हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas : विद्यार्थियों आज हम आपको भारत के सभी धर्मों के बारे में बताएंगे, इनका इतिहास, इन में चल रहे परंपराएं, इनके विश्वास, इन की मान्यताएं जिसके बारे में आपको थोड़ी-थोड़ी जानकारी होनी ही चाहिए यह UPSC के इंटरव्यू में, Mains में और भी कई जगह पूछी जाती है तो आपको इन्हें अवश्य पढ़ कर समझना चाहिए , और है याद नहीं करना है आपको बस इनके विचार को जानना है । ( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
तो आज हमसे सबसे पहले शुरू करेंगे हिन्दू धर्म से , इसके बाद
- बौद्ध पंथ ,
- जैन पंथ ,
- सिख पंथ ,
- यहूदी पंथ ,
- पारसी पंथ ,
- ईसाई पंथ ,
- इस्लाम पंथ
हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas
हिन्दू धर्म क्या है ?
हिंदू धर्म को तो वैसे 10,000 साल पुराना माना जाता है, वैज्ञानिक इसे 5000 से 6000 साल पुराना मानते हैं, धार्मिक लोगों का मानना है कि यह धरती जब से बनी है तब से यह धर्म चला रहा है, हिंदू धर्म कि जो अवधारणा है, जो सोच वह है अहिंसा, सहिष्णुता, समान-भाव, सबसे प्यार इन्हीं सब चीजों के कारण हिंदू धर्म अभी तक कायम है , और इस संस्कृति को सभी विदेशो के लोग भी आजकल धीरे धीरे अपना भी रहे है ।
साथ ही साथ हमारे देश में और भी कुछ पुराने पंथ थे , जैसे जैन पंथ , बौद्ध पंथ , जो किताबी इतिहास के हिसाब से देखा जाये तो साथ ही साथ शुरू हुए थे जो की पुराने ही थे लेकिन वे विलुप्ति के कगार पर है ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
हिंदू धर्म मोक्ष की बात करता है, माया कि नहीं इसका अंतिम उद्देश्य परम-ब्रह्म में विलीन हो जाना है । हिंदू धर्म का मानना है की काल का पहिया घूम रहा है, हमेशा सृष्टि का सृजन होता रहेगा, और अंत भी होता रहेगा ।
हिंदू धर्म में तीन प्रमुख ईश्वर है ब्रह्मा-विष्णु-महेश, ब्रह्मा को सृजन करता माना जाता है, इन्होंने इस दुनिया को बनाई है विष्णु को संरक्षक जो इस दुनिया का संचालन कर रहे हैं, इन के 10 अवतारों के भी महत्व हैं जो इन्होंने अलग-अलग युगों में लिए हैं । इनके अवतार हमें जीवन जीना सिखाते हैं, और अंत में महेश जो संहारकर्ता हैं जो इस सृष्टि का अंत करने वाले हैं वह देवों के देव महादेव ।
हिन्दू धर्म के युग-युगांतर
जिस तरह से अभी हमारा साधारण कैलेंडर होता है , जिसको हम 1 साल कहते है , अंग्रेजी में 1 ईयर वैसे ही , हिन्दू धर्म के इस कालो को “देव ईयर” में नापा जाता है । ( 1 देव ईयर =360 अंग्रेजी केलिन्डर ) तो चलिए देखते है क्या है वो हिन्दू धर्म के युग और युगांतर , और हम यहाँ यह भी देखेंगे की परम ब्रह्म , भगवान विष्णु ने कौन से युग में कौन से अवतार लिए है :-
