती है। 2011 की जनगणना अनुसार छत्तीसगढ़ में इनकी जनसंख्या 15095 दर्शित है। इनमें पुरुषों की जनसंख्या 7653 तथा स्त्रियों की जनसंख्या 7442 थी। छत्तीसगढ़ में मुण्डा जनजाति के लोग मुख्यतः झारखण्ड की सीमावर्ती जिले बलरामपुर और जशपुर में पाये जाते हैं।
मुण्डा जनजाति की उत्पत्ति संबंधी ऐतिहासिक अभिलेख नहीं है। शरतचन्द्र राय के अनुसार मुण्डा मूल रूप से उत्तरी पश्चिम भारत में अरावली पर्वत में रहते थे। आर्यों के आगमन से ये आजमगढ़ की ओर गये, फिर छोटा नागपुर क्षेत्र में प्रवेश किया। यहाँ के घने जंगल को काटकर खेती योग्य भूमि बनाये और स्थाई रूप से रहने लगे। इनमें से कुछ लोग छत्तीसगढ़ के जशपुर, सरगुजा, बलरामपुर के जंगलों में भी बस गये। यह कोलारियन समूह की एक जनजाति है। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
✅ मुण्डा जनजाति के रहन-सहन
मुण्डा जनजाति इस क्षेत्र के अन्य जनजातियों जैसे उरांव, नगेसिया, कंवर, भूइंहर आदि के साथ निवास करती है। इनके घर मिट्टी के होते हैं, जिसकी छत देशी खपरैल की होती है। घर सामान्यतः दो-तीन कमरे का होता है। दीवार पर सफेद मिट्टी की पुताई करते हैं। फर्श मिट्टी का होता है, इसे गोबर से लीपते हैं। पशुओं के लिये कोठा अलग से होता है। गाँव में “सरना” (देवी-देवताओं का स्थान), “खरा” और सागन होता है। घर में अनाज रखने की कोठी, चक्की, मूसल, रसोई के बर्तन, चारपाई, ओढ़ने बिछाने के कपड़े, कृषि उपकरण, कुल्हाड़ी, मछली पकड़ने के जाल, वाद्य यंत्र, आदि पाये जाते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
पुरुष व महिलाएँ दातौन से दाँत साफ कर प्रतिदिन स्नान करते हैं। बालों को मिट्टी से धोकर मूंगफली, तिल, या नारियल का तेल डालकर कधी करते हैं। स्त्रियों बालों की चोटी बनाकर जूड़ा बनाती है। स्त्रियों के शरीर पर गोदना पाया जाता। गोदना नवयुवतियों में अब कम होते जा रहा है। महिलाएँ गहने की शौकीन होती है।
वस्त्र – विन्यास में पुरुष पंछा व बंडी तथा स्त्रियाँ लुगड़ा-पोलका पहनती हैं। इनका मुख्य भोजन कोदो, गोंदली, चावल का भात, पेज, उड़द, अरहर, मूंग की दाल, मौसमी सब्जी आदि है। मांसाहार में अण्डे, मछली, मुर्गी, बकरा का मांस खाते हैं। त्योहार, उत्सव पर चावल से निर्मित “हड़िया ” (शराब) पीते हैं। पुरुष धुमपान के रूप में बीड़ी पीते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
✅ मुण्डा जनजाति के व्यवसाय
मुण्डा जनजाति का आर्थिक जीवन मुख्यतः कृषि, वनोपज संग्रह तथा मजदूरी पर आश्रित है। इस जनजाति के लोग कुशल कृषक होते हैं। इनके मुख्य फसल धान, कोदो, गोंदली, उड़द, मूंग, अरहर, तिल आदि हैं। वनोपज में तेन्दूपत्ता, लाख, गोंद, हर्रा, आँवला, जंगली कंदमूल, भाजी आदि करते हैं। कंदमूल भाजी का स्वयं उपयोग करते हैं। अन्य जंगली उपज स्थानीय बाजार में बेचते हैं।
जिनके पास कम जमीन है, ये अन्य आदिवासी या गैर आदिवासी कृषकों के खेतों में मजदूरी करते हैं। पहले हिरण, खरगोश आदि का सामूहिक रूप से शिकार भी करते थे। वर्तमान में शिकार पर प्रतिबंध है। वर्षाऋतु व उसके बाद स्थानीय नदी नाले से अपने उपयोग के लिए मछली भी पकड़ लेते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
✅ मुण्डा जनजाति के परम्परा
मुण्डा जनजाति पितृवंशीय, पितृसत्तात्मक, पितृ निवास स्थानीय जनजाति है। मुण्डा जनजाति कई खूंट में विभक्त है –
