गोरखपुर का खनिज पदार्थ , Gorakhpur ka Khanijpadarth: जनपद की भूमि हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा लायी हुई नर्म और उपजाऊ मिट्टी की तहों से बनी है। अतः इसके भूगर्भ में खनिज पदार्थों की रचना कम हुई है और फलस्वरूप जनपद की भौगर्भिक सम्पत्ति कम है। खनिज पदार्थों में कंकड़ दक्षिणी भाग में पाया जाता है जो सड़क और चूना बनाने के काम आता है।
इसके दो प्रकार हैं :-
(1) तेलिया (2) दुधिया रैना के किनारे तेलिया कंकड़ और सलेमपुर तथा देवरिया में दुधिया कंकड़ पाया जाता है। भंड़ी और चिलुआताल से चूना बनाने योग्य पचियाँ पर्याप्त मात्रा में पायी जाती हैं। वहाँ इनको इकट्ठा करके चूना बनाया जाता है। ईंट बनाने के योग्य मिट्टी जनपद में सभी जगह पायी जाती है। मिट्टी से नमक निकालने का व्यवसाय जनपद में पुराना है। सरयू के किनारे की भूमि में यह काम अधिक होता है। परन्तु नमक निकालने की प्रणाली परिष्कृत नहीं हो सकी है।
इसका कारण है नमक पर सरकारी प्रतिबन्ध और बाहर से नमक का आयात। जनपद के दक्षिण और दक्षिण-पूर्व भाग में शोरा भी निकलता है जो प्रायः बंगाल भेज दिया जाता है। अभी जनपद का समुचित रूप से भौगर्भिक निरीक्षण नहीं हुआ है। संभव है कि आगे चलकर नये खनिज पदार्थों का पता लगे । तराई की तरफ पानी तैरता हुआ तेल दिखाई पड़ता है। हो सकता है हिमालय की तलहटी में मिट्टी के तेल के स्रोतों का पता लग जाय ।