क्रमांक | युग | देव ईयर | अंग्रेजी कैलेंडर | विष्णुअवतार | अवतारों के नाम |
1 | सतयुग | 4800 | 1728000 | 4 | मतस्य(मछली), कुर्मा(कछुवा), वराह(सुवर) नरसिम्हा( आधा शेर, आधा मनुष्य) |
2 | त्रेतायुग | 3600 | 1296000 | 3 | वामन(बौना रूप), परशुराम, राम |
3 | द्वापर युग | 2400 | 864000 | 2 | कृष्ण, गौतम बुद्ध |
4 | कलयुग | 1200 | 432000 | 1 | कल्कि( यह अवतार बाकि है ) |
हिन्दू धर्म भगवान विष्णु के रूप में
हिंदू धर्म में भगवान के रूप में, गाय को दिखाया गया है जिसके चार पैर होते हैं, यही पैर हिंदू धर्म में चार स्तंभ है जो हैं :-
- तपस(self control)
- शौच(Pure mind)
- दया
- सच्चाई
हर युग में धर्म होता है, और धर्म से ही कर्म निकलता है , इन चारों स्तंभों में हर बार एक स्तंभ गायब होता जाता है ।
सतयुग :– सतयुग में चार स्तंभ होते थे , इसी में भगवान विष्णु ने 4 अवतार दिए, इसे गोल्डन पीरियड भी कहा जाता है इसमें लोगों की उम्र 4000 साल होती थी । इसमें भगवान विष्णु ने जो अवतार लिए है वो है , मतस्य , कुर्मा , वराह , नरसिम्हा । यहाँ सोचने और समझने वाली बात ये है की , मछली , सुवर , कछुवा ये ऐसे जानवर है जो की बिलकुल सीधे साढ़े है , ये न किसी दूसरे जानवर से लड़ते है , न किसी से मतलब उसी का प्रतिक है, सतयुग ।
त्रेता युग :- त्रेता युग आते आते लोगो में क्रोध की भावना आने लगी, जिसका अवतार सतयुग के अंत में नरसिम्हा के रूप में दीखता है । त्रेता युग में 1 स्तम्भ ख़त्म हो जाता है , जो की था तापस लोगो को खुद पर नियंत्रर नहीं रहता है , इस युग में सिर्फ शौच , दया , सच्चाई ही बचती है , जिसमे भगवान विष्णु ने 3 अवतार लिए जो है , वामन , परसुराम , राम ।
द्वापर युग :- इस युग में भगवान विष्णु के 2 ही अवतार देखने को मिलते है जो है , कृष्ण और गौतम बुद्ध की , इस वक्त 2 स्तम्भ बचते है , दया और सच्चाई , यहाँ दया भावना से आप गौतम बुद्ध को समझ सकते है ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
कलयुग :- अंत में बचता है कलयुग , इसमें अभी तक कोई अवतार नहीं हुए है , इसमें भगवान विष्णु का जो अवतार होगा वो है , कल्कि का , जिस दिन सबका विनाश होना तय होगा । जब पाप एकदम बढ़ चुके होंगे , तब भगवान विष्णु कल्कि का अवतार लेंगे , और पूरी सृस्टि का विनाश कर देंगे , फिर से दुबारा सतयुग , त्रेतायुग का प्रक्रिया चालू होगी .
