गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh

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godhan nyay yojna kya hai

गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh

विद्यार्थीओ आप सभी जानते है की हमारे ( गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh ) छत्तीसगढ़ में बहुत सारि योजनाए फ़िलहाल चल रही है , लेकिन परीक्षा की दृष्टि से देखा जाये तो हमें उन सभी योजनाओ से मतलब  नहीं , तो आप पूछेंगे ऐसा क्यों सर तो इसका जवाब है हमें सिर्फ उन योजनाओ को ज्यादा पढ़ना चाहिए जो राष्ट्र में थोड़े प्रशिद्ध हो जाये , या जिन योजनाओ को कुछ अवार्ड मिले

ऐसा ही आज हम आपको लिए गोधन न्याय योजना लेकर आये , जिसे आप जरूर पढ़िए और अपना सुझाव या जो भी कुछ प्रश्न है निचे कमेंट में जरूर लिखियेगा ।

हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना को नेशनल लेवल पर एलेट्स एनोवेशन अवार्ड (Elets | Innovations Award) से सम्मानित किया गया है।( गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh )

प्रमुख बिन्दु 

• नई दिल्ली में आयोजित दो दिवसीय एलेट्स आत्मानभरारत समिट में छत्तीसगढ़ राज्य को कृषि में इनोवेशन केटेगरी में यह अवॉर्ड प्रदान किया गया हैं।

• छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना को इससे पूर्व 20 मार्च 2021 को पर्यावरण संरक्षण और सतत् विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए स्कॉच गोल्ड अवार्ड मिल चुका है।( गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh )

गोधन न्याय योजना के बारें में 

  • शुरुआत : 20 जुलाई 2020 हरेली पर्व से
  • योजना का मुख्य उद्देश्य : पशुपालकों की आय में वृद्धि, पशुधन की खाली चराई पर रोक, जैविक खाद्य के उपयोग को बढ़ावा, खरीफ एवं रबी फसल सुरक्षा एवं द्विफसलीय क्षेत्र विस्तार, स्थानीय स्तर पर जैविक खाद्य की उपलब्धता, स्थानीय स्वसहायता समूहों को रोजगार के अवसर, भूमि की उर्वरता में सुधार, विषरहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता एवं सुपोषण ।
  • लाभार्थी: राज्य के गाय पालने वाले पशुपालक, प्रदेश के किसान और स्थानीय स्वसहायता समूह की महिलाएं।
  • पशुपालकों से गोबर खरीदी की दर : 2 रुपए प्रति किलोग्राम( गोधन न्याय योजना छत्तीसगढ़ | Godhan Nyay Yojna Chhattisgarh )
  • वर्मिकम्पोस्ट बनने के बाद विक्रय दर : 10 रुपए किलोग्राम

• इस योजना को छ.ग. सरकार की सुराजी गाँव योजना के तहत शुरू किया गया था।

गोधन न्याय योजना

उद्देश्य-

इस योजना का उद्देश्य पशुपालकों की आय में वृद्धि पशुधन की खुली चराई पर रोक लगाकर खरीफ और रबी फसलों की सुरक्षा, द्वि-फसली क्षेत्र का विस्तार, जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देकर रासायनिक उर्वरकों के उपयोग में कमी लाना है। इसके माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना, भूमि की उर्वरता में सुधार, विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सुपोषण को बढ़ावा देना भी है।

गोवर खरीदी एवं भुगतान-

छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना आज सबसे लोकप्रिय योजना का रूप ले चुकी है। इससे ग्रामीण और शहरी इलाकों में गोपालको को आमदनी का अतिरिक्त जरिया मिला है। इस योजना के तहत 2 रूपए किलो में अब तक 72.04 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी और गोबर विक्रेताओं को 144 करोड़ 07 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है।

कम्पोस्ट क्रांति-

गोधन न्याय योजना के अंतर्गत क्रय किए गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन और उपयोग की राज्य में एक नई क्रांति शुरू हुई है, जिससे देश में आसन्न रासायनिक खाद संकट को हल करने में मदद मिलेगी। गौठान समितियों को अब तक 71.04 करोड़ रूपए तथा महिला स्व-सहायता समूहों को 45.92 करोड़ रूपए की राशि लाभांश के रूप में दी जा चुकी है।

20 लाख क्विंटल से अधिक कम्पोस्ट उत्पादन-

गोधन न्याय योजना के तहत क्रय किए गए गोबर से महिला समूहों द्वारा 15 लाख 28 हजार क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट तथा 5 लाख 08 हजार क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट खाद एवं 18 हजार 935 क्विंटल सुपर कम्पोस्ट का निर्माण किया जा चुका है। इसे सोसायटियों के माध्यम से शासन के विभिन्न विभागों एवं किसानों को रियायती दर पर प्रदाय किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा विविध आयमूलक गतिविधियां संचालित कर अब तक 65 करोड़ 18 लाख रूपए की आय अर्जित की जा चुकी है।

गोबर से बिजली एवं प्राकृतिक पेंट-

राज्य में गौठानों से 12.013 महिला स्व-सहायता समूह से 82.725 महिलाएं जुड़ी हैं। महिला समूहों में स्वावलंबन के प्रति एक नया आत्मविश्वास जगा है। गौठानों में क्रय गोबर से विद्युत उत्पादन की शुरुआत की जा चुकी है। गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए कुमारप्पा नेशनल पेपर इंस्टिट्यूट जयपुर, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय भारत सरकार के खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड एवं छत्तीसगढ़ गौ सेवा आयोग के मध्य एमओयू हो चुका है। छत्तीसगढ़ सरकार की पहल पर गौठानों में दाल मिलों एवं तेल मिलों की स्थापना की जा रही है। प्रथम चरण में 197 गौठानों में दाल मिल तथा 161 गौठानों में तेल मिल की स्थापना की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

उपलब्धि-

  • गोधन न्याय योजना से 2 लाख ग्रामीण, पशुपालक किसान हो रहे लाभान्वित।
  • गोबर बेचकर अतिरिक्त आय अर्जित करने वालों में 45.19 प्रतिशत महिलाएं।
  • लाभान्वितों में से 1 लाख 18 हजार 977 भूमिहीन परिवार शामिल।
  • पशुपालक ग्रामीणों से 31 मई 2022 तक 144.07 करोड़ रूपए का गोबर क्रय।
  • 20 लाख क्विंटल से अधिक कम्पोस्ट का उत्पादन, राज्य में जैविक खेती को मिला प्रोत्साहन।
  • वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन एवं अन्य गतिविधियों से महिला समूहों को 65.18 करोड़ की आय।
  • गांवों में आय और रोजगार के नये अवसर सृजित
  • ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हुई है।

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