गोरखपुर में सूर्यवंशो की स्थापना , चन्द्रवंशो की स्थापना , नागवंशो की स्थापना , Gorakhpur me Suryavansho ki sthapna , chandravansho ki sthapna , nagvansho ki sthapna: मनु के बाद उनका वंश और उनकी व्यवस्था देश के विभिन्न भागों में फैली। पौराणिक अनुश्रुति के अनुसार मनु के नवपुत्र थे। इन्होंने भारतवर्ष के अलग-अलग प्रदेशों में अपना राज्य स्थापित किया। मनु के सबसे बड़े पुत्र इक्ष्वाकु थे। इनको मध्यदेश का राज्य मिला, जिसकी अयोध्या राजधानी थी। 16 इन्हीं से सूर्यवंश की मुख्य शाखा चली जिसको ऐक्ष्वाकु वंश भी कहते हैं।
मनु के दूसरे पुत्र नाभानेदिष्ठ थे, जिन्होंने कोसल राज्य के पूर्व में सदागीरा (बड़ी गंडक) के उस पार एक नये राजवंश की स्थापना की। इनके वंश में विशाल नाम के एक राजा हुये जिन्होंने विशाला नाम की राजधानी बसायी। 17 तब से इस वंशवाले ‘वैशाल’ कहलाने लगे। मनु के तीसरे पुत्र शर्याति थे। 8 ये काठियावाड़ और गुजरात की तरफ जाकर एक नया राज्य स्थापित किये। इनके पुत्र आनर्त के नाम पर यह प्रदेश आनर्त कहलाया। इसकी राजधानी कुशस्थलीं (वर्तमान द्वारकापुरी) थी।
मनु के चौथे पुत्र का नाम करूप था। इनके वंशज कारूष हुये जो अपनी युद्धप्रियता के लिये प्रसिद्ध थे। ये आधुनिक बघेलखंड के पूर्वोत्तर में सोन नदी के किनारे बसे और वह प्रान्त कारूष देश कहलाया।” मनु के पाँचवें पुत्र धृष्ट के वंशज धाष्टक पंजाब में जाकर बसे। 20 मनु के छठवें पुत्र नाभाग ने यमुना के उस पार पूर्वी राजपूताना में अपना राज्य स्थापित किया।
इनका वंश इतिहास में प्रसिद्ध नहीं हुआ। अपने गुरु की गाय मारने और उनसे अभिशप्त होने के कारण मनु के सातवें पुत्र पृषध शूद्र हो गये, इसलिये वे कोई राजवंश स्थापित नहीं कर सके। आठवें पुत्र प्रांशु के बारे में भी पुराणों से कोई विशेष बात नहीं मालूम होती है। नवें पुत्र नरिष्यन्त के वंशज भारतवर्ष के बाहर पश्चिमोत्तर में चले गये जिनसे शकों की उत्पत्ति हुई।
चन्द्रवंश की स्थापना –
जिस समय मनु के पुत्र इक्ष्वाकु द्वारा अयोध्या में सूर्यवंश की स्थापना हुई उसी समय मनु के ही सम्बन्ध से प्रतिष्ठान (प्रयाग) में चन्द्रवंश की स्थापना हुई। मनु की पुत्री का नाम इला था। हिमालयवर्ती चन्द्र के पुत्र वधु से इला का विवाह हुआ। मनु ने पुत्रों के समान पुत्री इला को भी प्रतिष्ठान के आसपास का प्रदेश दिया। इला का पुत्र पुरूरवा चन्द्र अथवा ऐलवंश का प्रथम राजा हुआ। 24 चन्द्रवंशी प्रतिष्ठान से ही कान्यकुब्ज (कन्नौज), काशी, पश्चिमोत्तर और दक्षिण में फैले।
सौद्युम्न अथवा नागवंश की स्थापना
मनु के एक और पुत्र सुद्युम्न थे। 25 इनके तीन पुत्र हुये (1) गय, (2) उत्कल और (3) हरिताश्च या विनताश्व (अथवा विनत) गय को बिहार का दक्षिणी भाग मिला जिसकी राजधानी गया हुई। उत्कल ने उड़ीसा में अपना राज्य स्थापित किया। विनताश्व के वंशज गया के पूर्व के प्रदेशों और पीछे उत्तर कुरुओं के पास जाकर बस गये। सुद्युम्न के सारे वंशज सौद्युम्न कहलाये। नागवंशी क्षत्रियों के पूर्वज ये ही थे। जिस प्रान्त में वे बसे थे उसका एक भाग आज भी छोटा नागपुर कहलाता है।