तो अभी तक हम देख चुके है , की सतयुग से कलयुग तक आते है , हम मनुस्यो में तापस , शौच , दया , सच्चाई , कुछ भी नहीं बचा है , पाप भी एक दम बढ़ चूका है , इन्ही सब वजहों से प्रलय , भूकप और बड़ी-बड़ी बीमारिया आती रहती है ।
भागवतगीता
- श्री भगवतगीता को सिर्फ हिन्दुओ का ग्रन्थ नहीं माना जाता है , इसे विश्व का ग्रन्थ माना जाता है ।
- Seton Hall University (SHU), New Jersey, अमेरिका के विश्वविद्याला में भी पढ़ाया जाता है ।
- आज सन 2022 से इसे 5560 वर्ष पूर्व महाभारत का युद्ध हुआ था ऐसा माना जाता है ।
- गीता में भगवान ने गीत गाये है ।
- इसे वेद व्यास ने तार वृक्ष के पत्तो पर लिखा था , वेद व्यास ने ।
- इसमें कुल 18 अध्याय और 700 श्लोक है ।
भगवतगीता में लिखी हुए बातो को माने जो की सच ही लिखा है , इसमें कहा गया है की कलयुग के समय में मंदिरो में भगवान नहीं रहेंगे, कर बढ़ाया जायेगा , इंसान इंसान को मारकर खायेगा , लोगो की मरने की उम्र 20 साल हो जाएगी , सभी लोग नसेरी हो जायेंगे , पूरी की पूरी धरती कप उठेगी , तब जाकर इन सभी चीजों को समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु कल्कि अवतार लेंगे । ( भगवतगीता,अध्याय 2)
इन सब बातो को देखकर तो अब यही कहा जा सकता है की ये सब चीजों वास्तविक होती दिख रही है ,( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
इतिहास :- वैज्ञानिको एवं इतिहासकारो के मुताबिक यह दुनिया का सबसे पुराना धर्म जो , अभी भी इस धरातल पर जीवित है , इसके बारे में वैज्ञानिक (1500BC-500AD) का बताते है , और पुराणों की उम्र वैज्ञानिक (500BC-500AD) बताते है ।
यहाँ एक चीजे आपको पता होनी चाहिए जो चीजों को बोल बोल कर याद किया जाता है उसे श्रुति कहते है , और जिन्हे लिखा जाता है उन्हें स्मृति जैसे रामायण , महाभारत स्मृति है , लेकिन ये सभी ग्रन्थ पहले श्रुति ही थे , बाद में इन्हे स्मृति का रूप दे दिया गया ।
भवतगीता में स्वय-धर्म बताया गया है , हिन्दू धर्म सिंधु नदी से बना है , इसे पहले सनातन धर्म कहा जाता था , इस धर्म की खूबी यह है की , आप इस धर्म से अलग होकर अपना नियम बना सकते हो , जैसे जैन पंथ , बौद्ध पंथ , सिख पंथ बने और आजकल भी बन ही रहे है , लेकिन कुछ भी हो हम सभी लोगो को अंत में उस परम ब्रह्म की ही प्राप्ति करनी है ।
अब हमें कुछ चीजे और समझनी होगी , जो की हिन्दू धर्म में महत्वपूर्ण है :-
- ब्रम्ह
- आत्मा
- कर्म
- योग
- धर्म
- गुरु
- वर्ण
ब्रह्म/ब्राह्मण/भगवान/ईश्वर :- इन सभी शब्दों का हिन्दू धर्म में एक ही मतलब है वह एकमात्र ईश्वर , जो हमेशा से था , हमेशा है , और हमेशा रहेगा , यही देवो के देव महादेव है , यही नर से नारायण भगवान विष्णु है यही , वेदकर्ता ब्रह्मा है यही वो एक मात्रा ईश्वर है ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
आत्मा/आत्मन/हम :- यहाँ आत्मा हमारे शरीर के जो अंदर है उसे कहा गया है , जिसे Spirit/soul भी कहा जाता है । आत्मा इस माया(प्रकृति,पृथ्वी,सोने-चांदी वाली दुनिया) , में जब पहली बार आती है तब इसकी चेतना(होश) जग जाती है , और फिर यह माया से मिलती है , और फिर जन्म मरण में फसी रहती है , हमें इस साइकिल से निकलकर ब्रह्म तक जाना है , ब्रह्म की प्राप्ति करनी है लेकिन यह हमसे हो नहीं पता है , और हम इसी चक्र में फसे रहते है । लेकिन इन से निकला जा सकता है , कर्म से और योग के जरिये ।