प्रत्येक खूंट के कुछ “किली” (गोत्र) भी पाये जाते हैं। इनके प्रमुख “किली” भँगरा, बोदरा, परती, करूं, इंद, जिरहुल, मुंदरी, निमक, अम्बा, बलुम, गोंदली आदि हैं। प्रत्येक गोत्र के जीव-जन्तु, पशु-पक्षी, कीट-पतंग, वृक्ष लता व अन्य प्राकृतिक वस्तु को ” वंश चिन्ह” (टोटम) के रूप में मानते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
इस जनजाति की गभर्वती महिलाएँ प्रसव के दिन तक अपनी आर्थिक एवं पारिवारिक कार्य सम्पन्न करती है। मुण्डा जनजाति में गर्भावस्था के दौरान कोई विशेष संस्कार नहीं पाया जाता। प्रसव स्थानीय दाई व परिवार की बुजुर्ग महिलाओं द्वारा कराया जाता है।
नाल काट कर घर में ही गड़ाते हैं। प्रसूता को सौंठ, पीपर, गुड़ व जड़ी-बूटियों से निर्मित काढ़ा पिलाते हैं। छठे दिन छठी संस्कार करते हैं। बच्चे व प्रसूता को नहलाकर नया वस्त्र पहनाकर सूरज व कुल देवी-देवता का प्रणाम कराते हैं। रिश्तेदारों को भोजन कराते हैं। “हंदिया” पिलाते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
विवाह उम्र लड़कों का 18-20 व लड़कियों का 16 से 18 वर्ष माना जाता है। एक ही गोत्र में विवाह संबंध नहीं होता। विवाह का प्रस्ताव वर पक्ष की ओर से होता है। वर के पिता कन्या के पिता को अनाज, दाल, हल्दी, गुड़, तेल व नगद 51 से 101 रुपये देता है। विवाह चार क्रमशः मंगनी, सगाई, व्याह तथा गौना होता है। वर-वधू फेरा लगवाने का कार्य जाति के बुजुर्ग व्यक्ति करता है। विनिमय तथा सेवा विवाह, घुसपैठ, सहपलायन को भी सामाजिक पंचायत कुछ जुर्माना लंकर मान्यता देती है।

मृत्यु होने पर मृतक को दफनाते हैं। तीसरे दिन पुरुष रिश्तेदार, दाड़ी, मूँछ, सिर के बाल कटाकर स्नान करते हैं। 10वें दिन पूर्वजों की पूजा में करते हैं। मृत्यु भोज देते हैं। “पाहन” की देखरेख करते है । मृत्यु भोज देते है । ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
मुण्डा जनजाति में परम्परागत जाति पंचायत पाया जाता है। जाति पंचायत में “परहा राजा”, “दीवान”, “ठाकुर”, “पाण्डे”, “करता” तथा “लाल” आदि पदाधिकारी होते हैं। इस पंचायत में विवाह, तलाक, यौन व्याभिचार से उत्तराधिकार, अन्तर्जातीय विवाह संबंधी विवादों को परंपरागत ढंग से जुर्माने से निपटाये जाते हैं। तथा भोज लेकर मुण्डा जनजाति के धर्म में जीववाद, बांगावाद, प्रकृतिवाद, टोटमवाद दिखाई देता है।
✅ मुण्डा जनजाति के देवी-देवता और त्यौहार
इनका प्रमुख देव सिंगबोंगा (सूर्यदेव) है। इसके अतिरिक्त दिसुल बोंगा, चांडी बोंगा, हातु बोंगा, आँराबोंगा को भी पूजा करते हैं। इनके प्रमुख त्योहार करमा पूजा, सरहूल, सोहराई (दिवाली), माघ परब, फागु परब (होली) आदि हैं। देवी-देवता की पूजा में मुर्गी, बकरा की बलि भी देते हैं। भूत-प्रेत, जादू-टोना, मंत्र-तंत्र पर विश्वास करते हैं। इनका धार्मिक पुजारी “पाहन” कहलाता है। इस जनजाति के कई परिवार ईसाई धर्म स्वीकार कर लिये हैं। ये चर्च में भगवान ईशु की प्रार्थना करते हैं। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
मुण्डा जनजाति के लोग करमा नृत्य, सरहुल नृत्य, सोहराई नृत्य, फागु नृत्य, विवाह नृत्य आदि करते हैं। लोक गीतों में करमा गीत, सरहुल गीत, फाग, विवाह गीत, भजन आदि है।
इस जनजाति की अपनी विशिष्ट बोली “मुण्डारी” पाई जाती है। अपने जाति के सदस्यों से मुण्डारी में बातें करते हैं। अन्य जाति के लोगों से स्थानीय “सादरी” बोली बोलते हैं। जनगणना 2011 में मुण्डा जनजाति की साक्षरता 62.6 प्रतिशत दर्शित है। पुरुषों में साक्षरता 73.3 प्रतिशत व स्त्रियों में साक्षरता 51.8 प्रतिशत है। ( मुण्डा जनजाति छत्तीसगढ़ Munda janjati chhattisgarh munda tribe chhattisgarh )
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