कर्म :- कर्म का सिद्धांत सीधा सा है , अच्छा काम करोगे तो अच्छा फल मिलेगा , बुरा कर्म करोगे तो बुरा मिलेगा , लेकिन अच्छा हो या बुरा फल मिलना ही है , इस जन्म में या फिर अगले जन्म में ।
एक सबसे महत्वपूर्ण बात बताया गया है हिन्दू धर्म में की कर्मो से स्वयं भगवान भी नहीं बच सकते है ।
योग :- योग के भी 4 प्रकार है :-
- कर्मयोग :- यही सबसे सही एवं सटीक तरीका है , ब्रम्ह तक पहुंचने का ।
- भक्तियोग :- भक्ति करके ईश्वर की प्राप्ति करना ।
- ज्ञान योग :- ज्ञानी बन जाओ
- हठ योग :- तपस्या करते रहो
धर्म :- धर्म के जरिये ही आपको कर्म कर्णचा चाहिए, सबका अपना अपना धर्म होता है , अच्छे धर्म से ही अच्छे कर्म बनते है , अगर अच्छे कर्म करेंगे तो साइकिल में ऊपर जायेगें , और पाप करेंगे तो निचली साइकिल में जाएगंगे ।
गुरु :- हिन्दू धर्म में गुरु बनाना अनिवार्य होता है , जो आपको मोक्ष की प्राप्ति के बारे में बताएगा , आपको वेद पढ़ायेगा , आपको शिस्टाचार सिखाएगा ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
वर्ण :- हिन्दू धर्म के कर्मो के हिसाब से 4 वर्ण बताये गए है
- ब्राह्मण :- ब्राह्मणो वर्ण का काम है , लोगो को पढ़ना , वेदो के बारे में पढ़ना , पुराण को पढ़ना , जो एक कल के स्कूल अध्यापक होते है , ठीक वैसे ही ।
- क्षत्रिय :– क्षत्रियो का काम होता है , युद्ध में लड़ना , राष्ट्र की सेवा करना , राजा सिर्फ क्षत्रिय ही बनते थे , क्योकि वे वीर होते थे , आज कल जिस प्रकार सेना हमारी रक्षा करती है वैसे ही क्षत्रिय भी थे ।
- वैश्य :- वैश्य लोगो का काम था , व्यापर करना , जैसे आज कल सभी लोग बिज़नेस कर रहे है ।
- शूद्र :– शूद्र वर्ण का काम था , मेहनत मजदूरी का , जैसे आज कल , नगर निगम कर्मी , के लोग करते है ।
यहाँ पर एक और बात जानने वाली है की , वेदो के हिसाब से पहले वर्ण, कर्म आधारित था , लेकिन बाद में धीरे-धीरे जन्म आधारित हो गया . पहले वर्ण को बदला जा सकता था , लेकिन आजकल सरकारी संस्थाओ के वजह से अब वर्ण को बदला नहीं जा सकता है , क्योकि कही भी सरकारी कार्यालय में जायेंगे तो जाति पूछ के ही काम होता है ।
मान्यता के हिसाब से हिन्दू धर्म में वर्गीकरण
धर्म तो एक ही होता है , लेकिन हिन्दू धर्म ने अपने अपने हिसाब से देवी देवताओ को अलग अलग करके पूजना चालू कर दिया है , लेकिन ये सब एक ही है , इनमे कोई भेदभाव नहीं है , जो की निम्न लिखित है :-
- वैष्णव संप्रदाय : जो लोग भगवान विष्णु की पूजा जयादा करते है , अन्य देवताओ के मुकाबले
- शैव संप्रदाय : जो लोग भगवान शिव की पूजा ज्यादा करते है , अन्य देवताओ के मुकाबले
- शक्ति संप्रदाय :- जो लोग दुर्गा , काली , इन लोगो के भक्त होते है , इसमें सबसे करुणामय माता पार्वती है और सबसे खतरनाक माता काली है ।
ॐ :– हिन्दू धर्म में ॐ एक ऐसा शब्द है जिस शब्द में ही ईश्वर है , इसका जप करने से पुरे शरीर में परिवर्तन अत है , ऐसा कहा जाता है की जब जब यह श्रीति बनती है तब तब ॐ का आवाज आता है । इसलिए सभी लोगो को ॐ का जाप करने को कहा जाता है , जब आप अपनी जीभ को मुँह से स्पर्श नहीं करेंगे और बोलाएँगे तो दो शब्द निकलेंगे अ और म , ये दोनों शब्द मिलकर ही ॐ बनते है ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
इन सभी हिन्दू धर्म के भगवानो के बारे में अगर थोड़ा सा तर्क/ वैज्ञानिक दृस्टिकोर कुछ वैज्ञानिको ने दिया है उनके हिसाब से सोचा जाये तो इसमें आपको एक वैज्ञानिक चीज समझने को मिलेगी , जिसका सिर्फ अनुमान ही लगाया जा सकता है , प्रमाण नहीं दिया जा सकता है । इनके कहना है की पुरे का पूरा पृथ्वी एक electrical field है , shell है , जिसमे :-
ब्रह्मा : एक Electron की तरह है , जोकि -ve charge होता है।
विष्णु : यह एक proton की तरह है , जो की +ve चार्ज होता है ।
महेश : यह एक Newtron की तरह होते है , No Charge जो हमेश Neutral रहते है ।
शक्ति : यह एक Energy Field की तरह होती है , जो सबको बांध के रखती है ।
यहाँ तक तो यह भी कहा जाता है की पूरा का पूरा atomic model वेदो में है ।
हिन्दू धर्म के ग्रन्थ
वैसे तो हिन्दू धर्म में अनगिनत ग्रन्थ है लेकिन जो मूलतः है वो है :-
- 4 वेद :- ऋग्वेद , सामवेद , यजुर्वेद , अथर्वेदा ( ये सभी ग्रन्थ एक श्रुति ग्रन्थ है यानि इन्हे लिखा नहीं गया था सुन सुन के यद् किया गया था )
- उपनिषद :- 108
- रामायण
- महाभारत
- पुराण
- धर्मशास्त्र
भगवान विष्णु के अवतारों की जानकारी
- मतस्य अवतार :- मतस्य यानि होता है मछली , इसमें भगवान विष्णु ने मछली का अवतार लिया था , इसमें उन्होंने महृषि मनु और उनकी पत्नी सतरूपा , एवं सभी मनुष्यो को बचाया था ।
- कुर्मा अवतार :- कुर्मा यानि होता है , कछुवा , समुन्द्र मंथन के समय इसमें भगवान विष्णु ने मानवो को दानवो से बचाने के लिए यह अवतार लिया था ।
- वराह अवतार :- वराह , सुवर को कहा जाता है , इसमें पृथ्वी को हिरण्याक्ष से बचाया था , और सागर से समुन्द्र को बहार निकाला था ।
- नरसिम्हा अवतार :- आधा मानव और आधा शेर का अवतार , इसमें प्रहलाद के पिता हिरणकश्यप का वध किया था ।
- वामन अवतार :- एक बौने ब्राह्मण के रूप में भगवान विष्णु ने अवतार लिया थे , राजा बलि को हराने के लिए ।
- परशुराम अवतार :- यहाँ इन्होने क्षत्रियो के 21 पीढ़ी तक को मारा .
- राम अवतार :- रावण का वध किया , एवं यह अवतार सबसे पूजनीय अवतार है ।
- गौतम बुद्ध अवतार :- खुद के तर्क , समझ पर चलने का ज्ञान दिया .
- कृष्ण अवतार :- कंश का वध किया ,( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
- कल्कि अवतार ;- यह अवतार अभी बाकी है , जब पृथ्वी पर पाप एकदम बढ़ जायेगा , तब कल्कि अवतार लेंगे .
भगवान विष्णु के बारे में अन्य जानकारिया
- सिरसागर :- सिरसागर जहा भगवान विष्णु , माता लक्ष्मी के साथ रहते है उस समुन्द्र में जहा वह शेषनाग पर बैठे रहते है , इसे आम इंसान के मस्तिष्क की लहरों से जोड़कर देखा जाता है , और विष्णु भी एक आम इंसान है ।
- लक्ष्मी :- माता लक्ष्मी को माया कहा गया है ।
- शेषनाग :- शेष नाग को समय का प्रतिक माना जाता है , सब चीज पर इन्ही का नियत्रण है , शेषनाग पर नियंत्रण बना लिया तभी आपको विष्णु का संरक्षण मिलेगा .
- यहाँ एक बात आपको समझनी होगी की , विष्णु लक्ष्मी के पीछे नहीं भागते है , इससे यह समझा जा सकता है की हमें माया के पीछे नहीं भागना चाहिए .
- नाभि :- नाभि से कमल निकलता है , और कमल से ब्रह्मा , इस जगह को चेतना माना जाता है ।
- भगवान राम के गुरु थे वशिष्ठ , दानवो को मारने के लिए दशरथ से मांगने आये थे राम को वो थे विश्वामित्र , रामायण लिखने वाले थे , बाल्मीकि ।
- भगवान कृष्ण के पारिवारिक गुरु थे ऋषि दुर्वासा , इनके अध्यापक थे , सांदीपनि मुनि
भगवान शिव के बारे में अन्य जानकारिया
- इनके पास 3rd eye है जो की ध्यान , योग के बारे में बताता है ।
- इनके गले में जो सैप होता है , जिसे हमलोग नाग देवता बोलते है , वह कोबरा साप होता है ।
- शिवलिंग : यह एक Cosmic Ecectric को denote करता है , atomic model इसमें भी दीखता है ।
हिन्दू धर्म के संस्थापक शंकराचार्य
देखिये इसे तो वैसे पहले वेदो के अनुरूप माना जाता था , लेकिन आज कल का जो हिन्दू धर्म है वो है अदि शंकराचार्य (508BC) द्वारा चलायी गयी 5 देव उपासना विधि , ये 5 देव है :- ब्रह्मा , विष्णु , महेश , देवी , गणेश । इन परम्पराओ को मानाने वाले लोग ही आगे चलके हिन्दू कहलाने लगे ।
इसकी शुरुवात 2022 से 2510 वर्ष पूर्व हुई थी , परन्तु एक बाद आपको यद् होना चाहिए संतान धर्म को हजारो , लाखो , करोड़ो साल पुराना बताया जाता है ।( हिन्दू धर्म क्या है ? हिन्दू धर्म का इतिहास | Hindu Dharm kya hai Hindu dharm ka Itihas )
शंकराचार्य ने चारो दिशाओ में एक एक शंकर मठ की स्थापना की :-
- गिरी साधु :- पर्वतो में रहने वालो लोगो को धर्म से जोड़ा ।
- पूरी साधु :- गाओं , गाओं जाकर लोगो को धर्म से जोड़ा ।
- सन्यासी साधु :- ऐसे लोग जो विरक्त रहकर लोगो को प्रभावित कर उन्हें धर्म से जोड़े .
- वानप्रस्थी साधु :- वन में रहने वाली जनता को अपना मत सुनकर धर्म से जोड़े ।
अब आप यह सोच रहे होंगे की या सब शंकराचार्य ने क्यों किया , इसका सबसे सही कारण था , बौद्ध पंथ को रोकना ।
शंकराचार्य ने बौद्ध पंथ को इस देश में फैलने से रोका , इसलिए वे विदेशो में चले गए . और वह अपना पंथ का प्रचार प्रसार किया , अगर बौद्ध पंथ भारत में पूरी तरह फ़ैल जाता तो , चीन की तरह भारतवासी भी नास्तिकवाद का शिकार हो जाते .
मेरे प्यारे विद्यार्थियों आप हमें कमेंट में बताइएगा कि यह लेख जो आज हमने लिखा वह आपको कैसा लगा इसमें से प्रश्न पूछे जाते हैं पीएससी में यूपीएससी में सब जगह या इंटरव्यू में यह पूछा जाता है इसलिए हमने आज का यह लेख लिखा और यह लेख लिखते हुए हो सकता है कि मुझसे कुछ गलती हो गई हो तो आप मुझे कमेंट में बताइएगा हम उसे सुधारने का प्रयास जरूर करेंगे धन्यवाद।
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